जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -1

(Jabalpur Ki Mamta Ki Atript Vasna- Part 1)

This story is part of a series:

मैं राहुल श्रीवास्तव मुंबई से… मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता हूँ और मेरी उम्र 30 साल है।
मेरे ऑफिस में एक दोस्त हैं राजीव रंजन जी.. उम्र 47 साल है.. अच्छी सेहत के मालिक हैं.. उनका बदन कसरती है। वे कंप्यूटर नहीं जानते थे.. जब से हमने उनको कंप्यूटर सिखाया तब से वह हमको बहुत मानते थे। फिर हमने उनको इंटरनेट पर काम करना भी सिखाया और फेसबुक पर आईडी बना दी और चैट करना भी सिखाया।

पहले ही दिन उन्होंने काफी लड़कियों को फ्रेंड्स रिक्वेस्ट भेजी.. उनमें से एक जबलपुर की महिला ने उनसे दोस्ती स्वीकार कर ली.. अब आगे की कहानी राजीव रंजन जी की जुबानी सुनिए।

दोस्तो.. मैं राजीव अपने दोस्त राहुल का शुक्रगुजार हूँ.. जिसने मुझे एक नई दुनिया दिखाई।
मैंने अपनी 23 साल की शादीशुदा जिंदगी से बाहर कभी सेक्स नहीं किया था.. पर काफी समय से मेरी बीवी की सेक्स से बेरुखी से.. मैं बहुत परेशान था। किसी बाज़ारू औरत के पास जाने में डर भी लगता था.. अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुँचने देना चाहता था।

ऐसे में जब ममता (नाम चेंज, इस कहानी की नायिका) से मेरी फेसबुक पर दोस्ती हुई तो मैं बहुत खुश हुआ।

ममता का परिचय- करीब 39 साल की शादी-शुदा महिला थी.. उसका उसके पति की साथ तलाक का मुकदमा चल रहा था। उसके एक बेटा 19 साल और बेटी 16 साल की थी.. जो अपने पति से अलग रह कर एक चार्टेड अकाउंटेंट के यहाँ काम करती थी।

मैंने और ममता.. हम दोनों ने बात करनी शुरू की और जल्दी वो मेरी रोमांटिक बातों से प्रभावित हो गई और अपने पर्सनल बात शेयर करने लगी।
धीरे-धीरे हमारी बातें सेक्स की ओर बढ़ने लगी। उसने बताया कि उसकी शादी काफी कम उम्र में उसकी मर्ज़ी की खिलाफ हो गई थी.. और उसके पति ने सुहागरात को शराब पीकर उसके जिस्म को बेदर्दी से नोंच कर.. उसका कौमार्य भंग कर दिया था।
शादी की पहली रात को वो बेहोश हो गई थी और डॉक्टर के पास जाना पड़ा था। उस वक़्त वो सिर्फ 18-19 साल की थी। उसका पति रोज़ शराब पीकर उसके बदन की साथ जानवरों जैसा सुलूक करता और काफी बेदर्दी के साथ सम्भोग करता था। उनकी उसी गन्दी हरकतों की वज़ह से उसका बेटा समय से पूर्व ही पैदा हुआ था।

मैंने ममता की इस दर्द भरी बात सुनकर उससे काफी हमदर्दी दिखाई.. तब से वो मुझसे हर बात शेयर करने लगी। हम अब फ़ोन पर भी सेक्स पर खुल की बात करने लगे थे। मेरी जिंदगी रंगीन होने लगी थी.. हम दोनों अब काफी पास आ गए थे। मैं उसके साथ काफी प्यार से पेश आता था।
हम फोन सेक्स भी करने लगे थे।

अब मैं रोज़ उसकी ब्रा का रंग पूछा करता था और वो कहती थी- क्यों बताएं?
उसके साथ बात करके मेरा 6 इंच का लण्ड खड़ा हो जाता था.. जिसको मैं उसको बता देता था.. तब वह हँसने लगती थी।

ममता- राजी मुझको कभी प्यार नहीं मिला.. क्या तुम मुझे बताओगे कि प्यार क्या होता है?
मैं- हाँ.. मैं तुमको बताऊंगा कि प्यार क्या होता है..
ममता- क्या होता है?
मैं- तुमको अपनी बाँहों में लेकर तुम्हारी आँखों में डूब कर.. तुमको प्यार करूँगा।

मेरे अरमान जागने लगे थे.. मेरा मन अब उसको चोदने को करने लगा था। रोज़ मैं उसको याद करके जबरदस्ती या तो अपनी पत्नी को चोदता था या फिर मुठ्ठ मार कर सो जाया करता था।

एक दिन मैंने उससे बोला- मुझे तेरे जिस्म को देखना है..
ममता- अच्छा जी.. ठीक है फोटो भेज देती हूँ।
मैं- नहीं.. मुझे तुमको अपने आँखों के सामने बिना कपड़ों के देखना है..
ममता- पागल हो क्या.. कैसे देखोगे और कहाँ?
मैं- मैं आ जाऊँगा तेरे शहर जबलपुर..
ममता- नहीं.. मैं यहाँ तुमसे नहीं मिल सकती..।
मैं- क्यों नहीं मिल सकती.. मैं अगले शनिवार जबलपुर आ रहा हूँ.. सिर्फ तुमसे मिलने.. अब तुम्हारी मर्ज़ी.. तुम मिलो या न मिलो..

दोस्तो, उसके मना करने के बावजूद मैंने अपना टिकट गरीबरथ से मुंबई से जबलपुर का करा लिया। उसको मैंने नहीं बताया क्योंकि वो बहुत डरती थी कि कोई देख लेगा.. लोग क्या कहेंगे..आदि।

सही बताऊँ.. तो इस उम्र में मुझे अपने टीन ऐज वाला अहसास हो रहा था। मेरा लण्ड अब हर समय खड़ा रहता था, मेरे दिलो-दिमाग में सिर्फ ममता को चोदने का ख्याल रहता था।

एक बात और.. इतनी सारी बातों में अभी तक उसके बदन का कोई अनुमान नहीं लगा पाया था। उसकी कमर कैसी हो गई होगी.. मम्मों का साइज क्या होगा.. क्योंकि वो हमेशा अपने फोटो ऐसी भेजती थी.. जिसमें वो सलवार सूट में होती थी और उसकी फिगर का अंदाज़ करना मुश्किल था।

खैर.. शुक्रवार की शाम..

मैं- ममता मैं अभी जबलपुर के लिए निकल रहा हूँ.. कल सुबह पहुँच जाऊँगा।
ममता- क्या.. मत आओ.. मैं नहीं मिल पाऊँगी.. मुझे बहुत डर लगता है।
मैं- नहीं.. अब तो ट्रेन चल पड़ी है.. तुम्हारी मर्ज़ी.. तुम मिलो या न मिलो। मैं सिर्फ और सिर्फ तुमसे मिलने आ रहा हूँ।
ममता- अरे सुनो तो.. ठीक है देखते हैं।
और हमारी फ़ोन की बात खत्म हो गई।

अगली सुबह मैंने जबलपुर पहुँच कर एक बेहतरीन होटल समदड़िया में एक रूम ले लिया।
अभी मैं फ्रेश हो कर निकला ही था कि मेरे फ़ोन की घन्टी बजी।
ममता- कहाँ हो?
मैं- समदड़िया होटल में रूम नंबर 102 में..

ममता- देखो मैं होटल में नहीं आ सकती.. कोई देख लेगा। ऐसा करो तुम नर्मदा घाट पर आ जाओ.. मैं भी वहीं आती हूँ.. मेरे साथ मेरी बेटी भी आएगी।

मैं- ठीक है.. मैं आधे घंटे में मिलता हूँ।

फिर मैं फ्रेश होकर टैक्सी बुला कर नर्मदा घाट के लिए निकल पड़ा। रास्ते में मैंने उसके लिए गिफ्ट और कुछ गुलाब और चॉकलेट्स खरीदे और वहाँ पहुँच कर मैं उसका इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर में वो अपनी बेटी के साथ वह आई। वाओ.. क्या खूबसूरत थी.. टाइट जीन्स और टी-शर्ट में.. वो बला की खूबसूरत लग रही थी। उसके मम्मे मस्त दिख रहे थे.. शायद 36 साइज था। गुलाबी होंठ.. हल्का सांवला सा रंग.. कुल मिला कर वो सेक्स की परी लग रही थी। उसकी जांघें बहुत भरी-भरी थीं.. सपाट पेट.. मेरी आँखें उस पर से हट ही नहीं रही थीं।

मेरा लण्ड करवट बदलने लगा था.. पर साथ में उसकी बेटी को देख कर मेरे अरमानों पर पानी फिर गया। पर मैं कर कुछ नहीं सकता था.. बस ममता को चोदने का मन करने लगा।

तभी उसकी बेटी ने कहा- माँ मैं अपनी फ्रेण्ड के यहाँ हो आऊँ?
ममता कुछ बोलती.. इसके पहले मैंने कहा- हाँ हाँ.. हो आओ.. मैं इनको ऑफिस छोड़ दूँगा..

बेटी ‘ठीक है..’ कह कर चली गई।
ममता- ऐसा क्यों कहा.. वो क्या सोचेगी?
मैं- क्या सोचेगी.. कुछ नहीं सोचेगी..

मैं उसका हाथ पकड़ कर थोड़ा सुनसान की तरफ चला गया। वहाँ कुछ और कॉलेज के जोड़े बैठे थे.. मैं धीरे-धीरे उसका हाथ सहलाने लगा, उसको यहाँ-वहाँ टच करने लगा।
ममता- क्या करते हो.. कोई देखेगा तो क्या सोचेगा..
मैं- क्या सोचेगा.. वो देखो सब एक-दूसरे को कितना प्यार कर रहे हैं..
मैं दूसरे जोड़ों को दिखाते हुए बोला।

यह सब देख कर ममता के गोरे गाल बिलकुल लाल हो गए। मेरा दिल मचल गया.. लण्ड करवट ले रहा था.. मैं बहुत असहज महसूस कर रहा था।
ममता- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं..
‘क्यों ‘वो’ बहुत परेशान कर रहा है क्या?’ ममता एक नॉटी सी मुस्कराहट के साथ बोली।

मैं- हाँ.. तुमको पता है न.. तेरी आवाज़ सुन कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है.. और अब तो तुम मेरे बिलकुल बगल में हो.. तो लण्ड भी तेरी गर्मी से अकड़ गया है।
ममता- छी: तुम कितने गंदे शब्द यूज़ करते हो..
मैं- इसमे गन्दा क्या है.. तुम भी बोलो.. तुमको भी मज़ा आएगा.. पता है न सारे हिंदी वर्ड..
ममता- हाँ पता है.. पर मुझको शर्म आती है..
मैं- देखो जान.. खुल कर हिंदी वर्ड यूज़ करोगी.. तो तुमको और मज़ा आएगा और मुझको भी अच्छा लगेगा।

दोस्तो, ऐसा लग रहा था कि मैं वापस अपनी पुरानी 20-21 साल वाली उम्र में पहुँच गया हूँ।

मैं जानता हूँ कि अभी तक वो सब कुछ आपको नहीं मिला.. जिसकी चाहत में आप यहाँ आते हैं.. पर दोस्तो, इतना डिटेल में इसलिए लिखा कि आप इस कहानी के साथ अपने आपको जोड़ सकें। यहाँ मौजूद सभी लड़के यह जानते हैं कि किसी लड़की को सेक्स के लिए तैयार करने में कितना टाइम लगता है.. और तब जाकर वो घड़ी आती है कि आप सम्भोग का सुख पाते हैं।

मेरे पास समय कम था.. सो मैंने अपने कदम आगे बढ़ाने की सोचा। `
मैंने कहा- चलो.. लंच करने चलते हैं।
उसने हामी भरी।

मैं उसको लेकर होटल आ गया.. जहाँ से लंच के बाद उसको अपने कमरे में ले गया। वो बहुत डर रही थी.. पर मैं नहीं माना और जबरदस्ती उसको कमरे में ले गया। कमरे का दरवाजा बंद करके मैं उसको लेकर बिस्तर पर गया और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर प्यार से बातें करने लगा।
थोड़ी देर में वो नार्मल हो गई और शायद भूल गई कि वो मेरे साथ अकेले कमरे में है।

साथियो.. जीवन के मोड़ पर ममता और मेरा यह एकदम नया अनुभव हम दोनों को किस पड़ाव पर ले जाने वाला था इसको पूरा जानने के लिए हिन्दी सेक्स कहानी की साइट अन्तर्वासना डॉट कॉम पर मेरे साथ जुड़े रहिए।
आपके विचारों का मेरी मेल पर स्वागत है।
कहानी जारी है।
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