वासना की आग में झुलसे रिश्ते- 1

(Step Sister Sex Kahani)

स्टेप सिस्टर सेक्स कहानी में दो परिवार अजीब तरीके से जुड़कर एक परिवार हो गया. उस घर में सौतेले भाई बहन के बीच सेक्स की भावना जागृत होने लगी.

लेखिका की पिछली कहानी थी: मां बेटी की कामुक जुगलबंदी

बात कोविड-19 के समय की है, 2021 में दूसरी लहर तबाही मचा चुकी थी.

उस समय हमारे पड़ोस में दो दुर्घटनाएं घटी.
एक परिवार में शेखर अपनी पत्नी को खो चुका था तो सामने के मकान में रहने वाली सपना अपने पति को!

इससे पहले दोनों अपनी लाइफ को खूब एंजॉय कर रहे थे कि अचानक दो परिवारों का सुख चैन बर्बाद हो गया।

जब स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ तो दोनों चूंकि पड़ोसी थे तो उन्होंने यह सोचा कि क्यों ना हम दोनों आपस में शादी कर लें, जिससे दो परिवार फिर से पहले की तरह सामान्य हो जाएंगे।

शेखर का बीस साल का बेटा था संजय और सपना के 19 साल की बेटी थी शलाका।

उन दोनों ने सोचा कि उनके शादी करने से न केवल उन के बच्चों का भला होगा बल्कि उनकी सैक्स लाइफ भी फिर से रंगीन हो जायेगी।

दोनों की शादी हो गई.
सपना शेखर के यहां आ गई.

शेखर और सपना दोनों ही रंगीन मिजाज थे, कई बार वे मस्ती के लम्हों में ये भी भूल जाते कि घर में जवानी की दहलीज पर खड़े दो बच्चे हैं.
कभी संजय तो कभी शलाका उनकी हरकतों के कारण शरीर में सनसनी सी महसूस करते।

संजू तो दोस्तों के साथ पोर्न भी देख चुका था और उसका एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बना हुआ था जिस में हर तरह का नॉनवेज मैटेरियल पोस्ट होता था।

सपना और शेखर अभी बयालीस चवालीस के ही थे, दोनों को चुदाई करे 7-8 महीने हो गए थे इसलिए जब एक दूसरे को नई चूत और नया लंड मिला तो दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े; सुबह, दोपहर, शाम, रात, जब मौका मिलता दोनों चुदाई में लग जाते।

इधर शलाका भी कई बार उनकी हरकतों से, उनकी सिसकारियों से, आवाजों से, उनकी चुहलबाजियों से सैक्स के संसार से अवगत होने लगी थी.

पहले तो उसने बस कभी अपने स्तन सहलाए, कभी चूत सहलाई, कभी चूत में उंगली भी करके देखी.
लेकिन जानकारी की कमी और डर के कारण ज्यादा कुछ समझ नहीं आया।

रात में तो बंद कमरे में शेखर और सपना मिल के वासना का वो तूफान उठाते कि बस पूछो मत!
दोनों नए स्वाद के मजे लेने में इतने खो जाते थे कि संजय और शलाका कहां हैं, क्या कर रहे हैं, उनके ध्यान में भी नहीं आता था।

संजय के लिए सपना, मां तो थी नहीं, और न शलाका बहन थी।
उसकी हालत तो ऐसी थी कि पेट्रोल के डिब्बे के दोनों तरफ जैसे आग रखी हो!
सपना की जवानी और शलाका के खिलते यौवन ने संजय की कामुक कल्पनाओं को पर लगा दिए थे।

शेखर सपना के कमरे के बाद संजय का फिर शलाका का कमरा था।
संजय, शेखर और सपना के कमरे से कान लगाकर सुनने की कोशिश करता, किसी झिरी से झांकने की कोशिश करता!

एक दिन शेखर जब सपना की गांड मार रहा था तो आवाजें कुछ साफ सुनाई दे रही थी।
सपना कह रही थी- धीरे करो न … दुखता है! चूत में डालो न … गांड मारने में तो केवल तुमको मजा आता है. अरे मां रे … मर गई रे!

संजय का तो लहू उबलने लगा, लंड ऐसा अकड़ने लगा कि जैसे टूट जायेगा।
वो जितना दबाता, लंड उतनी ही मजबूर करता कि मेरे लिए कुछ कर!

संजय कामांध होकर शलाका के कमरे की ओर बढ़ा.
वो बेसुध सो रही थी.

संजय ने शलाका के होंठों, स्तनों, और चूत पर गर्म गर्म फूंक मारी.
वो नींदों में कसमसाई।

संजय ने फिर उसके स्तनों को उंगली से सहलाया.
शलाका के मुंह से एक सिसकारी निकली.
संजय के लंड ने भी एक अंगड़ाई ली.

फिर संजय ने उसकी चूत पर गर्म गर्म हवा छोड़ी, शलाका ने दो तीन बार सी … सी … किया।
अब संजय ने ठान लिया कि इस कली को फूल बनाना है।
क्योंकि जब लंड तन्ना जाता है तो सोचने का काम भी वही करता है.

उसने शलाका के गुलाब की पंखुरी से नाजुक होंठों पर अपने होंठ रखे और उसके बांए स्तन को हौले से सहलाने लगा।

शलाका के पूरे बदन में चींटियां सी रेंगने लगीं।
वो आधी नींद की हालत में पहले चुम्बन का मज़ा लेने लगी.

जब संजय ने अपनी जुबान से उसके होंठों को चाटा और जुबान को जुबान से लड़ाने की कोशिश की, तब शलाका ने जैसे चौंकने की एक्टिंग करते हुए कहा- संजू भैया आप? यह आप क्या कर रहे हो? आप मेरे भाई हो।
संजय ने कहा- भाई नहीं, भाई जैसा हूं। पगली, किस्मत ने हमको इसीलिए मिलवाया है कि हम दोनों भी ज़िंदगी के भरपूर मजे ले सकें और किसी को शक भी नहीं हो।

जब संजय ने देखा कि शलाका की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ तो संजय उसके स्तनों को दबाने लगा; स्तनों को मसलते हुए होंठों का रस पीने लगा.

शलाका का यह पहला अनुभव था जब कोई लड़का उसके कामुक बदन को मथ रहा था.
इससे शलाका की चूत में चिंगारियां उड़ने लगी थीं।

अब स्टेप सिस्टर सेक्स की, कामवासना की तेज लहरों के साथ बहने को तैयार थी.
उसने संजय भैया के स्थान पर कहा- संजू, मेरी चूत में वासना की आग भड़क रही है, उसे बुझा यार! खा जा मेरी कुंआरी बुर को! इसकी खुजली मिटा दे यार!

संजू ने झट से शलाका की पैंटी खींच के उतारी और उसकी चूत पे जुट गया।
संजू के होंठ शलाका की चूत के होंठों से मिल चुके थे.

जुबान शलाका की रसीली चूत में हलचल मचा रही थी.
बीच बीच में क्लिटोरिस पर जुबान की नोक मस्ती की तरंगें उठा रही थी।

ऑर्गेज्म के पहले का तूफान शलाका की चूत में गोल गोल घूम रहा था।
वो सिर को बेचैनी में इधर उधर हिलाने लगी, पैर पटकने लगी.

उसके शरीर का रोम रोम अकड़ गया, अचानक चूत में जबर्दस्त कंपन हुआ, चूत जोर जोर से फड़कने लगी.
हर फड़कन के साथ शलाका का कामुक शरीर शिथिल पड़ता जा रहा था.
शलाका की चूत ने संजू के मुंह में ढेर सारा रस छोड़ दिया।

संजू ने पहली बार किसी अनछुई चूत का रस पीया था।

संजू का लंड भी इतने उत्तेजक माहौल में अब विस्फोट के लिए तैयार था, उसने लंड को फेंटना शुरू किया.
दो मिनट भी नहीं लगे, उसके लंड से वीर्य के कतरे उछल उछल कर, शलाका के मुंह, स्तनों और पेट पर गिरने लगे।

शलाका अपने बदन पर मोती की तरह बिखरे कतरों को देख के लाज से दोहरी हो रही थी.
वीर्य की मादक महक ने पहले ऑर्गेज्म का आनंद और बढ़ा दिया था।

बहुत देर तक तक दोनों अपनी सांसें संयत करते रहे, उसके बाद दोनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपट के बात करने लगे।

संजू ने कहा- शलाका, यार तुझे तो पता है मेरे पास वाले कमरे में दिन में 4-5 बार तेरी मां चुदती है.
“हां, मैं भी कई बार मादक आवाजें सुन के गर्म हुई हूं, तड़पी हूं।”

फिर संजय ने आज का किस्सा सुनाया कि आज शेखर कैसे सपना की गांड मार रहा था और कैसे सपना की बातों ने उसके लंड में लावा भर दिया था।

शलाका बोली- तभी मैं सोचूं कि आज भैया को क्या हो गया है. पर अच्छा हुआ न … हम दोनों की सेक्स की भूख वाली समस्या हल हो गई।

इसके बाद संजू ने पूछा- अब क्या इरादा है?
शलाका ने कहा- चूत में उंगली तो कई बार करी … लेकिन अभी तक लंड नहीं लिया है. तो बस आज तो मेरी virginity की दीवार तोड़ के मुझे अपने लंड के जरिए एक यादगार ऑर्गेज्म दे दो।

संजू का दिल तो बल्लियों उछलने लगा, वो तो शलाका को खुद चोदना चाह रहा था लेकिन शलाका की मर्जी से … क्योंकि उसे रोज उसकी चुदाई करनी थी और उसकी मदद से और भी खेल खेलने थे।

संजू ने शलाका को पकड़ के अपने लंड की ओर झुकाया.
शलाका थोड़ी झिझकी लेकिन जिस राह पर उसने अपनी कामवासना के कारण कदम बढ़ा दिये थे, वहां से अब लौटने की कोई संभावना नहीं थी।

उसने संजू के लंड की सुपारी को मुंह में लिया और जुबान को गोल गोल घुमा के करंट दौड़ाना प्रारंभ किया.
संजू का लंड तन्नाने लगा, उसने अपने लंड को थोड़ा चिकना करा, शलाका की चूत में भी ऊंगली से चिकनाई लगाई.

फिर अपने लंड का मोटा सुपारा चूत के बीच में रखा और दबाव डालना शुरू किया.
चूत भी संजू के लंड के स्वागत में खुल गई, खिल गई।

लंड शलाका की कुंवारेपन की निशानी तक पहुंच के रुक गया।

संजू ने शलाका को कहा- शलाका, बधाई हो … तुम अब कली से फूल बनने वाली हो!
शलाका ने कहा- संजू, मुझे खुशी है कि मेरी चूत की कौमार्य झिल्ली तुम्हारा लंड तोड़ रहा है, तुम्हें भी बधाई हो।

“तो फिर ये ले!” कह के संजू ने शलाका का अनमोल कौमार्य भंग कर दिया.
शलाका की चूत में दर्द की एक लहर उठी, उसके मुंह से घुटी हुई सी चीख निकली.

लेकिन कुछ ही मिनटों में दर्द गायब हो गया और चूत चुदाई के लिए मचलने लगी.
एक कमसिन चूत की चुदाई शुरू हुई, कमसिन मगर मजबूत लंड से … हर धक्के से शलाका की चूत में से मस्ती की लहर उठके उसके मस्तिष्क तक जा रही थी।

आज उसे पता चला कि मस्ती और इश्क से मिल कर ही मस्तिष्क बना है।
चूंकि एक बार पहले लंड ने लावा उगल दिया था इसलिए इस बार शलाका की चूत को जबरदस्त लंबी चुदाई मिली.

जब उसका क्लाइमेक्स नजदीक था तो वो बोल पड़ी- संजू जोर से … संजू और तेज … संजू रगड़ दे कस के … संजू … संजू!
इतना कहते उसकी चूत से मस्ती का एक दरिया बह निकला।

संजू भी शलाका की चूत में बहुत गहराई में अपने लंड का पूरा तनाव त्याग चुका था।
वे दोनों मस्ती में चूर थे; एक दूसरे को बांहों में भींचे दोनों निद्रा की गोद में समा गए।

सुबह 5:00 बजे संजय की नींद खुली तो वह उठ के अपने कमरे की ओर जाने लगा.

उसकी जिज्ञासा हुई कि जरा पापा और सपना के कमरे में क्या चल रहा है, उसका भी जायजा लिया जाए.
क्योंकि उन के कमरे की लाइट जल रही थी एवं कुछ अस्पष्ट आवाजें भी सुनाई दे रही थीं.

उसने दरवाजे पर कान लगाए.
सपना कह रही थी- यार … रात में ही तो गांड मारी थी, चूत चोद लो न! ऐसा क्या गांड का शौक लग गया तुमको? मेरी चूत की चुदाई के लिए क्या मैं किसी और के लंड का इंतजाम करूं? तुम कहो तो संजय से चुदवा लूं?

यह सुनकर शेखर तो दंग रह गया.
उसे अपनी दबी हसरत के इजहार करने का मौका मिल गया.

सपना से शादी के पहले उसकी नजर उसकी अधखिली बेटी शलाका पर थी.
कामुक मर्द को तो हर लड़की, हर औरत को देख कर केवल उसे चोदने का ख्याल आता है।

वो बोला- अच्छा तू संजू से चुदवाएगी तो फिर मैं अपना ये भूखा लंड क्या शलाका की चूत में डालूंगा?

यह सुनकर संजय का तो दिमाग सुन्न हो गया, जो कुछ उसके दिमाग में चल रहा था, वह तो इन दोनों के दिमाग में भी चल रहा है.
उसको लगा कि पहले उसकी चुदाई योजना जितनी मुश्किल उसको लग रही थी, उतनी है नहीं!

अब केवल शलाका को तैयार करना था.
और शलाका जैसा कि उसने कल रात पाया, वो उसके साथ किसी भी हद तक जाने को तैयार है.
तो अब घर के अंदर ही कामवासना के ऐसे ऐसे खेल खेले जाएंगे जिनकी कल्पना मात्र से उसके पूरे तन बदन में सनसनी सी होने लगी.

वो उल्टे पैर शलाका के कमरे में लौटा।

उसका लंड, शेखर और सपना की बातें सुनने के बाद में बहुत बुरी तरह अकड़ चुका था.
शलाका पूरी तरह नंगी, बेसुध सो रही थी.

संजू उसके पास पहुंचा और उसने शलाका के पैर फैलाए, खुद घुटने के बल हुआ और अपना लंड शलाका की चूत के बीचोंबीच रखकर एक करारा धक्का लगाया.

शलाका की नींद खुल गई, वह चौंक पड़ी- अरे यार संजू, सुबह-सुबह ये क्या कर रहे हो? रात में दो बार हल्के होने के बाद भी तुम्हारा मन नहीं भरा क्या?
तो संजू बोला- अरे … सुबह-सुबह तो हर मर्द का लंड तन्नाता है. सुबह-सुबह चुदाई का सबसे अधिक मजा आता है.

फिर वह बोला- और मैं तुझे एक लतीफा भी सुनाना चाहता हूं!
शलाका बोली- लतीफा? इस समय यह लतीफा कहां से आ गया?
संजू बोला- सुन तो सही, उसको सुन के चुदाई का मजा और बढ़ जाएगा।

शलाका ने कहा- ठीक है, चलो सुनाओ!

संजू ने कहा- एक बहन ने अपने भाई से चूत चुदवाते हुए कहा कि भैया, तुम्हारा लंड तो पापा के लंड से भी ज्यादा बड़ा है. इस पर भाई ने जवाब दिया कि हां, मम्मी भी यही कह रही थी।
शलाका ने कहा- यह लतीफा है? इससे ज्यादा गंदा दुनिया में कुछ हो सकता है कि एक बेटी अपने पापा के लंड से चूत चुदवाए और एक मां अपने बेटे के लंड से?

संजू बोला- गंदा? अरे यह तो वासना का सबसे हसीन खेल है, मस्ती की पराकाष्ठा, कामुकता का चरम! मैं तो अपने कमरे में जाकर सोने वाला था पर पापा के कमरे से यही सब सुनकर तो मैं आ रहा हूं.
इतना कह के उसने शलाका को पूरी बात बता दी।

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