कमाल की हसीना हूँ मैं-13

(Kamaal Ki Haseena Hun Mai- Part 13)

शहनाज़ खान 2013-05-05 Comments

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दोनों भाइयों ने लगता है दूध की बोतलों का मुआयना करके ही निकाह के लिये पसंद किया था। नसरीन भाभी के निप्पल काफी लंबे और मोटे हैं, जबकि मेरे निप्पल कुछ छोटे हैं।

अब हम चारों एक दूसरे की जोड़ी को निहार रहे थे। पता नहीं टीवी स्क्रीन पर क्या चल रहा था। सामने लाईव ब्लू फ़िल्म इतनी गरम थी कि टीवी पर देखने की किसे फ़ुर्सत थी।

जावेद ने मेरे हाथों को अपने हाथों से अपने लंड पर दबा कर सहलाने का इशारा किया। मैं भी नसरीन भाभी की देखा देखी जावेद के पायजामे को ढीला करके उनके लंड को बाहर निकाल कर सहला रही थी। फिरोज़ की नजरें मेरे जिस्म पर टिकी हुई थी। उनका लंड मेरे नंगे जिस्म को देख कर फूल कर कुप्पा हो रहा था।

चारों अपने-अपने लाईफ पार्टनर्स के साथ सैक्स के खेल में लगे हुए थे। मगर चारों ही एक दूसरे के साथी का तस्सवुर करके उत्तेजित हो रहे थे। फिरोज़ ने बेड पर लेटते हुए नसरीन भाभी जान को अपनी टाँगों के बीच खींच लिया और उनके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर झुकाया। नसरीन भाभी ने उनके लंड पर झुकते हुए हमारी तरफ़ देखा। पल भर को मेरी नजरों से उनकी नजरें मिली तो वो मुझे भी ऐसा करने को इशारा करते हुए मुस्कुरा दीं।

मैंने भी जावेद के लंड पर झुक कर उसे चाटना शुरू किया। जावेद के लंड को मैं अपने मुँह में भर कर चूसने लगी और नसरीन भाभी फिरोज़ के लंड को चूस रही थी। इसी दौरान हम चारों बिल्कुल नंगे हो गये।

“जावेद लाईट बंद कर दो…. शर्म आ रही है।” मैंने जावेद को फुसफुसाते हुए कहा।

“इसमें शर्म किस बात की। वो भी तो हमारे जैसी हालत में ही हैं।” कहकर उन्होंने पास में चुदाई में मसरूफ फिरोज़ और नसरीन की ओर इशारा किया। जावेद ने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। वो ज्यादा देर तक ये सब पसंद नहीं करते थे।

थोड़े से फोर-प्ले के बाद ही वो चूत के अंदर अपने लंड को घुसा कर अपनी सारी ताकत चोदने में लगाने पर ही विश्वास करते थे। उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच कर अपनी चूत में उनका लंड लेने के लिये इशारा किया।

मैंने उनकी कमर के पास बैठ कर घुटनों के बल अपने जिस्म को उनके लंड के ऊपर किया। फिर उनके लंड को अपने हाथों से अपनी चूत के मुँह पर सेट करके मैंने अपने जिस्म का सारा बोझ उनके लंड पर डाल दिया। उनका लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया।

मैंने पास में दूसरे जोड़े की ओर देखा। दोनों अभी भी लंड चुसाई में ही लगे थे। नसरीन भाभीजान अभी भी उनके लंड को चूस रही थीं। मेरा तो उन दोनों की लंड चुसाई देख कर ही पहली बार झड़ गया। नाईट लैंप की रोश्नी में सिर्फ सैंडल पहने नंगी नसरीन भाभी का जिस्म दमक रहा था।

तभी जावेद ने ऐसी हरकत कि जिससे हमारे बीच बची-खुची शर्म का पर्दा भी तार-तार हो गया। जावेद ने फिरोज़ भाईजान का हाथ पकड़ा और मेरे एक मम्मे पर रख दिया।

फिरोज़ ने अपने हाथों में मेरे मम्मे को थाम कर कुछ देर सहलाया। यह पहली बार था जब किसी गैर मर्द ने मुझे मेरे शौहर के सामने ही मसला था।

फिरोज़ मेरे एक मम्मे को थोड़ी देर तक मसलते रहे और फिर मेरे निप्पल को पकड़ कर अपनी उँगलियों से उमेठने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

जावेद इसी का बहाना लेकर नसरीन भाभी के एक मम्मे को अपने हाथों में भर कर दबाने लगे। जावेद की आँखें नसरीन भाभी से मिली और नसरीन भाभी अपने सिर को फिरोज़ भाईजान की जाँघों के बीच से उठा कर आगे आ गईं जिससे जावेद को उनके मम्मों पर हाथ फ़ेरने के लिये ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़े।

अब हम दोनों औरतें अपने-अपने खाविंदों के लंड की सवारी कर रही थीं। ऊपर-नीचे होने से दोनों की बड़ी-बड़ी चूचियाँ उछल रही थीं।

जावेद के हाथों की मालिश अपने मम्मों पर पाकर नसरीन भाभी की धक्के मारने की रफ़्तार बढ़ गई और वो ‘आआऽऽहहऽऽऽ ममऽऽऽऽ’ जैसी आवाजें मुँह से निकालती हुई फिरोज़ भाईजान पर लेट गईं लेकिन फिरोज़ भाईजान का तना हुआ लंड उनकी चूत से नहीं निकला।

कुछ देर तक इसी तरह चोदने के बाद जावेद ने मुझे अपने ऊपर से उठा कर बिस्तर पर लिटाया और मेरी दोनों टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं और मेरी चूत पर अपने लंड को लगा कर अंदर धक्का दे दिया। फिर वो मेरी चूत पर जोर-जोर से धक्के मारने लगे।

मैं फिरोज़ के बगल में लेटी हुई उनको, नसरीन भाभी को चूमते और मुहब्बत करते हुए देख रही थी। मेरे मन में जलन की आग लगी हुई थी। काश वहाँ उनके जिस्म पर नसरीन भाभी जान नहीं बल्कि मेरा नंगा जिस्म पसरा हुआ होता।

वो मुझे बिस्तर पर लेटे हुए ही निहार रहे थे। उनके होंठ नसरीन भाभी जान को चूम चाट रहे थे लेकिन आँखें और दिल मेरे पास था। वो अपने हाथों को मेरे जिस्म पर फेरते हुए शायद मेरी कल्पना करते हुए अपनी नसरीन को वापस ठोकने लगे।

नसरीन भाभी के काफी देर तक ऊपर से चोदने के बाद फिरोज़ भाई जान ने उसे हाथों और पैरों के बल झुका दिया।

यह देख जावेद ने भी मुझे उल्टा करके मुझे भी उसी पोजीशन में कर दिया। सामने आईना लगा हुआ था। हम दोनों देवरानी-जेठानी पास-पास घोड़ी बने हुए थे। दोनों भाइयों ने एक साथ एक रिदम में हम दोनों को ठोकना शुरू किया। चार बड़े-बड़े मम्मे एक साथ आगे पीछे हिल रहे थे। हम दोनों एक दूसरे की हालत देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो रहे थे।

कुछ देर तक इस तरह चोदने के बाद दोनों ने हम दोनों को बिस्तर पर लिटा दिया और ऊपर से मिशनरी स्टाईल में धक्के मारने लगे। इस तरह चुदाई करते हुए हमारे जिस्म अक्सर एक दूसरे से रगड़ खाकर और अधिक उत्तेजना का संचार कर रहे थे।

नसरीन भाभी जान अब झड़ने वाली थी वो जोर-जोर से चीखने लगी, “हाँ हाँ.. औऽऽर जोर सेएऽऽऽ और जोर सेएऽऽऽ हाँ इसीइऽऽऽ तरह…. फिरोज़ आज तुम में काफी जोश है.. आज तो तुम्हारा बहुत तन रहा है। आज तो मैं निहाल हो गई….” इस तरह बड़बड़ाते हुए उसने अपनी कमर को उचकाना शुरू किया और कुछ ही देर में इस तरह बिस्तर पर निढाल होकर गिरी, मानो उसके जिस्म से हवा निकाल दी गई हो। अब तो फिरोज़ भाई जान उसके ठंडे पड़े शरीर को ठोक रहे थे।

मैंने सोचा काश उनकी जगह मैं होती तो बराबर का साथ देती और उन्हें दिखाती कि मुझ में कितना स्टैमिना है। इस गेम में तो जेठ जी को हरा कर ही छोड़ती।

कुछ देर बाद जावेद ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और उसके लंड से गरम वीर्य की धार मेरी चूत के अंदर बहने लगी। मैंने भी उसके साथ-साथ अपने रस का द्वार खोल दिया। हम दोनों अब एक दूसरे के पास लेटे हुए लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे।

मेरा दो बार निकल जरूर गया था लेकिन अभी तक मैं गर्मी से जल रही थी। आज तो मैं इतनी उत्तेजित थी कि अगर जावेद मुझे रात भर चोदता तो मैं उसका पूरी रात साथ देती।

तभी फिरोज़ उठ कर बाथरूम चले गये। जावेद हम दोनों औरतों के बीच लेट गया और हम दोनों को अपनी दोनों बाँहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया। हम दोनों औरतें उसके नंगे जिस्म से लिपटी हुई थीं। जावेद एक बार मुझे चूमता तो एक बार अपनी भाभी को। हम दोनों औरतें उसके जिस्म को सहला रही थीं।

मैंने अपना हाथ उसके लंड पर रखा तो पता चला कि वहाँ पर तो पहले से ही एक हाथ रखा हुआ था। मैंने नीचे झुक कर देखा कि नसरीन भाभी ने जावेद का लंड अपने हाथों में थाम रखा है।

यह देख कर मैंने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया। अचानक मुझे अपने पीछे कुछ आवाज आई। मैंने अपने हाथों को जावेद की पकड़ से छुड़ाया और पीछे घूम कर देखा कि पीछे बिस्तर के पास फिरोज़ खड़े हम तीनों को देख रहे थे।

कमरे में अंधेरा था। नाईट लैंप और टीवी की हल्की रोशनी में उनका भोला सा चेहरा बहुत मासूम लग रहा था। शायद उन्हें भी अपने छोटे भाई की किस्मत पर जलन हो रही थी। इसलिये चुपचाप खड़े हमारी हरकतों को निहार रहे थे। उन्हें इस तरह खड़े देख कर मुझे उन पर मुहब्बत उमड़ आई।

मैंने अपने आप को जावेद के बन्धन से अलग किया और अपने हाथ उनकी ओर उठा कर अपने आगोश में बुला लिया, “आओ ना ! कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ।”

वो मेरे इस तरह उन्हें बुलाने से बहुत खुश हुए और मेरी बगल में लेट गये। हम दोनों की ओर देख कर जावेद दूसरी तरफ़ सरक गया और हमें जगह दे दी। अब मेरा मजनू मेरी बाँहों में था इसलिये मुझे कहीं और देखने की जरूरत नहीं थी। मैं उनके जिस्म से चिपकते ही सारी दुनिया से बेखबर हो गई। मुझे अब किसी बात की या किसी भी आदमी की चिंता नहीं थी। बस चिंता थी तो सिर्फ इतनी कि ये मेरा जेठ जो मुझे बेहद चाहता है, उसे मैं दुनिया भर की खुशी दे दूँ।

कहानी जारी रहेगी।

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