चुदाई-समझौता

दोस्तो, मेरा नाम विवेक है, आपने मेरी कहानी
दिव्या के साथ सुनहरे पल
पढ़ी होगी।

मैं अपने दूर के रिश्ते के चाचा के घर रहकर पढ़ाई करता था। घर में चाचा उम्र 29 साल, चाची उम्र 26 साल, चाची की माँ जिसे हम नानी कहते थे, उम्र 55 साल और चाची की बहन की बेटी रागिनी रहते थे। चाचा प्रखण्ड कार्यालय में काम करते थे और उसी इलाके में अवस्थित डाक-बंगला जो बहुत बड़ा था, के पिछले हिस्से में रहते थे। पिछले हिस्से में तीन बड़े-बड़े कमरे थे। यह तो आप मेरी पिछली कहानी में जान ही चुके हैं। अब नई कहानी।

डाक-बंगले के अगले हिस्से में मेरे चाचा के दफ्तर के कई लोग अक्सर आकर ठहरते थे। एक थे दिनेशजी, जिन्हें विभाग से अब तक कोई क्वार्टर नहीं मिला था। अतः वो बिना परिवार के ही अगले हिस्से के एक कमरे में ठहरे हुए थे। पास में ही एक चाय-नाश्ते की दुकान थी जिसे एक लंगड़ा व्यक्ति चलता था। उसकी पत्नी जो एक तीखे नैन-नक्श की औरत थी, दोनों वक्त का खाना दिनेशजी को पहुँचा देती थी।

कुछ दिनों के बाद उस औरत का दिनेशजी के साथ संबंधों की बात होने लगी। हालाँकि दिनेशजी शादी-शुदा उम्रदराज व्यक्ति थे, जिनके तीन लड़के और दो लड़कियाँ थी। इस अफवाह के बाद कार्यालय के सारे लोगों ने सोचा कि दिनेशजी के परिवार को बुला लेना ही ठीक होगा और उनके परिवार को बुला लिया गया।

उनकी पत्नी को कोई भी खूबसूरत औरत नहीं कह सकता था। सबसे बड़ा लड़का राजीव 22 साल का, उसके बाद दो जुड़वाँ भाई-बहन विनोद और रानी 20 साल के, उससे छोटी बहन पुष्पा 18 साल की और सबसे छोटा भाई राजू 14 साल का था।

बड़ी लड़की रानी का रंग गेहूंआ था और बहुत खूबसूरत थी। बड़ी-बड़ी आँखें, सुतवां नाक, गोल चेहरा, बड़े-बड़े चूचे, भरा-भरा गदराया बदन, बल खाती कमर यानि बहुत सुन्दर।

हालाँकि छोटी बहन पुष्पा उससे ज्यादा गोरी-चिट्टी थी, सामान्य सुन्दर भी थी पर मुझे रानी ही ज्यादा आकर्षक लगती थी। सबसे ज्यादा आकर्षण रानी की आँखों में था जो हमेशा आमंत्रण देता हुआ सा लगता था। जब से वो लोग आए थे, मैं हमेशा रानी को चोदने की कल्पना करने लगा। पर वो थोड़ी रिजर्व किस्म की लड़की थी।

वैसे मेरी दोस्ती विनोद से और रागिनी की दोस्ती पुष्पा से हो गई थी। रानी से भी कभी-कभार बातचीत हो जाया करती थी।

पुष्पा काफी मस्त लड़की थी। कुछ ही दिनों में शायद उसे इस बात का एहसास हो गया कि मेरे रागिनी के साथ सम्बन्ध हैं। उसने रागिनी को कुरेद-कुरेद कर पूछ ही लिया, और रागिनी ने भी सारा कुछ उगल दिया।

उसने पहले कभी चुदवाया नहीं था। अब वो रागिनी को जोर देने लगी कि किसी तरह मैं भी उसे चोद दूँ। शुरू में तो रागिनी ने मना किया पर बाद में वो मान गई।

रागिनी ने मुझसे कहा तो मेरा मन भन्ना गया, क्योंकि मैं तो रानी का ख्वाब देख रहा था। खैर मैंने शर्त रखी कि यदि पुष्पा मुझे रानी को चोदने का जुगाड़ कर दे तो मैं उसे भी चोद दूँगा।

पुष्पा ने यह शर्त मान ली। पर उसकी भी एक शर्त थी कि पहले मैं पुष्पा को ही चोदूँ। मैंने भी मान लिया।

कुछ ही दिनों बाद यह मौका आ गया। चाची के मायके में कोई उत्सव था। चाचा, चाची और नानी एक हफ्ते के लिए बाहर चले गए। एक नौकरानी थी जो हम लोगों का खाना बना दिया करती थी। चाचा ने मुझे अपने कमरे में सोने को कहा था और रागिनी को नानी के कमरे में। रानी के साथ ही पुष्पा भी आकर सोने लगी।

पहले दिन तो ठीक रहा पर दूसरे दिन उन दोनों ने जबरदस्ती मुझे अपने कमरे में खींच लिया। फिर तो शुरू हो गया मस्ती का आलम। सबसे पहले रागिनी ने अपने सारे कपड़े उतार लिए और मेरे कपड़े भी उतार दिए। फिर उसने मेरे लौड़े को सहलाना शुरू किया। फिर मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी।

कुछ ही देर में मेरा लौड़ा साढ़े छः इंच लम्बा और कड़क मोटा हो गया। मैंने देखा पुष्पा बड़े गौर से मेरे लंड को निहार रही थी।

जैसे ही मेरा लंड कड़क होकर फनफनाने लगा, वो देखकर डर गई और कहने लगी- मुझे नहीं चुदवाना है, मेरी तो बुर ही फट जायेगी। लेकिन जब मैंने शर्त की बात याद दिलाई तो वो चुप हो गई। क्यूंकि मुझे तो बाद में रानी को भी चोदना था।

रागिनी ने उसे समझाया कि कुछ नहीं होगा, शुरु में थोड़ा सा दर्द होगा पर बाद में मजा आएगा।

वो मान गई। अब मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किये। पहले उसके सलवार-शमीज को उतारा। वो इतनी गोरी थी कि मैं उसके ब्रा और पैंटी में कसे शरीर को देखकर मैं पागल हो गया।

मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचियों को दबाने लगा। उसे भी मस्ती आने लगी और शरमाते हुए उसने भी अपना हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया। उसके नाजुक हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे लंड की हालत बेकाबू होने लगी।

इस बीच रागिनी ने अपने हाथ पुष्पा की पैंटी में डाल दिया और उसके बुर को सहलाने लगी। कुछ ही देर में उसके बुर से हल्का सा पानी आने लगा। रागिनी ने मुझे इशारा किया कि माल चोदने के लिए तैयार हो चुका है।

अब मैं पुष्पा के होठों को चूसने लगा और रागिनी उसके शरीर को ब्रा और पैंटी से आजाद करने लगी। जब वो पूरी नंगी हो गई तो मैंने उसकी टांगों को अलग करके उसकी गुलाबी बुर को चाटने लगा। मैं तो जैसे स्वर्ग में उड़ने लगा।

कुछ ही देर चूसने के बाद पुष्पा मेरे सर को अपनी बुर पर दबाने लगी और अपनी टांगों को मेरे सर पे कस दिया। अब मुझे भी लगा कि वक्त आ गया है।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों पैरों के बीच में आ गया। अपने लंड को उसके बुर के मुहाने पर रगड़ने लगा। वो सी-सी करने लगी और मदहोश हो गई। रागिनी ने भी मुझे इशारा किया और अपने चूची को पुष्पा के मुँह में डाल दिया। पुष्पा उसकी चूची को चुभलाने लगी। मैंने देखा पुष्पा का ध्यान चूची चूसने में है तो मैंने अपने लंड को उसकी बुर पर दबाया तो फक से उसके बुर में लगभग मेरा आधा लौड़ा चला गया।

पुष्पा छटपटाई और शायद चिल्लाई भी, पर उसकी आवाज निकल नहीं पाई क्यूंकि उसके मुंह में तो रागिनी की चूची थी।

उसने रागिनी के चूची पर दांत गड़ा दिए। मैंने भी उसके कमर को कस कर पकड़ रखा था। अब मैं आधे लंड को ही अंदर बाहर करने लगा।

कुछ देर के बाद वो सामान्य हो गई और फिर से रागिनी की चूची को चूसने भी लगी और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को मसलने भी लगी।

रागिनी ने फिर मुझे इशारा किया अब मैंने कमर का एक जोरदार धक्का लगाया और अपने लौड़े को उसके बुर में जड़ तक घुसा दिया। वो फिर थोड़ा कुनमुनाई पर अब मैं रुका नहीं और जोर-जोर से लौड़े को अंदर-बाहर करने लगा।

उसकी बुर इतनी कसी थी कि मेरा लंड काफी कसकसाकर और रगड़ खाकर आगे-पीछे हो रहा था, इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत। आठ-दस धक्कों के बाद ही उसके बुर ने पानी छोड़ दिया। अब तो धक्के में और मजा आने लगा। सारा कमरा फच-फच की आवाज से गूंजने लगा।

पुष्पा भी जोश में आ गई और कमर उछाल-उछाल कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी।

इस बीच रागिनी ने भी कभी मेरी गांड में अंगुली करके तो कभी पुष्पा की चूची मल कर हम दोनों को ही मस्त करने लगी। पुष्पा की बुर ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया था। हम लोग भीषण चुदाई में लग गए। मैं भी पुरजोर धक्के लगाने लगा। पुष्पा भी कमर उछालते हुए थक गई थी। थक तो मैं भी गया था पर मेरा माल निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था।

फिर रागिनी को ही एक आइडिया आया। उसने मेरे गांड को चाटना शुरू कर दिया। मैं तो मस्ती में सराबोर हो गया। मेरी कमर सुपर-फास्ट स्पीड से चलने लगी करीब पच्चीस-तीस धक्कों के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा।

पुष्पा भी पूरा साथ दे रही थी, उसने कहा- मैं तो फिर से जाने वाली हूँ।

मैंने भी कहा- मैं भी अब जाने ही वाला हूँ।

करीब दस धक्कों के बाद मैं और पुष्पा एक साथ ही झड़ गए, रह रह कर मेरे लौड़े से पिचकारी सी छूटने लगी। इसका एहसास होने पर पुष्पा ने मुझे कसकर जकड़ लिया और हम दोनों ही निढाल हो गए।

पर रागिनी ने कहा- यह तो बेईमानी हुई, मैं तो अभी चुदी ही नहीं।

मैंने उसे आश्वासन दिया कि दो घंटे बाद तुझे भी चोदूँगा तो वह मान गई। रात के तीन बजे मैंने उसे भी चोदा।

तो दोस्तो, यह मेरी समझौते वाली चुदाई थी।

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