दोस्त की बॉस संग मेरा यौन प्रसंग- 1

(Garam Padosan Sex Kahani)

गरम पड़ोसन सेक्स कहानी मेरी एक दोस्त की बॉस से मेरी मुलाकात की है। दो बार की मुलाकात में ही हम दोनों एक दूसरे के जिस्मों के प्यासे हो गए। क्या ये प्यास पूरी हो पाई?

नमस्कार दोस्तो, कविता भाभी के साथ बीते अनमोल पलों का अनुभव आपने बड़े ही जोश के साथ लिया इसकी मुझे खुशी है।

आज मैं एक और अनोखी गरम पड़ोसन सेक्स कहानी आपको बताने वाला हूं जो अभी कुछ दिनों पहले ही हुई थी।

किसी ने सच ही कहा है, भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।
एक दरवाजा अगर बंद होता है तो दूसरा अपने आप खुल जाता है।

एक दिन मेरे ऑफिस की दोस्त प्रिया का कॉल मेरे पास आया।
वो बताने लगी कि उसकी बॉस का ट्रांसफर पुणे में हुआ है और वह भी अपनी बॉस के साथ फूड इंडस्ट्री में असिस्टेंट के रूप में काम कर रही है।

वो बॉस के मकान के लिए पूछने लगी.
तो मैंने अपनी ही सोसायटी के एक फ्लैट के बारे में बता दिया जो खाली था।
प्रिया ने तुरंत उसके मालिक से बात कर सब पक्का कर दिया।

फिर शुक्रवार की शाम को उसका फोन आया कि उसकी बॉस कल बस स्टॉप उसका इंतजार करेगी लेकिन वो खुद से घर नहीं जा पाएगी।

इसलिए प्रिया ने उसकी बॉस को घर छोड़ने की जिम्मेदारी मुझे देना चाही।
शनिवार को मेरी छुट्टी होती थी तो मैंने भी हां कह दी।

मैं अगले दिन उसको बस स्टॉप पर लेने पहुंचा लेकिन पहचान नहीं सका।
मैंने प्रिया को फोन कर उसकी पहचान पूछी तो उसने बताया कि वो अंदर वेटिंग रूम में मिलेगी।

मैंने अंदर जाकर देखा तो एक कपल वहां मिला। आदमी का नाम सुरेश था और उसकी बीवी का रश्मि।

उनसे बातचीत हुई और फिर हमने वहीं पर नाश्ता कर लिया।
उसके बाद दोनों को मैंने उनके रूम पर पहुंचा दिया।
उन दोनों ने थैंक्स बोला, मेरा फोन नंबर लिया और मैं वहां से आ गया।

फिर एक हफ्ता निकल गया और अगले शनिवार को सुरेश का फोन मेरे पास आया।

चूंकि फ्लैट मेरी ही सोसायटी में था तो सुरेश ने रात को मुझे खाने पर आमंत्रित किया।
मैं रात को पहुंचा तो देखा कि फ्लैट पूरा सेट हो चुका था और रश्मि सज-संवरकर काम में लगी थी।

खाना लगा दिया गया और हम लोग साथ में खाने लगे।
सुरेश ने खाना खाते समय बताया कि वो वापस बैंगलोर जा रहा है और पीछे से रश्मि को किसी चीज की जरूरत पड़े तो मदद कर देना।
मैंने उसको निश्चिंत रहने के लिए कहा।

डिनर होने के बाद देर रात को मैं अपने रूम पर पहुंच गया।

फिर ऐसे ही दिन निकलने लगे और ऑफिस के चक्कर में मैं रश्मि को भूल ही गया।
उनका फ्लैट ऐसी जगह पर था कि दोनों बालकनियों में से एक दूसरे को देखा जा सकता था।

एक दिन रश्मि ने मुझे बालकनी में देख लिया।
फिर वो मुझे लगभग रोज ही देखने लगी।

मेरे घर में अंदर मरम्मत का काम चल रहा था, शोर बहुत होता था और नेटवर्क भी अंदर कमजोर था इसलिए मैं बालकनी में बैठकर ही काम किया करता था।

उसके अगली शाम को सुरेश ने फोन किया कि रश्मि को कुछ काम है, तो संभाल लेना।

मैं शाम को उनके फ्लैट पर गया तो उसने चाय नाश्ता दिया।
फिर मैंने काम पूछा तो उसने लैपटॉप का कुछ काम बताया।

मज़ाक में मैंने पूछ लिया कि मुझे क्या मिलेगा?
इस पर वो हंसने लगी और बोली- जो आपके चाहिए मांग लेना लेकिन अभी मेरे कंप्यूटर को सेट कर दो।
फिर उसने मुझे कंप्यूटर दिखाया।

एकदम से नया सिस्टम था। शायद एक दिन पहले ही खरीदा हो। मैंने उससे कहा कि काम ज्यादा है, खर्चा लगेगा।
वो बोली- कितना?
मैं बोला- एक कप कॉफी!

इस पर वो फिर से हंसने लगी और बोली- ठीक है, आप काम तो करो।
वो किचन में चली गई और मैं टेबल पर काम करने लगा। मैंने दराज खोला तो उसमें स्ट्रॉबेरी फ्लेवर के डॉटेड कॉन्डम रखे मिले।

उसके साथ में बोतल ओपनर, लाइटर, मोमबत्ती आदि चीजें भी थीं।
मेरे मन में हवस जागी लेकिन किसी तरह मैंने खुद को काम में लगाया।

उस दिन वो लग भी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत रही थी।
भरा-पूरा गोरा बदन, अंडाकार चेहरे पर मनमोहक आँखें, कंधों तक खुले हुए बाल, बलखाती कमर, लंबी टाँगें और आकर्षक छाती के उभार, जैसे माउंट एवरेस्ट की पहाड़ियां हों।

अगर किसी फिल्मी हिरोइन से तुलना करूं तो वह नोरा फतेही जैसी लग रही थी।
मैंने सारा काम खत्म किया और जल्दी से वहां से निकल कर अपने रूम पर गया।
वहां जाकर मैंने मुठ मारकर लंड को शांत किया।

कुछ देर बाद सुरेश ने कॉल किया और बोलने लगा- तुम बिना बताए चले आये?
मैं बोला- कोई बात नहीं भाईसाहब, काम तो हो ही गया था। वैसे भी, आप तो हैं नहीं घर पर, तो किससे और क्या बात करता?

सुरेश ने मदद के लिए मुझे शुक्रिया कहा और मुझसे विनती की कि मैं जाकर रश्मि के यहां कॉफी पी लूं, जो मैंने उससे बनवाने के लिए कहा था।

शायद रश्मि ने ही सुरेश को बोला होगा कि मैं कॉफी बनवाकर बिना बताए निकल गया इसलिए वो कॉफी पीने की बात कह रहा था।

मैं दोबारा से रश्मि के पास गया और मैंने बेल बजाई।
वो अंदर से ही बोली- कौन हो आप? घर पर कोई नहीं है, कल आना।

वो शायद नाराज हो गई थी।
मैंने उसको सॉरी कहा तो उसने दरवाजा खोला और फिर अंदर आने दिया।

मैं बोला- कॉफी कहां है जी मेरी?
वो झट से बोली- यहीं है, लेकिन मुझे क्या मिलेगा?

ये बोलकर वो हंसने लगी।
मैंने कहा- जो आप बोलें।
अब तक रश्मि अपना ड्रेस बदल चुकी थी।

उसने टाइट टीशर्ट और शॉर्ट्स डाल लिए थे जिसमें वो बहुत सेक्सी लग रही थी।

फिर हमने कॉफी पीना शुरू किया।
इस बीच रश्मि ने सुरेश को वीडियो कॉल पर ले लिया और हम तीनों गप्पें मारने लगे।

कॉफी पीकर मैं वहां से जाने लगा तो रश्मि बोली- मेरा वादा तो पूरा करो?
मैं बोला- कहिए, क्या ख्वाहिश है आपकी?
वो मासूमियत से बोली- आज डिनर नहीं बनाया है, कुछ इंतजाम हो सकता है क्या?

मैं भी ना न कह सका लेकिन बाद में पछताया भी।
उसने ऑर्डर की लम्बी लिस्ट बनाकर मुझे सौंप दी।
वो बोली- एक घंटे में सारा सामान मंगवा दीजिए, अगर समय से नहीं ला पाए तो कल मैं इसका डबल ऑर्डर आपसे मंगवाऊंगी।

मैं सामान लेने निकल गया और आने में पांच मिनट की देरी हो गई।
उसने दरवाजे पर ही कह दिया कि लेट हो, कल दोबारा से डबल ऑर्डर लाना पड़ेगा, आप तैयार हो?
मजबूरन मुझे हां कहना पड़ा।

फिर मैं अंदर आ गया और उसने दो प्लेट में खाना लगा दिया।
हम दोनों साथ में खाने लगे।

चूंकि नॉन वेज काफी हैवी खाना होता है, फिर ऊपर से वोडका मिल जाए तो कहना ही क्या … नशा दोगुना हो जाता है।

इस प्रकार रश्मि को लो-कट टीर्शट और शॉर्ट्स में देख मेरा मूड बहुत ज्यादा गर्म हो रहा था।
पीते-पीते रश्मि टेबल पर ही ढेर हो गई।

किसी तरह से मैंने उसको उठाया तो वो कहने लगी कि टॉयलेट ले चलो।

मैं पहले थोड़ा हिचका लेकिन फिर ले गया।
वो जाते ही वहां उल्टी करने लगी।
ये सब होते देख मेरा आधा नशा ढीला हो गया और दिमाग खराब हो गया।

मैं उसको बाहर लाया और उसके चेहरे पर पानी मारा।
फिर मैंने उसको लाकर बेड पर लिटा दिया।
मैं सोफे पर बैठकर उसको देखने लगा लेकिन मुझे भी वहीं नींद आ गई।

अगली सुबह आंख खुली तो रश्मि सामने वाले सोफे पर बैठी थी।
मुझे जागा देख वो मेरे पास आई।

मैंने पूछा- कैसी है तबियत अब?
वो बोली- ठीक है, कल रात के लिए सॉरी। मेरी वजह से आपको परेशान होना पड़ा।

और वो एकदम से मेरे गले लग गई।
मैं कुछ समझ नहीं पाया।

हम दोनों वहीं पर बातें करने लगे।

वो अपने राज़ मेरे साथ बांटने लगी।
उसने बताया कि सुरेश उसका पति नहीं है, बल्कि ब्वॉयफ्रेंड है। वो बस पति-पत्नी होने का नाटक कर रहे हैं।

ये सुनकर मेरे तो होश उड़ गए थे।
वो दोनों बिजनेस सेट होने के बाद शादी करना चाह रहे थे।
बताते हुए वो थोड़ी उदास सी हो गई और रात की बची हुई बोतल में से पैग बनाकर पीने लगी।

मैंने उसको पीने से मना किया तो उसने मेरे होंठों पर उंगली रख दी।
फिर अपने ही हाथ से मुझे भी प्यार से पिलाने लगी।

उसकी इन अदाओं से मेरा लंड खड़ा होने लगा।

सुबह-सुबह खाली पेट मैं दारू पी रहा था तो एकदम से नशा होने लगा।
मैंने रश्मि का हाथ पकड़ और सहलाने लगा।

वो भी मदमस्त नजरों से मुझे देख रही थी।

हुस्न और शराब ने मेरे दिमाग को जड़ कर दिया।

कब हम दोनों के होंठ मिल गए, पता ही नहीं चला।
धीरे-धीरे वो मेरी बांहों में लिपटती जा रही थी।

हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह में जा रही थी।
मेरा एक हाथ उसकी जुल्फों को सहला रहा था और दूसरा हाथ उसके बदन को सहला रहा था।

काफी देर तक हम किस करते रहे और एक दूसरे के होंठों को हमने चूस चूसकर सुजा दिया।

वो मुझसे ऐसे लिपट रही थी जैसे जन्मों बाद उसको मर्द का सुख मिल रहा हो।

चूमते हुए ही उसने मेरी कमीज को उतार दिया; फिर मुझे छाती और गर्दन पर चूमने लगी।

फिर उठकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
जल्दी ही वो ब्रा पैंटी में थी।
उसके सफेद जिस्म पर वो क्रीम रंग की ब्रा पैंटी जैसे कयामत थी।

एक बार फिर से वो मेरे ऊपर आ गई।
हम दोनों फिर से एक दूसरे को चूमने चूसने लगे।

फिर उसने अपनी ब्रा खोलकर अलग कर दी।
उसके दूधिया सफेद स्तनों को देख मैं जैसे बेकाबू सा हो उठा।

मैंने जल्दी से उसको सोफे पर दूसरी तरफ लिटाया और उसके ऊपर आकर उसके दूधों को पीने निचोड़ने लगा।

इतने में उसने मेरी जीन्स को खोलकर नीचे कर दिया और मेरे अंडरवियर के ऊपर से लंड को सहलाने लगी।
मेरा लंड उसके कोमल हाथ के स्पर्श को पाकर एकदम से अकड़ गया।

कुछ देर उसके चूचों का दूध पीने के बाद मैंने उसकी पैंटी को नीचे कर दिया और उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी।
मैंने पहले जी भरकर उसकी चूत को देखा और केवल होंठों से, ऊपर से ही चूम चूमकर प्यार किया।

मेरे हर चुम्बन के साथ उसकी आह्ह … निकल जाती थी।

मैंने ऊपर की ओर देखा तो उसके कोमल स्तन अब तनकर पहाड़ जैसे दिख रहे थे।
फिर मैं उसकी चूत से लेकर ऊपर चूचियों तक उसके बदन को दोनों हाथों से सहलाने लगा।

वो बार बार गांड उठाकर चूत को ऊपर लाते हुए मेरे हाथ से रगड़वाने की कोशिश कर रही थी।

फिर उसने मेरी जीन्स को पूरी तरह से निकालने के लिए कहा।
मैंने जीन्स टांगों से बाहर कर दी और पूरा नंगा होकर उसके ऊपर लेट गया।

लेकिन उसने मुझे उठाकर नीचे करवा लिया और खुद मेरे ऊपर सवार हो गई।

अब दोनों के जिस्म एक दूसरे से रगड़ रहे थे। मेरे होंठों पर उसके होंठ, मेरी छाती पर उसके चूचे, मेरे लंड पर उसकी चूत और पंजों पर पंजे।
दोनों एक दूसरे के जिस्मों को चूटने कचोटने लगे, कभी बीच बीच में चूसने लगते।

लग रहा था जैसे हम दोनों एक दूसरे के शरीर में घुस जाना चाह रहे थे।
उसकी चूत से निकलता रस मेरे लिंग मुंड के रस से मिलकर उसको चारों तरफ से भिगो रहा था।

ऐसा ही हाल उसकी चूत का था जो मेरे प्रीकम से लसलसी होती जा रही थी।

दारू का नशा भी सातवें आसमान पर था और दोनों में से कोई भी होश में नहीं था।

मैंने थोड़ा दम लगा कर उसको सोफे पर पलट दिया और मैं उसके उपर चढ़ गया।
मैं रश्मि के रेशमी बदन को हल्के हल्के से प्यार करने लगा।

उसके माथे से होंठों तक, कोमल गर्दन, कंधे और फिर दोनों स्तनों के बीच में चूम लेता था।
अब उसकी सिसकारियां निकलने लगी थीं।

मैंने फिर से चूचियों पर हाथ ले जाकर दोनों को भींचना और पीना शुरू कर दिया।
मैं उसकी कोमल कांखों के बीच में जीभ ले जाकर उसके मदहोश कर देने वाले पसीने की खुशबू लेते हुए उनको चाटने लगा।

उसकी दोनों बगलों में हल्के हल्के बाल थे जिनको चूसने में मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी।
फिर मैं नीचे पेट को चूमता हुआ नाभि पर आ गया।
उसने चांदी का पतला सा कमरबंद पहना हुआ था।

मैं उसकी नाभि को चूमने लगा तो उसका बदन कांपने लगा और उसने मेरे सिर को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
लेकिन मैं रुका नहीं और लगातार चूमता रहा जिससे वो तड़पती रही।
फिर मैं उठ गया और सोफे से नीचे आ गया।

उसको मैंने बैठने को कहा और बिना कहे ही उसने टांगें खोलकर चूत को मेरे सामने कर दिया।
मैंने उसकी जांघों को हाथों से थोड़ा और फैलाया और उसकी कामरस से भीगी चूत में मुंह दे दिया।
फिर मैंने एक उंगली उसकी चूत में दे दी और चलाने लगा।

अब रश्मि की आहें और ज्यादा तेज हो गईं- आह्ह … आईई … ऊह्ह … मजा आ रहा है … इस्स्स … ऊई … आह्ह।
मैं तेजी से उसकी चूत में उंगली चलाने लगा और उसकी चूत का मंथन करने लगा।
वो जैसे बदहवास सी होने लगी थी।

तीन-चार मिनट के बाद उसकी चूत से एकदम से रस की पिचकारी छूट पड़ी जो मेरे चेहरे पर आकर लगी और मेरा पूरा चेहरा उसने चूत रस से भिगो दिया।

लेकिन इससे मेरा जोश और ज्यादा बढ़ गया और मैंने चूत से उंगली को नहीं निकाला, बल्कि दूसरी उंगली भी चूत में दे दी।
अब उसकी चूत मेरी दो उंगलियों से चुद रही थी।

उसने मुझे बीच में रोका और सोफे से उठकर मुझे नीचे फर्श पर बिछे कालीन पर लिटा दिया।
वो खुद भी मेरे ऊपर आ गई और मेरे पैरों की तरफ मुंह करके बैठते हुए चूत को मेरे मुंह पर रख दिया और खुद भी मेरे लंड को मुंह में ले लिया।
अब मैं उसकी चूत को चूसने चाटने लगा और वो मेरे लंड को चूसने लगी।

69 में दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था; ढेर सारा कामरस निकल रहा था जिसे हम दोनों लगातार चाटते जा रहे थे।

कुछ देर में ही मेरा चरम बिंदु आ गया और मेरा वीर्य उसके मुंह में ही निकल गया।
रश्मि मेरे वीर्य को लंडदेव का प्रसाद समझकर अंदर ही गटक गई।

मेरी जीभ भी उसकी चूत में तेजी से अंदर बाहर हो रही थी।
इतने में एक बार फिर से उसकी चूत ने गर्म गर्म रस की धार छोड़ दी और मैंने सारा चूतरस चाट लिया।

दोनों स्खलित हो चुके थे और कुछ पल एक दूसरे ऊपर पड़े हुए इस आनंद को जीते रहे।
फिर वो मेरे ऊपर से उठी और टॉयलेट में चली गई।

वो दरवाजा खुला रखे हुए थी और मेरे सामने ही नंगे बदन को धो रही थी।

मैं बोतल में बची हुई वोडका के साथ बाथरूम में चला गया।
मैंने उसके पेट पर दारू गिराई जो बहकर उसकी चूत के ऊपर से गिरने लगी।

फिर मैंने जल्दी से नीचे बैठते हुए उसकी चूत में मुंह लगा दिया और जीभ देकर चाटने लगा।

उसको भी मजा आने लगा और इसी बीच उसने शावर चालू कर दिया।
दोनों को फिर से मस्ती छाने लगी।

हम दोनों ने साथ में नहाते हुए एक दूसरे के बदन को मसलना शुरू कर दिया।

काफी देर तक बाथरूम में नंगे जिस्मों को रगड़ने के बाद हम दोनों फिर से बेडरूम में आ गए और चादर में नंगे ही घुस गए।
एक दूसरे से लिपटकर हम आराम से लेटे रहे और कुछ ही देर में दोनों को नींद आ गई।
जब मैं उठा तो रश्मि गहरी नींद में थी।

उसके प्यारे से चेहरे को मैंने कुछ पल देखा और फिर चादर से बाहर निकल आया।
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और उसके हाथ पर ‘थैंक्स एंड लॉट्स ऑफ लव’ लिखकर आ गया।

आने के बाद फिर से वही ऑफिस का काम शुरू हो गया।

रश्मि इस बीच कई बार बालकनी में आ जाती थी।
हम दोनों दूर से ही एक दूसरे को हाथ हिलाकर हैलो कहते।
अभी हमारा मिलन अधूरा ही था और दोनों इसे पूरा करने के लिए बेताब थे।
गरम पड़ोसन सेक्स कहानी पर अपनी राय देना न भूलें।
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गरम पड़ोसन सेक्स कहानी का अगला भाग: दोस्त की बॉस संग मेरा यौन प्रसंग- 2

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