गाण्ड चुदाई चूत चोदी-2

(Gand Chudai Aur Chut Chodi-2)

आशीष जोशी 2015-06-01 Comments

This story is part of a series:

शीतल- आशीष.. आशीष.. क्या हुआ.. तुम आज कुछ खोए-खोए से लग रहे हो..? मैंने कहा था कपड़े उतार कर रखो!

मैं- जी.. जी.. व..वो.. ऐसी कोई बात नहीं.. दरअसल मैं सोच रहा था कि अभी-अभी तो आया हूँ..

शीतल- तो.. तो क्या हुआ.. और वैसे भी तुम खुद को.. अपने घर के अन्दर बिना कपड़ों का ही तो रहना पसंद करते हो ना.. तो इसे भी अपना ही घर समझो और चलो जल्दी से मुझे कपड़े दे दो.. तो मैं इन्हें कमरे में रख कर आती हूँ..
इतना कहकर वो सामने के सोफे पर बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने का इन्तजार करने लगी।

सोफे पर बैठने के बाद उसकी सिर्फ़ नंगी टाँगें ही मुझे दिख रही थीं.. जिससे मेरे अन्दर हलचल शुरू हो गई थी।
मैंने अपना टी-शर्ट उतार दिया.. और जीन्स के बटन खोल कर पीछे मुड़ने लगा.. तभी..

शीतल- उधर क्यों मुँह घुमा रहे हो.. मेरी तरफ मुँह करके खड़े रहो और वैसे ही उतार दो..

आज पहली बार मैं न जाने क्यों शरमा रहा था.. पर जैसे-तैसे मैंने जीन्स को कमर के नीचे सरकाया और आख़िरकार निकाल ही दी..

उसकी नंगी टाँगों की तरफ देखने से पैन्ट के अन्दर ही मेरा लंड आधा खड़ा हुआ था.. जैसे ही उसने उसे देखा..तो उसके मुँह से आवाज निकली।

शीतल- अरे.. वाहह…. यह तो बड़ा भी होता है.. हाँ.. आशीष.. हा हा हा… हा हा.. उस दिन से काफ़ी अच्छी साइज़ है आज.. उस दिन तो मुझे लग रहा था जैसे.. किसी न्यू बोर्न बेबी की नुन्नी.. इतने बड़े लड़के को लगाई गई है.. हा हा हा..

मैं शरमाते हुए बोला- क्या शीतल.. तुम भी ना..

शीतल- ओह.. सो क्यूट.. चलो लाओ अपने कपड़े मुझे दे दो..

मैं अपने कपड़े उसके हाथ में दे ही रहा था.. तो उसने अपने बाल संवारने के लिए हाथ उठाए.. मेरी नज़र उसके क्लीन शेव्ड दूधिया बगलों पर पड़ी..

मुझे शेव्ड की हुई बगलें बहुत पसंद हैं और उसकी मस्त जवानी देख कर मेरा लंड पूरा का पूरा तन गया..

शीतल- अरे वाह.. आशीष तो ये है तुम्हारा असली साइज़.. बहुत मस्त है यार.. मोटा भी और लंबा भी.. ज़रा वो स्किन पीछे करके अपना सुपारा तो दिखाओ..

वो ऊपर हाथ रखकर ही बातें करने लगी.. शायद उसे पता चल चुका था कि मेरा लण्ड उसकी चिकनी बगलें देख कर ही खड़ा हो गया था और बगलों को देखकर ही ये सब हरकतें हो रही हैं।

मैंने लौड़े की चमड़ी को पीछे करते हुए अपना सुपारा बाहर निकाला.. गहरा गुलाबी सुपाड़ा देखकर वो बोल उठी- वॉववव ववव.. यार बहुत मस्त है.. इधर आओ..
मैं उसकी तरफ लण्ड हिलाता हुआ बढ़ा और बिल्कुल उसके सामने जाकर खड़ा हो गया।
शीतल ने एक हाथ बालों से निकाल कर धीरे-धीरे.. मेरे लंड की तरफ बढ़ाया और ठीक पकड़ने से पहले मुझे पूछा- ज़्यादा एग्ज़ाइट्मेंट में यहीं पर निकाल तो नहीं दोगे ना तुम.. नहीं तो मैं हाथ नहीं लगाती.. बाद के लिए बाकी रखूँगी..

मैं- नहीं शीतल.. टेन्शन मत लो.. नहीं निकलेगा..

फिर उसने धीरे-धीरे मेरी नाभि से उंगलियाँ फेरते हुए मेरे अण्डकोष पर घुमाईं.. उसका कोमल स्पर्श बहुत मस्त था.. वो हल्के से मेरे बाल्स खींच रही थी.. उसकी लंबी उंगलियाँ मेरे अण्डकोष पर और लंड पर घूमने लगीं।

अब उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लंड को पकड़ लिया.. और कहा- वाउ.. बहुत गरम हुआ है यार.. शायद तुम्हें मेरा जिस्म बहुत पसंद आया है।

मैं- हाँ शीतल.. उस दिन जब मैं तुम्हारे सामने अचानक नंगा आ गया था.. और जिस तरह से तुमने मुझे देखा था.. तब से ही मैं चाहता था कि तुम्हारा हाथ मेरे नंगे बदन पर घूमे।

शीतल- ह्म्म्म्म.. क्या तुम्हें मेरी चिकनी बगलें बहुत पसंद हैं?

मैं- हाँ शीतल.. मुझे लड़कियों के गोरे-गोरे शेव्ड आर्म्पाइट्स बहुत अच्छे लगते हैं.. मैं उन्हें चूमना और चाटना भी पसंद करता हूँ।

शीतल- सच.. वॉवववव.. सो रोमान्टिक.. क्या मेरे आर्म्पाइट्स लिक करोगे?

मेरी तो जैसे लॉटरी ही लग गई थी, मैं- नेकी और पूछ-पूछ.. शीतल आज तुम जो कुछ भी कहोगी.. मैं वो करने के लिए तैयार हूँ।

शीतल- हम्म.. ठीक है.. अभी घूम जाओ.. और नीचे झुक कर हो जाओ.. मुझे मेरे राजा का छेद देखना है.. जिसे उन बेरहम औरतों और लड़कियों ने एक शीमेल के लंड से चोदा है।

मैं घूम कर नीचे कुत्ता जैसा झुक कर खड़ा हो गया.. उसमें मुझे पैरों को फैलाने को कहा.. मैंने दोनों पैर फैला दिए।
अब वो चुदासी सी होकर खुल कर बात करने लगी थी।

शीतल- ओह.. वॉवववव.. आशीष क्या मस्त गाण्ड है तुम्हारी.. अगर मैं सिर्फ़ गाण्ड की फोटो निकाल लूँ और किसी भी औरत या मर्द को दिखाऊँ.. तो कोई नहीं कह सकता कि ये एक मर्द की गाण्ड है.. सचमुच यू हैव आ नाइस न सेक्सी गाण्ड.. एक भी बाल नहीं रखा है तुमने.. वाउ..

वो अपनी लंबी उंगलियाँ धीरे-धीरे मेरी गाण्ड से घुमाने लगी.. वो हल्के से मेरे नितम्बों को भी दबा रही थी.. और अचानक उसने अपनी उंगली मेरी नितम्बों की दरार.. जहाँ शुरू होती है.. वहाँ रख दी..

मैं समझ गया था कि ये अब उंगली मेरी दरार में घुमाएगी.. मेरी धड़कनें तेज़ हो गईं.. और उसने धीरे-धीरे अपनी उंगली नीचे की तरफ घुमा दी, मुझे बहुत मस्त फीलिंग आ रही थी.. जैसे ही उसकी उंगली मेरे छेद पर आ गई.. उसने वहाँ रोक दी और थोड़ी सी ज़ोर लगा कर दबा दी.. फिर उंगली नीचे फिरा कर मेरे अण्डकोष तक लेकर गई।

शीतल- वॉववव.. आशीष क्या मस्त छेद है तुम्हारा.. सच में ऐसा छेद देख कर तो कोई भी तुम्हारी गाण्ड मारना चाहेगा.. उस हिजड़े ने बहुत बेदर्दी से मेरे राजा के छेद को चोदा है ना.. फिकर ना करो.. मैं आज मेरी जीभ से इस पर दवाई लगा दूँगी।

यह सुनकर मैं तो दिन में ख्वाब देखने लगा कि कब वो वक़्त आ जाए।

मैं- थैंक्स.. शीतल..

शीतल- चलो सीधे हो जाओ और बैठ जाओ.. मैं कॉफी लेकर आती हूँ.. और साथ में तुम्हारा सरप्राइज भी..

मैं चौंका.. वो एक शरारती मुस्कान देकर वो अन्दर चली गई..

मैं सोफे पर बैठ कर सामने पड़ा हुआ पेपर पढ़ने लगा.. लगभग 10-15 मिनट के बाद शीतल कॉफी लेकर आई और सामने के सोफे पर बैठ कर उसने आवाज़ लगाई- दीदी.. आ जाओ..!

मैं एकदम से हड़बड़ा उठा..
मैं- क्या कोई और भी है घर में?

शीतल- हाँ मेरी दीदी हैं.. तुम्हारा सरप्राइज..
मैं- ओह.. शीतल पर मैं उनके सामने ऐसे..?
शीतल- कम ऑन आशीष.. बी ब्रेव.. इतनी औरतों के सामने.. औरतें ही क्या मर्द और हिजड़े के सामने भी नंगे हो चुके हो.. उसमें मेरी दीदी और जुड़ जाएंगी तो क्या फरक पड़ेगा..

तभी उसकी दीदी अन्दर से बाहर आईं.. मैं उन्हें देख कर पूरा दंग रह गया।

उन्होंने अपने बाल ऊपर बांधे हुए थे.. आँखों में बहुत गुस्सा सा.. ब्रा इतनी कसी हुई कि उनके मम्मे उसमें समा नहीं रहे थे.. शायद 36 सी नाप के होंगे.. उन्होंने पूरी काले रंग की वेस्टर्न स्टॉकिंग पहनी हुई थीं।

जैसे ही मेरी नज़र उनकी कमर पर पड़ी.. मैं पूरी तरह से सरप्राइज हो गया था..
शायद यही मेरा सरप्राइज था.. उन्होंने अपनी कमर पर एक बड़ा सा डिल्डो बाँध रखा था..
मैं आँखें फाड़ कर डिल्डो की तरफ.. तो कभी शीतल की तरफ.. तो कभी दीदी की आँखों में देखने लगा।

शीतल- क्या हुआ आशीष.. ऐसे क्यों देख रहे हो?
मैं- शीतल.. ये क्या है.. तुमने मुझे बताया क्यों नहीं.. मैं तो सरप्राइज कुछ और ही समझ रहा था.. मुझे लगा था तुम्हें मुझसे हमदर्दी हुई है और इसलिए तुमने मुझे यहाँ बुलाया है।

प्रिय साथियों कहानी को विराम दे रहा हूँ.. कल फिर मिलते हैं। आप से गुजारिश है कि मेरा प्रोत्साहन करने के लिए मुझे ईमेल अवश्य लिखें।
कहानी जारी है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top