इम्तिहान की टैंशन

supernova8525 2012-01-18 Comments

प्रेषक : यश

हाय दोस्तो, मेरा नाम यश है, यह मेरी पहली कहानी है, मुझे उम्मीद है कि आपको यह पसंद आएगी।

मैं 21 साल का हूँ और बी कॉम फाइनल इयर में हूँ। बात ज्यादा दिन पहले की नहीं है, मेरे साथ कुछ बहुत ही ज़बरदस्त हुआ और वही बात मैं आप सबके साथ शेयर करना चाहता हूँ। मुझे कॉलेज जाने का बिल्कुल भी शौक नहीं था, कोई ग्रुप ही नहीं था, मैं बिल्कुल अकेला था, न कोई दोस्त और ना ही कोई गर्लफ्रेंड ! तो कुल मिला कर मेरी लाइफ पूरी झंड थी !

साला क्या करूँ, समझ नहीं आता था !

एक्ज़ाम आने वाले थे तो एक और टेंशन ! एक्ज़ाम फॉर्म भरने जाने में भी मेरी गांड फटती थी क्यूंकि हमारा मादरचोद प्रिंसीपल सबकी गांड में बम्बू देता था ! मेरी वाट लगनी तो पक्की थी क्यूंकि मेरा अटेंडेंस जीरो था। और तो और मैंने यह भी सुन रखा था कि एक नई मैडम आई है जो लण्ड और आंड खाती है।

फिर भी समय निकाल कर मैं कॉलेज गया, देखा सब अपनी चुदवा रहे हैं, मैं कैसे बच जाता?

मेरा नंबर आया, प्रिंसीपल तो नहीं था पर वो नई मैडम थी। क्या टंच माल थी दोस्तों क्या बताऊँ? नाम नेहा, मस्त गोरी, उम्र 30 के आस-पास, बटले बड़े-बड़े और सिल्की-सिल्की बाल !

मैडम लाल रंग का सूट पहने हुए थी, बाल बंधे हुए थे पर सामने गिर रहे थे, साली को देख कर ही लंड खड़ा हो गया !

पर अन्दर घुसते ही उसकी असलियत पता चल गई, जैसा सुना था वैसी निकली। आते ही पापा का नंबर मांगने लगी, कहती कि कॉलेज नहीं आते हो न, पहले पापा से शिकायत करुँगी फिर तुमको एक्साम फॉर्म मिलेगा।

मेरी तो जैसे गांड चोक हो गई। घर वालों को तो यही लगता है न कि अपना लौंडा ही सबसे सबसे सीधा है। मैंने मैडम को मनाने की कोशिश की, बात नहीं बनी तो अपना नंबर ही दे दिया, सोचा साली भी क्या याद रखेगी! उसके बाद मैडम ने मुझे भगा दिया।

मेरी गांड तो पूरी मरी पर उसकी भोली सूरत और नशीला बदन मेरे आँखों के सामने घूम रहा था। मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर चोद डालूँ, पर ऐसा तो हो नहीं सकता था।

मैं घर आकर सो गया। उठ कर अपने दोस्त रमेश को फ़ोन किया, मैंने उससे फॉर्म के बारे में पूछा फिर सीधा मैडम पर आ गया, पता चला कि मैडम भी मेरे घर के पास ही सिविल लाइंस में रहती है। उसकी शादी नहीं हुई है और परिवार से अलग रहती है, अपना कमाती है और अपना खाती है। शायद इसी लिए तन्हाई का गुस्सा कॉलेज में निकाल देती है।

अब यह सब सुन कर मुझसे रहा था गया। मैं मन ही मन मैं सोच रहा था कि काश कोई ऐसा मौका मिल जाये जिससे मैं उसके करीब आ जाऊँ।

थोड़ी देर बाद की ही बात है, देखता हूँ कि किसी अंजान नंबर से फ़ोन आ रहा है।

मैंने उठाया, वहाँ से कोई लड़की बोली- आप यशजी बोल रहे हैं?

अपना नाम किसी सुंदरी से मुंह से सुन कर मैं भी खुश हो गया। उचक कर बोला- हाँ जी, मैं ही बोल रहा हूँ, कहिये क्या बात है?

इतना सुनते ही उधर से आवाज़ आई- मुझे पता था यह तुम्हारे पापा का नंबर नहीं हो सकता, बड़े शरीफ बनते फिरते हो ना, कल कॉलेज आना फिर बताती हूँ।

इतना बोल कर फ़ोन काट दिया, मेरी तो गांड फट कर हाथ में आ गई, सोचा यह क्या हो गया, और पापा को यदि पता चल गया तो मैं तो पक्का मारा जाऊंगा। मैंने वापस रमेश को फ़ोन करके मैडम का एड्रेस लिया, सोचा के अब उसके घर जाता हूं और माफ़ी मांग कर देखूंगा।

एड्रेस मिल गया, मरता क्या न करता, उसके घर जाना पड़ा, ज्यादा दूर नहीं था, बस कुछ गली पार करनी थी, घर ठीक-ठाक था और आस-पास कोई ज्यादा हलचल भी नहीं थी। हिम्मत तो नहीं हई पर फिर भी मैंने गेट खोला। अन्दर जाकर घण्टी बजाई।

दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। दरवाज़ा खुला, सामने देखा तो लगा जैसे कोई अप्सरा खड़ी है। बाल सवेरे की तरह ही बंधे हुए पर वो मैक्सी पहने हुए थी।

मुझे देखते ही उसकी आँखें खुली की खुली रह गई, वो गुस्से से ही बोली- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?

मैं सब कुछ भूल कर बोलने लगा- प्लीज़ मैडम, मुझे माफ़ कर दो, मैं अब से रोज़ कॉलेज आऊँगा, फिर कभी बंक नहीं मारूँगा, पर आप घर में कुछ नहीं बताना !

और मैं चुप हो गया। मैडम मुझे देखने लगी, फिर शायद उसको मुझे देख कर दया आ गई, उसने मुझे अन्दर बुला लिया। मैं सोफे पर बैठ गया, सोचा कि शायद बच जाऊँ।

मैडम पूछने लगी- कॉलेज क्यूँ नहीं आते थे?

और मैं कुछ न कुछ बहाना बनाता चला गया।

अब थोड़ा ठीक लग रहा था, और मेरे मेरे अन्दर की हवस जाग रही थी। बात करते-करते कभी मैडम के बुब्बों की लाइन दिखती तो कभी मेरी नज़र उसकी जांघों पर चली जाती। शायद उसने ब्रा भी नहीं पहही थी, इसीलिए तो बटले झूल रहे थे।

घर में कोई और नहीं था, पर मैं कोई हीरो भी तो नहीं हूँ न, जो मैडम बिना कुछ बोले ही मुझसे चुदवा ले।

बात करते-करते उसने अपने बालों को खोल कर फिर से बांधना चालू किया, इतनी सेक्सी लग रही थी कि आप लोगों को क्या बताऊँ? मुझसे रहा न गया, मैं जोर से चिल्लाया- मैडम !

वो भी चौंक गई, बोली- क्या हुआ?

मैं बोला- बाथरूम कहाँ है?

वो भी हंसने लग गई- आगे कमरे से लेफ्ट !

मैं बाथरूम जाने लगा, बगल वाले बिस्तर पर मैडम की लाल रंग की ब्रा और और पैंटी पड़ी हई थी। मैंने देखा कि मैम नहीं देख रही है तो मैं उसकी ब्रा और पैंटी उठा लिया और बाथरूम चला गया।

लंड तो मेरा पहले से ही खड़ा था। मैं जल्दी से अपनी पैंट खोला और अपने लंड को उसकी पैंटी से सहलाने लगा, उसकी ब्रा को सूंघने लगा।

मुझे यही लगा मानो उसके बुब्बों को सूंघ रहा हूँ। इससे पहले कि मैं अपना लंड हिलाता, मैम ने दरवाजा खटखटाया।
मेरी तो गांड ही सूख गई। उसको कुछ भी पता चल जाया तो मैं तो गया।

मैंने जल्दी से अपनी पैंट पहनी और उसके कपड़ों को अपनी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिया।

मैंने दरवाज़ा खोल कर पूछा- येस मैम?

तो वो बोली- अन्दर क्या हो हो रहा था?

मैं- क.. कुछ भी नहीं तो !

वो- अच्छा? तो फिर तुमने अपने शर्ट के अन्दर क्या छुपा के रखा है?

मैं तो फंस ही गया था, सोचा कि अब झूठ बोल कर क्या मतलब, मैंने बोल दिया- मैडम, मैं आपको बहुत पसंद करता हूं, आपके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं, आय लव यू !

मैडम तो दंग रह गई, बोली- इसके लिए तुम सस्पेंड हो सकते हो ! कॉलेज से भी निकाल दिए जाओगे !

मैं बस चुपचाप खड़ा था, पर मेरा लंड तो मानो जैसे अभी मेरी पैंट को फाड़ कर बाहर आ जायेगा। मैडम भी सब समझ गई, हल्का सा मुस्काई और पूछा- कोई गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?

मैंने बोला- नहीं है।

उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और सहलाने लगी। मुझे लगा मानो मैं कोई सपना देख रहा हूँ, मैं बस चुपचाप खड़ा था।

वो फिर मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई और मेरी जींस का बटन खोलने लगी।

मैं बस सब देख ही रहा था। पैंट खोली तो देखा कि मेरा 8″ का लंड चड्डी को फाड़ रहा है। मेरी चड्डी भी थोड़ी गीली थी। अब ऐसा किसी के साथ भी होगा तो कोई कैसे कंट्रोल करेगा?

यह देख कर वो बोली- बड़े रोमियो बनते हो, दम तो पहले ही निकल गया !

मुझे तो विश्वास न हुआ, जिसके बारे में मैं कुछ घंटे पहले तक सोच रहा था वो अभी मेरा लंड पकड़े हुए थी।

मैं बोला- मैडम जी, आप एक मौका तो दो, आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा !

वो फिर से हंस पड़ी और मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी।

पहले धीरे-धीरे मेरे लंड को मुठ मारी फिर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। मुझे तो जैसे कर्रेंट ही लग गया। वो मेरे लंड को चूसने लगी। उसे बड़ा आनंद आ रहा था। अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को दबा रही थी और बस चूस रही थी।

अब मेरी भी हिम्मत जाग गई, मैंने अपना हाथ उसके सर पर रख दिया, उसके बाद बड़े कोमल-मुलायम थे, मैंने उसके बालों का रबर खोल दिया, उसके बाल तो उसकी कमर तक लम्बे थे। वो मेरा लंड आराम से चूस रही थी और मैं उसकी जुल्फों को जोर-जोर से खींच रहा था। मैंने अपना पूरा पैंट-शर्ट खोल दिया और उसके सामने बैठ गया। उसकी गर्दन को अपनी ओर खींचा और उसके गुलाबी होंटों पर अपने होंठ रख दिए।

हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने लग गए। उसके दोनों हाथ मुझे जोर से जकड़े हुए थे। मेरे हाथ भी अब उसके चूचों पर गए, उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैं कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ खींचने लगा। उसके मुँह से ‘आह’ निकल गया।

मुझ में और जोश आ गया। मैंने उसकी मैक्सी के पीछे की चेन खोल दी, उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथ फिराने लगा।

वो फिर खड़ी हो गई, बोली- बेडरूम में चलो !

उसके खड़े होते ही मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया, मैं तो पूरा नंगा था, अपना लंड मैं उसकी गांड पे टिका दिया, उसकी पूरी पीठ खुली थी तो मैं उसकी पीठ को चूमने लगा और गर्दन को भी चूम रहा था। उसने अपने दोनों हाथ अपने बटलों पर रखे हुए थे। बेड के पास पहुँचते ही मैंने उसको बिस्तर पर धक्का दे दिया। वो भी सीधी गिर पड़ी।

मैं किसी भूखे भेड़िये की तरह उस पर टूट पड़ा, पहले तो उसके सारे कपडे ख़ोल दिए, उसने अन्दर तो कुछ भी नहीं पहना था, मुझे देख कर वो भी थोड़ा शर्मा गई। मैंने भी बिना कुछ बोले उसको पकड़ लिया और उसे चूमने लगा।

उसने मेरा लंड चूस कर मुझे पहले ही खुश कर दिया था तो अब मेरी बारी थी। मैं पहले उसके ऊपर आ गया, उसके बटलों को दोनों हाथों से पकड़ा और हिलाने लग गया, फिर जोर-जोर से दबाने लग गया और बीच-बीच में उसके बटलों को मसल भी देता था।

वो कहती रही- क्या कर रहे हो?

पर मेरे अन्दर तो कैसे कोई जानवर ही आ गया था। रुका तो देखा कि उसके बुब्बे पूरे लाल हो गए हैं। मैंने उनको प्यार से चूमा और फिर नीचे-नीचे चूमता चला गया, उसकी नाभि को चूमा तो वो झूम उठी, जैसे जैसे और नीचे गया तो उसने मेरा सर ही पकड़ लिया।

उसकी चूत पूरी साफ़ थी, एक भी बाल नहीं था। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फेरा, ‘आह.. ओह्ह.. उम्म्म’ उसके मुँह से आवाज़ आई, इतनी सेक्सी आवाज़ लग रही थी, मैंने अपनी उंगली उसकी चूत पर फ़िरा दी। वो मज़े ले रही थी।

मैंने दोनों हाथों से उसकी चूत फाड़ी, उसकी चूत गीली थी, मैंने एक उंगली अन्दर डाली, आराम से अन्दर चली गई, मैंने फिर अपनी दो उँगलियाँ डाली और अन्दर रगड़ने लगा, वो तड़प उठी, मुझे मज़ा ही आ गया, मैं और जोर से करने लगा और वो तड़पने लगी, उसको तड़पती देख कर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।

2-3 मिनट ऐसा करने के बाद मैं उसकी चूत चाटने लगा, उसकी तड़प मैं सुन सकता था। मैं अपनी जीभ उसकी चूत पर चला रहा था। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था, वो कहती रही- आह और करो.. और न.. उम्म्म्म !

फिर सोचा कि थोड़ा दर्द फिर से दिया जाये। मैंने अपने दांत उसकी चूत पर गड़ा दिए। मैं उसकी चूत को हलके-हलके काटने लगा। वो कहने लगी- क्या कर रहे हो?

मैं भी क्या जवाब देता?

उसकी तो इतने में ही गांड फट गई थी, पर मैं भी कहाँ चुप रहने वाला था? मैं बैठा, और अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। फिर थोड़ा सा अन्दर किया, ज्यादा असर न हुआ, मैंने सीधे एक झटके में ही अपना मोटा लंड उसकी चूत में समां दिया, लगा मानो अन्दर बिजली का कोई झटका लगा हो, वो भी जोर से चीख पड़ी- “आआआ.. आआ.. आ.. आआअ.. हाय भगवन.. मैं तो मर गईईईइ.. ओह्ह्ह्हह्ह !

उसने अपना सर पकड़ लिया, मैंने उसकी दोनों टांगों को पकड़ा और अंधाधुन्ध अपना लंड उसकी चूत में पेलता गया। मैं रुका ही नहीं बस अन्दर-बाहर करता गया।

एक पोज़ में कितनी देर करता? मैं रुका और उसको घोड़ी बनने को बोला, वो तो जैसे नशे में थी।

मैं उसके दोनों पाँव खींच कर बिस्तर के नीचे ले गया, अब वो घोड़ी बन गई थी। मैंने उसके बाल अपने दोनों हाथों से पकड़ा और जोर से खींचा। मैं खड़े-खड़े उसकी चूत में अपना लंड डालने लगा। एक हाथ से मैं उसके रेशमी बाल ऐसे खींच रहा था मानो ये घोड़ी की लगाम हों और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था। उसके कूल्हे भी लाल हो गए।

उसको इसी तरह से दस मिनट तक चोदने के बाद मैं उसके ऊपर लेट गया, उसका मुँह खोला और अपना लंड डाल दिया, वो मरे-जिए जैसे चूसने लगी।

मुझे न जाने क्या हुआ मैंने एक झापड़ उसे खींच कर लगाया! उसके सर को पकड़ कर अपना लंड उसके मुँह में बार-बार अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी आँखों से आंसू आ गए थे। पर यह तो दर्द का मज़ा था।

मैंने अपना लंड फिर उसकी चूत में धंसा दिया और धीरे-धीरे पेलने लगा, मैं अब बस ख़त्म होने ही वाला था। मैंने अपनी पिचकारी मैम की चूत में ही खोल दी, वो भी झड़ गई थी। चूत से जैसे लस्सी की कोई नदी निकल आई थी।

वो लेटी रही और मैं अपने लंड से बचा-खुचा सामान उसके मुँह पर डाल दिया।

वो इतना थक गई कि बस पड़ी ही हुई थी, मैं उसके ऊपर ही लेट गया। उसने भी मुझे पकड़ लिया। हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

थोड़ी देर बाद वो उठी और सीधा बाथरूम चली गई। जल्दी से मैंने अपने कपड़े पहन लिए, वो तौलिया लपेट कर आई, मैं उसे देख कर हल्का सा मुस्कुरा दिया और कहा- मुझे अब चलना चाहिए, काफ़ी देर हो गई है।

उसने केवल अपना सर हिला दिया। मैं बाहर आ गया। यकीन ही नहीं आया कि ऐसा कुछ भी हो चुका है।

कल तक मैं जिसको जानता भी नहीं था वो आज मेरी सारी तपस मिटा गई।

मैं हँसता-मुस्कुराता अपने घर को चल दिया…

तो दोस्तो, आपको कैसे लगी मेरी दास्ताँ?

यह मेरी पहली कहानी है, मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको यह पसंद आई होगी। कोशिश करूँगा कि आगे और बेहतर लिखूं..

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