रैगिंग ने रंडी बना दिया-30

(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 30)

पिंकी सेन 2017-09-25 Comments

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अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि सुमन के सामने कल की पार्टी की चुदाई की चर्चा होते होते रह गई थी।
अब आगे..

संजय ने बात को अच्छे से संभाल लिया मगर कहते है ना चूतियों की कमी नहीं इस दुनिया में..
सुमन- आख़िर ये फ्लॉरा है कौन? मुझे भी उससे मिलाओ.. और आपने मुझे अपने ग्रुप में शामिल तो कर लिया मगर शायद अभी तक मुझे अपनी फ्रेंड नहीं माना है, इसी लिए कल की पार्टी में भी मुझे अपने नहीं बुलाया।
विक्की- अरे तुम वहां होतीं, तो डर के भाग जातीं, फ्लॉरा की सबने की ऐसी हालत की कि..
संजय ने बात काटते हुए कहा- मैं बात कर रहा हूँ ना साले.. तुझे बहुत जल्दी है बोलने की.. तो मैं चला जाता हूँ फिर तू ही सारी रामायण सुना दे।
विक्की- सॉरी यार.. वो ग़लती से…
संजय- चुप.. अब बोला ना तो साले को यहीं मारूँगा, मेरे बीच कोई बोले मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।

संजय का ये रूप देख कर सुमन घबरा गई। अब उसकी भी आगे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई, वो चुपचाप वहीं खड़ी रही।

टीना- कूल यार.. ऐसे झगड़ो मत.. चलो, क्लास का टाइम हो गया है।

टीना के बोलने के बाद साहिल और अजय उनके साथ चले गए और पीछे से संजय ने उन दोनों की क्लास ले ली।

संजय- बहन के लंड.. मैं इसे प्यार से रंडी बनाना चाहता हूँ और तुम दोनों मेरे पूरे प्लान की माँ-बहन कर रहे हो!
वीरू- सॉरी यार.. ग़लती हो गई मगर एक बात बता, आज तक एक से बढ़कर एक लड़की हमने देखी.. उसको किसी ना किसी तरह बोतल में तुमने आराम से उतार लिया, मगर ये सुमन को तू किस तरह तैयार कर रहा है? ये बात समझ नहीं आ रही है।
विक्की- हाँ यार.. इसको तू चाहे तो फ्लॉरा की तरह कब का तैयार करके चोद सकता है, मगर तूने ये टास्क-वास्क का क्या नया चक्कर चलाया.. ये समझ के बाहर है?
संजय- सालो, इसे चोदना मेरा मकसद नहीं है, मैंने कहा ना इसको ऐसी रंडी बना दूँगा कि दिन रात ये लंड लंड करेगी, तब जाकर मेरे दिल को सुकून मिलेगा।
विक्की- मगर क्यों यार ऐसा क्या किया इसने जो तू इसे रंडी बनाने पे तुला है?
संजय- ये आज की नहीं बहुत पहले की भड़ास है.. तुम लोग नहीं समझोगे।
वीरू- ओ तेरी की.. ये बात है मतलब कोई पुरानी भड़ास है.. साला अब समझा यार पहले भी तू ये बता सकता था।
संजय- अब गौर से सुन लो और उन दोनों को भी बता देना, ये बात आज के बाद अपनी ज़ुबान को काबू में रखना समझे और हाँ टीना को इस बारे में कुछ मत बताना।
वीरू- वो क्यों यार.. टीना तो हमारे साथ ही है.. उससे छुपाने का कोई कारण?
संजय- हाँ कारण है, मगर अभी नहीं.. बाद में बताऊंगा अब चलो।

दोस्तो ये तो बदले की भावना में है। अब ऐसा क्या किया सुमन ने कि ये उसको रंडी बनाने पे लगा हुआ है। ना ना.. आप बिल्कुल भी सोचो मत.. मेरी कहानी में ट्विस्ट ना हो ऐसा हो सकता है क्या? बस पढ़ते रहो.. अपने आप सब समझ आ जाएगा।

दोस्तो यहाँ तो सब हमने देख लिया। चलो अब वहाँ गाँव का चक्कर लगा आते हैं।

काका ने रात भर राधा की चुत का जो बैंड बजाया था.. उसने अपना असर दिखा दिया। सुबह वो भी फ्लॉरा की तरह बुखार से तपने लगी थी और मोना की गांड भी दर्द कर रही थी, मगर काका अपनी मस्ती में किसी आवारा सांड की तरह मगन हो कर घूम रहा था।

सुबह तो यहाँ भी सब नॉर्मल ही रहा मगर करीब 11 बजे गाँव के किसी घर में आग लग गई तो सारा गाँव वहीं जमा हो गया।
उस वक्त मोना घर में अकेली थी तभी एक साधु बाबा वहाँ भिक्षा माँगने आ गया।

साधु की उमर 45 साल के आस-पास होगी, वो हट्टा-कट्टा 6 फुट की हाईट वाला एकदम गोरा साधु था।

साधु- घर में कोई है.. भोले बम बम भोले..
मोना बाहर आई और साधु महाराज को गौर से देखने लगी, उनके चेहरे पे अलग ही तेज था.. जैसे कोई सिद्ध पुरुष हो।
मोना- बोलो बाबा.. क्या चाहिए, घर वाले सब बाहर गए हैं।

साधु- बेटी मोना.. हम तुमसे मिलने ही आए हैं, भोलेनाथ की तुझपे बहुत दया है मगर तेरे सर पे बहुत बड़ा संकट आने वाला है।
मोना- आपको मेरा नाम कैसे पता लगा बाबा.. और कैसा संकट आने वाला है?
साधु- भोले बम बम भोले.. हम सब जानते हैं बेटी.. तू पति सुख से वंचित थी। यहाँ आकर तुझे थोड़ी संतुष्टि हुई है मगर जल्दी तू यहाँ से चली जाएगी और तेरी कुंडली का दोष तेरे पति को खा जाएगा.. तू विधवा हो जाएगी।
मोना- नहीं बाबा शुभ शुभ बोलिए.. पहले ही अपने माँ-बाप को खो चुकी हूँ। अब गोपाल ही मेरी दुनिया है, वो चला गया तो मैं जीते जी मर जाऊंगी।

साधु- भोलेनाथ की तुझपे बड़ी कृपा है इसी लिए मैं अपनी सिद्धि छोड़कर यहाँ तेरे पास आया हूँ बेटी.. तुझे एक कार्य करना पड़ेगा, उसके बाद तेरा कुंडली दोष चला जाएगा और तेरे पति की आयु लंबी हो जाएगी।
मोना- बताओ बाबा.. मैं कुछ भी कर लूँगी.. आप बस उपाय बताओ।
साधु ने मोना को उपाय बताया, जिसे सुनकर उसकी आँखें बड़ी हो गईं।
मोना- ये कैसे होगा बाबा.. ये बहुत मुश्किल है.. मैं नहीं कर पाऊंगी.. वो इसके लिए कभी नहीं मानेंगे।
साधु- मुश्किल है.. मगर नामुमकिन नहीं, भोलेनाथ का नाम लेकर कोशिश करो.. ज़रूर सफल हो जाओगी।

मोना- और कोई उपाय नहीं है क्या बाबा? ये बहुत मुश्किल है, ऐसी लड़की कहाँ से लाऊं.. फिर मैं आप नहीं नहीं.. वो इस बात को जिंदगी में नहीं मानेंगे।
साधु- नहीं बेटी.. बस एक यही रास्ता है जिससे तेरी कुंडली का दोष ख़त्म होगा। अब तू ये कैसे करेगी ये तेरी समझ है। भोलेनाथ ने तुझे यहाँ मुझसे मिलवाने के लिए ही बुलाया है। उसकी पुरानी कहानी की तलाश कर.. तुझे हल मिल जाएगा। अब मैं जाता हूँ.. जल्दी ही तुझसे मिलने आऊंगा भोले बम बम भोले..

साधु बाबा तो चले गए मगर मोना को असमंजस में डाल गए।

सॉरी दोस्तो, बीच में आने के लिए ये साधु वाला किस्सा काल्पनिक है.. इसका कहानी से कोई लेना-देना नहीं है.. मैंने ऐसे ही इसको डाल दिया मगर इसकी वजह से आपको एक्सट्रा मज़ा मिल जाएगा बस और कुछ नहीं।

शाम तक मोना इसी सोच में रही कि अब वो क्या करे। फिर उसे याद आया कि साधु बाबा ने उसकी पुरानी जिंदगी के बारे में कुछ बताया था, शायद वहीं से कुछ मिल जाए। मगर उसकी लाइफ के बारे में किसको पूछूँ.. कौन बताएगा मुझे?

काका- अरे बहू.. क्या सोच में डूबी हुई हो.. कोई परेशानी है क्या?
मोना- हाँ काका.. बहुत बड़ी परेशानी है अब आप ही मेरी मदद कर सकते हो। हाँ आप ही उसकी पुरानी कहानी जानते होगे.. सही है आप ही बताओगे।

मोना को इतना बौखलाया देख कर काका भी टेंशन में आ गए। वो समझ गए जरूर कोई बड़ी बात है.. तभी ये ऐसे बोल रही है।
काका ने मोना को समझाया- तू पहले विस्तार से सब बात बता.. क्या हुआ है?

मोना ने सुबह की सारी घटना काका को बताई। एक बार तो उनको ये सब अटपटा लगा.. वो मानने को तैयार नहीं हुए।

काका- बकवास है ये सब.. तू भी किसी ढोंगी की बात में आ गई।
मोना- नहीं वो सच्चा साधु था.. उसे हमारे बारे में सब पता है, जो हमने किया.. सब कुछ मालूम है।
काका- अच्छा ये बात है.. इसका मतलब सच में गोपाल की जान को ख़तरा है अब क्या करें?
मोना- आप उसके बचपन से जवानी तक उसके साथ रहे हो.. कोई तो बात होगी ऐसी जिसका साधु बाबा ने जिक्र किया था.. उसकी पुरानी कहानी को तलाश करो प्लीज़ काका.. बताओ कुछ तो याद होगा आपको?
काका- रूको सोचने दो मुझे.. तब तक तुम मेरे लिए चाय लेकर आओ।

मोना चाय बनाने चली गई और काका पुराने ख्यालों में खो गया।

ये दोनों कुछ सोचें.. तब तक वापस शहर चलो, वहाँ भी एक ट्विस्ट पैदा हो गया है।

करीब 10 बजे फ्लॉरा उठी.. उसे अब भी पूरे जिस्म में दर्द था। उसने अपनी मॉम को आवाज़ दी.. तब ममता ने उसे दवा दी और उसके पास बैठ गई।
ममता- सॉरी फ्लॉरा.. रात मैंने तुम्हें डांटा था मगर तुम समझ सकती हो तुम मेरी एक ही बेटी हो.. अगर तुम्हें कुछ हो गया तो?
फ्लॉरा- मॉम, आपको हर वक़्त ये डर क्यों लगा रहता है.. कहीं आप ये तो नहीं सोचती कि मैं भी आपकी तरह घर से भाग जाऊंगी, बोलो मॉम?
ममता- हाँ डरती हूँ मैं.. मैंने बिना सोचे अपने घर वालों को छोड़ दिया था। आज 21 साल हो गए मुझे उनसे मिले हुए। तुम्हारे पापा के प्यार में कोई कमी नहीं थी मगर अपने परिवार से दूर होना क्या होता है.. ये मुझे बाद में समझ आया।

फ्लॉरा- आप वापस क्यों नहीं गईं? एक बार ट्राइ करतीं.. शायद वो माफ़ कर देते।
ममता- कैसे जाती, मेरी वजह से उनकी कितनी बदनामी हुई होगी, पता नहीं उनपर क्या गुज़री होगी?
फ्लॉरा- फिर भी मॉम एक बार कम से कम एक बार तो आपको जाना चाहिए था।
ममता- गए थे बेटा.. टेंशन से मैं बीमार हो गई थी। तब तेरे पापा एक बार गए थे.. मगर वहाँ कोई नहीं था. मेरे भाग जाने के बाद पापा को हार्ट अटॅक हुआ था। वो लोगों की बातें सहन ना कर सके और फिर उन्होंने सब कुछ बेच दिया और उसके बाद न जाने कहाँ चले गए, किसी को कुछ पता नहीं।

फ्लॉरा- ओह.. सॉरी मॉम प्लीज़ आप ये चिड़चिड़ापन ख़त्म कर दो, मैं वादा करती हूँ आपसे दूर कहीं नहीं जाऊंगी। अगर किसी से प्यार भी करूँगी तो आपको सबसे पहले आकर बता दूँगी। प्लीज़ मॉम अपने आपको संभालो.. आजकल आप बहुत टेंशन लेने लगी हो। कहीं फिर से आप बीमार ना हो जाओ।

दोस्तो, ये दोनों माँ-बेटी आपस में गले लग कर एक-दूसरे को तसल्ली देने लगीं मगर आप सोचो मत.. अब कड़ी से कड़ी जुड़ने का वक़्त आ गया है। धीरे-धीरे सब कहानी मिलकर एक हो जाएगी।
चलो अब यहाँ से वापस गाँव चलते हैं, उधर मोना ने चाय तैयार कर दी है।

मोना चाय लेकर आ गई तब तक काका को भी गोपाल की पुरानी बात याद आ गई थी।
मोना- कुछ याद आया आपको?

मेरे प्यारे साथियो, आप मुझे मेरी इस सेक्स स्टोरी पर मर्यादित भाषा में ही कमेंट्स करें क्योंकि मैं एक लेखिका हूँ, बस इस बात का ख्याल करते हुए ही सेक्स स्टोरी का आनन्द लें और कमेंट्स करें।
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कहानी जारी है।

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