आसमानी परी के साथ सम्भोग आनन्द- 2

(Hard Sex With Hoor Ki Pari)

हार्ड सेक्स विद हूर की परी का मजा मुझे दिया सातवें आसमान से उतरी एक हूर ने! मैंने अपनी तपस्या से उसे सिद्ध किया और अपनी पत्नी बना लिया. उसने मुझे सम्पूर्ण यौनसुख दिया.

दोस्तो, मैं निशांत आपको अपनी सेक्स कहानी में एक आसमानी हुस्न परी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
काल्पनिक कहानी के पहले भाग
साधना से मिली हूर की परी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने साधना करके जन्नत की परी को सिद्ध करके अपनी पत्नी बनालिया था.
उर्वशी के साथ अर्धनग्न अवस्था में काम क्रीड़ा का सुख ले रहा था.

अब आगे हार्ड सेक्स विद हूर की परी:

उर्वशी ने मेरी धोती को निकाल दिया और मेरा बड़ा घोड़े जैसा लौड़ा खुली हवा में मुक्त हो गया.
उसने मेरे लौड़े को पकड़कर सहलाना शुरू कर दिया.
उसकी कोमल और बड़ी बड़ी उंगलियां मेरे लौड़े को पकड़कर मालिश करने लगीं.

उसने मुझे और अधिक आनन्द देने के लिए इसे थोड़ा अपने नाखून से खरोंच दिया.
फिर उसने मेरा लंड अपनी जलती हुई गर्म गीली चूत पर रख दिया.

जब हम चूम रहे थे तो हम एक दोनों के शरीर आपस में रगड़ने लगे थे.
मेरा लंड उसकी चूत के होंठों के बीच रखा हुआ था और हम पागलों की तरह रगड़ रहे थे.

इस रगड़ और घर्षण से उसकी चूत गीली होने लगी.
वह मेरे बड़े लिंग पर झरने की तरह अपनी चूत का रस चुहाने लगी.

अब उसने मुझे नीचे धकेल दिया और मैं नीचे आ गया.
मैंने उसकी चूत के होंठों को अलग कर लिया और उसकी चूत के रस को सूंघने लगा.

तभी मैंने उसकी चुत की मालिश करना शुरू कर दिया.

उसके मुँह से जोर से कराह निकली ‘आहह स्वामी … ह्ह्ह्ह् आहह हां स्वामी चाट लो मेरी गर्म योनि को!

यह सुनते ही मैंने अपनी जीभ से उसकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
मैंने उसकी चूत के होंठों पर चूसा और काट लिया; फिर उसकी चूत की मालिश करना शुरू कर दिया.

उसकी लेबिया (क्लिट) को चाटने लगा और जीभ को उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा.

उसने मेरे सिर को अपनी चूत में घुसा सा दिया.
वह अपनी चूत पर मेरी जीभ के काम का आनन्द ले रही थी.

वह हूर की परी हार्ड सेक्स से कराह कर बोली- आहह हह हह स्वामी … अब तक किसी ने भी ऐसा नहीं किया है. ऐसे ही अपनी जीभ से मेरे साथ सम्भोग करो … आह खा जाओ मेरी गर्म योनि को … पी जाओ मेरी गर्म चूत का पानी … आह ऐसा सुख मुझे स्वर्ग में भी ना मिला स्वामी.

मैंने घूम कर अपना लौड़ा उसके मुँह के पास रख दिया.
वह हाथों से मेरा लौड़ा सहलाने लगी और हम दोनों देखते ही देखते 69 की पोजीशन में आ गए.

उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी.

मैं गहरे आनन्द में था और उसकी चूत को लगातार खा रहा था.
हम दोनों एक दूसरे को खुश कर रहे थे. मैंने अत्यधिक जोश में आकर उसका सिर पकड़ लिया और अपना लंड उसके मुँह के अन्दर जोश में धकेलना शुरू कर दिया.

मैं अपने 13 इंच के लंड को उसके गहरे अन्दर छूते हुए महसूस कर सकता था.

उसके मखमली मुँह और गीले होंठों को मैं अपने बड़े लंड के चारों ओर लिपटा हुआ महसूस कर सकता था.
मैं अपनी मोटे लौड़े से उसका मुँह चोद रहा था.

यूं ही 25 मिनट तक लगातार हम दोनों एक दूसरे को मुँह से चोदते रहे थे.
वह मेरा लौड़ा बाहर निकाल कर मेरे लौड़े का सर चूसने लगी, जैसे कोई लॉलीपॉप हो.

वह बोली- स्वामी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मेरी गीली योनि को आपका गर्म लौड़ा चाहिए … चोद डालिए इस अप्सरा उर्वशी को!

मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, जो उसकी लार से गीला था.
उसके होंठों को चूमा और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया.

उसने हां में सिर हिलाया और मैंने लंड को उसके अन्दर धकेल दिया.

उसकी चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह कसी हुई थी. उसकी चूत की दीवारों ने लंड को ऐसे जकड़ लिया, जैसे कोई रेशमी मुट्ठी हो.

मेरे लौड़े और उसकी चूत की दीवारों का घर्षण शुरू हो गया.
इस घर्षण से जो सुख प्राप्त हुआ, वह अति आनन्द देने वाला था.

मेरा लौड़ा धीरे धीरे उसकी चूत की गहराई में जाने लगा.
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, अपनी टांगों को मेरे गांड पर दबाया, अपने नाखूनों को मेरी मेरी पीठ पर घुसा दिया.

हम दोनों आनन्द में तड़पने लगे.

मेरा 13 इंच का घोड़ा उसकी चूत की गहराई में धीरे-धीरे समाने लगा और अंत में मुझे उसके गर्भमुख को छूने का अनुभव हुआ.

वह सुंदरी अप्सरा तड़पने लगी और मुझे नोचने लगी.

मेरा लौड़ा पूरा उसकी चूत के रस से गीला हो चुका था.
फिर मैंने अपने लौड़े को ऊपर की तरफ खींचा और फिर से अन्दर धकेला.

हार्ड सेक्स उस हूर की परी की सांसें बहुत गर्म हो चुकी थीं.
उसके मुँह से कराहने की आवाज आने लगी ‘आअअ स्वामी आआह इइइ.’

मैंने धीरे धीरे गति बढ़ाना शुरू की.
लंड को चुत में अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.
मैंने उसे और तेजी से चोदना शुरू कर दिया.

मेरा बड़ा मोटा 13 इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर चुदाई कर रहा था.
उसने अपने बड़े-बड़े नाखून मेरी पीठ पर घुसा दिए और मेरे कान और कंधे पर काटने लगी.

दर्द और सुख का अनुभव एक साथ हो रहा था जो अकल्पनीय था.
उसकी गर्म सांस मेरे होंठों को छू रही थी.

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और उसका रस पान करने लगा.

इधर मेरा लौड़ा उसकी चूत की चुदाई कर रहा था.
मैं महसूस कर सकता था कि मेरा लंड उसके गर्भाशय को छू रहा है.

मैंने उसे गहरी और तेज़ी से चुदाई करते जा रहा था.
उसकी चूत किसी भट्टी की तरह गर्म थी.

उसकी गर्म और गीली चूत के अन्दर मेरा लौड़ा किसी गर्म इंजन के पिस्टन की भांति जो पूरी तरह गीला हो, उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगा.
मेरा गर्म पिस्टन उसकी गीली गर्म चूत की दीवारों के अन्दर घिस रहा था.

इस गर्म पिस्टन और चूत के दीवारों में जो घर्षण हो रहा था, उससे हम दोनों के शरीरों में जोश एवं सुख की तरंगें फैल रही थीं.

जब भी मैं उसके स्तनों के निप्पलों को अपने दांतों से पकड़ कर ऊपर खींचता, उसकी चूत की दीवारें मेरे लौड़े को और तेजी से जकड़ लेतीं … जिससे हम दोनों का आनन्द दोगुना हो जाता.

ऐसा मैंने कई बार किया.
उसने मुझसे कहा- स्वामी, और तेजी से चोदो … मेरी चूत फाड़ दीजिए … मेरी चूत के चिथड़े उड़ा दीजिए. मैं आपके लौड़े का बहुत आनन्द ले रही हूं. यह सुख तो स्वर्ग लोक में भी ना मिला … स्वामी और तेज … आह आहह आहह ह् स्वामी!

मेरे लौड़े को उसकी चूत पर मारने से थप थप थप थप की आवाज जोर जोर से पूरी गुफा में गूंज रही थी.
हम दोनों अनंत काम में डूबे हुए थे.

एक दूसरे की बांहों में एक दूसरे को प्यार कर रहे थे.
इसी तरह 45 मिनट बीत गए, परंतु लग रहा था जैसे अभी कुछ ही क्षण बीते हों.

हम दोनों काम रस में पूरी तरह डूबे हुए पूरी दुनिया भूल कर चुदाई में मस्त थे.

हमें देखकर ऐसा प्रतीत होता था जैसे दो जंगली जानवर संभोग कर रहे हों.
पूरी गुफा चुदाई की आवाज से गुंजायमान थी.

हम दोनों की आवाज में ऐसी प्रतीत होती थी जैसे शेर दहाड़ की ध्वनि करते हैं.

रात गहरा रही थी लेकिन हम दोनों का काम संगम अभी तक अपने चरम पर नहीं पहुंचा था.

यह धीरे-धीरे चरम सुख की ओर बढ़ता जा रहा था.

मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से बाहर निकाला जो उसकी चूत के रस से पूरी तरह गीला हो चुका था.

तब मैंने उसकी मोटी चूचियां वह आपस में दबाया और उनके बीच में डालकर चूचियां चोदने लगा.

मेरा लौड़ा उसके मुँह तक पहुंच रहा था.
उसने अपना मुँह खोल कर ले मेरे लौड़े को अपने मुँह के अन्दर ले लिया.

चूचियों का सख्त भाग और मुँह का साथ मिलने से मेरा लौड़ा और टाइट हो गया.

मैं चरम सुख के शिखर पर आ गया था.
पर न जाने क्यों मुझे स्खलन होता नहीं दिख रहा था.

ऐसा ही कुछ मिनट तक चलता रहा.
मैं जोर-जोर से उसकी चूचियां और मुँह चोद रहा था.

मैंने उस हूर को कुतिया बनने का निर्देश दिया.
वह कुतिया की पोजीशन में आ गई.

मैंने उसकी गांड पर तीन-चार जोर जोर से थप्पड़ मारे तो उसके मुँह से कराह निकलने लगी.

फिर मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत के छेद में टिकाया और जोर से पेल दिया.
तेरह इंच का मोटा लंड एक झटके में चुत में घुसा तो उसकी आह निकल गई.

लेकिन वह एक आसमानी परी थी तो लंड का झटका सहन कर गई.
मैं जोर जोर से उसकी चूत चोदने लगा.

हार्ड सेक्स की फट फट की कामुक कर देने वाली आवाज पूरी गुफा में गूंज रही थी.

हम दोनों शेर शेरनी की तरह चुदाई कर रहे थे.

कुछ देर बाद मैंने अपना लौड़ा निकाल कर उसकी गांड के छेद पर सटा दिया और दाब देने लगा.
धीरे-धीरे मेरा लौड़ा उसकी उसकी गांड में जाने लगा.

वह जोर से चिल्लाने लगी- आहह ह्ह्ह् स्वामी ऐसा मत कीजिए … आपकी सेविका को बहुत दर्द होगा. मेरे साथ आजतक कभी किसी ने नहीं किया.
पर मैं रुका नहीं.

मैंने उसकी गांड में अन्दर तक अपना लौड़ा डाल दिया और उसकी गांड मारने लगा.
उसकी गांड चूत से भी ज्यादा टाइट थी.
मुझे उसकी गांड मारने में और अधिक आनन्द आने लगा.

फिर मैंने हाथ आगे से डालकर उसकी चूचियां पकड़ लीं और चूचुक मींजने लगा.

कुछ देर बाद वह भी इसका आनन्द लेने लगी और कहने लगी- आह स्वामी ऐसे ही मेरी गांड मारो … इस कुंवारी गांड आपके लिए ही अभी तक बची हुई थी. मेरी गांड मार लीजिए स्वामी … आहह हह हह … मुझे बहुत मजा आ रहा है जन्नत में किसी ने नहीं मारी … आप गांड फाड़ दीजिए मेरी … इस सुख से मैं अभी तक अनजान थी. आप मुझे इस सुख के बारे में और बतलाइए और सिखाइए!

मैं उसकी गांड में अपना मूसल छाप लंड पेलते हुए उसे गांड चुदाई के फायदे बताने लगा.
उसके साथ सेक्स करते हुए मुझे 3 घंटे से ज्यादा बीत चुके थे.

मैंने अपना लौड़ा उसकी गांड से बाहर निकाला और नीचे लेट गया.
फिर उससे कहा- मैं बहुत देर से तुम्हारी चुदाई कर रहा हूं. अब तुम मेरा साथ दो और मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े की सवारी करो.

वह समझ गई कि मैं किस पोजीशन की बात कर रहा हूं.
बस वह उठी और मेरे लौड़े पर आकर उसने अपनी चूत को लंड से लगा लिया.

लंड अन्दर लेते ही वह जोर जोर से मेरे लौड़े की सवारी करने लगी.
मैंने उसकी चूचियां अपने हाथ में लेकर निप्पल को बाहर को खींचा.

हम दोनों अति आनन्द में चुदाई कर रहे थे.
वह किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे लौड़े की सवारी कर रही थी और अति आनन्द का सुख दे रही थी.

हम दोनों ही चरम सुख की तरफ बढ़ रहे थे.

मैंने उससे कहा- मेरा वीर्य निकलने वाला है.
वह बोली- स्वामी मैं भी चरम सुख के पास हूँ और मेरा भी योनिरस निकलने वाला है.

मैंने उसे वापस बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत और लौड़ा जोर से डालकर उसे और जोर जोर से चोदने लगा.
हम दोनों ही चरम सुख की तरफ बढ़ रहे थे.
मैं उसे किस करने लगा और उसकी चूत जोर-जोर से मारने लगा.

अगले एक मिनट बाद मुझे लौड़े पर गर्म लावा बहता सा महसूस हुआ.

मैंने उससे कहा- मेरा वीर्य निकलने वाला है.
वह बोली- आहह स्वामी लगता है, मेरा भी पानी छूट रहा है. आप मेरी योनि के अन्दर अपना सारा वीर्य निकाल दें.

हम दोनों एक साथ चरम सुख को प्राप्त हुए.
मेरा वीर्य उसकी चूत के अन्दर बहने लगा.
और उसका पानी भी छूट गया.

मेरा वीर्य और उसकी चूत का पानी मिल कर उसकी जांघों से होकर नीचे बहने लगा.

हम दोनों चरम सुख को प्राप्त करने के बाद एक दूसरे की बांहों में बांहें डाले हुए पड़े थे.

चार घंटे की संभोग क्रिया के बाद हम दोनों चरम सुख में पड़े थे.
अभी भी मेरा लौड़ा उसकी चूत के अन्दर पड़ा हुआ था.

मेरा शरीर उसके शरीर पर चिपका हुआ था.
हम दोनों पसीने से तरबतर निढाल पड़े थे.

मैंने उसे प्यार से चुंबन किया और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए.

सुबह नींद खुली, तो वह जा चुकी थी.
स्वामी जी ने बताया था कि अप्सरा को जब चाहे बुला सकते हो.

मैं वहां से तैयार होकर वापस स्वामी जी के पास आया और उन्हें सारी बात बताई कि कैसे मैंने उर्वशी को सिद्ध कर लिया है.

बाद में मैं वापस दिल्ली आ गया और उर्वशी अप्सरा के प्रभाव से मैंने अपना खुद का बिजनेस खोल लिया.
जल्द ही मैं एक बड़ी कंपनी का मालिक बन गया हूँ.

जब भी मेरा सेक्स करने का मन होता है, मैं उर्वशी को बुला लेता हूं.
वह मेरी पत्नी रूप में बहुत सेवा करती है.

यह हार्ड सेक्स विद हूर की परी कहानी आपको कैसी लगी?
मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
मैं अपने और भी अनुभव अन्य दूसरी सेक्स कहानी के माध्यम से शेयर करूंगा.
धन्यवाद.
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