रिश्तेदार की लड़की को प्यार में फंसा कर चोदा-2

(Rishtedar ki ladki ko pyar mein fansa kar choda-2)

मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
रिश्तेदार की लड़की को प्यार में फंसा कर चोदा-1
में आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी रिश्तेदार की लड़की को अपने प्यार में जाल में फंसा लिया था. बहुत दिनों तक खुद पर काबू रखते हुए मैंने उसके अंदर की वासना को जगाने की कोशिश की और फिर एक दिन मुझे अपनी इच्छा पूरी करने का मौका मिल ही गया. उसके घर पर कोई नहीं था और हम दोनों ही मिलन के लिए तड़प रहे थे.

मैं उसके मुंह से ‘लण्ड’ और ‘चूत’ जैसे शब्दों को सुनकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था. ये सच में सुहागरात मनाने जैसा अनुभव था. उसकी बातें सुन कर मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था और कुछ ऐसा ही हाल उसकी चूत का भी हो चुका था.

उसकी दोनों जांघें पूरी फ़ैली हुई थी और उसकी चूत का रस उसकी चिकनी सुडौल टांगों पर मल रहा था। काफ़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए तो दोनों की बुरी हालत थी। दोनों के चेहरे एक दूसरे के थूक से गीले हो रहे थे।

उसके दूध मेरे दबाने से लाल हो रहे थे।
फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसकी आंखो में देख कर बोला- दिल बहुत चाह रहा है जान।
तो वो मेरे कंधे थाम कर होंठ चबा कर मचली- बहुत हो गया, आ जाओ ना अब।

मैं जैसे ही उसके उपर लेटा तो मेरा गर्म चिकना लण्ड उसकी छोटी सी चिकनी चूत पर सटा कर लेट गया और वो सिसक गई- सुनो ना …
“हां जान” मैं उसका होंठ चूस कर बोला।
वो होंठ चबा कर शरमा कर सिसकी- तुम्हें कैसी लगी मेरी वो?
मैं उसके दूध सहला कर मुसकराया- अब भी शर्म आ रही है मेरी गुड़िया को।

तो वो शर्मीली नज़रों से मुझे देख कर मुसकराई- हम्म।
मैंने उसकी आंखों को चूमते हुए कहा- बहुत प्यारी है मेरी जान।
वो मस्ती में सिसकी- क्या कपिल, नाम लो ना प्लीज मेरी ‘वो’ का।
“मेरी रितु की चूत …”

“आह बहुत प्यारी है. सच मेरी जान … इतनी चिकनी, नर्म, गर्म, छोटी सी चूत, जी चाहता है खूब प्यार करूं इसे।”
“आह … आह… आह … कपिल मेरी जान, तो करो ना उसे प्यार और … और … वो कहते हुए रुक सी गई.
“हां बोलो ना जान”
“कपिल, आह … मैं प्यार कर लूं इस प्यारे से अह .. अह … लण्ड को।”

उसके होंठों पर फिर से मैंने होंठ रख दिये- उफ़ मेरी रानी … पागल कर दोगी, आज तो सच में …
और मैं उसके होंठ चूसने लगा और फिर उसे करवट से लेटा कर एकदम से घूमा और उसके चेहरे की तरफ़ पैर करके उसकी चिकनी टांगों पर चेहरा रख उसकी चूत पर प्यार कर लिया- आह मेरी रानी, सच में कितनी हसीन चूत है मेरी रानी की …
“आह कपिल … उफ़ … अह आराम-आराम से, उफ़ ओह अह …

तना हुआ गर्म लण्ड उसके गालों पर मचल रहा था और वो मेरे चिकने लण्ड के आस-पास प्यार कर रही थी और अपनी गर्म-गर्म जबान फेर रही थी। दोस्तो, सच में लंड के पास से चटवाने में मुझे बहुत मजा आता है. रितु मेरे लंड के आस-पास के एरिया में चाट कर मुझे पागल कर रही थी. जब-जब उसकी जीभ मेरी जांघों पर लगती थी तो ऐसा लगता था कि बस अभी उसकी चूत को चोद-चोद कर चौड़ी कर दूं.

कुंवारी लड़की भी इतनी चुदासी हो सकती है मैंने पहली बार अनुभव किया था. मैंने अब तक भाभियों की ही चूत मारी थी. भाभियां तो पहले से ही लंड की शौकीन होती हैं लेकिन कुंवारी लड़की लंड को चूसने या चाटने में बहुत नखरे करती है. लेकिन रितु के साथ ऐसा नहीं था वो मेरे लंड को चाट कर हर पल और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी.

उसके हर एक चुम्बन पर मेरे मुंह से एक आह्ह सी निकल जाती थी. उसको भी मुझे इस तरह से मचलाने और तड़पाने में शायद मजा आ रहा था. मेरा लंड उछल-उछल कर उसके हर एक चुम्बन का स्वागत कर रहा था. मेरा मन कर रहा था कि अब वह मेरे रज का स्वाद भी चखे. उसे अपना रज चखवाने के लिए मैं उसके हर एक वार को सहन कर रहा था.

मैं जानता था कि वो मेरे लंड से निकल रहे रज को जरूर चाटेगी. इसीलिये मैंने अपने लंड को पहले से ही तैयार किया था. मैंने उसको अच्छी तरह से साफ कर लिया था.

मेरे लण्ड के आस-पास बिलकुल बाल न थे तो उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था।
उसकी गर्म जबान की चिकनाहट से मेरी सिसकी निकल गई- आह … आह … रितु मेरी जान … खेलो न मेरे लण्ड से, मेरी जान, उफ़ मेरी नन्ही सी चूत वाली गुड़िया।
“ओह आह … मज़ा आ गया … कपिल मेरी जान, चाटो ना मेरी गर्म चूत।”

उसने मेरा लण्ड थाम कर उस पर प्यार किया तो उसके होंठ रज से भीग गये और वो अपने होंठों पर चिकनाई मलने लगी और तभी वो तड़प कर चीख पड़ी- ऊउइ ऊउइ ऊऊम अहा उफ़ शहाआ मेरी … मेरी आइ … मेरी चूऊऊत …

मेरी जबान उसकी चूत में चल रही थी। मैं बुरी तरह से उसकी चूत चूस रहा था.
उसकी टांगें पूरी फैली हुई थीं और उसकी चूत से चप-चप की आवाज आ रही थी- आ … आहम … हम प्लीज, आह उफ़ धीरे, मर जाऊंगी मैं, हाय मेरी चूत उफ़ …
और उस से न रहा गया तो उसने एकदम से मेरा गर्म लण्ड अपने मुंह में ले लिया।

उसकी गर्म जुबान का लण्ड पर अहसास होते ही मैं भी सिसकारियां लेने लगा- आअह … आआह … रितु … पूरा ले ले मुंह में … ऊम आअह आह … मेरी जान … मेरी गुलाबी चूत वाली जान … उफ़ उफ़ आह।

उसके मुंह में मेरा गर्म लण्ड मचल रहा था और मेरी जबान उसकी चूत में घुसी जा रही थी। उसकी पूरी चूत और जांघें मेरे थूक से भीग रही थी और उसकी चूत लाल हो चुकी थी और रस टपका रही थी। उसने तो कभी सोचा भी न होगा कि लण्ड चूसने और चूत चुसवाने में इतना मज़ा आयेगा।

मेरा पूरा लण्ड उसके थूक से भीग रहा था और मेरा लण्ड उसके गले के अन्दर तक जा रहा था कि मैं तड़प उठा- रुक आह … रुक रुक जाओ रानी, रुक जाओ बस’ अब …
उसने लण्ड मुंह से निकाला तो मैं उठ कर बैठ गया।
“क्या हुआ” उसने मुझे देखा।

मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा दबा कर बोला- आह मेरी जान … मैं निकल पड़ता।
और फिर मैं उसके होंठों और गालों को चूसने लगा जो थूक से भीग रहे थे।
वो मुझ से लिपट गई- कपिल आह मेरी जान … और फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया। उसने हाथ फैला कर बांहों में ले लिया और मेरे होंठ चूस कर सिसकारी ली।
“धीरे से करना, बहुत बड़ा है तुम्हारा।”
मैं मुस्कुराते हुये बोला- क्या बड़ा है मेरी जान?”

तो वो शरमा कर हंस दी- तुम्हारा प्यारा सा लण्ड और क्या जान!
“रखो न उसे अपनी रेशमी चूत पर …”
“मुझे शरम आती है।”
“प्लीज जान, देखो अभी तो मज़े से खेल रही थी.”

उसने मेरे दोनों हाथ थाम कर अपने दूधों पर रख दिये और सिसकी ली- दबाओ ना इन्हें … और अपना हाथ नीचे ले जाकर लण्ड थाम कर अपनी चिकनी मस्त चूत के छेद पर रखा तो जैसे उसके जिस्म में करण्ट दौड़ गया हो।
“आह कपिल …”

और वो उसे अपनी चूत की चिकनी और गर्म फ़ांक से सटा कर ऊपर नीचे करने लगी. दोनों की बुरी हालत थी।
मैं भी मचल गया- बस … बस … अब रख लो छेद पर…
और जैसे ही उस ने छेद पर रखा। मेरे होंठ उसके होंठों पर आ गये और मैं बोला- लो मेरी जान …
“तैयार हो न?”
“आह … आराम से!”

फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चिकनी छोटी सी चूत के मुहाने पर रखा और अपनी कमर हिला कर धक्का दे दिया तो वो तड़प उठी- ऊऊउइ मां नहींई ऊऊफ ऊऊनह आआअ उफ़्फ आआह ओह्हह प्लीज ऊओफ कपिल नहींइ, हाय नहीं ओह मां उफ़्फ़फ़!

चिकनाई के कारण मेरा लण्ड 3 इन्च मेरी चूत में घुस पड़ा और मुझे लगा जैसे उसकी चूत में गर्म गर्म लोहा घुस पड़ा हो। उसकी चूत भी भट्टी की तरह तप रही थी। उसकी चूत से खून निकल रहा था, मैंने उसे बताया नहीं।

मेरा लण्ड तो बहुत ज्यादा अकड़ गया था. आज बहुत दिनों बाद फाइनली कुँवारी चूत जो मिल गयी थी उसे। टाइम लगा लेकिन कुँवारी चूत उसने आज फाड़ ही डाली।

ऐसा तो मैंने भी नहीं सोचा था कि बिना शादी किये ही सुहागरात मनाने को मिल जाएगी वो भी एक छोटी सी रसीली चूत के साथ। मेरी भी सिसकी निकल गयी.

और जैसे ही मेरे चूतड़ फिर हिले तो उसकी जैसे जान निकल गई- “अम्मम्मम्मा … नहीं ईइ … उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो सर झटकने लगी, उसकी नाज़ुक सी चूत का मुंह फैल गया और गर्म लण्ड अन्दर जाने के लिये मचलने लगा।
“आह रितु … मज़ा आ गया”

मैं उसके गाल और होंठ चूम और चूस रहा था। मेरे इस धक्के ने उसकी बुरी हालत कर दी। दर्द के कारण उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।
मैं उसकी आंखों को चूम कर बोला- ना रो मेरी जान… बस थोड़ी देर की बात है।
“नहीं-नहीं, प्लीज … अब नहीं कपिल … बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊंगी।

मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने चालू रखे पर शायद दर्द की वजह से उसे मजा नहीं आ रहा था तो उसकी चूत सूखने सी लगी।
उसका पूरा चेहरा लाल हो रहा था. उसने मेरी कमर ज़ोर से पकड़ ली।

मैं उसके होंठ चूस कर बोला- बस थोड़ा सा रह गया है मेरी जान, बस एक बार और!
“नहीं कपिल नहीं, उसने मेरा चेहरा दोनो हाथों में लेकर होंठ चूम लिये, मत रुलाओ अपनी रितु को, तरस खाओ, सच मैं बहुत दर्द है उफ़्फ़।
“बस मेरी गुड़िया देख, बस दो इंच लण्ड बचा है.”

उसने हाथ अपनी चूत पर ले जा कर लण्ड पकड़ा।
“आहाह… हां देखो मेरी जान बस इतना सा बचा है.”
“नहीं कपिल सच में, तुम्हारा लण्ड तो बिलकुल सूखा रखा है.”
“एक मिनट” और ऊपर होकर ढेर सा थूक उसकी चूत पर डाला और उसके होंठ चूम कर बोला- देखो खूब चिकनी हो गई मेरी गुड़िया की नन्ही सी चूत।
“हाय मैं क्या करूं। बस जल्दी से घुसा डालो दो अब!”

और फिर उसके होंठों पर होंठ रख कर ज़ोर का धक्का लगया तो फच से पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर था। उसकी चीख मेरे होंठों में ही दब कर रह गयी। मेरे लण्ड ने उसकी कुँवारी चूत पर फ़तह पा लिया था। उसकी गर्म चूत भी पूरा लण्ड निगल चुकी थी।

थोड़ी देर उसे मैं ऐसे ही सहलाता रहा और फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। मुझे तो सच में बहुत मजा आ रहा था। अब वो भी मजा लेने लग गयी उसकी इस सुहागरात की चुदाई का।

वो लिपट गई मुझसे। उफ़्फ़्फ़ इतना मज़ा; उफ़ … इस मज़े में वो झूम गई और उसके गोल बड़े-बड़े चूतड़ मेरा लण्ड लेने को उछलने लगे और मैंने उसके होंठों से होंठ अलग किये और उसका दूध मुंह में ले लिया और दोनों बुरी तरह तड़प रहे थे।

“हाय रे मज़ा आ गया … मेरे कपिल और तेज़ करो, अह मुझे क्या हो रहा है उफ़ आह ऐई … मां मेरी … च-च ..चूत, बहुत गरमा गर्म लण्ड है और तेज़ करो ना जल्दी जल्दी।”
“हाय मेरी रितु उफ़ आह आह तेरी गरम चूत, उफ़ह बहुत तंग आह और गहरी चूत है मेरी चुद्दो की अह अह्ह्ह्ह… रितु चूतड़ उछालो … अह अह हां …. ले लो मेरा लण्ड … आह उफ़ अपनी आह गर्म छोटी सी चूत में, मेरी आअह मेरी जान।

और फिर मैं एकदम से चिल्ला पड़ा- रितु … रितु उफ़ … आअह … मैं अह … मैं आने वाला हूँ … ले लो मेरा लण्ड … उफ।
“आह लण्ड … मेरी जान … तेरी चूत मार दी।”

कमरे में फस्सह … फस्सह… और हम दोनों की सिसकारियों की आवाजें गूंज रही थी। हम दोनों के धक्के तूफ़ानी हो गये और फिर मुझे लगा कि उसकी पूरी चूत फैल गई हो मेरे लण्ड से। मेरे गर्म वीर्य की पिचकारी जो निकली … उसकी चूत के आखिरी छोर तक चली गई और उसकी चूत का झरना भी फ़ूट पड़ा।

मैं उसके दूधों पर निढाल हो कर लेट गया और उसने मुझे अपने चिकने मुलायम और गर्म जिस्म से लिपटा लिया। हम दोनों पसीने से नहा गये।

मैंने थोड़ी देर लण्ड को उसकी चूत में ही रहने दिया और उससे पूछा- कैसी रही फिर सुहागरात तुम्हारी?
“बहुत गन्दे हो तुम, मैं दर्द से मरी जा रही थी तुम बस धक्के लगाए जा रहे थे। तुम्हें मेरी कोई फिक्र नहीं थी. तुम्हें तो बस मेरी चूत चाहिए थी।”

बात तो सच थी. ये सारा खेल तो उसकी कुँवारी चूत फाड़ने के लिए ही किया गया था लेकिन मैंने बात को संभालते हुए कहा- माफ़ कर दो जान अब आगे से ऐसा नहीं होगा। पहली बार चूत में लण्ड डालने में सबको दर्द होता ही है. अगर मैं उस समय रुक जाता तो फिर हम चुदाई नहीं कर पाते। अब सच बताओ बाद में मजा आया कि नहीं?
“हां, थोड़ी देर के बाद बहुत मजा आया था। ये सुहागरात मुझे हमेशा याद रहेगी। लव यू जानू”

“अभी सुहागरात पूरी कहां हुई है। पूरी रात तो वैसे ही पड़ी है. अभी तो मैं तुम्हें बहुत प्यार करूँगा।”

उस रात मैंने उसकी 4 बार जम कर चुदाई की। उसकी चूत फाड़ कर रख दी. सुबह उसका दर्द से बुरा हाल था तो मैंने उसे दूध के साथ पहले से ही लाई हुई दर्द की गोली और आई पिल भी खिला दी. सारा माल पूरी रात अन्दर जो डाला था।

उसे आराम करने को कह कर मैं अपने घर वापस आ गया। दिन में भी दो बार उसकी चूत का मजा लिया। एक रात और हमारे पास बची थी, उस रात को मैंने उसकी चूत के साथ गांड भी मार ली। पूरी रात और सुबह को भी रितु की आगे और पीछे से अच्छी तरह से बजाई। तब जाकर मेरे लण्ड को शांति मिली। उसके बाद तो उसकी शादी होने तक जब भी मौका मिला हम दोनों ने अपने जिस्म की जमकर प्यास बुझाई।

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