ससुराल में जीजा साली की अन्तर्वासना -1

(Sasural Me Jija Sali Ki Antarvasna- Part 1)

रेनू रवि 2016-09-15 Comments

This story is part of a series:

यह कहानी मेरे पति रवि के दोस्त विकास की है।
विकास के सास ससुर देहरादून में रहते थे और इन दिनों कुछ बीमार से चल रहे थे।
एक दिन विकास हमारे घर पर आया और कहने लगा कि उसके ससुर बीमार है और मदद के लिए दो महीने के लिये उसे और अंशिका को बुला रहे हैं।
अंशिका यानि विकास की पत्नी!

रवि ने हैरानी से कहा- तू दो महीने की छुट्टी लेगा तो नौकरी चली जायेगी।
विकास कहने लगा- यही बात मैं अंशिका से कहता हूँ तो वो बुरा मान जाती है।

मैंने विकास से कहा- अंशिका की एक शादीशुदा छोटी बहन भी तो है, उसका परिवार चला जाये?
विकास कहने लगा कि अंशिका कहती है कि वो बड़ी है और उसकी जिम्मेदारी भी बड़ी है इसलिये विकास को ही देहरादून जाकर पापा की देखभाल करनी चाहिये।

खैर मैंने खुद अंशिका को समझाया। अब तय यह हुआ कि विकास एक महीने तक देहरादून में रहेगा और अंशिका दिल्ली में ही अपने बच्चे की देखभाल करेगी।
बाद में एक महीने के लिये अंशिका की बहन नीति रहने जायेगी।

अगले दिन विकास देहरादून पहुँच गया।
उसे अकेला देख कर सास नाराज होने लगी कि अकेले से क्या होगा, अंशिका क्यों नहीं आ रही है।

विकास ने मजबूरी बताई तो सास बोली- मैं नीति को बुला लेती हूँ।
उन्होंने तुरंत नीति को फोन मिलाया और देहरादून आने का आदेश सुना दिया।

नीति अंशिका से आठ साल छोटी थी… अंशिका के मुकाबले उसका शरीर गदराया हुआ था, वो अपने जीजा विकास से काफी खुली हुई थी।
बीमारी के बाद भी विकास के सास-ससुर रोजाना काम पर निकल जाते थे और नीति को घरेलू काम की एक लिस्ट थमा जाते थे।

नीति और विकास दिन भर उन्हीं काम को निपटाया करते थे।

पंद्रह दिन बीतते बीतते विकास भुनभुनाने लगा, उसने अंशिका को फोन किया और बोला ..क्या यही करने के लिये वो देहरादून आया था।
अंशिका का जवाब था- सेवा करो, कोई सेवा छोटी बड़ी नहीं होती है।

देहरादून में विकास को रहते हुए काफी दिन बीत चुके थे, सुबह सुबह उठते ही सास ने विकास को बाहर का काम बता दिया।
वो चाय पीकर काम पर निकल गया।

वापस लौटा तो दस बज गये थे, दरवाजे पर ही सास मिल गईं, कहने लगीं काम की एक लिस्ट नीति को दे दी है, वो भी निपटा देना।

‘ठीक है मम्मी जी…’ कह कर विकास घर में घुसा तो भीतर से उसे नीति की आवाज सुनाई पड़ी- जीजू किवाड़ की कुंडी लगा देना।

विकास ने किवाड़ की कुंडी लगाई और भीतर आया।
नीति अंदर कमरे में थी, विकास ने बाहर से पूछा- क्या काम बाकी रह गया है?
नीति बोली ..इतनी भी जल्दी क्या है, भीतर आकर पूछ लो!

नीति की बात सुनकर विकास कमरे के भीतर आ गया।
अंदर का नजारा देख कर वो हैरान रह गया।

नीति अभी नहा कर अंदर आई थी, उसने पैंटी पहन रखी थी और अपनी ब्रा का हुक लगाने की कोशिश कर रही थी।
उसकी पीठ विकास की तरफ थी।

नीति की अधनंगी हालत देख कर विकास के माथे पर पसीना आ गया।
पैंटी भी क्या थी… नीति के कूल्हों पर पैंटी की एक डोरी ही थी।

उसने थूक निगलते हुए पूछा- नीति, तुम्हें मेरे सामने इस नंगी हालत में शर्म नहीं आ रही?
विकास की बात सुनकर नीति पलट गई और बोली- जिसने की शर्म.. जीजू उसके फूटे करम…

नीति की पैंटी में आगे की तरफ सिर्फ उतना ही कपड़ा था जिससे उसकी चूत की दरार छिप जाये।
उसकी ब्रा भी गजब की थी, उससे उसकी चूचियों के काले एरोला यानि चूचुक ही छिप रहे थे।
36 इंच की साइज वाली कड़क चूचियाँ!

नीति अभी भी ब्रा का हुक लगाने की कोशिश कर रही थी, उसके दोनों हाथ पीछे की तरफ थे। इस कोशिश में उसकी चूचियां ज्यादा ही तन गईं थीं।

नीति की बेशर्मी देख कर विकास की सांसें तेज हो गई थी, उसने पूछा- क्या सामान लाना है?
उसकी निगाहें नीति की चूचियों पर टिकी हुईं थीं।

नीति मुस्कराते हुए बोली- अभी तो दो किलो दूध ले आओ!
विकास मुस्कराते हुए बोला- दूध भी बाहर से लाना पड़ेगा साली जी?
‘हाँ जीजू, चाय तो बाहर बाले दूध से ही बनती है… और जीजू तुम ये क्या टुकुर टुकुर देख रहे हो? क्या दीदी की चूचियां नहीं देखी हैं?’

अब विकास ने भी खुल कर कहा- पंद्रह दिन से तेरी दीदी नहीं मिली है, अब कहाँ से देखूं चूचियां… दिल्ली में तो रोज पीने को मिल जाती थीं।

नीति ने गहरी सांस लेते हुए कहा- बस पंद्रह दिन? हमसे पूछो… तुम्हारे साढ़ू भाई रमेश ने तीन महीने का व्रत रखा है। पिछले दो महीने से मुझे छुआ भी नहीं है, पूरे शरीर से आग निकल रही है।

विकास की समझ में आ गया कि अब मामला आगे बढ़ सकता है, उसने कमरे से बाहर निकलते हुए कहा- अब नहाने के बाद ही दूध लेने जाऊँगा मैं!

नीति ने तुरंत कहा- बाथरूम में कपड़े फैले हैं, इसलिये जीजू, आपको आंगन में ही नहाना होगा।
‘आंगन में?’ विकास बोला- यार नीति, तुझे पता है कि नहाते समय मैं नंगा होता हूँ। यहाँ आंगन में कैसे नहाऊंगा।

नीति कहने लगी- नहा लो जीजू, मैं कमरे में रहूँगी। तुम बाहर नहा लेना। कोई बाहर का तो देख नहीं सकता है।

नीति की खिली जवानी देख कर विकास का लंड तन चुका था, उसने आंगन में ही कपड़े उतार दिये।

अचानक नीति भी आंगन में आ गई, उसने ब्रा पैंटी ही पहन रखी थी, विकास का लंड देख कर बोली- दीदी तो पागल हो जाती होगी जीजू…?!

उसकी बातों को अनसुना कर विकास ने नहाना शुरू कर दिया।
अचानक नीति ने कहा- जीजू.. पीठ पर मैल है साफ नहीं हो रही है मैं कर दूँ?

विकास का संयम अब जवाब देने लगा था, उसने कहा- ठीक है कर दे!
नीति आगे बढ़कर विकास की पीठ साफ करने लगी, उसकी गर्म सांसे विकास की पीठ से टकरा रहीं थीं।

पीठ पर साबुन लगाते लगाते उसने विकास को पीछे से जकड़ लिया और विकास के लंड पर साबुन लगाने लगी।
विकास ने भी उसे नहीं रोका।

नीति अब आगे की तरफ आ गई और लंड को धोने के बाद उसे मुंह में भर लिया।
उत्तेजना की वजह से नीति का मुंह पूरी तरह से गर्म था।
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विकास का लंड भी पंद्रह दिन से प्यासा था, विकास तड़फ उठा।
विकास ने नीति की तरफ हाथ बढ़ाया तो नीति बोली- जीजू अभी रहने दो.. ढाई महीने की प्यासी हूँ… जो करना हो बाद में कर लेना। ये तो अपना लंड कभी चूसने नहीं देते।

करीब पांच मिनट तक नीति विकास का लंड चूसती रही.. अचानक विकास के लंड से एक तेज धार निकली और नीति का पूरा चेहरा उससे सन गया।
नीति ने लंड को चाट चाट कर साफ किया और बोली- जीजू, अब कर लो अपनी मर्जी!

विकास का लंड शांत था लेकिन साली जी को पहली बार चोदना था, कुछ ऐसा करना था कि जिंदगी भर चूत देने को तत्पर रहे।

आखिरकार साली और भाभी की चूत के मुकाबले कोई चूत मजा नहीं देती, बीवी की तो कतई नहीं!

विकास ने नीति से कहा- कुछ गेम करूंगा।
नीति चहक कर बोली- आई लव गेम… इनको भी कुछ सिखा दो ना जीजू! बोलो, क्या करना है?

विकास ने नीति के दोनों हाथ बांधे और उन्हें ऊपर करके खिड़की से बांध दिये, उसका पूरा शरीर तना हुआ था।
उसने नीति के मुलायम होठों को पीना शुरु कर दिया।

धीरे धीरे हम दोनों की रफ्तार बढ़ने लगी।
साली की सांस बहुत तेज हो गईं थी, कहने लगी- जीजू… मार ही डालोगे.. अब जल्दी से चोद दो ना!
जीजू ने कहा- साली जी, ऐसी भी क्या जल्दी है, अभी तो आपको और भी गर्म करना है।

इसके बाद विकास ने उसकी ब्रा को पकड़ लिया।
नीति की समझ में आ गया था कि क्या होने वाला है, वो तुरंत बोली- जीजू, देखो फाड़ना मत..
विकास मुस्करा कर बोला- साली जी, अभी तो आपकी चूत फाड़नी है और आप ब्रा की चिंता कर रही हो…

उसने एक झटके में नीति की ब्रा फाड़ दी।
नीति बोली- बहुत कमीने हो जीजू.. तभी दीदी इतनी खुश रहती है।
नीति के दोनों कबूतर बाहर निकल चुके थे।

विकास ने फिर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये। उसके दोनों हाथ उसकी चूचियों पर थे और वो पूरी ताकत से उन्हें मसल रहा था।

नीति कराहने लगी थी- ..और कस कर मसलो जीजू… आज पता चला कि चूचियों के मसलने में क्या मजा आता है।

विकास ने अपनी ताकत बढ़ा दी थी, उसका लंड फिर फनफना उठा था और नीति की चूत से टकरा रहा था।
अब विकास ने नीति के होंठों को चूसना छोड़ दिया था, वो उसके पूरे शरीर को निहार रहा था।

नीति मुस्कराते हुए बोली- अब क्या इरादा है मेरे जीजू राजा…
विकास ने कहा- अब मैं तुम्हारा बच्चा बनूंगा।
‘मेरा बच्चा कैसे बनोगे..?’ नीति ने सवाल किया।

विकास ने नीति की एक चूची को मुंह में भर लिया और थोड़ी देर तक चूसने के बाद बोला- देखो बन गया न बच्चा..
इसके बाद उसने दूसरी चूची पीनी शुरू कर दी।

नीति की सिसकारियाँ बढ़ गई थी।
विकास ने एक हाथ से नीति की चूत को टटोला तो वहाँ गंगा जमुना बह रही थी।

चूत पर हाथ लगते ही नीति तड़फ उठी, वो कहने लगी- जल्दी से लंड डाल दो… नहीं तो शोर मचा कर मोहल्ले को जमा कर लूंगी जीजू।
विकास ने कहा- देख, तेरी ब्रा तो फाड़ दी है, अब तेरी पैंटी भी फाड़नी है!

और उसने एक झटके में नीति की चूत को बंधन से आजाद कर दिया।

उफ़्फ़… इतनी चिकनी चूत… विकास को अपनी बीवी की चूत याद आई जिस पर बालों का जंगल रहता था, बार बार कहने पर भी बीवी ने चूत के बाल साफ नहीं किये थे और यहाँ नीति थी जिसका पति उसे छूता भी नहीं था और उसकी चूत मक्खन जैसी चिकनी थी।
वाह रे भगवान… कैसी जोड़ियाँ बनाता है तू..

विकास नीचे झुका और नीति की चूत पर अपनी जीभ लगा दी।
नीति के हाथ बंधे हुए थे उसकी दोनों टांगो बुरी तरह से छटपटा रहीं थीं।

नीति कहने लगी- जीजू रोज मुझे चोदना… जी भर कर चोदना… आज पहली बार मजा दे रहे हो, मेरे हाथ तो खोल दो… अब कंट्रोल नहीं हो रहा है।

विकास ने उसके दोनों हाथ खोल दिये।
हाथ के खुलते ही नीति शेरनी बन गई, उसने वहीं आंगन में विकास को धकेला और उसके ऊपर चढ़ गई।

नीति की चिकनी चूत में विकास का लंड घुसा हुआ था और वो पूरी ताकत से झटके मार रही थी।
‘नीति, यह चीटिंग है…’ विकास ने कहा।
नीति बोली- लंड और चूत की लड़ाई में सब जायज है जीजू!

पांच मिनट के बाद नीति की चूत और विकास के लंड से धार निकलीं और दोनों जीजा साली चिपक कर वहीं लेट गये।

कहानी जारी रहेगी।
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