माया की चूत ने लगाया चोदने का चस्का-8

(Maya Ki Chut Ne Lagaya Chodne Ka Chaska- Part 8)

मस्त फकीर 2017-03-05 Comments

This story is part of a series:

अब आपने पढ़ा..
माया और सरोज मेरे साथ मस्ती करने लगी थीं।
अब आगे..

माया ने अपने कमरे से दो बड़े बिस्तर बाजू वाले बड़े कमरे में ला कर नीचे डाल दिए थे ताकि किसी को बाहर आवाज न जाए। वो कमरा अन्दर कोने में था और बड़ा साफ़ सुथरा और खाली था। वहाँ पानी की ठंडी बोतल, तेल की बोतल और क्रीम आदि रखे थे।
मैंने अपनी जेब से पेन किलर और कंडोम भी वहीं रख दिए।

माया ने सब अच्छा प्लान किया था ताकि नीचे तीनों आराम से लेट कर चुदाई कर सकें।

सरोज बड़े प्यार से मुझे लिपट कर चूमने लगी.. धीरे धीरे उसने मेरी टी-शर्ट को उतार फेंकी, उसकी जुबान मेरे मुँह घुस के ‘चपर-चपर..’ चल रही थी, उसकी नशीली आंखें मेरी आँखों में तड़पते हुए देख रही थीं।

गजब की प्यास थी और बड़ा गर्म था उसका शरीर.. सांसें तेज और वो वासना की मारे काँपे जा रही थी साली!
आहिस्ता से उसने अपना एक हाथ से मेरे बरमूडा को झटके के साथ खींच कर नीचे उतार दिया, मैं अब केवल अपने काले निक्कर में था।

उसने निक्कर के ऊपर से ही मेरे तने हुए लौड़े को दबोच कर मुझे तड़पाना शुरू कर दिया। मैं काँप रहा था, मेरे शरीर से मानो बिजली का 440 वोल्ट का करंट पास हुआ हो। मेरे लंड में गजब की गुदगुदी हो रही थी और मेरे लंड के अन्दर से झटके आ रहे थे, मैं आंखें मूंद पाँव फैलाकर मजे ले रहा था, आह्ह.. क्या अहसास था।

तभी माया ने उसको पीछे से जकड़ा और उसकी चूचियां पीछे से जोर से रगड़ते हुए उसके कंधे को चूमना शुरू कर दिया।
सरोज की यह कमजोरी वो जानती थी।

सरोज एकदम कसमसा उठी और उसने मुझे छोड़ दिया. अब वो माया की तरफ लपकी.. जोकि उसकी फेवरिट माल थी, उसने जोर से माया को अपनी बांहों लिया और उसे लिपलॉक किस कर दिया।
सरोज ने अपनी जुबान माया के मुँह में डालकर जोर से खींच ली, सरोज बड़ी बेदर्दी से उसे चूस रही थी, दोनों जोश में एक दूसरी को बेतहाशा चूमने लगीं।

मैं तो बस साइड कलाकार होकर उन दोनों तड़प और प्यार महसूस कर उसे देखने का लुफ़्त ले रहा था।
दोनों एक-दूसरे की जुबान को चूसे जा रही थीं ‘चप.. चपर.. पुच.. पुचर..’
साथ में दोनों आहिस्ता आहिस्ता मीठी आहें भर रही थीं ‘ऊऊम्म्म.. सास्स्सल्ली.. इस्सस माँ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आउच.. आहह्ह्ह.. काट मत.. उम्म्म्म सीई.. इश.. चप.. आह्ह्हह्ह।’

वो दोनों इतनी मदहोश होकर एक-दूसरे को चूम रही थीं कि शायद मुझे भूल गई हों। सरोज माया के बालों को खींचती हुई.. और उसके मांसल मम्मों को सहलाते हुए धीरे-धीरे उसके गाउन की ज़िप खोलने लगी।

उसने माया का गाउन एकदम से उतार फेंका। माया ने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था। गाउन उतरते ही साली पूरी की पूरी नंगी हो चुकी थी।

माया को नंगी देख कर सरोज और भी नशे में मस्त हो गई। वो उसके को पागलों की तरह उसके बड़े-बड़े हिलते स्तनों को जोर से दबोच कर उसके गुलाबी और टाइट निप्पलों को काटने लगी।

माया- आउच.. यार धीरे.. खून निकाल कर पी जाओगी क्या? ओह्ह्ह्ह.. सरू.. मजा आ रहा है। यार तेरे काटने से मेरी चूत में लवक लवक झटके आ रहे हैं.. अन्दर गुदगुदी होती है। अरे साली रंडी धीरे.. ओह्ह्ह्ह माँ.. फिर काट लिया सीईस.. ओह्ह माँ.. सीस आआआह्ह्ह..
सरोज उसे भूखी शेरनी की तरह बेदर्दी से नोच कर खा रही थी।

मैंने सोचा अगर औरतें ऐसे आपस में चुदवाने लगीं.. तो साला हम मर्दों के लंड का क्या होगा। पर असल में सरोज माया को मेरे लिए तैयार कर रही थी, वो उसे एक्दम गर्म कर रही थी और बीच बीच में मुझे आंख मारती जा रही थी।

कमरे में तो बस उन दोनों की कामुक आहें.. और मादक चीखों से गूंज भर रही थी ‘पुच.. पुच.. उम्ह्ह्ह.. अहह इस्स्स.. आहह्ह्ह.. मेरीईई.. माँआया.. ऊह्ह्ह्ह पुच.. पुच्च्च्च.. चप्प्प्पप चु चु ऊऊह्ह्ह.. चूऊ..त.. पा..नी.. छोड़.. र..ही..है, छोड़ सा..ली.. मैं.. क्या.. चुदवाऊँगीई..’

सरोज- माया मेरी जान.. तूने मुझे बहुत तड़पाया है.. माँआअ ओह्ह्ह..
सरोज ने गपक से उसकी चूत में अपनी उंगली घुसा दी और गाली देते हुए कहने लगी- साली चिकनी चूत.. तू तो अब पक्का मरेगी.. साली.. मादरचोद..

इसी के साथ सरोज माया के गुलाबी उन्नत और कठोर निप्पल मुँह में ले कर जोर-जोर से काटते हुए चूसने लगी। वो माया के बाएं स्तन को घुमा-घुमा कर भंभोड़ रही थी।
मुझे लगा माया मर जाएगी।

माया आंखें बन्द करके सिसिया रही थी- ऊऊह्ह्ह मेरी जान ओह्ह्ह.. सरू मुझे कंपकपी और मीठा दर्द हो रहा है। विकी तू भी आजा मेरी जान.. वरना यह मुझे आज तेरे हाथ में नहीं.. आआने देगी.. आज ये अपनी भड़ास ही निकालेगी रंडी साली..
सरोज- आजा.. मेरे छोटे जीजू आजा..चल तुझे चोदने के अच्छे-अच्छे दांव सिखा दूँ आजा!

मैंने जाकर माया के बाएं स्तन को अपने मुँह में ले लिया और अपने एक उंगली उसके भारी चूतड़ों के बीच में उसकी गांड के छेद में घुसाने लगा।

फिर मैंने भी सरोज की तरह माया की चूची को दबोचते हुए थोड़ा और जोर से खींचते हुए उसकी निप्पल को चूसने लगा। मुझे भी चुदाई का नशा चढ़ गया था और मैं भी पागलों की तरह उसकी गांड के छेद को खोल-खोल उसमें उंगली घुसा रहा था।

हम दोनों ही माया को बुरी तरह से दबोचकर मानो उसके साथ जोर आजमाइश कर रहे थे। पर इस सब से माया को दुगना आनन्द मिल रहा था, वो काम के नशे में चिल्लाने और आहें लेने लगी। इसी जोश में आकर उसने सरोज की नाईटी खोल कर उतार फेंकी।

‘साली चुदक्कड़.. ठहर जा.. अभी चीरती हूँ तेरी चूत और गांड को!’

वो दोनों नंगी और मस्ती में थीं और दोनों के मस्त कूल्हे पीछे से थपक-थपक झूल रहे थे। वो कभी मुझे तो कभी सरोज को चूमे जा रही थी।

माया- विक्कीईई.. लल्लाआआअ.. चूस ले.. आह्ह.. बस ऐसे ऐसे ही.. आआह्ह्ह.. सरू तू भी चूस साली.. अब तो तुझे मेरे पके आम खिला रही ऊह्हऊऊ आआह्ह्ह सीस साली कब से मेरे पीछे पड़ी थीईइ.. भैन की लौड़ी.. ओह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह.. लल्लाआ.. उम्म्मम्म हां ऐसे.. जोर.. से.. साआली सरू आज तूने मुझे खा ही लिया हरामखोर.. आआ ओहह.. ऊऊम्म्म उह्ह्ह.. साली चूत में तेरे नाख़ून चुभोती है.. आहिस्ता.. उंगली कर.. मुझे कुतिया समझा है क्या..?

माया ने सरोज के चूतड़ों पर जोर की ‘ठपाक..’ से चपत मारी। सरोज इस ठपाक की दुश्मनी माया की चूत पर उतार रही थी।
उसने एक की जगह दो उंगलियां चूत में घुसेड़ दीं ‘गपाक…’
वो सरोज के चूतड़ों को अपनी हथेलियों से जोर-जोर से ठोक रही थी ‘थप.. थप..’

उधर उसकी मस्त चूत से चिकना पानी बह रहा था, इस चिकनाई ने उसकी गुलाबी चूत को और सेक्सी बना दिया था, वो बड़े जोश में चिल्ला रही थी। उसकी चूत में झटके आ रहे थे और वो बारी-बारी से अपनी आंखें मूंद कर अपनी चूत के ऊपर भगनासे को उंगली से मसल रही थी।

माया- चूस साली रंडी.. पूरी कर ले आज तेरी इच्छा.. आअह्ह्ह्ह.. साली.. जोर से काट.. फाड़ दे मेरी चूत… अहह…
सरोज चूत से उंगली निकाल कर उसे चाटने लगी। सरू ने माया की चूत से उंगली निकाली.. तो मैंने ‘गप्प..’ से घुसेड़ दी।

माया- ओह्ह्ह्ह लल्ल्ला आहिस्ता.. ऊपर ले रगड़.. हां आहह.. जोर से लल्लाआ.. आआआह्ह्ह.. जोर से ऊपर की ओर कर.. हाँ.. बस वहीं.. जल्दी..कर..बस ऐसे ही.. आह्ह्ह.. माँआआअ.. ऊऊफ़्फ़्फ़ आगे.. जरा..औ..र.. तेज दबा..कर रगड़.. हाँ बस वहीं.. यस..हाँ बस आह्ह..

सरोज उसकी चूचियों को अपने दांतों से काटने लगी थी। माया अब एक हाथ से कभी मेरे बालों को तो कभी लंड को सहला रही थी और एक हाथ से सरोज के मांसल कूल्हों को अपनी हथेलियों से बजा रही थी ‘ठाप.. ठाप..’

एक तरफ चूसने की आवाज़ ‘पुच.. पुच.. पचाक.. चपर.. स्लर्प..’ आ रही थी। उधर दूसरी तरफ सरोज की गर्म सांसें उसकी चूचियों से टकरा रही थीं। सरू अब पागलों की तरह माया को चूसे ही नहीं.. बल्कि खाए जा रही थी।

पूरा कमरा उन दोनों की मीठी आहों से गूंज रहा था। क्या नशीला माहौल था।

मेरी पहली चुदाई और वो भी दो-दो चुदक्कड़ लड़कियों से.. आज मुझे स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था। मुझे सीमा की भी याद आ रही थी।

माया- आआह्ह्ह्ह.. उईई ओह्ह्ह आआअ माँआआ.. ऐसे ही जोर से खा जा.. स्स्स्सूउर.. लल्लाआआ दाना खींच कर चूस आह.. हाआअ ओह्ह्ह्ह।
सरोज ने उसे धक्का देकर बिस्तर पर गिराया और मर्दों की तरह उसपर चढ़ कर उसकी दोनों भारी चूचियां रगड़ते-रगड़ते मुझसे हाँफते हुए, काँपते हुए स्वर में कहा- आ जा मेरे छोटे दूल्हे.. तुझे अब चूत चूसना सिखा दूँ।

सरोज का चेहरा लाल हो गया था। वो कांप रही थी। साथ ही बड़े ही नशे में थी। उसके कूल्हे लाल चटख हो गए थे। उसने माया के कूल्हों को उठाया और नीचे तकिया रखा ताकि उसकी चूत का छेद ठीक से ऊपर आ जाए और खुल कर फूल की तरह खिल जाए।

मैंने पहली बार इतनी नजदीक से चूत की लाल चटख फांकों को देखा था।
ओहह.. क्या मस्त चूत थी माया की..!
उसकी गुलाबी कसी हुई चूत के ऊपर की लाल पंखुड़ियां एकदम बन्द थीं.. उसे सरोज ने खोला, वो सीलपैक माल थी। यारों.. अब मुझे ज्ञात हुआ कि लड़के चूत के पीछे इतना पागल क्यों होते है।

उसकी चूत को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया। मेरे लंड का तो हाल बहुत बुरा ही था, उस पर झटके आ रहे थे और वो तन कर निक्कर पर अपना सर.. यानि सुपारा ठोक रहा था।

उधर माया और सरोज की चूतें चिकना पानी छोड़ रही थीं। उनकी कसी हुई चूत मुलायम झांटों से ढंकी और भी मस्त लग रही थी, जिसे देखकर मेरा लंड झटके देता हुआ ऐसा तन गया कि मुझे लगा कि इसके अन्दर का खून लंड की नसों को फाड़ कर बाहर आ जाएगा।

उसकी मखमली झांटें भी चूत के पानी से गीली थीं। सरोज ने उसकी उभरी गुलाबी चूत की पंखुड़ी को लपक कर अपने मुँह में लिया, तो वो चिल्लाई ‘इस्स्स्स.. उईईईए..’
सरोज उस पर अपनी जुबान बड़े प्यार से घुमा कर रगड़ रही और उसे तड़पा रही थी।

मेरे सामने माया और सरोज लेस्बियन सेक्स में लिप्त थीं।
मुझे उन दोनों को चोदने का मौका कब मिलेगा.. मैं यही सोचने लगा।
आप मुझे ईमेल कीजिएगा।
[email protected]
कहानी जारी है।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top