टी वी की सुधराई

ghayald 2007-08-07 Comments

प्रेषक : अतुल अग्रवाल

अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ने के बाद मैंने भी एक कहानी लिखने की कोशिश की। यह एक सच्ची कहानी है। मेरी कहानी में एक नया अनुभव है जो मेरा एक सबक है और मेरा पहला सेक्स है।

यह बात करीब छः साल पुरानी है जब मैं अपनी टी वी की दुकान पर बैठता था। मेरी दुकान पर एक औरत टीवी सुधरवाने आई। वो करीब बाईस साल की थी। मैंने उसे देखा तो वो गाँव से आई लगती थी। उसके टीवी में कुछ समस्या थी इसलिए वो टी वी शहर में लेकर आई। मैंने टीवी को देखा तो लगभग ठीक है बस बिजली सप्लाई में थोड़ी खराबी थी। मैंने उसे सौ रुपए का खर्चा बताया।

उसने कहा- मेरे पास रुपए कम हैं, आप इसे ठीक करके रखो। मैं इसे मंगल को ले जाउँगी।

मैंने फिर उसकी तरफ देखा तो वो मुझे कुछ परेशान लगी। अचानक उसने कहा- आप टीवी रविवार को मेरे घर पर ले आना ! मैं रुपए वहीं पर दे दूंगी ! मेरा घर ग्राम ……… सिहोर में है। और उसने फिर अपना मोबाइल नम्बर दे दिया।

फिर मैंने उसको ऊपर से नीचे तक देखा, वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। उसके स्तन लगभग अमरुद के बराबर थे रंग थोड़ा सांवला और होंट गुलाबी न होकर कुछ गहरे रंग के थे पर एक सेक्स की अपील उसमें कूट कूट कर भरी थी। मैंने सोचा कि अब तक इसे मैं क्यों नहीं देख रहा था। इतने में चाय वाला चाय लेकर आ गया तो मैंने उससे चाय के लिए पूछा। पहले तो वो मना करने लगी पर मेरे ज्यादा जोर देने पर मान गई। फिर हम चाय पीने लगे। मैं चाय पीते पीते उसको ही देख रहा था। शायद उसको भी पता लग गया था कि मैं उसमें दिलचस्पी ले रहा हूँ तो वो भी थोड़ी सी खुल गई।

मैंने उससे पूछा- घर में कौन कौन है?

तो उसने कहा- मेरी सास और मेरे पति हैं, पति ड्राईवर है जो अक्सर बाहर रहता है, सास काम पर जाती है, मैं घर पर रह कर घर का काम करती हूँ।

उसने कहा- रविवार को आप ग्यारह बजे तक आना ! बिजली साढ़े दस तक आती है।

मैंने कहा- समय मिला तो आ पाउंगा और घर पर आने के लिए 50 रुपए अलग से देने होंगे।

इस पर वो कहने लगी- मेरे पास इतने रुपए तो नहीं हो पाएँगे, आप ही कोई रास्ता सोचो !

मैं उस वक्त दुकान पर था तो मैंने कहा- आपके घर पर आकर ही बात करेंगे !

मेरे ऐसा कहने पर वो मेरा मोबाइल नम्बर मांगने लगी तो मैंने मना कर दिया। पर वो बहुत ही जिद करने लगी तो मैंने अपना मोबाइल नम्बर दे दिया।

इसके बाद वो चली गई और मैं अपने काम में लग गया और बात मेरे दिमाग से उतर गई। पर रविवार को लगभग साढ़े ग्यारह बजे एक फोन आया- आप आ रहे हैं क्या ?

मैंने पूछा- आप कौन बोल रही हैं?

तो वो कहने लगी- मैं नीतू बोल रही हूँ !

मैं नीतू नाम से किसी को नहीं जानता था, मैंने कहा- मैं आपको पहचान नहीं पा रहा हूँ !

तो उसने कहा- आप टीवी लेकर आने वाले थे ना !

तब ध्यान आया कि यह वही औरत है। फिर मैंने कहा- आज तो मैं शायद नहीं आ पाउँगा क्यूंकि मैं आज भोपाल जा रहा हूँ।

तो वह कहने लगी- आपके रास्ते में ही तो पड़ेगा, आप थोड़ा समय निकाल कर आ जाओ !

तो मैंने जबाब दिया- मैं देखता हूँ !

फिर मैंने सोचा कि जाना ठीक रहेगा या नहीं !

इसी तरह सोचते हुए लगभग बीस मिनट हो गए। फिर सोचा- होकर तो आते हैं, जो होगा देखा जाएगा। इस तरह मैं उसके घर पहुँच गया। वो वहाँ पर बिल्कुल अकेली थी। मैं अकेला था तो टीवी तो नहीं ले गया तो उसने पूछा- टीवी कहाँ पर है?

मैंने कहा- मेरे साथ कोई नहीं था इसलिए टीवी तो नहीं ला पाया, वैसे टीवी तो सुधार दिया है, आप उसे ले आना !

तो वो मुझे पैसे देने लगी तो मैंने कहा- दुकान पर दे देना !

तो वो कहने लगी- मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं, आप अभी इतने ही रख लीजिये, मैं बाकी आपको दे दूंगी।

फिर वो चाय बनाने लगी, मैं वहीं पर बैठ गया और उससे बातें करने लगा। बात ही बात में चर्चा निकली- आपके पति तो बहुत दिनों में आ पाते होंगे ?

तो वो थोड़ी सी भावुक हो गई और कहने लगी- वो हमेशा ही बाहर रहते हैं और मैं जैसे तैसे घर का खर्चा चलाती हूँ, सारी तनख्वाह भी शराब में उड़ा देते हैं। अभी भी वो दो महीने से घर नहीं आये हैं।

यह कह कर वो रोने लगी तो मैं उसे चुप करने की कोशिश करने के लिये उसके पास गया और चुप कराने लगा तो वो मुझसे ही चिपक गई और और जोर जोर से सुबकने लगी।

यह सब अचानक हुआ, मैं तो एकदम ही उसके करीब था और वो मुझसे चिपक कर खड़ी थी। मैं उसे शान्त करने के लिये उसके बालों में हाथ फ़िराने लगा तो वो मुझसे और ज्यादा चिपक गई। अब तो मैं भी अपने को रोक नहीं कर पा रहा था, मैंने उसको धीरे धीरे सहलाना शुरु कर दिया। उसने भी कोई विरोध नहीं किया। मैंने धीरे से उसके होटों को चूम लिया, उसने भी मुझे जोरदार चुम्बन किया।

फिर तो मैंने कोई देर नहीं की और उसके कपड़ों को धीरे धीरे निकलना शुरु कर दिया। वो धीरे धीरे नारी सुलभ लज्जा के मारे सिमटी जा रही थी पर उसको भी मैं शायद पसंद आ गया था, इसी कारण वो भी धीरे से कोई शरारत कर देती थी जिससे मै और ज्यादा जोश में आ रहा था। मैंने उसके चुचूक को मुँह में ले लिया तो वो मारे उत्तेजना के सिसक उठी और मेरे कपड़ों को निकालना शुरु कर दिया।

फ़िर तो हमारे ऊपर कोई सीमा, कोई बन्धन नहीं रहा। मैंने उसके वस्ति-क्षेत्र पर एक जोरदार चुबन ले लिया और वो तो बहुत ही जोश में आ गई और मेरे शिश्न को हाथ में लेकर अपने योनिद्वार पर रगड़ना शुरु कर दिया। उसकी योनि से सम्पर्क होते ही मेरे अंदर एक जवालामुखी सा धधकने लगा और मैंने उसकी योनि के पास एक जोरदार चुम्बन ले लिया। इतना करने से तो उसने एकदम से ही मेरे शिश्न को हाथ में लेकर अपनी योनि के अन्दर डाल लिया और मुझसे चिपक गई, टांगों को मेरी कमर पर लपेट लिया और नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी। फिर तो मैंने भी देर न करते हुए अपने आपको पूरा उसके समर्पित कर दिया और जोरदार धक्के लगाने शुरु कर दिए। हर शॉट के साथ वह और ज्यादा उग्र होने लगी।

मैंने भी इस काम को अब अपने तरीके से करने की कोशिश करते हुए अपने धक्के एक लयबद्ध तरीके से लगाने शुरू किए। मैं धक्के लगाते लगाते अचानक रुक जाता और उसके बदन से खेलने लगता। इसी तरह हमारी कामातुर आवाजों से कमरा गूंजने लगा। मैं उसके कभी इस चुचूक को तो कभी दूसरे चुचूक को चूस रहा था। इस बीच में वह दो बार चरमोत्कर्ष से झड़ चुकी थी मगर मैं अभी भी नहीं झड़ा था।

इसके पहले उसके पति ने कभी उसे इतना संतुष्ट नहीं किया था। मैं भी अब तेजी लाया, वो मारे उत्तेजना के सिसकारी पे सिसकारी भर रही थी।मैंने उसे अब अपने ऊपर ले लिया और उसके दूध पकड़ के उसे अपने लिंग पर ऊपर-नीचे होने का कहा। वह सेक्स का पूरा मजा ले रही थी। मैं भी अब उत्तेजना के मारे चरमसीमा पर था। अचानक हम दोनों ने एक दूसरे को कस के जकड़ लिया और हम दोनों एक ही साथ स्खलित हो गए। वो मेरे ऊपर ही लेटकर मेरे होंठों को चूसती रही और बोली- आज मैं पहली बार तीन बार झड़ी हूँ, यह दिन मुझे हमेशा याद रहेगा।

उसके बाद हमारी चुदाई का एक राउंड और चला, वो पूरी तरह से थक चुकी थी। हमने उठकर कपड़े पहने। उसने एक बार और चाय बनाई। चाय पीते पीते वो बोली- मन तो नहीं कर रहा है आपको वापस भेजने का ! मगर मेरी सास काम से आने वाली है।

मैं भी लेट हो रहा था तो मैं भी उससे अगली बार मिलने का कहते हुए वापस घर आने लगा तो वो बोली- जाने से पहले मुझे एक बार चूमने तो दो !

फिर उसने मुझे बाहों में लेकर मेरे होंठों पर अपने मद भरे होंठ रख दिए।मगर समय का ध्यान रखते हुए मैंने उससे कहा- इस तरीके से तो तुम परेशानी में पड़ जाउंगी क्योंकि तुम्हारी सास भी तो आने वाली है।

मैंने उससे फिर किसी दिन आने का कहते हुए वापिस घर का रुख किया और उससे कहा- तुम मोबाइल से बता देना !

इसके बाद मैंने उसे उसी के घर पर पूरी रात कैसे उसके साथ चुदाई के नए नए आसनों के साथ गुजारी जबकि उसकी सास घर पर ही बगल वाले कमरे में थी।

वो मेरी अगली धड़कती फड़कती चुदाई की कहानी में !

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