युवा विधवा की अन्तर्वासना तृप्ति- 1

(X Erotic Story In Hindi)

रमित 2022-09-21 Comments

X इरोटिक स्टोरी इन हिंदी एक जवान विधवा भाभी की है. बेटे की परवरिश में उसने अपने तन की वासना को दबाये रखा. जब बेटा बाहर पढ़ने गया तो उसने अपनी सुध ली.

दोस्तो, मैं रमित.

मेरी पिछली कहानी
पड़ोसन भाभी का प्यार या वासना
अपने पढ़ी होगी और मजा लिया होगा.

अब काफी समय बाद मैं फिर एक X इरोटिक स्टोरी इन हिंदी लेकर आया हूँ.

यह कहानी मेरे बारे में नहीं है. यह एक लड़के जिसका नाम रिक्की है, उसके, उसकी विधवा मां मोहिनी और उसके प्रेमी अर्णव के सेक्स सम्बंधों को लेकर है.

रिक्की और उसकी मां मोहिनी गुड़गांव के एक पॉश एरिया में रहते हैं.
मोहिनी 40 साल की अपने नाम जैसी ही बेहद खूबसूरत, पढ़ी लिखी औरत है. वो कॉर्पोरेट सेक्टर में वाईस प्रेसीडेंट के पद पर कार्यरत है.
उसकी फिगर अभी भी एकदम मस्त 34-30-36 की रही होगी.

दफ्तर में उसको देख कर सब मर्दों की लार टपकती है.
कंपनी के चेयरमैन तक उसके दीवाने हैं.

पर मोहिनी ने आज तक किसी पास आने का मौका नहीं दिया, न उसने किसी की तरफ कोई कभी खिंचाव महसूस किया.
वो अपनी काबलियत के बल बूते पर आगे बढ़ती गयी और आज उच्च पद पर आसीन है.

रिक्की के बचपन में ही उसके पिता की मौत हो गयी थी तो मोहिनी ने ही उसे पाल-पोस कर बड़ा किया.
रिक्की अपनी मां के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित था.

जैसे जैसे वो बड़ा हो रहा था, वो अपनी मां की सुंदरता से उसकी बढ़ती पद प्रतिष्ठा से बहुत प्रभावित था.
अपने स्कूल में उसे कोई भी लड़की पसंद नहीं आती, वो सब में अपनी मां जैसी सुंदरता और व्यक्तित्व तलाशता … और जब उसे वो सब न मिलता, तो वो अपनी मां की तरफ झुक जाता.

जैसे जैसे रिक्की बड़ा हो रहा था, उसको भी सेक्स के बारे में भी जानने की इच्छा होने लगी थी पर अभी भी लड़की उसकी दोस्त नहीं बन सकी थी.

जबकि उसका ध्यान अब सेक्स तरफ बढ़ रहा था. वो सेक्स साहित्य पढ़ने लगा मैगज़ीन्स में न्यूड मॉडल्स की फोटो देखता, तो उसे अपने अन्दर उत्तेज़ना सी महसूस होती.

अब उसके लंड में भी उठान और कड़ापन आने लगा था.
धीरे धीरे वो अपने लंड को हाथ से मसलने लगा था.
उसके अन्दर सच में किसी औरत या लड़की को नंगी देखने की इच्छा तीव्र होने लगी, पर वो किसको देखे.

तभी उसे अपनी मॉम का ख्याल आया.
इस ख्याल को बल देने में सेक्स कहानी ने सहायता की.
मां बेटे के बीच की सेक्स सम्बंध वाली कहानियों ने उसके मन को इसके लिए स्वीकृति दे दी.

अब वो इस फ़िराक में रहने लगा कि कैसे मोहिनी को नंगी देख पाए.
एक दिन सुबह मोहिनी जब ऑफिस जाने से पहले नहाने गयी तो उसने बेडरूम का दरवाजा अन्दर से लॉक नहीं किया और बाथरूम का दरवाज़ा हल्का सा भिड़ा कर नहाने चली गयी.

रिक्की कुछ ढूंढता हुआ उसके बेडरूम में आया तो उसने देखा उसकी मॉम नहाने गयी है.
उसे उसी वक्त कुछ सनसनी सी हुई और हल्के से खुले हुए दरवाज़े में से वो झांकने लगा.

अन्दर का नज़ारा देखते ही रिक्की हैरान रह गया.
उसकी मॉम ने अपनी नाइटी उतार दी थी और वो ब्रा पैंटी में थी.

मोहिनी ने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोले तो उसके बूब्स उछल कर बाहर आ गए.
ये देख कर रिक्की की हालत खराब हो गयी.

अब मोहिनी ने अपनी पैंटी उतारनी शुरू की.

जब उसने झुक कर पैंटी को अपनी टांगों से बाहर निकाली तो उसके झूलते बूब्स को देख कर रिक्की पागल ही हो गया था.
मोहिनी ने शॉवर खोल दिया और अपने जिस्म को अपने मुलायम हाथों से मल मल कर नहाने लगी.

फिर उसने अपनी चुत को अच्छे से धोया और टांगों पर साबुन लगाने लगी.

ये सब देख रिक्की की हालत खराब हो रही थी, उसकी उत्तेजना चरम पर थी उसके लंड में इतना ज्यादा तनाव आ चुका था, जैसे वो उसका बरमूडा फाड़ कर बाहर आ जाएगा.

वो जल्दी से अपने कमरे की तरफ भागा और बाथरूम में जाकर अपने लंड को आगे पीछे मसलने लगा. इसमें उसे आनन्द आ रहा था.

थोड़ी देर बाद उसका वीर्य छूट गया तो उसे जैसे आराम सा मिला और आनन्द की अनुभूति हुई.
वो थोड़ी देर के लिए निढाल सा हो गया.
फिर वो नहा कर बाहर आया और स्कूल के लिए तैयार हो गया.

उसकी मॉम भी ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुकी थी.
उसने अपनी मॉम को ऊपर से नीचे तक देखा.
ट्रॉउज़र और शर्ट में उसे अपनी मॉम कयामत लग रही थी.
उसने पहले अपनी मॉम को इस नज़र से कभी नहीं देखा था, पर आज उसकी नज़र और नज़रिया दोनों बदल चुके थे.

मोहिनी उसे बाय बोल ऑफिस के लिए निकल गयी.
आज उसकी एक जरूरी मीटिंग थी तो उसे जल्दी निकलना था.
नहीं तो वो रिक्की को स्कूल छोड़ते हुए ऑफिस जाती है.

रिक्की घर में अकेला रह गया था, तो वो भी कुछ सोच कर स्कूल नहीं गया.

अब उसके दिमाग में सिर्फ अपनी मॉम का नंगा जिस्म घूम रहा था, उसे बार बार वही सब याद आ रहा था.
वो सोचने लगा कि वो रोज़ कैसे अपनी मॉम को नंगी देख सकता है.

वह बाथरूम में गया और कोई ऐसी जगह ढूंढने लगा, जहां से वो अपनी मॉम को रोज़ नहाते हुए देख सके.

आखिर उसके दिमाग में आईडिया आया.
बाथरूम की खिड़की जो हमेशा बंद रहती थी. उसने वो थोड़ी सी खोल दी और खिड़की के सामने बड़ा सा आइना था जिसमें से उसे नहाते हुए अपनी मॉम दिख सकती थी.
फिर ऐसा ही कुछ इंतज़ाम उसने अपनी मॉम के बेडरूम में भी किया.

इसके बाद वो अपने रूम में जाकर लेट गया और फिर से वही सब कुछ सोचने लगा.
सोचते सोचते उसका लंड खड़ा हो गया और उसने फिर से वही सब किया और लंड झाड़ कर थक कर सो गया.

अब रिक्की को कल सुबह का इंतज़ार था.
अगली सुबह जब मोहिनी नहाने गयी तो रिक्की झट से उस खिड़की पर पहुंच गया और मोहिनी को नहाते हुए देखने लगा; साथ में अपने लंड देव को हिलाने लगा.

ये उसका अब रोज़ का सिलसिला बन गया था. कभी वो अपनी मॉम को नहाते हुए, कभी कपड़े चेंज करते हुए देखने लगा.
इसी तरह टाइम बीत रहा था.
इससे आगे रिक्की कभी नहीं बढ़ा.

एक रात उसने मोहिनी के कमरे में से उसकी सिसकारियों की आवाज़ सुनी तो वो जल्दी से बेडरूम की खिड़की पर पहुंच गया.
जब उसने अन्दर झांक कर देखा तो उसकी आंखें फटी रह गईं.

मोहिनी अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी थी और अपनी उंगली से अपनी चूत को मसल रही थी.
वो मुँह से कामुक आवाजें निकाल रही थी.

यूँ तो मोहिनी ने कभी भी किसी मर्द को अपने पास फटकने तक नहीं दिया था, पर ये भी सच है कि शरीर की भी अपनी जरूरतें होती हैं.
जब भी मोहिनी अपनी जरूरत से हार जाती थी, तो वो खुद को ऐसे ही शांत कर लेती थी.

शायद उसको रिक्की का ख्याल था कि अगर वो किसी के साथ सम्बन्ध बनाती भी है और अगर रिक्की को पता लगेगा, तो वो क्या सोचेगा.

रिक्की ने जब अन्दर का ये नज़ारा देखा तो उसे लगा कि उसकी मॉम कितनी मजबूर है.
वो अपने शरीर की प्यास नहीं बुझा पाती है.

वह सोचने लगा कि अगर उसकी मॉम किसी से चुदवा ले और वो उसकी लाइव चुदाई देखे, तो कितना मज़ा आएगा.

अब रिक्की यही सोचता रहता कि काश उसकी मॉम किसी से चुदवा ले.
उधर मोहिनी को ये ख्याल तक भी नहीं था कि उसका अपना बेटा उसे नंगी देखता है, उसे चुदवाती हुए देखना चाहता है.

रिक्की ने 12 वीं पास कर ली तो मोहिनी ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया.

अब मोहिनी घर में अकेली थी.
दिन तो ऑफिस में निकल जाता, पर शाम को घर आने पर घर उसे काटने को लगता.

उसे अब अकेलापन बहुत सता रहा था और छुट्टी वाला दिन तो जैसे उसे काटने को दौड़ता था.

जब तक रिक्की उसके साथ था तो उसका शाम का टाइम उसके साथ कट जाता था.
छुट्टी वाले दिन दोनों कहीं घूमने जाते, कभी मूवी, कभी शॉपिंग. फिर रात को डिनर करके ही आते. पर अब मोहिनी किस के साथ जाए.

रिक्की की परवरिश और अपनी नौकरी की व्यस्तता के चलते मोहिनी ने ख़ास दोस्त भी नहीं बनाए थे.

अब उसे किसी दोस्त की कमी महसूस हो रही थी.
उधर अब उसे रात को बिस्तर पर आते ही उसका शरीर जैसे जलने लगता; उस पर वासना हावी होने लगी थी.

उसे अब लगने लगा था कि कोई हो जो उसकी प्यास बुझा दे. उसकी वासना अब उंगली से शांत नहीं होती थी.
उसे लगता था कि कोई आ जाए और उसके मम्मों को इतना चूसे कि उन्हें निचोड़ दे. उसकी चूत का तो और भी बुरा हाल था. पर मोहिनी क्या कर सकती थी.

मोहिनी को इस समय अकेलापन बहुत खल रहा था. अपना इस अकेलापन दूऱ करने के लिए ड्रिंक लेनी शुरू कर दी.

यूँ तो मोहिनी कंपनी की पार्टीज में ड्रिंक के एक दो पैग ले लिया करती थी पर उसने घर पर कभी नहीं ली थी.
अब उसने घर पर ही वोडका के दो ड्रिंक लेने शुरू कर दिए थे.

जब वो बिस्तर पर आती तो उसे अपने जिस्म की आग बुरी तरह जलाती.

उसने इंटरनेट पर सेक्स कहानी पढ़नी शुरू कर दीं.
उसमें उसने कई ऐसी कहानियां पढ़ीं, जिसमें अकेली रहती औरतें अक्सर कॉल ब्वॉय को बुलाकर अपने जिस्म की प्यास बुझाती हैं.

कई कहानियां उसने ऐसी भी पढ़ीं, जिनमें औरतों ने अपने से छोटे उम्र के मर्दों से सम्बन्ध बनाए और अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी की.
ग्रुप सेक्स और थ्री-सम की भी कई कहानियां पढ़ीं.

ऐसे ही एक बार मोहिनी के दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न वो भी किसी कॉल ब्वॉय से अपनी जरूरत पूरी कर ले.
पर फिर सोचा ‘नहीं, क्या पता ये कैसे होंगे … या उन्हें कोई बीमारी न हो, या उसे ब्लैक मेल करना चालू कर दिया तो फिर क्या होगा.’
यह ख्याल उसने झटक दिया.

उसने ये भी सोचा कि क्यों न किसी से दोस्ती की जाए, पहले वो दोस्ती करे अगर विश्वास लायक हुआ तो उसके साथ सो भी जाएगी.

मोहिनी की उम्र ही क्या थी, अभी 40 साल की उम्र ही तो थी.
उसमें भी वो बला की खूबसूरत थी, उसका फिगर एकदम तना हुआ मस्त था.
उसको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था.

दोस्ती का ख्याल आते ही मोहिनी ने अपने आप को एक बार शीशे में निहारा तो उसे खुद से ही प्यार हो गया.
उसने सबसे पहले जिम ज्वाइन किया.

फिर उसने पहले अपने ऑफिस के मर्दों के बारे में सोचा.
पर उसे कोई पसंद नहीं आया.
और अगर वो ऑफिस में किसी से दोस्ती करती, तो वो बदनाम भी हो सकती थी. उसके पद प्रतिष्ठा को धक्का लग सकता था.
वो ऑफिस में अपना दबदबा वैसा ही बनाए रखना चाहती थी, सो ये ख्याल भी उसने एक पल में झटक दिया.

एक सुबह मोहिनी ऑफिस जा रही थी और वो पार्किंग से अपनी गाड़ी निकाल रही थी.
आज उसे ऑफिस जाने की कुछ जल्दी थी, तो कुछ हड़बड़ी में कार रिवर्स करते वक्त उसकी कार पिछली कार से टकरा गयी.

उसने नीचे उतर कर देखा, तो पिछली कार का काफी नुकसान हो गया था, उसका बम्पर टूटकर लटक गया था.

उसे बहुत अफसोस हुआ.

कार चालक भी नीचे उतर आया, वो एक खूबसूरत नौजवान था, अच्छी पर्सनालिटी का मालिक था. उसने आंखों पर रेबैन का चश्मा पहना हुआ था और वेल ड्रेसअप था.
मोहिनी उसको देख कर प्रभावित हुई.

फिर उसके पास जाकर सॉरी बोला और बोली- मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही थी, तो हड़बड़ी में ये हो गया. मैं आपका नुकसान भर दूँगी.
उस नौजवान ने कहा- कोई बात नहीं हो जाता है. मैं कार ठीक करवा लूंगा.

मोहिनी ने काफी जोर दिया और कहा- नहीं आप अपनी कार को वर्कशॉप में भिजवा कर एस्टीमेट बता दें, मैं पैसे ट्रांसफर कर दूँगी.
उसी के साथ मोहिनी ने अपना कार्ड उसे दे दिया.

कार चालक ने भी अपना परिचय दिया कि उसका नाम अर्णव है और वो भी कॉर्पोरेट सेक्टर में मार्केटिंग में काम करता है.
मोहिनी ने कहा- क्या मैं आपको कहीं छोड़ सकती हूँ.
उसने कहा- थैंक्स जी, मैं टैक्सी लेकर चला जाऊंगा.

मोहिनी ने कहा- आप कार पार्क कर दीजिए, मैं एजेंसी में फ़ोन कर दूँगी, वो कार ले जाएंगे. आप चाबी सिक्योरिटी के पास छोड़ दें.
उसने कुछ नहीं कहा.

फिर मोहिनी ने कहा- मैं कनाट प्लेस तक जा रही हूँ. आप कहां जा रहे हैं?
ये सुनकर उसने कहा- मुझे भी वहीं जाना है.

मोहिनी ने कहा- तो चलिए मैं आपको छोड़ देती हूँ.
अर्णव जल्दी से गाड़ी पार्क करके मोहिनी के साथ बगल वाली सीट पर बैठ गया.

अर्णव कनखियों से मोहिनी को देख रहा था. मोहिनी की आज ख़ास मीटिंग थी तो कुछ भी ख़ास लग भी रही थी.

उसके शरीर से उसके परफ्यूम की खुशबू अर्णव को मदहोश सा कर रही थी.

मोहिनी भी अर्णव से ख़ासा इम्प्रेस थी और चोर निगाहों से उसे देख रही थी.
अब मोहिनी ने ही उससे बात शुरू की.

मोहिनी ने बताया- मैं उसी बिल्डिंग में 10 वें फ्लोर पर रहती हूँ.
अर्णव बोला- मैं भी आपसे एक फ्लोर ऊपर रहता हूँ.
उन दोनों में बातचीत शुरू हुई.
कुछ काम-काज को लेकर भी बात हुई.

इतने में वो दोनों कनाट प्लेस पहुंच गए थे.
अर्णव ने कार से उतरते हुए थैंक्स बोला.

मोहिनी ने उससे कहा कि आप शाम को फ्री होकर मुझे फोन कर लें, तो साथ में ही घर चलेंगे.
ऑफिस पहुंचते ही मोहिनी मीटिंग में व्यस्त हो गयी और लंच तक फ्री हो पायी.

फिर उसे अर्णव का ख्याल आया तो वो मुस्करा दी.

उसने एजेंसी में फ़ोन करके उसकी गाड़ी को पिकअप करने के लिए बोल दिया.
फिर मोहिनी ने इधर उधर के काम निपटाए और पांच बजे फ्री होकर अर्णव के कॉल का इंतज़ार करने लगी.

उधर आज अर्णव भी उत्साहित था, उसे भी मोहिनी के साथ जाने का इंतज़ार था.
वो उसकी सुंदरता और उसकी मदहोश कर देने वाली फिगर के बारे में ही सोच रहा था.

यूँ तो अर्णव की बहुत सी लड़कियों के साथ दोस्ती थी और कई उसके साथ हमबिस्तर भी हो चुकी थीं, पर उसे मोहिनी उन सबसे अलग और ख़ास लगी.
वो उसका साथ पाने के लिए बेचैन हो चुका था.

अर्णव ने टाइम देखा तो 6 बज चुके थे.
उसने मोहिनी का कार्ड निकाला और उस पर लिखा उसका नंबर मिला दिया.

मोहिनी को भी आज अर्णव के फ़ोन का इंतज़ार था.
एक अंजान नम्बर देखते ही उसके मन में हिलोरें सी आ गईं.

उसने फ़ोन उठाया, हैलो बोल कर परिचय लिया और उससे पूछा- मैं फ्री हूँ, अगर तुम फ्री हो तो साथ में निकलते हैं.
अर्णव ने उससे कहा- ठीक है, नीचे लिफ्ट के पास मिलते हैं.

मोहिनी ने अपना लैपटॉप बंद किया और पियून को बोला कि बैग नीचे कार में रखवा दे.
जब मोहिनी नीचे पहुंची तो अर्णव उसका इंतज़ार कर रहा था.

मोहिनी को देख कर उसने हैलो बोला, तो बदले में मोहिनी ने स्माइल पास करके हैलो बोला.

फिर दोनों कार की तरफ चल दिए.
मोहिनी कार ड्राइव कर रही थी.
अर्णव ने कहा- अगर आप को जल्दी न हो, तो एक कप कॉफ़ी पी लेते हैं, यहां एक बहुत खूबसूरत कैफे है.

मोहिनी को भी बहुत दिनों बाद किसी का साथ पसंद आया था तो उसने हां कह दिया और कार कैफे की तरफ मोड़ दी.

कैफे के अन्दर का माहौल काफी अच्छा था, बड़ा ही शांत था. हल्का हल्का म्यूजिक माहौल को और रोमानी बना रहा था.

मोहिनी को ये सब पसंद आया और उसके मुँह से बरबस ही निकल गया- बड़ी ही बढ़िया जगह है, आपकी पसंद मुझे भी पसंद आई.

अर्णव ने कहा- शुक्रिया आपको पसंद आया. मुझे लगा आप शायद ऐसी जगह जाना पसंद न करें क्योंकि आप बहुत ऊंची पोस्ट पर है और आपका उठना बैठना बड़े लोगों के साथ होगा. शायद आप फाइव या सेवन स्टार में जाना पसंद करती होंगी.

मोहिनी ने मुस्करा कर कहा- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. हालांकि मैं कहीं भी नहीं जाती, सिर्फ कंपनी की होने वाली बोर पार्टीज के सिवाए, वहां जाना भी मेरी मजबूरी होती है. मुझे तो इसके बारे में पता ही नहीं था. मैं कभी आयी नहीं यहां … और आती भी किसके साथ, मेरा तो कोई दोस्त ही नहीं है.

अर्णव ने मुस्करा कर कहा- तो आप आज से मुझे ही अपना दोस्त समझ लीजिए.
मोहिनी ने मुस्कराते हुए अपना हाथ आगे कर दिया.
दोनों ने हाथ मिलाया.

दोस्तो, आपको इस सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा. अगले भाग में इन दोनों के बीच कि चुदाई आपको मस्त कर देगी.
आप मुझे मेल करके बताएं कि X इरोटिक स्टोरी इन हिंदी का ये भाग आपको कैसा लगा.
[email protected]

X इरोटिक स्टोरी इन हिंदी का अगला भाग: युवा विधवा की अन्तर्वासना तृप्ति- 2

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