बिना सोचे समझे बहन के पति से चुद गई- 2

(Xxx Jija Sex Kahani)

गुप्त 8 2022-06-14 Comments

Xxx जीजा सेक्स कहानी में मैं एक बार अपनी छोटी बहन के पति से चुद कर मजा ले चुकी थी. उसकी बेरहम चुदाई से मुझे मजा भी बहुत आया तो …

यह कहानी सुनें.

नमस्कार दोस्तो, मैं सुधा फिर एक बार अपने एक हसीन इत्तफाक को बताने के लिए आप लोगों के सामने हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
छोटी बहन के पति के सामने नंगी हो गयी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बहन के पति मनीष ने मुझे चोद दिया था और मैं झड़ गई थी मगर वो अभी बाकी था.

अब आगे Xxx जीजा सेक्स कहानी:

मनीष ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे पीछे आ गया, उसने मुझसे चूतड़ों को ऊपर करने को कहा.
मैंने कर दिए.

उसने अपना लंड मेरी चूत में पीछे से घुसा कर धक्के देना शुरू कर दिया, साथ ही मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा.
पीछे से उसका लंड मुझे और भी मोटा लग रहा था.

मेरी चूत फट जाएगी ऐसा मुझे लगने लगा. मैं फिर से कराहने लगी- आहह ओह्ह ओह्ह मां मर गईईई … आह … कोई तो बचाओ आहह … इस जालिम से.

मैं जितना भी कराहती, मनीष उतना ही जोर से धक्का मार देता.

कुछ देर बाद मुझे उसने फिर से सीधा लिटा दिया और कमर के नीचे तकिया रख कर मेरी टांगें फैला दीं और लंड अन्दर घुसा दिया.
वो मेरे ऊपर लेट गया और धक्के देने लगा.

हमें चुदाई करते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था. मेरी चूत में अब जलन होने लगी थी. मुझे उसके धक्के असहय से लगने लगे और मैं सोचने लगी कि ये अब जल्दी से झड़ जाए.

उसके धक्के अब और तेज होते जा रहे थे, शायद वो अब झड़ने के करीब ही था.
मैं भी अब चाहती थी कि मैं भी दुबारा से मनीष के साथ ही झड़ जाऊं क्योंकि उस वक़्त साथ में झड़ने से जो मजा आता है, वो सबसे अलग और सबसे ज्यादा होता है.

मैंने मनीष के गले में हाथ डाल कर उसको पकड़ लिया और टांगों को ज्यादा से ज्यादा उठा कर उसके चूतड़ों पर चढ़ा दिया ताकि उसे अपना लंड मेरी चूत में घुसाने को ज्यादा से ज्यादा जगह मिल सके.

फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और चूसने लगी.

मनीष ने भी मेरे चूचुकों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया.
उसकी चुदाई बहुत बेरहम थी पर पता नहीं मुझे मजा भी बहुत आ रहा था.

ऐसा मजा मैंने अपने जीवन में कभी महसूस नहीं किया था.

तभी उसने मेरे मम्मों को कसके पकड़ा और एक जोर का धक्का देकर सुपारे को मेरी बच्चेदानी में घुसा दिया.

वो झड़ने लगा. उसका सुपारा फूल कर और भी मोटा हो गया था.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरा पेट फाड़ कर बाहर आ जाएगा.

मैं मस्ती ओर दर्द से कराहने लगी और मैंने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी.

उसके लंड से पहले एक पिचकारी और फिर अनगिनत पिचकारियां निकलने लगीं.
उसका सुपारा मेरी बच्चेदानी के मुँह पर फसा हुआ पिचकारी मार रहा था.

मैं बता नहीं सकती कि ये अहसास शब्दों में कैसे बयान करूं.

मैंने अपने जीवन में अपने पति के साथ इतना सेक्स किया लेकिन ऐसा अहसास कभी नहीं किया था.
इसने तो मुझे पागल कर दिया था.

हालांकि मुझे काफी दर्द भी हो रहा था पर उसके गर्म गर्म वीर्य की बौछार होते ही मैं भी झड़ने लगी, मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.

मनीष मेरे ऊपर ऐसे ही काफी देर लेटा रहा. उसका सुपारा अभी भी मेरी चूत में फंसा पड़ा था.
ये अहसास मैंने पहली बार किया.

मैंने मनीष से पूछा तो उसने बताया- मेरे साथ यह हमेशा होता है इसलिए मेरी बीवी प्रिया उसके साथ खुश नहीं रहती. मेरे लंड का सुपारा कुत्तों के जैसे फूल जाता है और उसकी चूत में दर्द होने लगता है.

उस समय हम दोनों को ही होश नहीं था कि ये हमने क्या किया.
बाद में जब मुझे होश आया तो मैं उठकर रोने लगी कि ये क्या हुआ.
अगर मेरे गर्भ में बच्चा ठहर गया तो मैं क्या करूंगी.

हम दोनों का ही नशा उतर चुका था.
अब हमें अहसास हो रहा था कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी.

मनीष भी अब हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा- जीजी माफ कर दो, पता नहीं मुझे क्या हो गया था.
मैं- मनीष हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी. ऊपर से तुमने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया. अब जल्दी से जाओ और एक आईपिल ले कर आओ तब तक मैं इधर सम्हालती हूँ.

मनीष नीचे गया तो मेरे ससुर उसे रोककर पूछने लगे- अरे बेटा कहां जा रहे हो. अभी तो खाने का टाइम हो रहा है. खाना खाकर जाना.
मैं मन में कहने लगी कि खाना खाकर … उसने आपकी बहू की इज्जत ही खा ली.

मनीष मेरे ससुर से बोला- हां बाबू जी, अभी इधर थोड़ा काम है, उसको निपटा कर आता हूं. फिर खाना खाकर ही जाऊंगा.

मैं भी जल्दी से बाथरूम गयी क्योंकि उसका वीर्य मेरी जांघों पर बह रहा था.

बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चूत को देखा तो मैं सन्न रह गयी.
मेरी चूत एकदम लाल पड़ गयी थी.
उस कमीने ने बहुत ही बेदर्दी से पेला था.

अब मैंने जल्दी से अपनी चूत की सफाई की और किचन में आकर खाना बनाने लगी क्योंकि मेरे ससुर के खाने का समय हो गया था.

फिर अपने ससुर को खाना देकर मैं अपने और मनीष के लिए रोटियां सेंकने लगी.
मैं मन में सोचने लगी कि ये गलत हुआ या सही.

इतने में ही मनीष वापस आ गया.
वो सीधा किचन में ही आ गया और उसने मुझे वो टेबलेट दे दी.
वो वहीं खड़ा हो गया.

जब हम दोनों की नजर मिली तो मैं बहुत शर्मा गयी.
मनीष भी बहुत शर्मा रहा था.

फिर वो बोला- मैं जा रहा हूँ.
मैं- खाना खा कर जाना.

तो मनीष कहने लगा- जीजी, वो जो मैंने उस समय आपसे तू तड़ाक से बोला, उसके लिए मुझे माफ़ कर देना. वो क्या है कि ये मेरी आदत है. जिससे मैंने आपको भी ऐसे ही बोल दिया.

मैं आप लोगो को क्या बताऊं कि मैं उस समय शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी.
मेरे ही किचन में मेरी छोटी बहन का पति मुझसे ऐसी बातें कर रहा था.

इसको कहते हैं इत्तेफाक.

आज मैं इस इत्तेफाक की वजह से पराये मर्द से चुद चुकी थी और वो पराया मर्द अभी भी मेरी किचन में मौजूद था.

हम दोनों की इच्छा अब दुबारा से वो सब करने की हो रही थी जो कुछ देर पहले इत्तेफाक से हुई थी.

कुछ देर ऐसे ही मनीष मुझसे बात करता रहा.

फिर मेरे पास आकर बोला- जीजी, क्या हम लोग एक बार और वही गलती कर सकते हैं?
मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.
हालांकि मेरी भी इच्छा हो रही थी लेकिन मेरे मुँह से आवाज ही नहीं निकल रही थी.

मुझे चुपचाप देखकर मनीष मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से पकड़कर मेरे दूध दबाने लगा.
उसने पीछे से ही मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए.

मुझे चुपचाप देखकर मनीष मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से पकड़कर मेरे दूध दबाने लगा.
उसने पीछे से ही मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए.

इस अचानक हुए हमले से मैं हड़बड़ा गयी और मेरे मुँह से एकदम निकल गया कि पहले रोटी तो बना लूं.

मेरे मुँह से ऐसा सुनते ही वो तो किचन में ही शुरू हो गया.
उसने अपने हाथ मेरे गाउन में घुसा कर मेरे दूध पकड़ लिए और उन्हें बेदर्दी से मसलने लगा.

मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी- हहहह ओह्ह … आह … रुक जाओ ओह्ह!

पर वो अब कहां मानने वाला था … उसने वहीं अपने सारे कपड़े निकाल दिए और पीछे से मेरा गाउन उठाया और अपना लंड मेरी गांड पर घिसने लगा.

मैं एकदम डर गई कि अगर इसने गांड में लंड घुसा दिया तो मेरी तो जान ही निकल जाएगी.
हालांकि मैं अपने पति से काफी बार गांड मरवा चुकी थी. पर पता नहीं इससे क्या होगा. न बाबा न … इसका जंगलीपन में अभी थोड़ी देर पहले ही देख चुकी थी.

मैं गैस बंद करके पलट गई.

दूसरी तरफ मैं भी अब खुलकर मजा लेना चाहती थी क्योंकि जब बेवफाई ही करनी है तो खुलकर करो.

बात यह भी थी कि जब चूत को पराया लंड मिलता है तो वो भी अच्छे से टसुए बहाती है.

मैं पलटकर मनीष से बोली- क्यों प्रिया नहीं देती क्या … या वो भी कहीं दूसरी जगह तुम्हारी तरह मुँह मारती है?
मनीष- नहीं, वो बात नहीं है … दरअसल वो जल्दी झड़ जाती है, फिर वो आगे और करने नहीं देती. फिर वो आपकी तरह इतनी खुली भी नहीं है. जैसे आप चूत लंड बोल रही हो, वैसे वो नहीं बोलती. वो शर्माती बहुत है. ऊपर से उसका ऑपरेशन होने के बाद उसकी चूत बहुत खुली खुली सी हो गयी है.

मैं मनीष को छेड़ती हुई बोली- एक काम करो, अपनी बीवी को कुछ दिनों के लिए मेरे पति के पास छोड़ दो, वो पूरा खोल देंगे.
मनीष- फिलहाल तो मैं उनकी बीवी को अच्छी तरह से खोल देना चाहता हूँ.

उसने किचन में ही मेरा गाउन उतार कर फेंक दिया.
मैं ‘रुको रुको …’ ही करती रह गयी.

उसने मुझे स्लैब के सहारे झुका दिया और पीछे से मेरे दूध दबाते हुए मेरी पूरी पीठ पर चूमने लगा.
उसके हाथ मेरे पूरे शरीर पर घूम रहे थे और उसकी जीभ मेरी पीठ से होते हुए मेरे चूतड़ों पर घूम रही थी जिससे मेरी टांगें खुद ब खुद फैलती जा रही थीं.

अब उसने मुझे पलट दिया.
वो मेरी दोनों टांगों के बीच बैठा था और मेरी चूत में उंगली कर रहा था.

उसने पहले मेरी नाभि और पेट में ढेर सारा चुम्बन किए, फिर मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा.

थोड़ी देर बाद उसने अपने दोनों हाथों से मेरी चूत के दोनों होंठों को फैला दिया और अपनी जीभ और दांतों से मेरी चूत और भग्नासा को काटने चाटने लगा.

मैं इतनी गीली हो चुकी थी कि क्या कहूँ … ऐसा लगने लगा था, जैसे मेरी जान ही निकल जाएगी.

थोड़ी देर बाद उसने मेरी चूत को और फैला दिया, तो मैं कराह उठी.
फिर वो अपनी जीभ को मेरी चूत के छेद में धकेलने लगा.
उसके इस तरह करने से मैं और भी उत्तेजित हो रही थी और ऐसा लगने लगा था कि अब ये मुझे ऐसे ही झड़ जाने पर मजबूर कर देगा.

मैंने उसके सर को पकड़ा और बालों को खींचते हुए ऊपर उठाने का प्रयास करने लगी ताकि हम चुदाई शुरू करें!
पर वो मेरी चूत से हिलने को तैयार नहीं था.

तभी उसने मेरी दोनों टांगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया और अपना मुँह मेरी चूत से चिपका कर चूसने लगा.
वो चूत ऐसे पी रहा था जैसे रस पीना चाहता हो.

मेरे लिए अब बर्दाश्त करना मुश्किल था, मैंने दोनों जांघों के बीच उसके सर को कस कर दबा लिया पर उस पर तो कोई असर ही नहीं था.

वो कभी अपनी जुबान को मेरी चूत के छेद में घुसाने का प्रयास करता तो कभी मेरी चूत के होंठों को दांतों से खींचता तो कभी मेरी दाने को काट लेता.
मैं कराहती हुई मजे लेती रही.

मैं अब उससे विनती करने लगी- आह्ह.. बस करो … और शुरू करो न!
पर वो शायद कुछ और ही सोचे बैठा था.

मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाई और भलभलाकर झड़ने लगी.
मैंने उसके सर के बालों को इतनी बुरी तरह खींच लिया कि उसके कुछ बाल मेरे हाथों में आ गए.

मनीष ने मेरा पूरा रस पीकर ही मुझे छोड़ा.
मैं हांफ रही थी, मैं वहीं जमीन पर ही बैठ गयी.

मेरे बैठने से उसका लंड मेरे मुँह के सामने लटक रहा था.
पहली बार मैंने उसका लंड देखा, जिस लंड से में एक बार चुद भी चुकी थी.

मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ लिया.
उसका लंड एकदम काले नाग की तरह फुंफकार रहा था जबकि मेरे पति का लंड गोरा है.
इसका लंड था तो मेरे पति की ही तरह, पर थोड़ा टेड़ा था, एकदम केले के तरह.
मनीष के लंड की थोड़ी मोटाई भी ज्यादा थी जिससे मेरी उस समय चीखें निकल रही थीं.

आखिर मेरा पतिव्रत धर्म भ्रष्ट करने वाले में कुछ स्पेशल होना ही चाहिए.

लंड की मोटाई ज्यादा होने से हर औरत को सुख ज्यादा ही मिलता है क्योंकि मोटा लंड जब चूत में घुसता है, तो वो चूत की दीवारों को फैलाता हुआ घुसता है. जिससे चूत को अच्छी रगड़ मिलती है.

एक बात और भी थी कि इसके लंड का सुपारा एकदम लाल टमाटर की तरह था.
काले लंड पर लाल सुपारा बहुत ही आकर्षक लग रहा था.

मैंने लंड को हाथ से पकड़ ऊपर-नीचे किया तो उसका सुपारा खुलने और बंद होने लगा.

फिर मैंने सुपारे को बाहर करके अपनी जुबान उसके नुकीले सुपारे के छोटे से छेद पर रख दी.
मेरे ऐसा करते ही मनीष के मुँह से सिसकारी निकल गयी.

उसने मेरा सिर पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया.
मनीष बहुत ही उतावला लड़का था.

मैंने उसे हाथ के इशारे से मना किया और उसके सुपारे को अपने मुँह में लेकर ऐसे चूसा, जैसे लॉलीपॉप हो.
मनीष की तो जान ही हलक में फंस गयी.

मैं उसे और ज्यादा तड़पाना चाहती थी तो मैं सिर्फ सुपारे को मुँह में दबा कर चूस रही थी.
कभी उसे दांतों से दबा लेती तो कभी उसके छेद में जीभ को नुकीला करके मनीष को तड़पा रही थी.

मनीष ज्यादा देर तक मुझे झेल नहीं पाया और उसने जबरदस्ती मेरे मुँह से लंड निकाल कर मुझे किचन की स्लैब पर झुका दिया.
बिजली की फुर्ती से उसने अपना लंड मेरी गांड पर लगा कर मेरे दूध पकड़ लिए.

मैं अपनी गांड पर उसके लंड का अहसास पाते ही घबरा गई.

दोस्तो, मेरी इस मस्त Xxx जीजा सेक्स कहानी में आगे क्या हुआ, वो मैं आपको अगले भाग में लिखूंगी.
आप मुझे मेल करना चाहें तो आपका स्वागत है.
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Xxx जीजा सेक्स कहानी का अगला भाग: बिना सोचे समझे बहन के पति से चुद गई- 3

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