चंदा रानी की कुंवारी बहन की नथ-3

चूतेश 2014-06-18 Comments

चूतेश
मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा।
टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी।
घबराहट से चूत का जूस ही निकालना बंद हो गया।
उसका पर्दा बहुत सख्त था और तगड़े धक्के से ही फटेगा, दर्द भी उसे ज़्यादह होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं !
मैंने चंदा रानी से कहा- रानी इसकी चूत की झिल्ली बहुत कड़ी है… ज़ोर का धक्का ही मारना पड़ेगा… दर्द से चिल्लाएगी तो सम्भाल लियो !
इतना बोल के मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।
लंड झिल्ली को फाड़ता हुआ धम्म से उसके बच्चेदानी से जाके भिड़ा- हाय… रे… हाय.. मैं मर गई… दीदी बचाओ… मैं… मरी… अब ना बचूंगी… हाय… उई मां… अरे मार डाला !
खून की धारा बह चली, उसके गरम गरम, गाढ़े, चिपचिपे लहू ने चूत भर दी। लंड मानो उबलते हुए तेल में घुसा हो।
बहुत ज़्यादह खून निकला क्योंकि झिल्ली बहुत मोटी और सख्त थी।
चंदा रानी ने बार बार उसके माथे पे चूमा और उसे तसल्ली दिलाती रही। नन्दा रानी ने चंदा रानी को बड़े ज़ोर से जकड़ रखा था। आँसुओं की धारा उसके आँखों से बहे जा रही थी और वो हाय हाय करके कराह रही थी।
चंदा रानी उसे चूम के, सहला के, थपका थपका के और पुचकार पुचकार के बहला रही थी।
‘बस मेरी रानी बेटी… बस… बस… सब ठीक हो जायेगा… .एक बार तो ये पीड़ा हर लड़की को सहनी पड़ती है… चुप जा मेरी रानी… अब चुप हो जा… अभी देख कितना मज़ा आयेगा… बस… बस… बस !’
मैं लंड चूत में घुसाये बिल्कुल बिना हिले डुले पड़ा था। नन्दा रानी की कुमारी चूत बेहद टाइट थी। लंड उसमें फंसा हुआ था और ऐसा लगता था कि लौड़े को मुठ्ठी में दबाके मुट्ठी को कस लिया गया हो।
यारो, इतनी संकरी चूत को लेने का मज़ा भी बेइंतिहा आता है। और यह चूत तो एक अठारह साल की नवयुवती की थी तो इसके तो क्या कहने !
जब देखा कि नन्दा रानी शांत होने लगी है तो मैंने उसे बड़े प्यार से चूमना शुरू किया, उसके होंठ चूमे, चेहरा जगह जगह पर चूमा, कान की लौ मुंह में लेकर चूसी, गर्दन पर जीभ फिराई और फिर दोबारा होंठ चूसे।
इतनी चूमा चाटी से उसका डर और दर्द दोनों काम होने लगे और उसके बदन ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी।
नन्दा रानी के चेहरे पर एक मुस्कान सी दीखने लगी और बुर में फिर से रस बहने लगा जिससे लंड को भी मज़ा आने लगा।
काफी देर ऐसा प्यार करने के बाद मैंने बहुत धीमे धीमे धक्के मारने आरंभ किये।
पहले तो वह फिर कुछ दर्द से कराही लेकिन फिर चूत में आते हुए मज़े ने उसको सब दर्द भुला दिया। अब वह भी चुदाई का आनन्द उठा रही थी।
मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों पर जमा दिया और एक एक करके चूसने लगा।
क्या मस्त चूचुक थे ! सम्भोग की प्यास ने उनको सख्त कर दिया था इसलिये अब मैं चूची चूसते हुए दान्त भी गाड़ने लगा और दूसरी चूची को नींबू की भांति निचोड़ने लगा।
अब उसके मुंह से चीत्कार नहीं बल्कि सीत्कार की आवाज़ें आ रही थीं, उसके नितंब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे।
चंदा रानी उसे लगातार उत्साह बढ़ाने वाली बातें करे जा रही थी, नन्दा रानी का सिर सहला के बोली- नन्दा मेरी बेटी… अब कम हो गया ना दर्द… अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना !
नन्दा रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
‘देख, मैंने कहा था ना मज़ा आयेगा… अभी देखे जा… कितना ज़्यादह मज़ा आने वाला है।’
मैंने पूरे ज़ोर से उसकी दोनों मम्‍मों को दबाया, अपने अंगूठे और उंगलियाँ चूचुक में गड़ा दीं, फ़िर उनको सहलाया और बारी बारी से चूसने का काम चालू दिया। मैं लगातार धक्के भी हौले हौले लगाये जा रहा था, मैंने नन्दा रानी के फिर से होंठों को चूसा।
इस दफा उसने भी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी, उसके लब चूसते चूसते ही मैंने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी सी तेज़ की। चूत में खून और चूत के रस के कारण बड़ी पिच पिच हो रही थी और हर धक्के पर फच फच की आवाज़ आती।
नन्दा रानी ने अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला हिला के धक्कों में मेरा साथ देना शुरू कर दिया था, उसने अपनी टांगें मेरी जाँघों पर कस कर लपेट ली थीं।
उसकी चूचुक मेरी छाती में गड़े जा रहे थे लेकिन उनको मैंने जो अच्छे से निचोड़ा था इसलिये उनकी अकड़न अब घट चुकी थी, सिर्फ निप्पल सख्ताये हुए थे क्योंकि नन्दा रानी पर अब चुदास पूरी तरह चढ़ चुकी थी और चुदासी लड़की के निप्पल सख्त हो ही जाते हैं, जब स्खलित होगी तो दुबारा मुलायम हो जायेंगे, यह सबसे पक्की निशानी है कि लड़की गर्म हो गई है या नहीं।
मेरे लंड की गर्मी भी अब बहुत ज़्यादह बढ़ गई थी। मैं जानता था कि इतनी देर से उत्तेजित लौड़ा अब झड़ने की राहत मांग रहा है। मैंने धक्के और भी तेज़ स्पीड से मारने शुरू किये, मैं लंड को सुपारी तक बाहर खींचता और फिर धमाक से वापस चूत में घुसा देता। एक बड़े ज़ोर से फच की आवाज़ होती और साथ ही लौड़े का टोपा चूत के आखिर में नन्दा रानी की बच्चेदानी में जाके ठुकता।
बुर अब दबादब रस का प्रवाह करे जा रही थी, इसलिये लंड अब बड़े आराम से इतनी तंग चूत में भी अंदर बाहर हो रहा था।
नन्दा रानी बहुत कसमसा रही थी, उसका सुन्दर मुखड़ा कामवासना के तीव्र आवेश में लाल हो गया था, माथे पे पसीने की बूंदें छलक आयीं थीं, उसके नाखून मेरी पीठ पे गड़े जा रहे थे और वह बार बार सी सी कर रही थी।
उत्तेजना से भरपूर नन्दा रानी अपना मुंह कभी दायें करती और कभी बायें।
मैंने थोड़ा सा अपने को उठाया और एक बार फिर से उसकी मस्त चूचुक कस के मसलने कुचलने लगा।
मैंने दोनों निप्प्लों को अंगूठे और उंगली के बीच में जकड़ कर बड़े ज़ोर से उमेठा, एक गहरी हिचकी उसके मुंह से निकली और फिर उसने अपने नितंब बहुत तेज़ तेज़ ऊपर नीचे किये।
चूत कई बार लपलपाई और फिर झड़ गई, रस की एक फुहार मेरे लंड पे सब तरफ से गिरी, और नन्दा रानी ने मुझे पूरी ताक़त से भींच डाला।
उसके बाद वो धड़ धड़ करके अनेक बार झड़ी। मेरा लंड तो काफी देर से झड़ना चाहता था जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया हुआ था।
मैंने उसके कंधे पकड़े और दनादन बीस पचीस धक्के बहुत तेज़ी से मारे, लंड बड़े ज़ोर से झड़ा, मेरा गर्म गर्म लावा बड़े बड़े थक्कों के रूप मे निकला और काफी देर तक निकलता रहा।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी रीढ़ की हड्डी पिघल गयी हो और मैं मूर्छित सा होकर नन्दा रानी के ऊपर ढेर हो गया, वो भी झड़ के बेसुध सी पड़ी थी।
‘बधाई हो नन्दा… मेरी प्यारी बहन… आज तेरी नथ खुल गई… आज तेरी ज़िंदगी का एक महान दिन है… बहुत बहुत बधाई… ईश्वर करे कि तुझे जीवन भर इसी प्रकार तगड़े लंड मिलें… चल मैं तुम दोनों के लिये मीठा लेकर आती हूँ… .मेरी बहन की नथ खुली है… मीठा मुंह तो होना चाहिये न !’ इतना कह कर नंगी चंदा रानी कमरे से बाहर चली गई।

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