विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-39

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-39)

पिंकी सेन 2015-02-04 Comments

This story is part of a series:

दीपक- अब बातें बन्द कर आह्ह.. चूस.. ओफ्फ मज़ा आ गया आह्ह.. ऐसे ही हाँ आह्ह.. ऐइ ज़ोर-ज़ोर से चूस आह्ह.. ओफ्फ सस्स हूओ उई..

दीपक का लौड़ा फूलने लगा और उसी पल प्रिया ने लौड़ा टोपी तक बाहर निकाल दिया यानि बस सुपारा अन्दर रखा.. उसमें से गर्म-गर्म लावा निकला, जिसे उसने अपनी जीभ पर लेकर पूरा बाहर निकाला फिर गटक गई।

दीपक- वाह.. बहना तू बड़ी कमाल की रण्डी है.. क्या मज़ा दिया मुझे.. अब से रोज तेरे पास आऊँगा.. मौका मिला तो तेरी चुदाई करूँगा.. नहीं तो तेरा मुँह चोदूँगा.. बड़ा मस्त चूसती है तू तो।

प्रिया- भाई अब आप निकल लो.. माँ आती होगी.. आपको देखेगी तो 10 तरह के सवाल करेगी.. दोपहर तक दीपाली कुछ ना कुछ जुगाड़ कर ही लेगी.. उसके बाद मैं आपको बता दूँगी.. आप बस घर पर ही रहना।

दीपक- ठीक है मेरी जान.. अभी तो जा रहा हूँ मगर दोपहर तक कुछ ना हुआ ना.. तो देख लेना मुझे चूत चाहिए बस…

दीपक वहाँ से निकल गया।

प्रिया सोच में पड़ गई कि दीपाली इतनी जल्दी में क्यों थी.. कहीं विकास सर के पास तो नहीं जा रही।

प्रिया ने दोबारा फ़ोन लगाया और इस बार भी दीपाली ही थी।

दीपाली- अरे क्या हुआ यार? मैंने कहा ना दोपहर को बताती हूँ।

प्रिया- ऐसी बात नहीं है.. आज रविवार है तू कहा बिज़ी है ये बता कहीं चुदवाने के लिए विकास सर के पास तो नहीं जा रही ना?

दीपाली- हाँ.. वहीं जा रही हूँ.. तुझे आना है क्या? वहाँ आजा तू भी चुद लेना मेरे साथ..

प्रिया- नहीं यार तू जा.. मैं उनके सामने नहीं जाना चाहती.. वक़्त आएगा तो उनके लौड़े को भी देख लूँगी.. अभी दीपक ही बहुत है और प्लीज़ तुम भी उनको कुछ मत बताना।

दीपाली- ठीक है नहीं बताऊँगी.. अच्छा सुन चाभी तेरे पास है ना.. 11 बजे के बाद तू उस घर में जा सकती है.. शाम को 5 बजे तक वहाँ कोई नहीं रहता.. चाहे तो दीपक को वहाँ बुला ले.. और मज़ा कर.. मैं भी आ जाऊँगी।

प्रिया- यार आख़िर वहाँ रहता कौन है? ये तो बता मुझे..

दीपाली- अरे एक बूढ़ा आदमी रहता है सुबह से शाम तक बाहर रहता है.. इसी लिए बोल रही हूँ उसके आने के पहले निकल जाना।

प्रिया- यार मगर वो है कौन? तेरे पास चाभी कहाँ से आई… ये तो बता?

दीपाली- वक़्त आने पर सब बता दूँगी.. चल अब रख.. मुझे रेडी होना है यार..

दीपाली ने फ़ोन रख दिया।

अब वो कपड़े देखने लगी कि आज क्या पहने।

फ़ोन रखने के बाद प्रिया अपने कमरे में चली गई और अपने आप से बड़बड़ाने लगी।

प्रिया- ये दीपाली भी ना.. कुछ भी नहीं बताती अपने बारे में.. अब विकास सर के पास मज़े लेने जा रही है।

बड़बड़ाते हुए उसको कुछ आइडिया आता है और वो जल्दी से नीचे जाती है।
उसकी माँ भी मंदिर से आ गई थीं.. वो उनको बोलती है कि अपनी सहेली के पास जाकर अभी आती हूँ और घर से निकल जाती है।

उधर अनुजा ने विकास को नास्ता करवा दिया और खुद रेडी होकर घर से निकल गई।

दीपाली ने आज काली जींस और लाल टी-शर्ट पहनी थी.. बड़ी मस्त लग रही थी।

अपनी माँ को ‘इम्तिहान की तैयारी करने सहेली के पास जा रही हूँ’ बोलकर वो भी घर से निकल गई।

दोस्तो, आप ध्यान करना सब एक ही वक्त घर से निकल रही हैं। अब तीनों के बारे में एक साथ तो बता नहीं सकती इसलिए एक-एक करके बताती हूँ।
आज बड़ा ट्विस्ट है आप ध्यान दो बस।

दीपाली विकास के घर की ओर जा रही थी और एक मोड़ पर उसने अनुजा को दूसरी तरफ जाते हुए देखा उसने आवाज़ भी दी.. मगर अनुजा ने नहीं सुनी और रिक्शा रुका कर उसमें बैठ कर चली गई।

दीपाली ने भी ना जाने क्या सोच कर दूसरा रिक्शा रुकवाया और अनुजा के पीछे चल दी।

वो 15 मिनट तक वो अनुजा का पीछा करती रही और अपने आप से बड़बड़ा रही थी कि दीदी कहाँ जा रही हैं.. आज तो रविवार है इनको पता है मैं आऊँगी.. उसके बाद भी जाने कहाँ जा रही हैं।

अनुजा का रिक्शा एक घर के पास जाकर रुका तो दीपाली ने भी रिक्शा रुकवा लिया।

जब अनुजा अन्दर चली गई तो दीपाली उस घर के पास जाकर खिड़की से अन्दर झाँकने लगी।

अन्दर एक औरत जो करीब 30 साल के लगभग होगी.. दिखने में भी ठीक-ठाक सी थी.. वो सोफे पर बैठी थी।

अनुजा बिल्कुल उसके पास बैठी बातें कर रही थी.. जो बाहर दीपाली को साफ सुनाई दे रही थीं।

अनुजा- यार मीना बड़े दिनों बाद मिलना हुआ कभी तू भी मेरे घर पर आ जाया कर।

मीना- अरे नहीं रे.. वक्त कहाँ मिलता है आने का तुम तो जानती हो मेरा काम ही ऐसा है.. होटल में कहाँ वक्त मिलता है.. रविवार बस को छुट्टी मिलती है। वहाँ साले एक से बढ़कर एक हरामी देखने को मिलते हैं।

अनुजा- हरामी कौन? मैं कुछ समझी नहीं यार?

मीना- अरे यार मैंने बताया तो था.. वहाँ ज़्यादातर टूरिस्ट आते हैं। अब जैसे कोई अंग्रेज आया तो उस साले को इंडियन गर्ल चाहिए बस हमारा मैनेजर भड़वा.. मंगवा देता है उस लड़की को सब समझा कर मुझे वहाँ कमरे तक ले जाना पड़ता है और उसके जाने का इंतजाम भी मुझे करना पड़ता है। साला कोई-कोई हरामी तो मुझे ही चोदने के चक्कर में रहता है। तू जानती है मुझे ये सब पसन्द नहीं है।

अनुजा- अरे यार जानती हूँ.. तू अपने पति को छोड़कर अलग रहती है वो जानवरों की तरह तुझे चोदता था.. तब से चुदाई से तुझे नफ़रत हो गई है। यार वहाँ तुझे अच्छा नहीं लगता तो.. तू कोई दूसरी नौकरी कर ले ना…

मीना- अरे नहीं यार.. इतने बड़े होटल में स्टाफ की हैड हूँ.. पगार भी अच्छी है। ऐसी नौकरी दूसरी नहीं मिलेगी।

अनुजा- हाँ ये बात तो सही है.. अच्छा ये बता जैसा ट्रिपल एक्स फिल्मों में अंग्रेजों का लौड़ा कितना बड़ा दिखाते हैं.. क्या सच में ऐसा होता है.. तूने कभी देखा है वहाँ किसी का?

मीना- अरे मैं क्यों देखूँगी यार?

अनुजा- ओह.. कभी तो मौका मिला होगा.. जैसे तू कमरे में लड़की लेने या वापस लाने गई हो.. नज़र पड़ जाती है यार.. बता ना…

मीना- हाँ कई बार ऐसा हुआ है.. बड़ा तो होता है ये बात मैंने गौर की है.. मगर अफ़्रीकन आदमी का सबसे बड़ा होता है.. अभी कल ही एक काला सांड आया है.. कुत्ता कहीं का…

अनुजा- अरे कौन सांड.. क्या हुआ? बता ना यार?

मीना- कल एक अफ़्रीकन आया है.. शैतान जैसा लंबा-चौड़ा.. मैनेजर ने मुझे उससे पूछने भेजा था कि उसको कोई चाहिए क्या?

तो हरामी ने मुझे ही पकड़ लिया और अपना शॉर्ट्स निकाल कर मुझे लौड़ा दिखा कर बोला कि हाय बेबी लुक माय कॉक यू वांट दिस बिग कॉक… मैं अपना हाथ छुड़ा कर वहाँ से भाग गई और मैनेजर से शिकायत की.. तब उन्होंने उसको समझाया कि ये खुद नहीं चुदेगी.. तुमको लड़की लाकर देगी.. तब हरामी बात को समझा।

अनुजा- ओह.. रियली कितना बड़ा होगा उसका?

मीना- अब मैंने कौन सा नाप कर देखा है सोया हुआ भी कोई 7′ का होगा.. ना जाने खड़ा होकर कितना होता होगा?

अनुजा- ओह्ह.. रियली यार एक बात तो है लौड़ा जितना बड़ा होता है ना.. उतना ही मज़ा देता है।

मीना- अरे तू भी.. क्या ये लौड़े की बात लेकर बैठ गई.. चल आजा रसोई में नाश्ता बनाते हुए बात करेंगे।

अनुजा- अरे नहीं.. नाश्ते की क्या जरूरत है यार बात करते हैं ना…

मीना- अब कोई बहस नहीं.. चल आजा…

दोनों उठकर रसोई में चली जाती हैं।
दीपाली भी अब सोचती है यहाँ खड़ी रहने से क्या फायदा।

वो भी रिक्शा पकड़ कर वापस विकास के घर की ओर चल देती है।

दोस्तो.. आप सोच रहे होंगे.. मैं कहानी को लंबा खींचती जा रही हूँ, नए-नए किरदार सामने आ रहे हैं मगर आपका ऐसा सोचना गलत है..
ये सब कहानी का हिस्सा है जो धीरे-धीरे सामने आ रहा है.. इसका कहानी से गहरा सम्बन्ध है।
ये आपको बाद में पता चल जाएगा.. अभी प्रिया के पास चलते हैं।

प्रिया के मन में शरारत भरा आइडिया आया था कि सर के घर किसी सवाल पूछने के बहाने से जाए और दीपाली का प्रोग्राम चौपट कर दे। बस वो विकास के घर की ओर निकल पड़ी।
उसने हरे रंग का स्कर्ट और गुलाबी टॉप पहना हुआ था.. वो इस ड्रेस में बड़ी सेक्सी लग रही थी।

जब अनुजा घर से निकली थी.. तब विकास अलमारी के ऊपर से कोई सामान निकाल रहा था.. तभी उसकी आँख में कंकर चला गया और उसकी आँख में जलन होने लगी। उसने जल्दी से आई-ड्रॉप आँखों में डाला और बिस्तर पर लेट गया।

तभी प्रिया दरवाजे पर पहुँच गई और दरवाजा खटकाने लगी।

विकास- दरवाजा खुला है आ जाओ अन्दर.. प्रिया चुपके से अन्दर आ गई।

विकास ने टी-शर्ट नहीं पहन रखी थी और नीचे भी बस बिना अंडरवियर के लोवर ही था।

विकास- आ गई तुम.. आजा अब सवाल मत पूछना कि ऐसे क्यों पड़ा हूँ आँख में कचरा चला गया.. अभी ड्रॉप डाला है.. 5 मिनट रूको आ जाओ मेरे पास बैठ जाओ…

प्रिया कुछ नहीं बोली.. बस धीरे से बिस्तर पे विकास के पास बैठ गई.. उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले और दीपाली कहाँ है.. वो सोच ही रही थी कि अचानक उसके बदन में 440 वोल्ट का झटका लगा।

विकास लेटा हुआ था और वो उसके पास बैठी थी। अचानक विकास ने प्रिया को अपने पास खींच लिया और उसका मुँह लौड़े पर टिका दिया।

बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ ?

तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..

मुझे आप अपने विचार मेल करें।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top