हवेली का चौकीदार- 1

(Husband And Wife Sex)

हस्बैंड एंड वाइफ सेक्स कहानी में मैं अपने गाँव की हवेली के आंगन में अपने पति से चुदाई करवा रही थी. खुले आसमान के नीचे मैं नंगी चुद रही थी कि मुझे छत पर चौकीदार दिखाई दिया.

सभी पाठक गणों को प्रकृति शांडिल्य का प्यार भरा नमस्कार।

मेरी पिछली कहानी थी: पति की बेरुखी से मैं फिसल गयी

यह कहानी सुनें.

मैं आपके लिए वसुंधरा सीरीज की कहानियां लेकर आ रही हूं।
मेरी यह कहानी वसुंधरा सीरीज की चौथी कथा है।
उम्मीद करती हूं कि आपको ये पसंद आयेगी।

चलिए शुरू करते हैं हस्बैंड एंड वाइफ सेक्स कहानी।

दोस्तो, मैं वसुंधरा!
मैं फिर आई हूं अपनी आपबीती लेकर!

मेरी जिंदगी में अब तक कई पुरुष आ चुके थे और अब मेरी प्यास कुछ ज्यादा ही बढ़ चुकी थी।
मुझे अब मर्दों का चस्का लग चुका था।

मैं अब विकास के साथ खुलकर संभोग करती थी और उन्हें भी मेरे इस परिवर्तन से बहुत खुशी होती थी।

जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मेरे पति विकास एक एम एन सी में जॉब करते हैं और अक्सर उनके पास हमारे लिए समय नहीं होता है।

हम जमींदारों के खानदान से संबंध रखते हैं और हमारी गांव में काफ़ी जमीन है और हमारा पुश्तैनी मकान भी है।
गांव के लोग विकास को ठाकुर साहब और मुझे ठकुराइन कहते हैं।

लेकिन गांव में कोई रहता नहीं है इसलिए मकान गांव के ही एक लड़के के हवाले रहता है, जिसका नाम राजू है.
वह वहां का केयर टेकर है और वहां की गौशाला में अपना तबेला भी चलाता है।

राजू विकास को भईया और मुझे भौजाई कहता है।

वह एक 28 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है और वो अकेले ही तबेले और हवेली को संभालता है।

एक बार जमीन के सिलसिले में मेरा और मेरे पति का गांव जाना हुआ।
गांव पहुंचकर मैं और मेरे पति उसी पुश्तैनी मकान में रुकने वाले थे।

हमारे आने की खबर पाकर राजू ने पहले ही हवेली की साफ सफाई करवा दी थी और हमारे रुकने की अच्छी व्यवस्था की थी।

खैर आते आते शाम हो गई थी इसलिए रात का खाना पीना करके हम दोनों हवेली में ही सो गए।

राजू हवेली के पीछे बने गौशाला के पास सोता था इसलिए वह भी वहीं सो गया।
कमरे में बहुत गर्मी थी इसलिए मुझे बड़ी मुश्किलों से नींद आई।

अगली सुबह हमें अपने खेतों का मुआयना करने जाना था।

मेरे पति अपनी कुछ जमीन बेचना चाहते थे इसलिए पहले हमारा मुआयना करना जरूरी था।

राजू के साथ हम दोनों खेतों की तरफ गए और जाकर अपनी जमीन का मुआयना किया।

लेखपाल की मौजूदगी में सारी नपाई की गई और फिर खरीददार पार्टी से फोन पर बात हुई, उन्होंने 4 दिन बाद आने की बात कही।
क्योंकि हम गांव एक हफ्ते के लिए आए थे इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं थी।

इसी तरह हमारा दिन निकल गया और फिर रात आई।

क्योंकि हम दोनों ही पूरी हवेली में अकेले थे इसलिए आज मेरा दिल कुछ मस्ती करने का कर रहा था।
मैंने आज अपने पति से कहा- क्यों न आज हम आंगन में सोएं क्योंकि कल रात गर्मी बहुत ज्यादा थी।

मेरे पति ने राजू को आवाज दी।

राजू आया और पूछा- क्या हुआ भैया, आपने मुझे इस वक्त बुलाया?
विकास ने कहा- राजू, आज तुम्हारी भाभी बहुत गर्मी लग रही है, तुम हमारा बिस्तर यहीं जमीन पर लगा दो, कुछ राहत मिलेगी।

राजू ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और कहा- अब भौजाई को गर्मी लग रही है तो गर्मी का इलाज तो करना पड़ेगा ना!
उसने मुझे देखकर मुस्कान दी और फिर आंख मारी।

मैं कुछ न बोली और शर्मा कर नजर नीची कर ली।

राजू हमारे कमरे में गया और फिर हमारे गद्दे निकाल कर आंगन में जमीन पर लगा दिए और हमारा बिस्तर तैयार कर दिया।

उसके बाद राजू चला गया।

मैं विकास के साथ लेटी थी और हम सोने की तैयारी कर रहे थे।

आज मेरा मन सेक्स करने का कर रहा था लेकिन विकास कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे।
इसलिए मैंने उन्हें उत्तेजित करने का फैसला किया।

मैंने अपनी साड़ी उतार दी और पेटिकोट ब्लाउज में आ गई।
फिर मैंने धीरे धीरे विकास के सीने को सहलाना शुरू किया।

विकास मेरे इरादे समझ गए और बोले- डार्लिंग, आज मैं बहुत थका हुआ हूं, प्लीज हम कल करें?
मैं नाराज होकर बोली- आपका रोज का यही हाल है, एक तो घर पर नहीं रहते हो ऊपर से तुम्हारी थकावट! अगर मुझसे प्यार नहीं था तो शादी ही क्यों की?

विकास मेरी बात सुनकर हंस पड़े और कहा- अच्छा बाबा सॉरी, मेरी गलती है कि हम अपनी बीवी को खुश नहीं रख पाते हैं।
यह कहकर उन्होंने मेरे होंठो को चूमना शुरू कर दिया ‘उउम्ह उउम्ह्ह’
मैं भी इस काम में उनका बखूबी साथ दे रही थी।

कुछ देर के चुम्बन के सिलसिले के बाद मैंने अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए और विकास मेरे स्तनों को चूसने लगे।
मेरे स्तनों को पीने के बाद उन्होनें अपना पजामा उतार दिया और मैंने उनके लिंग को चूसना शुरू कर दिया।

क्योंकि हमारे बीच अक्सर ऐसा होता रहता था इसलिए मेरे लिए उनका लिंग कोई विशेष नहीं था।

कुछ देर तक उसे गीला करने के बाद मैंने अपनी पैंटी उतार दी जिसे मैंने पेटीकोट के नीचे पहना हुआ था।

अब मेरे जिस्म पर पेटीकोट और ब्लाउज थे जिसके हुक खुले हुए थे।

मैं बिस्तर पर लेट गई और विकास ने मेरे पेटिकोट को ऊपर उठा दिया।

मेरी चूत पर थूक लगा कर विकास ने अपना लंड अंदर डाला और उसे आगे पीछे करने लगे।

मेरी आंखे इस अहसास से बंद हो गई और मैं धीरे धीरे आहें भरने लगी- उफ विकास, चोदो मेरी मुनिया को … आह!
इस तरह के अश्लील वाक्य मेरे मुंह से निकलने लगे।

इस दौरान मैं एक बार झड़ गई लेकिन विकास ने ये सब जारी रखा।
काफी देर बाद विकास भी झड़ने की कगार पे आ गए और मेरी चूत में ही झड़ गए।

जब उनका गर्म वीर्य मेरी योनि में भर गया तो मैंने आंख खोली तो छत पर कोई दिखा.
कद काठी से वह राजू लग रहा था।

मैं उसे गौर से देखने का प्रयास करने लगी.
लेकिन हल्की चांदनी की वजह से मुझे उसका चेहरा साफ़ नहीं दिखा लेकिन कद काठी से मैं ये समझ चुकी थी कि वह राजू ही है।

मेरे दिल में शरारत सूझी इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा और पतिदेव को अपने ऊपर लिटा लिया.
उनको भनक भी नहीं लगी कि कोई हमें इस हालत में देख रहा है।

जैसे ही राजू को आभास हुआ कि मैं उसे देख चुकी हूं, वह दबे पांव वहां से निकल गया और अपनी खाट पर लेट गया।

मेरा मन संतुष्ट तो नहीं हुआ था लेकिन मैंने अब विकास को जगाना उचित नहीं समझा और फिर उसी के साथ उसी अवस्था में सो गई।

अगली सुबह हम दोनों मियां बीबी नंगे ही सो रहे थे।

सुबह के 7 बजे थे।
सूरज निकल रहा था और उसकी रोशनी हमारे आंगन में आने लगी थी।

इतने में ही हमारे दरवाजे पर दस्तक हुई तो हमारी आंख खुली।
मैंने झट से अपने कपड़े उठाए और पास बने कमरे में घुस गई।

विकास ने भी अंडरवियर पहनी और जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने राजू खड़ा था।

राजू के हाथ में एक जग था, वह हमारे लिए दूध लाया था।

राजू ने अन्दर झांका तो मैं उसे नहीं दिखी।
कल रात में मेरी ठुकाई देखकर जरूर उसका दिल नहीं भरा था।

राजू दूध देकर चला गया और फिर हम दोनों अपने काम काज में लग गए।

फिर हम दोनों कुछ देर के लिए खेतों की तरफ गए।

वहां विकास के पास उसकी कम्पनी का कॉल आया था कि उसे दिल्ली आना होगा क्योंकि अप्रेजल होने वाला था और उसके प्रमोशन के पूरे आसार थे।

विकास ने मुझे बुझे मन से बताया कि उसे कल दिल्ली के लिए निकलना होगा।

हमारी जमीन की डील दो दिन बाद होने वाली थी इसलिए विकास ने मुझे गांव में ही रुकने को कहा।

मैंने हामी भर दी और घर वापस आ गए।

रात को हम दोनों फिर से आंगन में लेटे।

मुझे पता था कि आज भी राजू हम दोनों को देखेगा.
लेकिन मुझे तो मजा आ रहा था इसलिए मैंने आज रात फिर से पतिदेव को गर्म करने का फैसला किया।

क्योंकि कल उन्हें जाना था इसलिए वे भी आज पूरे दिल से मेरी फुद्दी मारना चाहते थे।

मैंने उनको रोका और कहा- 10 बज जाएं तब करिएगा क्योंकि तब तक गांव के लोग सो जाते हैं।

उनको मेरी बात ठीक लगी और रात 10 बजे के करीब हमारी रतिक्रिया शुरू हुई।

छत पर कुछ आहट सुनाई दी तो मैं समझ गई कि अब राजू छत पर आ गया है।

आज रात मैं राजू को पूरी तरह से अपना बेशर्म रंग दिखाना चाहती थी।

मैंने खुद ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और जन्मजात नंगी हो गई।
मेरा गोरा बदन चांदी की तरह चमक रहा था।

मैंने विकास का लंड चूसना शुरू किया।
मैं जोर जोर से विकास का लंड चूस रही थी और मुंह से ‘ऊंह ऊऊउम्म’ की आवाजें निकाल रही थी.
आज मेरी आवाज कुछ तेज थी ताकि ऊपर बैठा राजू भी अच्छे से सुन सके।

लंड चूसने के बाद मैंने विकास को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर 69 पोजीशन में आ गई।
मैं अच्छे से उनके लंड को चूस रही थी और विकास भी अच्छे से मेरी चूत चाटने में लगे थे।

इसके बाद मैं उनके लंड को पकड़ कर अपनी योनि पर सटाया और एक झटके में वो मेरी चूत में घुस गया।

मेरे मुंह से तेजी से आहें निकल रही थीं और मैं जोर जोर से धक्के लगा रही थी।

इस तरह चोदते हुए 10 मिनट हुए थे और विकास स्खलित होने वाले थे.
इसलिए मैंने उनके लंड को चूत से निकाल दिया और उसे चूसने लगी।

विकास का वीर्य मेरे मुंह में ही छूटा और वे हांफने लगे।

मैंने भी खुद को उनके बगल में लिटा दिया और एक हाथ से उनके लंड को सहलाने लगी।
इस दौरान मैंन्र चोर नज़रों से छत पर बैठे राजू को देखा।

वह चारदीवारी की आड़ में छुपा हमारी रतिक्रीड़ा देख रहा था।

फिर जब विकास का लंड तैयार हुआ तो हमने फिर से चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दिया।

पूरी रात हमने 3 बार चुदाई की और सुबह 3 बजे तक हमारी मस्ती चली।

इसके बाद हम दोनों सो गए।

अगले दिन सुबह हम दोनों उठे और मैंने उनके लिए नाश्ता बनाया।
नाश्ता कर के विकास जाने की तैयारी करने लगे।

राजू उनके साथ उन्हें स्टेशन पर छोड़ने जाने वाला था।

उन दोनों को विदा कर के मैं लेट गई और मेरी आंख लग गई।

उठी तो अब तक सुबह के 11 बजे थे।
राजू विकास को छोड़कर वापस लौट आया था और गौशाला के पास बैठा था।

मुझे शरारत सूझी।
मैं राजू को छेड़ना चाहती थी इसलिए मैंने एक प्लान बनाया।

मैंने अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार दिया और सिर्फ पेटिकोट से अपना वक्ष स्थल ढक लिया जैसे अक्सर गांव की महिलाएं नहाते वक्त कर लेती हैं। मेरी आधी नंगी चूचियां और आधी नंगी जांघें प्रदर्शित हो रही थी.

मैं अपनी इस हरकत से मन ही मन बहुत उत्तेजित हो रही थी.

मैं वैसे ही राजू के पास पहुंची तो वह मुझे देखकर हैरान रह गया।
मेरा चांदी सा जिस्म उसके सामने था और मेरे पेटीकोट से मेरी वक्षरेखा झलक रही थी।

राजू ने मुझे देखा तो ऊपर से नीचे तक निहारता रहा।
फिर कामुक अंदाज़ में बोला- क्या भौजी, आज खेतों में जाकर नहाने का इरादा है क्या? कहो तो ट्यूबवेल चला दें?

मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और कहा- अरे नहीं रे … खेतों में नहीं यहीं घर पर नहाऊंगी.

जब मैं नहाने बैठी तो देखा कि साबुन खत्म हो गया है.
“तुम मेरे लिए नहाने वाला साबुन ला दो।” यह कहकर मैंने राजू के हाथ में 100 का नोट रखा।

राजू ने मुस्कुरा कर कहा- वैसे आप जैसी गोरी गोरी भौजाई को साबुन में मजा नहीं आयेगा, आप कहो तो गाय का कच्चा दूध भिजवा दूं, उसी में नहा लीजिए, आप का गोरा बदन और निखर जाएगा।
मैंने कुछ नहीं कहा और हंसकर राजू की बात को टाल दिया।

प्रिय पाठको, मेरी यह हस्बैंड एंड वाइफ सेक्स कहानी पढ़ कर आपको आनन्द मिला होगा.
आप अपने विचार मुझे बताएं.
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हस्बैंड एंड वाइफ सेक्स कहानी का अगला भाग: हवेली का चौकीदार- 2

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