वासना की न खत्म होती आग -4

(Vasna Ki Na Khatm Hoti Aag- Part 4)

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अब तक आपने पढ़ा..

अब मैं सिर्फ पैन्टी में थी और उन्होंने एक बार अपना सर ऊपर उठा कर मेरी पैन्टी की ओर देखा.. शायद उन्हें मेरी मॉडर्न तरह की पैन्टी देख कर ये अचम्भा सा लगा होगा।
क्योंकि मैं अमर की दी हुई पैन्टी के बाद ऐसी ही पैन्टी पहनने लगी थी पतली स्ट्रिंग वाली।
उन्होंने तुरंत फिर मेरी पैन्टी के ऊपर से योनि.. जो फूली हुई दिख रही थी उस पर हाथ फेरते हुए होंठों से चूम लिया और सहलाते हुए मेरी पैन्टी को किनारे सरका कर मेरी योनि खोल दी और उसे चूम लिया।
मैं एकदम से सिहर गई और ऐसा लगा.. जैसे पेशाब की पतली सी तेज़ धार निकल गई हो.. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं था.. बस वो मेरे जिस्म की एक सनसनाहट थी।

अब आगे..

मैंने उनके सर को छोड़ कर खुद अपनी पैन्टी को पकड़ा.. तो उन्होंने मेरे हाथों को पकड़ते हुए मेरी पैन्टी को खींचते हुए मेरी पैन्टी निकाल कर मुझे पूर्ण रूप से नंगा कर दिया।

अब तो मेरे शरीर पर एक धागा भी नहीं था। मेरा पूरा नंगा जिस्म उनके सामने दिन के उजाले में था.. क्योंकि कमरे में बल्ब बुझाने के बाद भी दो तरफ से सूरज की रोशनी आ रही थी।

कमरे का नज़ारा भी बहुत सुन्दर था। कमरा बड़ा नहीं था.. पर साफ़ और सही था.. परदे खुले थे.. पर इस तरह से था कि खिड़कियाँ खुली होने के बाद भी कोई अन्दर देख नहीं सकता था।

अब उन्होंने अपनी जगह बदली और मेरे करीब आकर घुटनों के बल बैठ गए। फिर मेरी टाँगों को फैलाते हुए हुए मेरी और मुस्कुराते हुए देखा। मैंने भी शरमाते हुए उन्हें देख कर अपनी निगाहें छुपा लीं।

उन्होंने मेरी योनि के बालों पर हाथ फेरते हुए बालों को मेरी योनि के छेद से अलग किया और झुक कर अपना मुँह मेरी योनि के पास रख दिया।
मैं समझ गई कि वो मेरी योनि को चाटने वाले हैं, मेरी जाँघों की नसें सिकुड़ने लगीं.. योनि भी फड़फड़ाने लगी।

तभी उन्होंने कहा- क्या तुम बुर को साफ़ नहीं करतीं?
मैं सहमते हुए बोली- रोज तो धोती हूँ.. यहाँ तक कि पेशाब करने के बाद भी पानी से धोती हूँ।
इस पर वो मुस्कुराए.. उनके कहने का मतलब बाल सफाई से था.. पर मैं कुछ और समझ गई।

पर जो भी हो.. उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी योनि के दोनों होंठों को दोनों हाथों की उंगलियों से फैला कर छेद को चूम लिया.. ऐसा लगा जैसे एक बिजली का झटका मेरी योनि से होता हुआ मेरे दिमाग में चला गया।
फिर क्या था.. मेरी योनि के छेद पर उन्होंने अपनी जुबान फिराई और चाटने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

कुछ मिनटों के बाद मेरी योनि के छेद को उंगलियों से और फैला कर उसमें अपना थूक डाल दिया और फिर चाटने लगे। ऐसा लगा.. मानो मेरी योनि को पूर्ण रूप से गीला और चिपचिपा कर देना चाहते हों।
मेरी योनि तो शुरू से ही गीली थी.. पर मैं पता नहीं क्यों उनके अंदाज को मस्ती से ले रही थी।
काफी देर उनके चाटने और चूसने से मुझे अहसास होने लगा जैसे अब मैं झड़ जाऊँगी और हुआ भी यही।

इससे पहले कि मैं खुद को काबू कर पाती.. मैं अपनी एड़ियों को बिस्तर पर दबाती और जाँघों को उनके सर पर भींचने लगी। मैं इस वक्त लम्बी सांस खींचती.. होंठों को दबाती.. सिसकारी लेते हुए उनके बालों को कस के खींचते हुए अपनी व्याकुलता दिखा रही थी, तभी मैं अपनी कमर उनके मुँह में उठाते हुए.. हल्की पतली सी पानी की धार छोड़ते हुए झड़ गई।

अब मैं लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए अपनी कमर दोबारा बिस्तर पर रख कर उनके मुँह को अपनी योनि से अलग करने का प्रयास करने लगी।
कुछ पलों के बाद उन्होंने मेरी योनि से अपना मुँह अलग किया और योनि से लेकर नाभि.. पेट को चूमते हुए मेरे स्तनों को पकड़ चूसने लगे।

मेरा हाथ भी अब नीचे उनकी चड्डी के पास चला गया और ऊपर से ही उनके लिंग को मैं सहलाने लगी।
वो मेरे स्तनों को बारी-बारी से दोनों हाथों से जोर-जोर मसलने और चूसने लगे। मैं हल्के हल्के स्वर में कराहती हुई उनके लिंग को चड्डी के ऊपर से मसलने में मग्न हो गई।

कुछ देर बाद मैंने उनकी चड्डी को सरकाना शुरू कर दिया और जाँघों तक सरका कर लिंग बाहर निकाल कर हाथों से पकड़ा.. तो ऐसा लगा मानो ये आज मेरी जान ले लेगा।

जैसा मैंने कंप्यूटर पर देखा था.. वैसा ही मोटा और तगड़ा लग रहा था.. मानो कोई 40 साल का मर्द का लिंग हो.. एकदम तना हुआ मोटा और गर्म..
मैं हाथों से उसे हिलाने लगी.. तो लिंग का सुपाड़ा खुल कर बाहर आ गया।

तभी उन्होंने एक हाथ मेरे बाएं स्तन से हटाया और मेरे कूल्हे पर ले जाकर रख दिया और जोर से मसलते हुए करवट ली, हम दोनों अब एक-दूसरे के आमने-सामने थे।

वो मेरे चूतड़ों को सहलाते और दबाते हुए अब मेरे होंठों का रसपान करने लगे। मैं भी उनकी जुबान से जुबान और होंठों से होंठों को लड़ाते हुए हुए चूमने और चूसने लगी।

ऊपर हम मुँह से मुँह लगा एक-दूसरे को चूमने-चूसने और चाटने में व्यस्त थे.. नीचे हमारे हाथ एक-दूसरे के जननागों को मसल रहे थे। वो बहुत उत्तेजित हो गए थे और उन्होंने मेरी दाईं टांग उठा कर अपनी टाँगों के ऊपर रख ली। अब वे मेरे चूतड़ों को मसलते.. तो कभी मेरी मोटी जाँघों को सहलाते.. तो कभी अपने लिंग को मेरे हाथों से पकड़ने के बाद भी मेरी योनि के ऊपर दबाते।

काफी देर बाद उन्होंने मुझे चूमना बंद करके मेरे सर को पकड़ कर नीचे किया और झुकते हुए खुद ऊपर उठने लगे।
मैं समझ गई कि लिंग को चूसने का इशारा था।

मैंने नीचे की तरफ सरकते हुए उनकी चड्डी को निकाल कर उन्हें नंगा कर दिया। वो पीठ के बल लेट गए.. मैं उठ कर बैठ गई और लिंग को हाथ से पकड़ ऊपर-नीचे किया.. तो उनका सुपारा खुल और बंद होने लगा।

तभी उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और मैं झुक कर उनके सुपारे को बाहर करके ऊपर अपनी जुबान फिरा कर उसे थूक से गीला कर दिया, फिर अपना मुँह खोल धीरे-धीरे लिंग को मुँह में समा लिया।

मेरे ऐसा करते ही वो सिसकारी लेने लगे और मेरे सर को पकड़ सहलाने लगे। मैंने करीब 3-4 मिनट चूसा और लिंग थूक से पूरा भीग गया।
तभी उन्होंने मुझे खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया और फिर से हमारे होंठ एक-दूसरे के होंठों से खेलने लगे।

मैंने उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और चूमने लगी। उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे पीछे ले जाकर मेरे पीठ को सहलाते हुए चूतड़ों को मसलते हुए जाँघों को फैला दिया।

अब मैं उनके ऊपर दोनों टाँगें फैला कर लेट गई। मैं उन्हें लगातार चूम रही थी। वो नीचे से अपनी कमर उठा कर लिंग को मेरी योनि में ऊपर से रगड़ रहे थे और मैं ऊपर से जोर लगा योनि को लिंग पर रगड़वा रही थी।

कुछ देर के बाद इसी अवस्था में चूमते हुए हम उठे और उन्होंने मेरे कूल्हों को पकड़ते हुए मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गए।

मुझे उनके लिंग का स्पर्श योनि पर बहुत सुखद लग रहा था। वो घुटनों के बल मेरी टाँगों के बीच बैठ गए। फिर लिंग को हाथ से पकड़ कर मेरी योनि की दरार के बीच ऊपर-नीचे सुपाड़े को रगड़ा।

फिर योनि के छेद पर लिंग को टिका कर मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे एक चूचुक को होंठों में दबाते हुए लिंग को योनि में घुसाने की कोशिश करने लगे।

मैंने भी उनके सर को जोर से पकड़ा और नीचे से कमर उठाने लगी। मुझे महसूस होने लगा कि लिंग धीरे-धीरे मेरी योनि में घुस रहा और फिर मेरी साँसों के साथ मेरी सिसकियाँ घुलने लगीं।

आगे इस वासना की आग को भड़कते हुए पढ़ने के लिए अन्तर्वासना से जुड़े रहिए।
कहानी जारी है।
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