रैगिंग ने रंडी बना दिया-1

(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 1)

पिंकी सेन 2017-08-23 Comments

This story is part of a series:

हैलो दोस्तो, आपके प्यार और ढेर सारे मेल का ये असर हुआ कि मैं दोबारा एक नई हिंदी सेक्सी स्टोरी लेकर आप लोगों की खिदमत में हाजिर हूँ।

दोस्तो, इस कहानी के नाम से शायद आपको अंदाज़ा हो गया होगा कि ये एक कॉलेज की कहानी है.. मगर ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं है। यह कहानी इसकी मुख्य किरदार सुमन की असली जिंदगी पर आधारित है, जिसने मुझसे बड़ी विनती करके ये कहानी लिखने को कहा है। इसके साथ और भी बहुत सी असली घटनाएं भी इस कहानी में हैं जिनको मैं एक साथ इसी कहानी में आपको बता दूँगी। दरअसल ये बहुत सी कहानियों को मिलाकर मैंने एक कहानी बनाई है। पूरी पटकथा असल जिंदगी पर आधारित है और हाँ इसमें तड़का तो मेरा ही डाला हुआ होगा.. उसके बिना आपको मज़ा कहाँ आता है।

तो चलो अब बातें तो होती रहेंगी.. हम इस हिंदी सेक्सी स्टोरी की ओर अपना पहला कदम ले चलते हैं।

सुबह के 6 बजे मुंबई के एक साधारण से परिवार में हलचल थी।
‘हेमा ओ हेमा.. कहाँ हो भाई.. जल्दी से चाय दे दो.. मुझे देर हो रही है।’

ये हैं गुलशन अरोरा.. उम्र 45 की अच्छी कद-काठी, मगर साधारण से आदमी हैं बड़ी सादगी में रहते हैं। इनके कुछ उसूल हैं, जिसकी वजह से घर के बाकी लोग भी ऐसे ही रहते हैं। इनकी खुद की कपड़ों की एक बड़ी सी दुकान है।

हेमा- ये लो जी आपकी चाय, 2 मिनट क्या देर हुई.. आप तो सारा घर सर पर उठा लेते हो।

ये इनकी धर्म पत्नी हेमा हैं, इनकी उम्र 35 साल है, दिखने में सुंदर हैं.. इन्होंने अपने आपको काफ़ी अच्छे से संवार कर रखा हुआ है, जिससे दूसरों के लिए इनकी उम्र का अंदाज़ा लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

गुलशन- अरे आसामान कैसे ना उठाऊं, तुम तो जानती हो.. मुझे वक़्त पर जाने की आदत है।
हेमा- अच्छा जी.. अब चाय पी लो.. नहीं तो कहोगे कि बातों में लगाकर मैंने ही आपको जाने के लिए लेट कर दिया।
गुलशन- अरे चाय तो ठीक है.. मगर मेरी गुडलक कहाँ हैं आज उठी नहीं क्या वो?
सुमन- मैं आ गई पापा जी.. ऐसा कभी हुआ है कि आप बाहर जाओ और मैं आपके सामने ना आऊं!

दोस्तो, ये है सुमन.. इनकी इकलौती बेटी.. उम्र 19 साल है। इसने अभी हाल ही में 12 वीं पास की है और अब इसका दाखिला कॉलेज में हो गया है।

सुमन दिखने में एकदम सिंपल सी मगर बला की खूबसूरत है, इसका दूध सा सफ़ेद रंग और बेदाग चेहरा, घने लंबे बाल, एकदम पतले होंठ, फिगर 30-26-30 की एकदम छरहरी है, सुमन दिखने में कोई स्कूल की बच्ची जैसी लगती है। और हाँ ये बेहद सादे कपड़े पहनती है। कोई फैशनेबल कपड़े नहीं पहनती है। जैसा कि मैंने बताया कि इसके पापा को ये सब पसंद नहीं है।

चलो अब इसके आगे की जानकारी बाद में लेते रहना.. पहले कहानी को आगे बढ़ने दो।

गुलशन का रोज सुबह का यही काम था कि वो सुमन को देखे बिना घर से बाहर नहीं जाते थे।

गुलशन- आह.. मेरी राजदुलारी.. तुझे देखे बिना तो मेरा दिन शुरू ही नहीं होता है।
गुलशन जी ने सुमन को दुलार किया और घर से निकल गए।

सुमन- माँ मुझे बहुत भूख लगी है.. जल्दी से नाश्ता दो ना?
हेमा- बेटी सब तैयार है.. जा रसोई से ले ले, मुझे सफ़ाई करनी है।
सुमन- नहीं माँ आप ही लाकर दो ना प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़..
हेमा- सुमन तुम्हारा दाखिला पापा ने कॉलेज में करवा दिया है.. अब कल से तुम कॉलेज जाओगी तो ये बच्चों वाली हरकतें अब बंद कर दो।
सुमन- क्यों कर दूँ.. मैं तो आपकी बच्ची ही हूँ ना.. हा हा हा हा..

दोनों माँ-बेटी के बीच बड़ा प्यार था तो बस आख़िरकार हेमा ने ही उसको नाश्ता लाकर दिया।

दोस्तो, ये पहला पार्ट है.. तो इनका इंट्रो हो रहा है.. मगर आपको ऐसे सूखा-सूखा मज़ा नहीं आ रहा होगा तो चलो थोड़ा सा गीला-गीला कर देती हूँ।

सुबह के 8 बजे मुंबई के ही एक अलग घर में क्या चल रहा है उस पर निगाह डालते हैं।

‘मोना कहाँ हो यार… मैं आ गया।’

यह गोपाल है, उम्र 23 साल एकदम फिट इसकी शादी को अभी एक ही साल हुआ है। अब ये इस सेक्स स्टोरी में कहाँ से आया है.. चलिए देखते हैं।

गोपाल की आवाज़ के साथ ही एक 20 साल की लड़की, जिसकी हाईट किसी मॉडल की तरह थी और रंग भी साफ फिगर 34-28-32 का, उसने एक ट्रांसपेरेंट ब्लू नाईटी पहन रखी थी। कुल मिला कर वो सेक्स डॉल नज़र आ रही थी।
मोना- ओ स्वीटू मैं कहाँ जाऊंगी.. यहीं तो हूँ आपके सामने!
गोपाल- क्या बात है मेरी जान.. आज तो बड़ी कयामत लग रही हो.. तुम्हारा इरादा क्या है?
मोना- इरादा क्या होगा.. जब से तुम्हारी नाइट शिफ्ट का चक्कर शुरू हुआ है.. मेरा तो चैन सुकून सब चला गया है।
गोपाल- मेरी जान ऐसा मत बोलो, अब कॉल सेंटर की जॉब है.. इसमें तो ऐसा होता रहता है। तुम्हें रात को नहीं तो क्या हुआ.. मैं दिन में तो पूरा मज़ा दे देता हूँ ना.. हा हा हा हा..
मोना- हाँ बड़े आए मज़ा देने वाले, ऐसे करते हो जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूँ.. पहले तो बड़े आराम से प्यार करते थे, उसके बाद चुदाई शुरू करते थे और आजकल तो बस सीधा लंड अन्दर घुसा देते हो.. जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूँ।
गोपाल- अरे अरे.. मेरी जान को इतनी शिकायत है.. तो चलो आज सारी कमी दूर कर देता हूँ।

इतना कहकर गोपाल ने मोना को गोद में उठा लिया और सामने के कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लेटा दिया।

गोपाल ने अंडरवियर को छोड़कर सारे कपड़े निकाल कर फेंक दिए और खुद बिस्तर पर मोना के ऊपर चढ़ गया।

मोना तो जैसे कामवासना में जल रही थी.. उसने झट से गोपाल को किस करना शुरू कर दिया और अपने हाथ उसकी पीठ पर घुमाने लगी। गोपाल भी उसका साथ देने लगा। अब वो भी मोना के मम्मों को दबाने में लग गया। वो कभी उसके बालों को सहलाता.. तो कभी उसके निप्पल को खींचता।

कुछ देर दोनों का प्यार चलता रहा। इस दौरान गोपाल ने मोना की नाईटी अलग कर दी थी। उसने चुदास के चलते अन्दर कुछ नहीं पहना था।

मोना के चूचे एकदम गोल थे.. उन पर टंके हुए से भूरे निप्पल गजब लग रहे थे। उसकी चुत भी एकदम चिकनी थी और थोड़ी फूली हुई भी थी।

गोपाल- अरे क्या बात है जानेमन.. आज तो अन्दर कुछ भी नहीं पहना है.. लगता है तेरी चुत में बड़ी आग लगी है।
इतना कहकर गोपाल एक निप्पल को मुँह में भर के चूसने लगा और एक हाथ से चुत को दबाने लगा।

मोना- आह आईईइ.. तुम आग मिटाते ही नहीं.. आह तो क्या करूँ.. उफ़फ्फ़ रात को तुमसे चुदाई करवाए कितने दिन हो गए.. आह.. दिन में तुम बस एक बार चुत की आग ठंडी करते हो.. ये धधकती आग कैसे मिटेगी मेरे राजा।
गोपाल- डार्लिंग रात भर काम करता हूँ.. अब दिन में ताक़त कहाँ बचती है.. फिर भी तुम्हें चोदता तो हूँ ना!
मोना- आह आईईइ.. चूसो आह.. मेरी चुत आह.. उसको भी चूसो ना.. आह वो जल रही है आह..

गोपाल अब धीरे-धीरे मोना के मम्मों को जोर से दबाने और चूसने में लग गया था और उसका हाथ भी चुत को जोर-जोर से रगड़ रहा था।

कुछ देर बाद मोना ने गोपाल को अपने से अलग कर दिया और खुद उस पर सवार हो गई।

गोपाल- आह.. आराम से मेरी जान कहीं तुम्हारी नाज़ुक कमर में मोच ना आ जाए।

मोना पर तो वासना का भूत सवार हो गया था.. उसने एक ही झटके में गोपाल का अंडरवियर उतार दिया।
गोपाल का 6″ का लंड उसके सामने खड़ा होकर चुत को सलामी देने लगा।

मोना ने झट से उसको अपने मुँह में भर लिया और मज़े से लंड चूसने लगी। इसी के साथ-साथ वो गापाल के लंड के चौकीदार उन दो आंडों को भी हाथ से हिला-हिला कर मज़ा लेने लगी।

गोपाल- उफ़फ्फ़ जानेमन.. तेरी आह यही अदा पर तो में फिदा हूँ आह.. चूस मज़ा आ गया आह..

मोना मज़े से लंड को चूस रही थी मगर उसकी चुत की प्यास बढ़ती जा रही थी। इसलिए उसने लंड मुँह से निकाल दिया और खुद गोपाल के मुँह की तरफ़ चुत करके फिर से लंड चूसने लगी।

गोपाल समझ गया कि इसको भी चुत चटवानी है.. तो वो भी चुत चाटने में शुरू हो गया.. गोपाल अपनी जीभ से मोना की गुलाबी चुत का रस पीने में जुट गया।

कुछ देर बाद मोना फिर से नीचे लेट गई और अपने घुटने मोड़ कर चुत को पूरी तरह खोल कर लंड घुसेड़ने का निमन्त्रण देने लगी।

मोना- आह गोपाल.. अब बस बहुत हो गया.. डाल दो अपना लंड आह..

गोपाल तो खुद चुत की चुदाई की जल्दी में था.. उसने लंड की टोपी चुत पर टिकाई और जोरदार धक्का मारा। एक ही बार में लंड सरसराता हुआ चुत की गहराई में ना जाने कहाँ खो गया।

मोना- अहह सस्स्स्सस्स मज़ा आ गया आह.. चोदो मेरे गोपू आह.. अब स्पीड से चोदो आह.. बुझा दो मेरी प्यास आह.. आईईइ..

गोपाल भी स्पीड से लंड अन्दर-बाहर करने लगा। मोना गांड उठा-उठा कर उसका साथ देने लगी। यही कोई 10 मिनट ये चुदाई अपने पूरे उफान पर चलती रही। उसके बाद गोपाल के लंड की नसें फूलने लगीं.. और वो चरम पे पहुँच गया।

गोपाल- आह.. आह ले मेरी मोना डार्लिंग आह.. मेरा आह.. लावा तेरी चुत में आह.. आ रहा है आह..
मोना- नहीं आह.. आ अभी नहीं उफ़फ्फ़ आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोदो आह.. मेरा अभी आह.. हुआ नहीं उफ़फ्फ़ फास्ट आह फास्ट करो उफ़फ्फ़..

मोना आगे कुछ बोलती तब तक गोपाल के लंड ने रस की धारा चुत में मारनी शुरू कर दी उसके गर्म-गर्म अहसास से मोना का फव्वारा भी छूट गया.. वो भी झड़ने लगी।

दो मिनट तक दोनों वैसे ही शांत पड़े रहे.. उसके बाद गोपाल एक तरफ़ लेट गया।

मोना- क्या यार गोपाल.. इतनी जल्दी पानी निकाल दिया, ठीक से मज़ा तो लेने देते.. तुम्हारी वजह से मुझे भी चुत को भींच कर जल्दबाज़ी में पानी निकालना पड़ा।

अभी तो इस सेक्स स्टोरी की शुरूआत ही आपके मेल मेरी हिम्मत बढ़ाते हैं.. पली अपनी पिंकी की इस सेक्स स्टोरी को अपने मेल से प्यार दीजिए।
[email protected]
कहानी जारी है।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top