नया मेहमान-1

(Naya Mehman-1)

This story is part of a series:

तमाम पाठकों को रोनी सलूजा का प्यार भरा नमस्कार !

मेरी पहले की कहानियों की तरह पिछली कहानी ‘रिया की तड़प‘ को काफी सराहा है आप सभी ने ! इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद।

कहानी समस्याग्रस्त रिया की आपबीती एवं सच्ची कहानी है जिसे मैंने अन्तर्वासना तक प्रकाशित होने के लिए भेजा था।
उसकी समस्या का हल के लिए लगभग पाँच सौ ईमेल आये जिन्हें मैंने रिया को प्रेषित कर दिए, जिनमें 60% बहुत ही अच्छे जबाब थे, जिनका सार था रिया अपने पति को सब सच बता दे फिर उससे माफी मांग कर नए सिरे से जिन्दगी शुरू करे, रिया का फिर से घर बस जाये उसका पति उसे माफ़ कर देगा, इन सभी की यही कामना है।

बाकी 40% लोगों का नजरिया अलग अलग था, कुछ लोग रिया से फोन पर बात करना चाहते हैं, कुछ लोग रिया से सेक्स करना चाहते हैं, कुछ लोग रिया को स्वछन्द जिन्दगी जीने की सलाह देते हैं, कुछ लोग रोनी को रिया समझ कर मुझे मेल भेज रहे हैं। रिया का घर बस जाये यही हमारी भी दुआ है।

अब मैं अपनी नई कहानी पर आता हूँ।
आप सभी को पहले भी बता चुका हूँ कि मैं भवन निर्माण कार्य का ठेकेदार हूँ, गाँव का रहने वाला हूँ, पढ़ाई पूरी करने के बाद मध्यप्रदेश के एक शहर में किराये के मकान में अपनी बीवी के साथ रहता हूँ, यहीं अपने काम में मस्त रहता हूँ।

बात उस समय की है जब मेरी बीवी, जिसे प्यार से मैं जानू बुलाता हूँ, की डिलीवरी होना थी, बारिश का समय था, रात में अचानक उसे दर्द उठने लगा, वैसे तो पिछले चार दिनों से दर्द हो रहा था पर आज कुछ ज्यादा ही तकलीफ हो रही थी, योनि से पानी का रिसाव भी हो रहा था।

मैं भागकर रिक्शा लेकर आया फिर अपनी जानू को लेकर पास के प्राइवेट महिला नर्सिंग होम लेकर गया। डॉक्टर ने चेकअप करके बताया सब ठीक है प्रसव का समय हो गया है, एक आध घंटे में नया मेहमान आ जायेगा।

मैं तो ख़ुशी से पागल हुआ जा रहा था। डॉक्टर द्वारा लिखे पर्चे का सारा सामान दवाइयाँ लाकर अस्पताल में दे दिया, फिर अपने साले को फोन से सारी सूचना दे दी।

चूँकि साला अपनी पत्नी यानि मेरी सलहज और 5 साल के बेटे के साथ वहाँ से 15 किलोमीटर रहता है। उसे अभी आने को मना कर सुबह आने को कह दिया, सोचा रात जागरण मेरा तो होगा ही, उन्हें क्यों इतनी रात गए परेशान करें।

रात 12.30 पर डॉक्टर ने बधाई दी, कहा- पुत्र रत्न हुआ है।

थोड़ी देर बाद मुझे मेरी पत्नी से मिलने दिया, बहुत ख़ुशी हो रही थी, सारी रात आँखों ही आँखों में निकल गई, सोचा, चलो सुबह साला आ जायेगा तो घर जाकर थोड़ी देर सो लूँगा, शायद अपनी पत्नी रेखा को भी साथ लेकर आएगा।

बार बार सलहज का चेहरा नजर आ रहा था, गजब की कशिश थी उसमें, भगवान ने बड़े ही फुर्सत के समय में गढ़ा था उसको !
रंग ज्यादा गोरा नहीं है, गेहुँआ सा है, खास बात तो उसके शारीरिक गठन में है चेहरा गोल, उस पर बड़ी बड़ी कजरारी आँखें, बेदाग गाल, जब हँसती तो गाल में गड्डे पढ़ जाते, रसीले होंट, नाक में गोल नथ सानिया मिर्जा की तरह, ऊपरी होंट पर काला तिल कितना कातिल है यह उसे भी नहीं पता होगा।
उस पर काली घनेरी जुल्फें जब चोटी बनाकर चलती तो मटकते नितम्बों पर बारी बारी से ऐसे टकराती जैसे नागिन डस रही हो उसे, और घायल देखने वाले हो जाते हैं।
कद 5’3’, बदन का आकार 34-30-36 होगा, एक बच्चा होने के बाद भी उसके स्तन गगनचुम्बी प्रतीत होते थे, भरे और फ़ूले हुए कठोर मौसंबी के तरह।
लगता है हमारा साला इनका इस्तेमाल ही न करता हो। पेट सपाट, कूल्हे चौड़े मांसल, गठे हुए नितंब जो चलते समय ऐसे मटकते की देखने वाला अपनी सुध ही खो दे।
नितम्ब देखकर जांघो का अनुमान भी अपनी कल्पना में लगा चुका था। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसे देख कई बार अपने आप को नियंत्रित करना मुश्किल होता था।

एक बार ससुराल की होली पर रेखा भाभी ने मुझ पर बाल्टी भर रंग डाल दिया, फिर दौड़ कर रसोई में भाग गई पीछे से मैं रंग लेकर दौड़ा और वहीं उसे पकड़ कर सूखा रंग उसके सर पर डाल दिया।

जो बचा था उसके चेहरे पर डालने के चक्कर में गले पर गिर गया और ब्लाउज़ के अन्दर भी भर गया।

उस दिन पहली बार उसे छुआ था, मेरा सारा शरीर झनझना गया था फिर एक जग पानी उसके ऊपर डाल दिया, अब वो रंग में नहा गई थी, क़यामत से कम नहीं लग रही थी। रंग से गीली चोली देख मेरे तो होश ही उड़ गए थे, कहने लगी- जीजाजी, आपने मेरे सारे के सारे कपडे ख़राब कर दिए, अब आप से नए कपड़े लूंगी।

मैंने कहा- चलो, अभी दिला देता हूँ।

फिर वो हंस कर बाथरूम में घुस गई। मैं बैठकखाने में अन्य रिश्तेदारों के साथ आकर बैठ गया।

अपने दायरे में रहकर सब मस्ती कर रहे थे। उस दिन बड़ा आनन्द आया, नहाने के बाद भी सलहज रंग पूरा छुटा नहीं था, उसका रूप बड़ा ही दिलकश लग रहा था, सोच रहा था कि इसको चोली दिलाने का मौका कब मिलेगा, फिर बात आई गई हो गई।

कभी कभी उसके मजाक को देख उस पर शक होता था कि मेरी प्यारी सलहज के दिल में भी मेरे लिए कुछ है, फिर लगता कि शायद मेरा वहम हो।

लेकिन अपने मन में किसी के प्रति कुछ सोचना मेरी नजर में गुनाह नहीं है, चेष्टा करने की जरूरत मैंने नहीं समझी क्योंकि हमारा रिश्ता मजाक तक तो जायज था। फिर अपनी इज्जत अपने हाथ रहे, यही सोच कभी भी गलत बात या विचार उसे महसूस नहीं होने दिए।

सलहज के ख्यालों में खोये हुए कब सुबह हो गई, पता ही नहीं चला, सोचा, बाहर जाकर टहल लूँ।

कुछ ही देर में हमारे साले साहब आ गए, साथ में थी उनकी सजी संवरी धर्मपत्नी यानि मेरी प्यारी सलहज !

आते ही साले साहब बधाइयाँ देकर अपनी बहन और भांजे को देखने अस्पताल के अन्दर चले गए।

सलहज रेखा ने हाथ बढ़ा कर मुझे बधाई दी, यह मेरे लिए अप्रत्याशित था, इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी कि जिस हसीन सलहज के सपने से अभी जागा था, वह अपना हाथ मेरे हाथ में कुछ इस तरह दे देगी, उसका हाथ पकड़कर मैं खो सा गया, मुझे कुछ याद ही नहीं रहा कि हम सड़क पर खड़े हुए हैं।

तभी मेरे कानों में खनकती आवाज पड़ी- जीजाजी, क्या हुआ? मेरा हाथ नहीं छोड़ेंगे क्या?

तब मैंने हाथ छोड़ते हुए भाभी सॉरी कहा, फिर मैंने बताया- रात भर जगता रहा हूँ इसलिए नींद सी आ रही है। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

अपनी सलहज रेखा को मैं भाभी संबोधन करके बात करता था। रेखा भाभी पढ़ी लिखी थी इसलिए उन्होंने हाथ मिलाकर बधाई दी होगी यह सोच कर अपने दिलोदिमाग को किसी गलत फहमी का शिकार होने से रोक भाभी को अन्दर अस्पताल में ले गया।

साले साहब भांजे को बाँहों का झूला झुला रहे थे, भाभी भी उनके साथ मग्न हो गई, मुझे अपने आप में कुछ ग्लानि सी हो रही थी कि मैं यह क्या कर बैठा, सहृदयता का बदला हवस से?

शांत बैठा यही सोच रहा था कि साले साहब बोले- आप चाय नाश्ता कर लो, फिर मेरी बाइक लेकर घर चले जाओ, आराम कर लेना, हम लोग यहाँ रुके हैं, चिंता मत करना।

मैंने कहा- ठीक है !

मैं नाश्ता करके घर चला गया, जाकर नहाया, फिर सोने के लिए पलंग पर लेट गया और प्यारी सलहज के बारे में न चाहते हुए फिर सोचने लगा। कब नींद लगी, पता नहीं चला !

कहानी जारी रहेगी, अपने विचार मुझे भेजें !
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