अन्तर्वासना की प्रशंसिका की बुर की पहली चुदाई-1

(Antarvasna Ki Prashansika Ki Bur Ki Pahle Chudai- Part 1)

This story is part of a series:

यह कहानी अन्तर्वासना की एक पाठिका की है, पाठिका ने अपनी बुर की पहली चुदाई अपने टीचर से कैसे करवाई, ये सब उसने लेखक को यानि मुझे बताया, मैं इस घटना को उसी के शब्दों ढाल कर पेश कर रहा हूँ।

यह सेक्स कहानी पढ़ कर आप सब कुछ जान जाएँगे!

अन्तर्वासना के लेखक से मुलाकात और…

यह कहानी वैसे तो मेरे साथ की है पर लिखा इसे मेरी एक फैन ने है जिसका नाम ऋचा झा है। ऋचा 22 साल की बिंदास लड़की है जो दिल्ली से है, वो इतनी बिंदास लड़की थी कि मुझे खुद आश्चर्य हो रहा था, मेरे को उसने एक मेल भेजा था और मेरी पंजाबी गर्ल वाली कहानी की बहुत तारीफ करी थी।

मैंने उसको रिप्लाई भी दिया था। करीब 3 महीने तक हम दोनों इमेल्स से बात करते रहे.. और फिर हैंगआउट से बात करना शुरू किया, वो पूरा दिन हैंगआउट पर रहती, कभी कभी तो मुझे बहुत गुस्सा आता उस पर क्योंकि मेरा काम और ऑफिस सब डिस्टर्ब हो जाता था… पर प्यार भी आता था उस पर.. क्योंकि वो मेरी एक फैन थी.. मासूम सी थी वो.. पर कुँवारी नहीं थी..

मैं चाहूंगा की आगे की बात आप ऋचा से सुनें…

हाय दोस्तो, मैं ऋचा झा हूँ, दिल्ली से हूँ, 22 साल की हूँ, मैं अन्तर्वासना की शौक़ीन नहीं हूँ। मेरी किसी सहेली ने मुझे अल्हड़ पंजाबन लड़की संग पहला सम्भोग का लिंक भेजा था, मेरी वो सहेली इस साइट के बहुत बड़ी फैन है, वो रोज़ यहाँ कहानी पढ़ने आती है… मैंने जब राहुल जी की वो कहानी पढ़ी तो मेरे होश उड़ गए!

सच बोल रही हूँ, इतनी बारीकी से कहानी को लिखा कि मैं पागल हो उठी.. और फिर रोज़ रोज़ उस कहानी को मैंने कई बार पढ़ा.. और फिर मैंने राहुल जी को एक मेल किया।

मैं बहुत ही बिंदास लड़की हूँ, मेरा अंदाज़ बहुत निराला है, लड़के मेरे इसी अंदाज़ पे मर जाते हैं, पर मुझे लड़कों को तड़पना बहुत पसंद है, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है (क्योंकि बॉयफ्रेंड बन के कुछ दिन में चोदने की बात पे आ जाते है लड़के, और दुहाई प्यार की देंगे कि जान प्यार में ये सब तो होता है, फिर यदि हमने एक बार टांग खोल दी तो उस दिन के बाद सारा प्यार खत्म… प्यार तब तक ही रहता है जब तक लड़की अपनी बुर न दे!)

मैं अपने रूप से हर किसी को दीवाना बना लेती हूँ, मेरी चूची 34B, कमर 28 और चूतड़ 34 है… मैं कुंवारी नहीं हूँ.. मेरे को सेक्स का ज्ञान मेरे हर्ष सर ने दिया मुझे सिर्फ और सिर्फ हर्ष सर ने ही भोगा है।

तब मैं सिर्फ 18 की थी, उस वक़्त मैं बहुत मासूम सी थी, सम्भोग क्या होता है, यह नहीं पता था। हाँ सेक्स के नाम पर बस यह पता था कि कोई लड़का यदि चूची दबाये या बदन को सहलाये तो मजा आता है और लड़के चूची को छूने के लिए कुछ भी कर सकते हैं पर जैसे ही मैं सेक्स के बारे में और उससे मिलने वाले मजा के बारे में जाना, तब से हर्ष सर क्या और कोई लड़का मुझे नहीं भोग सका..
शायद कच्ची उम्र में हर किसी से गलती हो जाती है.. मेरे से भी हुई!
पर इस सेक्स ज्ञान ने मुझे बहुत बिंदास बना दिया।

मेरा रंग गोरा है दूध सा.. बड़ी बड़ी काली काली आँखें.. गर्दन तक मेरे बाल.. लाल मेरे होंठ, सपाट पेट, चिकनी और लंबी भरी भरी टाँगें.. मस्त भरी हुई जांघ… मैं आपको अपनी पहली चुदाई की बात सुनाती हूँ कि कैसे मेरी पहली चुदाई हुई।

तब मैं 18 साल की थी और 12 की स्टूडेंट थी, मेरी क्लास में अटेंडेंस काफी कम थी और मेरे इंटरनल पेपर में भी मार्क्स कम आये थे। मैंने हर्ष सर से संपर्क किया, हर्ष सर मेरे क्लास टीचर थे और कुँवारे थे, हर्ष सर करीब 28 साल के मस्त एथेलेटिक बॉडी वाले थे। स्कूल की हर लड़की उनकी दीवानी थी, चौड़ी छाती, गठीला बदन, भरी हुई बाहें, कुल मिला के हर्ष सर एक मस्त और जवान मर्द थे और मैं भी उनकी दीवानी थी।

मुझे अपनी जवानी पे बहुत गर्व था, मेरे चेहरे की मासूमियत में हर कोई खो जाता था… मुझे मेरे गोरे गाल, पतली कमर और चौड़ी गांड पे बहुत यकीन था, मैंने हर्ष सर को टीज़ करके फायदा उठाने की सोची… तब मैं सेक्स के अधूरे ज्ञान को पूरा ज्ञान समझती थी… सेक्स ज्ञान मतलब होंठ चूसना, चूची दबाना, कमर सहलाना… जैसा कुछ.. पर मैं कितना गलत थी, यह मुझे बाद में पता चला।

तो मैंने उनसे संपर्क किया और रिक्वेस्ट की कि मेरा फेवर करें।

उस दिन जब मैं उनके स्टाफ रूम में गई तो अपनी शर्ट का ऊपर का बटन खोल दिया था, मेरी सफ़ेद ब्रा साफ दिख रही थी, मेरी गोरी गोरी स्किन से मेरी चूची के बीच की दरार साफ साफ वो देख सकते थे।
उस दिन मैंने अपनी पुरानी स्कर्ट भी पहनी थी जिसमें मेरी जाँघें भी दिख रही थी।

सर के चेहरे से साफ दिख रहा था कि वो मेरे रूप के जाल में फंस रहे हैं.. सर की अभी शादी नहीं हुई थी और वो एक कमरे के मकान में रहते थे, शाम को ट्यूशन भी लेते थे।
मैंने उनको कहा कि मुझे वो अलग से पढ़ा दें।

वो मान गए… मैंने भी एक कातिल से मुस्कान उनको दे दी और उनकी बाँहों को जोर से पकड़ कर थैंक्स बोली- सर आप जो कहेंगे वो मैं करुँगी, बस आप मुझे पास करवा दो.. जिसके सहारे मैं बोर्ड का एग्जाम दे सकूँ। जो फीस मांगोगे, वो मैं दूंगी।

मैं जानती थी कि मेरा जादू उनके ऊपर चल गया है, सोचा थोड़ी ऊपर से जिस्म सहलवा लूंगी, मेरी चूची दबा लेंगे सर… तो मेरा काम बन जायेगा, मुझे फिर भी कहीं न कहीं डर था कि कहीं किसी को पता न चल जाए या मेरे घर में किसी को पता न चल जाए!

पर मैं गई उनके पास… शाम को मैं खूब सज़ के उनके घर गई.. शार्ट पैंट और टीशर्ट पहन कर मेरी गोरी मसल जांघ और मेरी 32 साइज की चूची साफ दिख रही थी, पिंक टी में से ब्लैक ब्रा साफ दिख रही थी।

मैं भी ऐसे टाइम पर गई जब उनकी क्लास ख़तम होने को थी। थोड़ी देर में सारे स्टूडेंट चले गए।

अब मैं और हर्ष सर घर में अकेले थे, मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था, शरीर में कम्पन था डर के मारे!
हर्ष सर की तो और भी हालत ख़राब थी… उसका मुँह खुला का खुला रह गया मेरे को देख कर… शायद मैं उस दिन बहुत हसीं और सेक्सी लग रही थी.. मेरे निप्पल डर से बिल्कुल खड़े हो गए थे जो टी से साफ साफ दिख रहे थे।

तभी मेरी नज़र उनके पैंट पर गई.. वहाँ कुछ उभार सा था, अचानक हर्ष सर ने वहाँ हाथ लाकर कुछ एडजेस्ट किया- बताओ, क्या पढ़ना है?
मैं- सर मैथ्स!

‘ओके…’ बोल कर वो मुझे चैप्टर समझाने लगे.. फिर मुझे कुछ सवाल देकर वो बोले- तुम ये सवाल करो, तब तक मैं कॉफ़ी बना के लाता हूँ।
मैं- अरे सर आप क्यों बनाओगे.. मैं बना कर आप को पिलाती हूँ!
कह कर मैं किचन की तरफ बढ़ गई और उनको कुछ बोलने का मौका नहीं दिया।

फिर सर ने मेरे पीछे आकर खड़े होकर ऊपर से कॉफ़ी और चीनी निकाल कर दी.. तब उन्होंने अपना लंड मेरी गांड में लगा दिया।
मैंने सिहर कर उनके लंड से अपनी गांड सटा कर ग्रीन सिग्नल दिया।

सर भी थोड़ी देर तक वैसे ही खड़े रहे… फिर वो अंदर चले गए।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा थी कि आगे कैसे टीज़ करूँ!

और इसी सोच में मैं कॉफ़ी कप में निकालने लगी… तभी बेख्याली में अंत में कुछ कॉफी किचन स्लैब में गिर कर मेरी जांघ में गिर गई।
मैं जोर से चिल्लाई- आई ओह्ह्ह्ह्ह माँ!

सर दौड़ कर आए, तब तक मैं जलन के मारे फर्श पर बैठ गई थी… मेरी जांघ लाल हो गई थी। वैसे मुझे इतना दर्द नहीं हो रहा था जितना मैं नाटक करके रो रही थी।
घबरा कर सर मेरे पास आए, पूछा- क्या हुआ?
मैं बोली- कॉफ़ी गिर गई मेरे ऊपर, बहुत जल रहा है सर…

‘ओह्ह… मैं अभी दवा लगा देता हूँ!’ कह कर मुझे उठाने लगे पर मैं दर्द से चिल्ला कर फिर से बैठ गई।
अब हर्ष सर के सामने कोई और दूसरा रास्ता नहीं था, तब उन्होंने मेरी कमर से मुझे उठा लिया मैं भी अमर बेल के तरह उनसे लिपट गई, मेरी बाहें उनकी गर्दन पर.. और मेरी चूची उनकी छाती से दब गई थी… उनकी और मेरी सांसें एक दूसरे को उत्तेजित कर रही थी।

यह मेरा पहला पुरुष स्पर्श था।
तभी मुझे मेरी बुर से कुछ निकलता प्रतीत हुआ, मेरी पेंटी गीली होने लगी..

कुछ ही पल में सर ने मुझे दीवान पर लिटा दिया, सर दवा ले कर आए और बोले- लो लगा लो!
मैं बोली- सर, आप लगा दो?
सर थोड़ी से हिचकिचाहट के बाद मेरे पैर अपनी गोदी में रख कर वहीं दीवान पर बैठ गए.. उंगली में दवा लेकर मेरे लाल निशान पर लगाने लगे..

उनके स्पर्श से ही मेरी सिसकारी छूट गई- आआह्हः
सर- क्या हुआ?
मैं शर्म से आँख बंद कर बोली- कुछ नहीं, आप लगाओ, बहुत अच्छा लग रहा है.. ठंडा ठंडा!
सर को भी थोड़ी हिम्मत आ गई.. शायद वो समझ गए कि मैं कोई बुरा नहीं मानूँगी… और फिर वो पूरी हथेली से मेरी जांघ सहलाने लगे।

मैं तो आसमान में उड़ रही थी, मेरे शरीर में सनसनी से दौड़ रही थी बुर से कुछ निकलता हुआ लग रहा था। सर का हाथ अब आसानी से मेरी चिकनी जांघ पर फिसल रहा था, मेरा जिस्म उनके स्पर्श से सिहर रहा था और मैं आनन्द के सागर में थी कि मेरी आंख बंद थी।

अचानक उनका हाथ जांघ से ऊपर की तरफ बढ़ता हुआ लगा, मैं साँस रोक कर अगले पल का इंतज़ार करने लगी.. वो मेरी बुर के पास पहुंच कर रुक गए.. शायद वो मेरा रियेक्शन देख रहे थे!
पर मैं आंख मूंद कर अगले पल का इंतज़ार कर रही थी।

कि उनका हाथ मेरे शॉर्ट पैंट के अंदर जाता महसूस हुआ और मैं सिहर उठी…
फिर उनका हाथ मेरी पेंटी को छूने लगा।

सर में मेरी ओर देखा, हम दोनों की आंख मिली और मैंने शर्म से आंखें बंद कर ली, सर भी समझ चुके थे कि मेरी तरफ से कोई विरोध नहीं होगा।
अब वो मेरी बुर की दरार पे सहला रहे थे!

‘आह्हः उफ्फ्फ्फ़ सर… प्लीज मत करो ओह्ह्ह सर अच्छा लग रहा है.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह्ह!’

तभी उनकी उंगलियों ने मेरी पेंटी के अंदर प्रवेश कर मेरी गीली बुर को सहला दिया। मेरे बुर को गीली पाकर समझ गए कि मैं चुद जाऊँगी।

पर चुदना क्या होता है, यह तो मुझे पता नहीं था उस वक़्त.. और मैं उनके स्पर्श को ही सेक्स समझ रही थी- उफ़्फ़ आह्ह्ह सर!
सर मेरी ओर झुक गए और दूसरे हाथ से मेरी टी के अंदर से मेरी सपाट बैली को सहलाने लगे।

मैं दोनों हाथों का स्पर्श सह नहीं पाई.. और मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया।
तब मुझे पता नहीं था कि बुर भी झड़ती है! पर आज पता है और उन पलों को याद करके आज भी सिहर जाती हूँ।
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