बिना कंडोम चुदी अनामिका-2

(Bina Condom Chudi Anamika- Part 2)

आपने मेरी पिछली कहानी
बिना कंडोम चुदी अनामिका-1
पढ़ी और प्रशंसा की। इसके लिए धन्यवाद। उम्मीद कुमार और अनामिका के बारे में जानने की जिज्ञासा आप सब में होगी। अब आपके सामने पेश है आगे की कहानी।

जैसा कि आपको पता है कि अनामिका रात में अपने पति की प्रतीक्षा करती हुई सो गई थी और रात में किसी ने उसे जम कर चोदा था। जब तक अनामिका पता करती तब तक वो व्यक्ति कौन था तब तक वो चला गया था।
अनामिका को हैरानी इस बात की थी कि वो जो भी था सेक्स के बाद रोया क्यों।

वैसे आपको तो पता है कि वो उम्मीद कुमार नाम का एक 20 साल का लड़का था। वो चोरी करने के इरादे से अनामिका के घर में घुसा था लेकिन अनामिका को सोती हुई देखकर उससे सेक्स कर लिया।

आगे का हाल उम्मीद कुमार से सुनिए।

मैं जब से अनामिका के साथ सेक्स करके वापस आया तब से मुझे एक खूबसूरत अहसास हो रहा था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरा लंड इतना बड़ा और पत्थर जैसा कठोर कैसे हो गया था। मुझे अनामिका की नर्म मुलायम चूत नहीं भूल रही थी। मुझे लग रहा था कि काश एक बार और मौका मिलता।

मैं एक गरीब घर का लड़का हूँ, मेरे परिवार में कोई नहीं है, एक माँ थी जो 6 महीने पहले मर गई। अब मैं अकेला हूँ। अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिये मुझे पैसे की जरूरत है। मैं एम बी ए करना चाहता हूँ इसी कारण मैंने चोरी करने का सोचा और अनामिका के घर में गया लेकिन उसके साथ सेक्स करके वो खुशी से रोने लगा था।

मैंने सोचा कि अब मैं चोरी जैसा गलत रास्ता नहीं अपनाऊँगा और मेहनत से पैसा कमाऊँगा। मैं रात वाली घटना को भी भूल जाना चाहता था। मैंने अखबार में जॉब का कालम देखा और एक जॉब देखा जिसमें एक इंग्लिश टीचर की जरूरत थी। मैंने एड्रेस देखा और निकल पड़ा उस ओर।

मैं उस पते पर पहुँचा तो मैं थोड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि शायद यह वही जगह थी जहाँ मैं रात को गया और मस्त चुदाई की थी। मैं घर के अंदर गया तो एक आदमी, जो करीब 30 साल का था, ने दरवाजा खोला।
फिर मैं अंदर गया।
उसने बताया कि उसकी पत्नी और उसे इंग्लिश का एक अच्छा टीचर चाहिए जो उन्हें इंग्लिश बोलना, पढ़ना, लिखना सब सिखा दे।

मैं उस आदमी की बात कम सुन रहा था और घर में चारों तरफ उस औरत को ढूंढ रहा था जिसके साथ शायद मैंने रात में सेक्स किया था।

फिर बगल के कमरे से अनामिका निकली। वो गजब की खूबसूरत लग रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैंने इतनी मस्त माल को रात में चोदा।
मैंने पढ़ाने के लिए हां बोल दिया।

मेरा कोई नहीं है, यह जानकर उन्होंने मुझे अपने घर के बाहर का एक सर्वेंट रूम रहने को दे दिया।

इधर अनामिका भी रात की घटना नहीं भूली थी। उसे रह रह कर उस पत्थर जैसे मोटे लंड की याद आ रही थी। वो सोच रही थी कि काश वो पल फिर से वापस आ जाये। उम्मीद से चुदने के बाद वो अपने पति से 2 बार चुद चुकी थी पर अब उसे अपने पति से चुदने की इच्छा नहीं हो रही थी। उसे एक मजबूत लंड चाहिए था जो उसके चूत की खुजली मिटा दे।

कुछ दिन बीत गए अब मैं अनामिका और उसके पति के साथ घुल मिल गया। उन लोगों ने मेरा बहुत ख्याल रखा। मैं अनामिका को दीदी कहता था और उसके पति को भाई साहब। मैं उनके घर के सदस्य जैसा रहने लगा। अनामिका की खूबसूरती मुझे अपनी ओर खींच रही थी पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।

एक रात मोहल्ले में लाइट नहीं थी। अनामिका बोली- तुमको कुछ चाहिए?
तो मैंने मना कर दिया।

फिर वो दरवाजा बंद करके सोने चली गई। मैं अपने कमरे में अकेला था, अनामिका के साथ चुदाई की बात सोच रहा था। मेरा लंड खड़ा था। मैंने सोचा कि अनामिका के कमरे में एक बार देखूँ।
पर भाई साहब घर पर थे तो मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।

फिर भी वासना से मेरा शरीर जल रहा था। मैं उठा और बाहर की खिड़की से देखा तो मेरा रोम रोम हिल गया। भाई साहब नीचे लेटे थे और अनामिका उनके ऊपर चढ़ कर उनको चोद रही थी।
मुझे पसीने आ गए। अनामिका की चूत में भाई साहब का लंड अंदर बाहर हो रहा था।

फिर भाई साहब उठे और अनामिका को सोफे पर लिटा दिया और उसकी चूत में तेजी से लंड पेलने लगे। अनामिका भाभी का चेहरा एकदम लाल हो गया था। और भाई साहब ने अपने वीर्य से अनामिका भाभी की चूत भर दी।

मैंने मुट्ठ मार कर अपने लन्ड को शांत किया। मैं अनामिका को चोदना चाहता था पर संभव नहीं था।

मैं अपने रूम में जाकर सोने की कोशिश कर रहा था पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं जागता रहा। घड़ी चल रही थी। सुबह के 4 बजे बाहर का गेट खुलने की आवाज आई। मेरे दिमाग में कौंधा कि भाई साहब रोज सुबह टहलने जाते हैं तो मैंने देखा तो वो बाहर निकल गए. वो 2 घंटे से पहले नहीं आते हैं।
मैं उठा और मेन गेट अंदर से बंद कर दिया।

मैं एक बार अनामिका को देखना चाहता था। मैं उसके कमरे में गया, वो गाउन पहन कर सो रही थी। मैं उसके बेड के पास जाकर खड़ा हो गया। उनकी उन्नत चुचियाँ मुझे पागल कर रही थी।
मैं बेड पर बैठ गया और उनकी चुचियों पर हाथ रख दिया।
वो गहरी नींद में थी। मैंने गाउन का बटन खोल दिया और चुचियों को हाथ में लेकर मसलने लगा।

पता नहीं मेरे अंदर कहाँ से इतनी ताकत आ गई थी, मैं अनामिका के बगल में लेट गया। मैंने अनामिका की जांघ पर हाथ लगाया और उसकी चूत की तरफ उंगलियाँ ले गया। उसकी चूत एकदम गीली थी। मैंने उसका गाउन के आगे के सारे बटन खोल दिया। वो पूरी नंगी मेरे सामने थी. मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके सिर पर हल्का सा किस किया, फिर उसके गालों को चूमा, फिर उसके गर्दन पर मैंने गर्म चुम्बन किया, उसके कानों को अपने मुँह में लेकर हल्का सा काटा।

अनामिका सिसक गई, वो नींद में बोली- आपने अब फिर से मूड बना लिया क्या?
मैं समझ गया कि वो समझ रही है कि मैं उसका पति हूँ।

आगे की कहानी अनामिका बताएगी।

मुझे अपने पति का कान चूसना बहुत अच्छा लगा। मैं गहरी नींद में थी पर पति देव मेरे ऊपर चढ़ चुके थे। मैंने सोचा कि कर लेने दूँ इनको चुदाई।
पति देव मुझे चूमते हुए गर्दन से नीचे की तरफ आये और मेरे दांयीं चूची को अपने मुँह में लेकर हल्का सा गीला करके चूसने लगे। मुझे मजा आ रहा था। वो मेरी बांयीं चूची की घुंडी को दो अंगुलियों से मसल रहे थे।

मेरे अंदर भी की वासना जाग गई। मैंने अपने पति को कस कर अपनी बांहों में ले लिया और उनको पलट कर नीचे कर दिया।

मैं अपने पति के ऊपर आ गई और उनके ओंठों को जबरदस्त चूमने लगी। मैं अपने पति का सीना सहलाने लगी। मुझे थोड़ा अजीब लगा क्योंकि आज मेरे पति का सीना बहुत सख्त लग रहा था और उस पर बाल भी नहीं महसूस हो रहे थे। पर चुदाई के नशे में मैं समझ नहीं पाई।

मैं अपने पति का सीना चूमते हुए उनके लंड के पास आ गई और खुद को 69 पोजीशन में कर लिया। मेरी चूत पति के मुँह के सामने आ गई थी। पतिदेव ने मेरी चूत को अपनी जीभ से छुआ तो मैं एकदम गर्म हो गई और पति के मुँह पर अपनी चूत को चिपका कर रगड़ने लगी। पति के नाक और मुँह मेरे चूत के रस से सन गए। मुझे पति का चेहरे का हिस्सा आज बहुत मुलायम लग रहा था।

मेरा मुँह भी पति के लंड के पास था। मैंने हाथ में उनका लंड लिए तो पहली बार मेरा माथा ठनका। यह लंड तो काफी मोटा और लंबा लग रहा है। पर सेक्स की भूख ऐसी सवार थी कि मैं कुछ कर नहीं पा रही थी। मैंने उस लंड का चमड़ा पीछे खींच कर उसका आगे का मुलायम गुलाबी भाग अपने मुँह में लिया और मुँह में ढेर सारा थूक लेकर लंड को धीरे से निगलने लगी।

मुझे झटका लगा क्योंकि मैं इस लंड को पूरा निगल नहीं पा रही थी। आधा लंड मेरे मुँह में था और आधा मेरे हाथों में।
यह कौन है?
अभी 15 दिन भी नहीं बीते थे जब ऐसी ही घटना मेरे साथ घटी थी।

तभी मेरे चूत की क्लिटोरिस को उसने दोनों होंठों से भींच लिया। मैं एकदम से धक गई। मैंने अपनी चूत उसके मुँह पर दबा दी और बुरी तरह रगड़ने लगी। एक तरफ उसका आधा लंड मेरे मुँह में था दूसरी तरफ मैं अपनी चूत उसके मुँह, नाक, ठुड्डी पर बुरी तरह रगड़ रही थी।

मैं एकदम सेक्स की भूख से व्याकुल हो गई और पोजीशन बदलकर उसके लंड की तरफ अपनी चूत को ले आई। मैं उसके मोटे खीरे जैसे लंड पर अपना चूत का मुँह रख कर नीचे की ओर बैठने लगी। मेरी चूत से झर झर कर पानी बह रहा था। पूरा लंड चूत में समा गया, मैं सिसक गई।

अपनी गांड उठा कर मैं ऊपर नीचे करने लगी। मजे से मेरा चूत अकड़ गया था। मैं पागल हो गई थी। तभी उन्होंने मुझे नीचे गिराया और मेरे ऊपर आ गए और पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर की ओर तेजी से धक्का लगाने लगा। पूरा कमरा फचाफच की आवाज से गूंज रहा था।

अपनी दोनों टांगों को फैला कर मैं पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी. तभी मुझे लगा कि मेरा शरीर अकड़ रहा है, मैं झरने वाली थी। मैंने अपनी टांगों को सिकोड़ना चाहा पर मेरा चोदू बहुत जालिम निकला, उसने नीचे से हाथ डाल कर मेरी जांघों को फैला दिया और एकदम से अंदर तक लंड पेलने लगा।
मैं पागल हो गई, मेरी जांघें काम्पने लगी पर उसने छोड़ा नही। मैं अचानक से पेशाब करनी लगी और दूसरी तरफ डिस्चार्ज होने लगी।

वो भी कुछ धक्कों बाद अपना गर्म वीर्य मेरे चूत में डालने लगा। हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और मैं एकदम से बेहोश सी हो गई थी। इतनी जबरदस्त चुदाई पहले तो कभी मेरे पति नहीं करते थे मेरी। इतना सुख और और शरीर ढीला हो गया कि मैं आसमान से महसूस कर रही थी।

अचानक मुझे होश आया तो मैंने तुरंत आंख खोली देखा तो कमरे में कोई नहीं था। मैंने अपने चूत की ओर देखा तो चूत सूज गई थी पर मीठा मीठा दर्द हो रहा था। मुझे सम्पूर्णता का अहसास हो रहा था। लेकिन समस्या फिर वही थी किसने मुझे चोदा। मैं जानना चाहती थी कि मुझे चुदाई का सुख देने वाला कौन था।

मैं यह तो समझ रही थी कि मेरा पति नहीं था। फिर मेरा दिमाग खटका कहीं ये उम्मीद तो नहीं?
मैंने अपने कपड़े सही किये और भागती हुई घर के बाहर वाले रूम में गई।
पर उम्मीद तो यहाँ सोया था।

मैं उसके करीब गई, वो गहरी नीद में सो रहा था। मैं वापस आ गई।

अब आगे की कहानी उम्मीद से सुनिए।

मैं अनामिका को चोद कर जल्दी से भाग आया था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि अनामिका मुझे पकड़े।
मैं अपने कमरे में आ कर लेट गया। मैं इतना थका था कि नींद आ गई।

भाई साहब 8 बजे मेरे कमरे में आये तो उन्होंने मुझे जगाया, पूछा- इतने देर तक क्यों सो रहे हो?
मैं बोला- तबियत नहीं ठीक लग रही है।

फिर मैं नहा कर फ्रेश हुआ और अनामिका के सामने आया। वो मुझे सवालिया नजरों से देख रही थी। मैं उससे नजर नहीं मिला पा रहा था।

अनामिका ने पूछा- उम्मीद, तुम सुबह में उठे थे क्या।
मैंने कहा- नहीं दीदी मैं तो सो रहा था। मेरी तबियत खराब थी।
मैंने पूछा- क्यों?
मैंने कहा- बस ऐसे ही।

मैंने जल्दी से नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया। मैं नहीं चाहता था कि उनके सामने ज्यादा देर रहूँ।

तभी पोस्टमैन आया और उसने कॉलेज का लैटर दिया। मैंने लैटर खोला तो मैं रोने लगा। क्योंकि एम बी ए में मेरा एडमिशन स्कालरशिप के साथ हो गया था।

पर मैं अनामिका को छोड़ कर जाना नहीं चाहता था। मैं उसे बताना चाहता था कि मैं ही वो लड़का हूँ जिसने आपको 2 बार बिना कॉन्डम के चोदा है।

मैंने भारी मन से अपना सामान पैक किया और अनामिका से बिना मिले चला गया।
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