चूत की यादगार चुदाई

(Chut Ki Yadgar Chudai)

हैलो मेरा नाम आसिफ़ है और मैं आप लोगों के सामने अपनी चुदाई की दास्तान पेश कर रहा हूँ.. इसमें 90% तो सच्चाई है बाक़ी 10% थोड़ा सी जगह गोपनीयता के चलते बदला है कि किसके साथ किया।

मेरा एक दोस्त है.. जिसकी एक पार्लर वाली के साथ दोस्ती है.. वो अक्सर उसके घर भी जाता है।

एक दिन जब वो उस पार्लर वाली फ्रेंड से मिलकर आया.. तो उसने मुझसे बताया कि आज उसके पार्लर में एक लड़की आई है.. वो बहुत ही खूबसूरत है.. और तुम्हारे मतलब की है.. उसकी बड़ी-बड़ी आँखें हैं.. छोटे ओर खुले बाल रखती है.. पतली सी कमर है.. पिछाड़ी भी बहुत अच्छी है।
उसके मम्मे एकदम गोल-गोल और तने हुए हैं, उसके मम्मे टेनिस की बॉल के साइज़ के होंगे.. या कुछ और बड़े हुए तो नारियल के गोले समझ ले। वो बहुत शानदार है.. स्टायलिश है.. मतलब वो तुम्हारे मतलब की है।

मेरा दोस्त मुझे ऐसे बता रहा था और मैं सुनते-सुनते उस लड़की में खो सा गया और मैंने उससे मिलने के लिए ‘हाँ’ कर दी।
मेरे दोस्त ने अपनी दोस्त की मदद से मेरी उस लड़की से दोस्त के घर पर ही मिलने की सैटिंग कर दी।

तय वक्त के अनुसार हम लोग उसके घर पहुँचे.. उसकी दोस्त ने हमें अन्दर बुलाया और हमें चाय पिलाने के बाद उस लड़की से परिचय कराया।

जब मैंने उस लड़की को देखा तो सच में मेरा भेजा हिल गया.. लंबे से कद और स्लिम फिगर में उसके कटोरे जैसे मम्मे तने हुए थे..
मेरा दिल हुआ कि अभी इसकी कमर में हाथ डालकर उसके मम्मों को मुँह में रख कर चूसने लगूँ.. लेकिन पहली मुलाक़ात में ऐसा नहीं कर सकते थे।

जब उस लड़की ने मुझे देखा था.. तो उसके चेहरे पर खुशी देखकर यह अहसास हुआ था कि शायद उसने भी मुझे पसंद कर लिया है।

हम चारों वहीं बैठकर बातें करते रहे और मेरी दोस्ती उसके साथ गहरी होती चली गईं।

फिर पार्लर वाली ने कहा- आसिफ़ तुम नादिया को लेकर दूसरे कमरे में बैठकर बातें करो.. मुझे कुछ निजी बात करनी है।

फिर मैं और नादिया दूसरे कमरे में चले गए और कमरे में जाते ही मैं अपने को रोक नहीं पाया.. मैंने उसकी कमर पकड़ ली.. और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया.. पहले तो उसने मुझे धकेलने की कोशिश की.. लेकिन मेरी पकड़ मज़बूत होने की वजह से वो खुद को छुड़ा नहीं पाई।

अगले कुछ पलों में वो भी मेरे होंठों चूसने लगी.. मैं उसे चुम्बन करता गया। चूमते हुए मैं उसकी गर्दन पर आ गया।
तब उसकी गर्म साँसें इतनी तेज़ चल रही थीं कि मेरा लण्ड एकदम से टाइट होकर 6 इंच लम्बा और बहुत मोटा हो गया था… जो कि पैन्ट में समा ही नहीं रहा था।

उस दिन मुझे पता चला कि मेरा लण्ड इतना बड़ा और इतना मोटा है.. क्योंकि पहले कभी इस तरह का मौका ही लगा था.. ये बड़ा तो दिखता था.. लेकिन आज नादिया के होंठों को चूसने के बाद उसने सही से अंगड़ाई ली थी।

खैर.. जब मैंने उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया.. तो वो और भी मस्त हो गई।
मैं भी बिना हिचकिचाहट के उसके दोनों मम्मों पर हाथ रख कर उसे सहलाने लगा।
मम्मों को सहलाते हुए मैंने उसके निप्पल को अपनी चुटकी से मसला.. तो वो कसमसा गई।
मैंने फिर बिना देर किए उसकी शर्ट के बटन खोल दिए.. अन्दर उसने ब्रा नहीं पहनी थी..

उसके नारियल के जैसे दूध.. गोरे.. चमकदार और एकदम तने हुए थे, उसके निप्पल नारियल के गोले के रंग के डार्क ब्राउन थे।

मैं दोनों दूध अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रहा था और अपनी ज़ुबान से निपल्स को भी चाट रहा था।
उसकी हालत अब बहुत ही मस्त हो चुकी थी, उससे भी रहा नहीं गया और उसने मेरे लण्ड को पैन्ट के ऊपर से टटोलते हुए उसे सहलाना शुरू कर दिया।

थोड़ा सहलाने के बाद उसने मेरी पैन्ट का बटन खोलकर पैन्ट उतार दी। मेरे अंडरवियर को उतारा.. मैंने अपनी शर्ट खुद ही उतार दी।
अब मैं पहली बार किसी के सामने नंगा खड़ा था.. पर मुझे अच्छा लग रहा था।
नादिया मेरे लण्ड को खूब सहला रही थी और मुझे चुंबन भी कर रही थी।

मैंने भी अपने हाथों को खाली नहीं छोड़ा था.. मैं उसके दोनों मम्मों को सहलाता.. तो कभी उसकी उसकी पतली कमर सहलाते हुए उसके उठे हुए चूतड़ों पर अपने हाथ फेरता रहा।

फिर मैंने उससे लण्ड को मुँह में रखने की बात कही.. तो वो बिना कुछ कहे घुटनों के बल बैठ गई ओर पहले तो मेरे लौड़े को पकड़ कर उसके सुपारे पर 8-10 चुम्बन किए.. फिर अपने मुँह में रखकर चूसना और चाटना शुरू कर दिया।

अल्लाह.. उसके मुँह में क्या जादू था और उसके मुँह की लार से मेरा लण्ड एकदम गीला हो गया। लण्ड गीला होने के बाद जो मज़ा आया था.. वो मैं शब्दों में नहीं बता सकता.. बस ये समझ लीजिए कि मुँह का थूक लगते ही.. मज़ा 4 गुना हो गया।

उस दिन मुझे एक बात का अंदाज़ा और लगा कि जितना मज़ा मुझे चुसवाने में आ रहा था.. उससे कहीं ज़्यादा मज़ा उसे मेरे लण्ड को चूसने में आ रहा था।

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कुछ देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने उसे पकड़ कर खड़ा कर दिया और उसके साथ फिर से चूमा-चाटी करने लगा।
फिर मैंने उसकी जीन्स के बटन खोलकर उसकी जीन्स उतार दी।

सच में उसके चूतड़ भी बहुत प्यारे थे। मैंने घुटनों के बल बैठकर उसके दोनों चूतड़ों पर चुम्बन किए.. फिर मैं खड़ा हो गया और उसके नंगे बदन से लिपट कर उसे खूब चुम्बन किए। अब मैं उसे गोद में उठा कर बिस्तर तक ले गया और लिटा दिया।

मैं उसके पेट के ऊपर मुँह रख कर चुम्बन करने लगा। फिर उसकी नाभि में अपनी ज़ुबान डालकर शरारत की.. वो सिहर उठी थी।

उसके बाद मैंने उसकी टाँगों के बीच सर रखकर उसकी जाँघों पर चूमा.. फिर उसकी डार्क ब्राउन चूत को अपने हाथ की उंगली और अंगूठे से फैलाकर अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू किया।
मैंने थूक से उसकी चूत गीली कर दी और मैं बराबर उसकी चूत में अपनी ज़ुबान चलाने लगा..

नादिया मस्ती में कराहने लगी- आ..ह आ.. ह ओ..ह उई..
अब नादिया इतनी मस्त थी कि उसकी चूत से हल्का पानी रिसने लगा। नादिया की चूत चाटकर मैं उसे मज़ा जो दे रहा था.. उसके मज़े के साथ मेरा लण्ड भी फनफना रहा था।

अब नादिया ने मुझसे कहा- जानेमन.. बस करो और जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दो..
मैं भी तैयार था.. जल्दी से मैंने जेब से कन्डोम का पैकेट निकाला और उसे फाड़ा.. नादिया ने जल्दी से छुड़ाया.. कन्डोम को मेरे लण्ड पर पहनाया और मुझसे कहा- मेरी जान.. अब देर ना करो..

उसको इतनी चुदास चढ़ गई थी कि मुझे लिटाकर वो मेरे ऊपर बैठ गई.. मेरे लण्ड के सुपारे को आपने छेद में फंसाया और थोड़ा सा झटका दिया.. मेरा लण्ड उसकी गरम गुफा में घुस गया।

उसने दो-चार झटके ही दिए होंगे कि उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.. फिर वो झुक गई और बोली- अब डालो..
मैंने उसके अन्दर फिर लौड़े को डाला और धक्के लगाना शुरू कर दिए.. वो दूसरी बार.. और फिर तीसरी बार भी झड़ गई।
लेकिन मैं पूरे जोश के साथ चुदाई करता रहा।

थोड़ी देर में नादिया चौथी बार झड़ी.. फिर नादिया ने मुझसे कहा- मेरी जान अब निकाल दो.. मैं थक गई हूँ..
लेकिन मैं पूरी तैयारी से था.. मुझे उसके साथ चुदाई में सवा घंटा हो गया था.. नादिया लगातार 3 बार झड़ चुकी थी।
अब वो सिर्फ़ एक ही बात कहे जा रही थी- कब झड़ोगे.. प्लीज़ जल्दी निकालो..
मैं बोलता जा रहा था- बस जान.. दो मिनट में..

जब वो चौथी बार झड़ी.. तो आधा घंटा हो चुका था.. सात बार झड़ने के बाद उसने मुझे हटा दिया और तौलिया लपेटकर कमरे से बाहर आ गई।

मैंने भी जल्दी से पैंट पहनी और उसके पीछे पार्लर वाली के कमरे में आ गया।
िनादिया ने रो-रो कर अपनी चूत की हालत बताई। नादिया की बात सुनकर वो लोग भी हैरान हो गए।

आधा घंटा चुदाई..

पार्लर वाली मुझसे बोली- क्या बात है.. मियां..

मैंने कहा- कुछ नहीं.. लेकिन तुम नादिया को बोलो कि मुझे पूरा झड़ने तक चुदाई करे..

फिर उसने नादिया को समझाया- जाओ पांच मिनट और लगवा लो।

अब फिर चुदाई की तैयारी हो गई.. फिर यूं ही 5 मिनट हो गए थे.. नादिया को भी इस बीच आराम मिल गया था और वो मान गई। फिर से कमरे में चली गए.. लेकिन ये आराम लेने के बाद मेरा लण्ड और खूँखार हो गया था.. मैंने फिर से नादिया को गोद में उठा कर उसे खड़े-खड़े ही अपने लण्ड पर बैठाया और चूत के अन्दर मूसल को डाल दिया..।

फिर अपने हाथ उसके चूतड़ के नीचे रखकर चोदने लगा।

नादिया फिर से मस्त हो गई थी.. मैंने उसे थोड़ी देर खड़े होकर चोदा और फिर बिस्तर पर लिटा दिया.. तथा ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।

मैंने नादिया के साथ दस मिनट लगाए.. नादिया इस बीच दो बार और झड़ गई।

मैंने नादिया के जिस्म को अपनी बाँहों में ज़ोर से जकड़ कर बहुत ही ज़ोर के धक्के मार-मार कर चोदा। जब जाकर मेरे लण्ड से पानी निकाला।

इस चुदाई में अब मैं भी थक चुका था। नादिया का हाल तो बताने के लायक ही नहीं था। उसकी चूत के तो चीथड़े उड़ गए थे।
वापस आते वक्त मेरा दोस्त हँस कर बोला- मैं तुम्हारी ये बात कभी नहीं भूलूँगा..
हम लोग अपने घर वापस आ गए।
आप लोगों के कमेंट्स का इन्तजार मुझे भी है।
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