ममेरे भाई से फुद्दी चुदवाई

monufncloub 2013-06-10 Comments

लेखिका : मोनिका

हैलो दोस्तो !

मैं अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ। इस लाजवाब साइट पर मैंने बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी और सैक्स के बारे में ज्ञान लिया। आज मैंने सोचा मैं भी अपनी प्यारी सच्ची घटना सुनाऊँ। यह मेरी पहली सैक्स कहानी है।

पहले मैं अपने बारे में कुछ बता दूँ, मेरा नाम मोनिका है और प्यार से मुझे सब मोनू के नाम से पुकारते हैं। मैं सिरोही की रहने वाली हूँ। मैं अभी 19 साल की हूँ, रंग गोरा, बदन कच्चा एवं गठीला तथा साईज 36-28-38 है। मैं 12वीं में पढ़ती हूँ।

वैसे मैंने क्लास में सहेलियों से सेक्स के किस्से तो खूब सुने पर असली काम करने की कभी सोची भी नहीं थी और खास कर इस सम्बन्ध पर।

बात अभी कुछ दिन पहले की है, अभी सर्दियों की छुट्टियों में मैं अपने मामा के घर गई थी। मेरे मामा के घर में मामा, मामी और प्यारे भैया प्रकाश तीन लोग रहते हैं। भैया की उम्र भी 19 साल ही है और वो भी 12वीं साईंस की पढ़ाई करते हैं।

जब मैं मामा के घर गई तो घर पर मामी और भैया दोनों थे। क्योंकि मामा दूसरे शहर में सरकारी जॉब करते थे। मेरे आने पर वे लोग बेहद खुश थे। हम लोग बैठे कुछ घर परिवार के समाचार दिये लिये, फिर मामी ने कहा- मोनू तुम दोनों बैठो, मैं चाय बना कर लाती हूँ। भैया ने टी.वी. चालू किया और हम देखने लगे। उस वक्त डर्टी पिक्चर चल रही थी और देखते देखते जब हीरो ने हिरोइन के चूमा तो भैया ने मेरी तरफ देखा, तो मैं शरमा कर थोड़ा सा मुस्करा दी।

तब तक मामी चाय ले के आ गई और हमने चाय पी। उस वक्त मैंने लाल रंग की जीन्स एवं नीले रंग की टीशर्ट पहन रखी थी। उस वक्त मैंने नोट किया कि भाई मेरे उरोजों को घूर रहे थे।

फिर शाम को मामी ने खाना बनाया और हम खाना खाकर सोने गये, तभी बाहर से दो औरतें आई और मामी को भी चलने को कहा।

तो मामी ने मुझे कहा- मोनू पड़ोस वाले अंकल की बेटी निकिता की अभी शादी हुई है, आज उनके बेटी-दामाद वापस आये हैं, तुम भी चलोगी क्या?

तो मैंने कहा- मामी, आज तो ट्रेन का सफर करके पूरी तरह से थकी हुई हूँ।

तो मामी ने कहा- कोई बात नहीं बेटा, तुम और प्रकाश यहीं सो जाओ, और मैं सुबह आ जाऊँगी।

मामी तो चली गई, मैं और भैया लेट गये।

भैया ने पूछा- मोनू, कैसी चल रही है तुम्हारी पढ़ाई?

तो मैंने कहा- पढ़ाई तो अच्छी ही चल रही है। तुम्हारी कैसी चल रही है?

तो भैया ने कहा- मस्त चल रही है।

फिर कुछ इधर ऊधर की बातें की और मैंने पूछा- भैया तुम उस वक्त क्या घूर रहे थे।

भैया- वो टीशर्ट पर नाम जो लिखे हुये थे।

मैं- अच्छा, बताओ तुम्हारी क्लासमेट्स भी तो ऐसे लोगो वाली टीशर्ट पहनती होंगी न?

भैया- पर वो इतनी सैक्सी नहीं लगती !

मैं- तो मैं आपको सैक्सी लगती हूँ?

भैया- बेहद ! सच बताऊँ मोनू, तुम तो अच्छी अच्छी सैक्सी हिरोइनों से भी ज्यादा अच्छी लग रही हो !

मैं- बस बहुत हो गया।

पर आज पहली बार किसी लड़के से ऐसी बातें करके मैंने अपनी पेन्टी को गीला कर दिया।

भैया- मोनू, एक बात बोलूँ?

मैं- बोलो !

भैया- तुम नाराज मत होना, प्लीज..

मैं- ठीक है।

भैया- मोनू… ‘I LOVE YOU’

मैं- क्या कह रहे हो भैया? मैं आपकी बहन हूँ।

और भैया अपने बैड से खड़े हुए और मेरे बैड पर आकर मेरे ऊपर आ गये तो मैंने कहा- भैया, क्या कर रहे हो? ये सब गलत है…

तब तक भैया ने मेरे लबों को छुआ और एक जबरदस्त चुम्बन कर दिया।

तब मैं बोली ‘LOVE YOU TOO’ भैया चाहती तो मैं भी यही थी कि आपके साथ करूँ।

भैया ने कहा- मैं अब भैया नहीं प्रकाश हूँ। प्यारी मोनू मुझे भैया मत बोलो।

फिर प्रकाश ने मेरे टीशर्ट के ऊपर से ही मेरे कबूतरों को मसलना शुरू कर दिया। वो पागलों की तरह मुझे चाट रहा था।

मैंने कहा- आज मैं तुम्हारी रानी हूँ इतनी जल्दबाजी मत करो।

फिर प्रकाश ने मुझे खड़ा किया और मेरे सारे कपड़े अपने हाथों से उतारे और मेरी गुलाबी चूत के दर्शन करके भोग के लिये तैयार हुआ। फिर प्रकाश ने मुझे कपड़े खोलने को कहा तो मैंने उसके एक एक करके सारे कपड़े उतार दिये।

ज्यों ही मैंने उसकी अण्डरवियर उतारी तो मैं दंग रह गई ‘कम से कम 8 ईंच का लिंग???’

मैं पहली बार किसी मर्द को नंगा देख रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

फिर मुझे सोफे पर लिटा कर प्रकाश मेरे अंग अंग को चूमने लगा। मैं इस पहले आनन्द में किसी जन्नत की सैर कर रही थी। उसने मेरे साथ, मेरे बदन के साथ 20 मिनट तक चुम्मा-चाटी की और तब तक मेरी चूत से दो बार रस निकल चुका था।

फिर मैंने कहा- अब कुछ कर भाई ! मुझे मत तड़पा प्लीज…

फिर उसने मेरी टाँगों को अपने कंधे पर लेकर जैसे ही अपनी बंदूक को मेरी चूत पर टिकाया तो मेरे पूरे शरीर मे एक करंट दौड़ गया। मैंने सुना था कि पहली बार दर्द बहुत होता है तो मैंने कहा- प्रकाश प्लीज धीरे… मुझे डर लग र्हा है, मेरा पहली बार है, दर्द होगा !

प्रकाश- अरे मेरी रानी तुझे तो मैं दर्द की आँच तक नहीं आने दूँगा।

और उसने मेरी गीली चूत पर एक जोर का झटका दिया तो आधा लिंग मेरी चूत में फंस गया। मेरी आँखें भर आई और मैं जोर चिल्लाई तो मेरे प्रकाश ने मेरे होठों पर किस करके दर्द को कम किया और धीरे-धीरे अपने लिंग को अन्दर बाहर करने लगा।

धीरे-धीरे मुझे भी मजा आने लगा और मैं मधुर मधुर सिसकारियाँ भरने लगी। करीब 20 मिनट हो गये थे मुझे जन्नत की सैर करते हुए, अब मैं दूसरी बार झड़ने वाली थी कि प्रकाश ने पूछा- वीर्य अन्दर निकालूँ या बाहर?

तो मैंने कहा- अभी कोई दिक्कत नहीं, कल ही मेरी मेन्सिज़ खत्म हुई है, अन्दर ही निकाल दो मेरे भाई राजा।

और फिर हम दोनों काफी देर तक यूँ ही लेटे रहे और फिर उसी रात हमने चार बार मजे लिये।

आपको कैसी लगी मेरी पहली कहानी, मुझे जरूर मेल करें।

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