नौकरानी की लड़की संग कामसुख- 2

(Xxx MILF Sex Kahani)

Xxx MILF सेक्स कहानी में मेरी नौकरानी एक बच्चे की माँ को मेरी शरण में छोड़ गई. वह गरीब थी पर सेक्सी चीज थी. मैंने उसे कैसे चोदा?

दोस्तो, आप सभी का मेरी सेक्स कहानी में दोबारा स्वागत है.
कहानी के पहले भाग
कामवाली लाई एक कमसिन भाभी
में अब तक आपने पढ़ा था कि नीलू नामक एक युवती अपने स्तनों का दूध निकलवाने के लिए जयेश के साथ थी और उसके मुँह से ही अपने दूध को निकलवा व पिला रही थी.
इसी क्रम में वे दोनों कामुक होने लगे थे.

जयेश अपने होंठों से नीलू के स्तन से दूध चूस कर अपने मुँह में भर लेता और उसके बाद वह नीलू के मुँह में दूध डाल देता.

यह सब नीलू को भी बड़ा सेक्सी लग रहा था और जयेश को भी.

अब आगे Xxx MILF सेक्स कहानी:

नीलू को जयेश के मुँह से खुद के स्तनों का दूध पीना बहुत ही प्यारा लग रहा था.
उसने कभी ऐसा प्यार पाया ही नहीं था.

जब वह छोटी थी, तभी से नाना के घर रहती आई थी.
नाना जल्द ही चल बसे थे.
कुछ साल तक मामी का प्यार मिला था पर वह ज्यादातर बीमार ही रहती थी.
नयी मामी उसे बहुत लताड़ती थी.

इधर नीलू के पिताजी ने जब बेटी की विपत्ति सुनी तो तुरंत अपने पास बुला लिया.
यहां आने पर ही नीलू को पता चला कि पिताजी ने उसकी मां को निकाल कर दूसरी शादी कर ली है.
मां कहां गई, वह कुछ बता ही नहीं पाया.

नई मां ने नीलू को कभी प्यार नहीं दिया. फिर जबरदस्ती से हुई शादी से भी प्यार नहीं मिला था.
कुल मिलाकर नीलू ने कभी प्यार पाया ही नहीं था.

आज वह एक अजनबी इंसान से इतना प्यार पाकर निहाल हो गई थी.

नीलू को केवल थोड़े ही समय में प्यार का ऐसा अहसास हो गया जैसे न जाने कितने जन्मों से वह प्यार की प्यासी थी और आज उसकी सारी प्यास बुझने वाली थी.

जयेश को नीलू के हाथ ऐसे सहला रहे थे, जैसे उन दोनों का संबंध बहुत पुराना हो.
नीलू का ऐसा सहलाना, जयेश को उन्मादित करता जा रहा था और उसका नीलू के प्रति भावनात्मक बंधन और गहरा होता जा रहा था.

जयेश ने बहुत बार नीलू को दूध पिलाया, तब नीलू ने जयेश के सर पर हाथ फ़िराया और बोली- मेरे राजा, अब मेरा दूसरी तरफ़ का दुख भी दूर करो ना!
जयेश ने ऊपर की ओर देखा.

दोनों अर्थ पूर्ण तरीके से बात को समझ कर मुस्कुरा दिये.

जयेश ऊपर की ओर बढ़ रहा था, तभी नीलू ने जयेश के चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर सहलाया और कहा- अब तुम पियो मेरे पिया.
इस सम्बोधन पर जयेश खुश होकर मुस्कुरा दिया.

जयेश ने भी नीलू के सुंदर मुख को हथेलियों में लेकर सहलाया, अपने होंठ से नीलू के होंठों पर एक नाजुक चुंबन किया और हाथ से नीलू को थोड़ा दूध मुँह में लेने के लिए इशारा किया.

नीलू ने अपनी बांहों को फ़ैलाया और जयेश को अपने आलिंगन में भर लिया.
जयेश ने अपने आपको सही किया और वह अब घुटनों के बल पर खड़ा हो गया.

उसने वापस नीलू को आलिंगन में भर लिया. उसकी पीठ को सहलाया और अपने होंठ नीलू के होंठ पर रख दिए.

नीलू ने अपने प्रियतम के होंठों से प्रेमरस का पान किया. दोनों जिस्म भी स्पर्श रस का पान कर रहे थे.

उन दोनों के शरीर का यह पहला प्रेमालिंगन था.

दोनों के मुँह से दूध पूरा खत्म होते ही उनके मुँह अलग हो गए. दोनों एक दूसरे को एक पल के लिए देखते रहे.

अब जयेश ने नीलू के दोनों गालों पर बहुत चुम्बन दागे.

जयेश का मुख दूध वाला होने से नीलू के गाल पर दूध के निशान बन गए थे.
जयेश ने अपनी जीभ से नीलू के दोनों गाल को चाट कर साफ़ कर दिए.

मौका देख नीलू ने भी जयेश के चेहरे पर बहुत सारे चुंबन कर लिए.
जयेश के गाल पर दूध नहीं लगा था, तो भी उसके गाल को नीलू ने चाट लिया और आखिर में उसके होंठों को बहुत ही चुंबन दे दिए.

जयेश ने झुक कर दूसरे स्तन की निप्पल को जीभ से चाटना शुरू कर दिया.

निप्पल को प्यार भरा सुख मिलते ही दूध ने बहना शुरू कर दिया.
अब जयेश ने दूध को चाटने के बदले चूसना शुरू कर दिया था.

स्तन से दूध की धारा बहते ही नीलू को हल्का सा दर्द होने लगा.
नीलू को थोड़ी असहज होती देख कर जयेश ने उसी स्तन को प्यार से सहलाया और नीलू से आंख मिला कर पूछा- प्रिये, धीरे से करूँ क्या?
तब नीलू ने नकार में सिर हिलाकर कहा- थोड़ा दर्द भी प्यारा लगता है.

जयेश ने स्तन को और सहलाया और वह अपने दूसरे हाथ से नीलू के अंग उपांग को सहलाने लगा.

जयेश का हाथ जब नीलू की नाभि पर से धीरे से नीचे की ओर बढ़ा, तो नीलू की योनि से अभी तक बूंद बूंद कर बहता रस, अब धारा में बदल गया.
नीलू ने तुरंत ही अपना पेटीकोट खोला, उसे नीचे से निकाला और अपने नीचे दबा लिया ताकि धारा प्रवाह से पलंग की चादर न बिगड़ जाए.

जयेश का हाथ नाभि से होते नीलू के त्रिकोण प्रदेश पहुंचा तो वह हतप्रभ रह गया.

उसकी योनि देख कर लग रहा था कि वह कोई बिना चुदी कुंवारी कमसिन लड़की की योनि हो, जिस पर अभी तक एक भी बाल ना आया हो.
ऐसी नीलू की योनि थी और आसपास का क्षेत्र भी ऐसा ही था.

जयेश सहलाता भी रहा और स्तन को चूसता भी रहा.
उसने अब तक योनि प्रदेश से दूर तक के अंगों को भी सहलाने के साथ साथ नीलू अन्य अंगों का मुआयना भी कर लिया था.

जयेश ने पाया कि नीलू की जांघ चौड़ी नहीं हैं. इसीलिए उसकी दोनों जांघें एक दूसरे से घिसती भी नहीं होंगी, तो वहां काले निशान भी नहीं होंगे. ऐसे काले धब्बों से जयेश को बहुत ही चिढ़ थी.

ऊपर से दूध बड़ी मात्रा में आ रहा था. जयेश दूध गटकता जा रहा था.
नीलू और जयेश दोनों को सुख की अपार अनुभूति हो रही थी, साथ ही में दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता बन रहा था.

जयेश का हाथ घूमते हुए आखिर त्रिकोण पर अटक गया.
उसकी उंगलियों ने नीलू की योनि को अपार सुख दिया.

नीलू ने दोनों पांव फ़ैला दिए.
एक उंगली योनि के चीरे से धीरे धीरे दाने तक जा पहुंची और उसे सहलाने लगी.

नीलू सिर हिलाने लगी थी.
जयेश ने स्तन छोड़ कर नीलू की ओर देखा.

नीलू मदमस्त हो चुकी थी, फ़िर भी उसने तुरंत ही जयेश के सिर को पीछे से धक्का देकर अपने स्तन पर पुन: टिका दिया.
जयेश दूध भी चूसता रहा, चूत के दाने से भी खेलता रहा.

कभी कभी वह चूत के दाने को छोड़ कर जी-स्पॉट की तलाश भी कर लेता था.
नीलू अलग अलग तरह की आवाज भी कर रही थी.
कभी कभी वह जयेश, जयेश की रट लगा लेती थी.

कभी कभी मेरे राजा बोल कर जयेश को कहीं पर भी छू लेने की कोशिश कर लेती थी.
एक बार उसने जयेश के लंड को भी छुआ और सहलाया.

जयेश का लंड वैसे तो बहुत बड़ा और तगड़ा भी है. नीलू के सहलाने से उसमें और जोश भर गया.
तभी जयेश ने नीलू के उसी हाथ को पकड़ा और उससे लंड को सहलवाया.

नीलू ने भी बहुत देर तक जयेश के लंड और उसकी जांघों को सहलाया.

जयेश ने अपना नाइट पैंट खोल कर उतार दिया.
अब जयेश का लंड सीधा ही नीलू के हाथ में था.

नीलू ने उसे बहुत ही प्यार से सहलाया.

आखिरकार दोनों बातें साथ ही हुईं. स्तन भी खाली हुए और जयेश ने जी-स्पॉट को पूरी तरह उत्तेजित कर दिया.

नीलू को परम सुख की प्राप्ति हो गयी.
वह जोर से कराही और सिर को दाएं बाएं बहुत जोरों से हिलाती हुई उसने अपने दोनों पैरों को जोड़ कर जकड़ लिए.
उसने अपने स्तनों को दोनों हाथ से ढक लिए.

तब जयेश ने धीरे से नीलू के पीछे से दोनों तकिए निकाले और उसको धीरे से बेड पर चित लिटा दिया.
जयेश उसके बगल में ही लेट गया और अपने एक हाथ पर शरीर का वजन उठा लिया.

उसने ऊंचे होकर नीलू को देखते हुए उसके चेहरे को सहलाया, उसके सिर को सहलाया, उसके कंधों को सहलाया और साथ ही साथ वह नीलू के हर अंग को चूमता भी रहा.

धीरे धीरे नीलू होश में आई.
वह जयेश को देखकर मुस्कुराई.

जयेश ने उसको अपने आगोश में लेने के लिए अपने बाहु पसारे तो नीलू बड़े प्यार से और थोड़ी शर्माती हुई जयेश के सीने में सिमट गयी.
काफी देर तक वह ऐसे ही पड़ी रही.

बहुत देर के बाद वह बोली- आप बहुत ही प्यारे लगते हैं.

नीलू ने जयेश के वक्ष को चुंबनों से भिगो दिया, जयेश के सिर पर हाथ फेरा और जयेश के चेहरे को सहलाने लगी.

उसने जयेश के होंठों पर उंगली से स्पर्श भी किया, आंख पर भी स्पर्श किया, उसकी आईब्रो को सहलाया, ठोड़ी को पकड़ कर सहलाया, गाल पर हथेली से स्पर्श कर दाढ़ी के बालों को सहलाया.

वह कामुक होती गई और जयेश के थोड़ी और पास आ गई.
उसने जयेश के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

जयेश ने प्यारी नीलू को दोनों हाथ पसार कर आगोश में भर लिया.

नीलू पूरी तरह से जयेश के ऊपर आ गई.
उसने जयेश के होंठों को अच्छी तरह से अपने होंठों में ले लिए और चूसे भी.

नीलू के मुँह से थोड़ी लार टपक कर जयेश के लबों पर पड़ी, तो जयेश ने नीलू के इस अमृत को बड़े चाव से चूसा.

नीलू ने अपने चुंबन को सख्त बनाया और जयेश के होंठों को और जोर से चूसा.
जयेश की हथेली नीलू के मखमली बदन को सहलाते हुए उसके अंग उपांगों का मुआयना करने लगे.

नीलू की मखमली पीठ पर अच्छी तरह हथेली फ़िराने के बाद उसके दोनों कंधों को सहलाने लगा.

फिर उधर से नीचे आकर नीलू के अन्डर आर्म को उंगलियों से सहलाने लगा.
अब जयेश की हथेली नीलू की कमर पर जा पहुंची.

जयेश ने कमर के ढलान को मापा तो उसको लगा कि नीलू का बदन भगवान ने बड़ी फुर्सत से तराशा है.
कमर से हठ कर जयेश की हथेली उसके नितंब पर जा पहुंची.

नीलू के नितंब बहुत बड़े नहीं थे पर बहुत सुडौल थे.
नितंब की रेखा भी ललचाने वाली थी.

ऊपर चुंबन से तृप्त नीलू का मुँह थोड़ा खुला, तो जयेश ने अपनी जीभ को नीलू के मुँह में धकेल दिया.
नीलू के मुँह ने अपने पिया की जीभ का स्वागत करते हुए अच्छी तरह चूसा.

नीलू को यह बहुत ही मनभावन लगा. ऐसा करने से नीलू का मुख रस जयेश पीने लगा.
यह रस किसी सोमरस से कम नशा देने वाला नहीं था.

जयेश बड़े चाव से उस रस को चूसने लगा.
नीलू को भी बहुत मजा आने लगा.

नितंब को बहुत प्यार से देर तक सहलाने के बाद जयेश ने अपनी उंगलियों से गुदा द्वार को स्पर्श किया.
जिससे नीलू के बदन में एक सिहरन भरी उत्तेजना व्याप्त हुई.
सिहरन के कारण नीलू के पांव थोड़े चौड़ा गए.
ऐसा होने से उसकी योनि के चीरे पर जयेश का शिश्न सट गया.

उधर चुंबन रस का आदान-प्रदान आगे बढ़ता जा रहा था.
नीलू की जीभ कभी जयेश के मुँह में, तो कभी जयेश की जीभ नीलू के मुख में जाकर रस का स्वाद लेती रही.

उनका एक दूसरे के बदन को सहलाना भी जारी रहा.

दोनों पूर्व-रतिक्रीड़ा में रत थे.
जयेश का शिश्न कड़क हो गया था और नीलू की मुलायम योनि के नीचे दबे रहने से जयेश अब असहज हो गया था.

जयेश ने नीलू को कसके पकड़ा और अपनी दांई ओर पलट गया.
अब नीलू बेड पर पीठ के बल पर पड़ी थी और जयेश उसके ऊपर चढ़ा था.

नग्न अवस्था में लेटी सुंदर नीलू को देख कर जयेश को उसकी सुंदरता का रसपान करने की लालसा हुई.

जयेश ने अपने आप को थोड़ा ऊपर उठाया और नीलू के सुंदर मुख को देखने लगा.
थोड़ी देर तक ताकने के बाद जयेश ने उसके चेहरे पर चुम्बनों की बौछार लगा दी.

उस दौरान नीलू भी जयेश के अंगों को सहलाती रही.
जयेश के चुंबन चेहरे से आगे बढ़ते हुए उसके कान की लौ पर अटक गया. जयेश ने लौ को मुँह में लेकर जीभ से टटोला.

नीलू को बहुत मजा आया, पर थोड़ी गुदगुदी भी हुई.
गर्दन पर चुंबन देने के बाद जयेश ने उसके सिर पर हाथ फ़िराया और होंठ से होंठ मिलाये.
फिर उसने तुरंत ही दूसरे कान की लौ को प्यार किया.

इस बार नीलू को ज्यादा मनभावन लगा.
इसके जवाब में नीलू ने जयेश के बदन को सहलाया और अपने पांवों को चौड़ा दिया.
जयेश ने अपना वजन नीलू पर से हटाते अपने पांव पर लेकर उसके दोनों पांवों के बीच में खुद को ठहरा दिया.

जयेश ने फ़िर से होंठ पर चुंबन किया और आगे बढ़ते हुए पूरे गले पर बहुत से चुंबन दागे.
आगे बढ़ते हुए जयेश ने उसके दोनों कंधों को बारी बारी चूमा.

ऐसा करते हुए जयेश ने उसके हाथ को सहलाया और कंधे से लेकर हाथ की उंगलियां तक चुंबन दागे.

जयेश ने उसकी उंगलियों से अपनी उंगलियों को लॉक किया और चूम लिया.
फिर उसने दूसरे हाथ पर भी ऐसे ही प्यार किया. धीरे से हाथ को ऊंचा किया और बगल के पास गया, हथेली से बगल को सहलाया और पास जाकर सूंघा.

उसकी बगल एकदम साफ़ थी. बाल का नामोनिशान नहीं था.
बगल काली भी नहीं थी और दाग भी नहीं थे.

जयेश हैरत से देखता ही रहा.
उसने नीलू की ओर देखा तो वह हंस रही थी.

जयेश ने उसकी बगल को चूम लिया और बोला- इतनी साफ़ कैसे रखती हो?

आगे बढ़ते हुए जयेश ने दोनों स्तनों पर ढेर सारे चुंबन भी दिए. अपने चेहरे से स्तनों को सहलाया और सूखे हुए दूध को चाट चाट कर साफ़ किया.
इस दौरान नीलू का हाथ जयेश की पीठ पर फ़िरता ही रहा.

जयेश ने आखिर में दोनों स्तनों की घुंडियों को भी चूमा.
उसी वक्त जयेश ने अपने एक हाथ से नीलू के चेहरे को छुआ.

तुरंत नीलू ने जयेश को अपनी ओर खींचा और उसको चूमते हुए बोली- मेरे राजा, बहुत सुख दिया है आज आपने मुझे … अब वह भी दे दो जिसके लिए आप भी तड़फ रहे हैं.

इसके जवाब में जयेश ने उसके मुख पर बहुत चुंबन दागे.
नीलू के हृदय में खलबली मची तो उसने जयेश को बांहों में जकड़ लिया.

जयेश को लगा कि नीलू की योनि से रस बहता हुआ उसके लंड पर चिपक रहा है.
वह सीधा ही उसकी योनि के पास पहुंचा; सचमुच ही रस बह रहा था.
उसने तुरंत ही अपना मुँह लगाया और चाटने लगा.
नीलू ने अपने पांव चौड़े और हवा में उठा दिए.

तब उसकी योनि सही तरीके से मुँह लगी. नीलू की योनि बगल की तरह एकदम साफ़ थी.
सचमुच ही कमसिन लड़की जैसी साफ़ और दूध जैसी सफ़ेद चूत थी.
जयेश ने पहले भी उंगली से नीलू को चरम सुख का अनुभव करवाया था.

जयेश ने एक बार पूरी योनि को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
कुछ ही पलों में चूत से ढेर सारा रस जयेश को इनाम के तौर पर मिल गया.

जब रस बहना कम हुआ, तो जयेश ने योनि को चौड़ा करके जीभ को अन्दर डालना शुरू कर दिया.
थोड़ी ही देर में नीलू बहुत उत्तेजित होकर कराहने लगी और मादक आवाज से ‘जयेश … आह मेरे राजा.’ बोलने लगी थी.

जयेश ने सोचा उसका मुँह बंद करना होगा.
अब जयेश उल्टा हो गया और 69 की अवस्था में आ गया.

जयेश का मदमस्त मोटा और लम्बा लौड़ा नीलू के चेहरे के सामने था.
उसका क्या करना, या नहीं करना … ये सब उसने नीलू पर छोड़ दिया और खुद ने नीलू की चूत पर प्यार बरसाना शुरू कर दिया.

नीलू ने लंड कभी चूसा ही नहीं था, पर उसके पति ने बहुत बार जबरदस्ती मुँह में डाला था.
जब पति ही पसंदीदा नहीं था तो ये सब कैसे होता?

नीलू ने पति से काफी मोटा और लंबा लौड़ा देखा तो वह डर गई.
पर अगले ही पल बहुत चाव से उसके मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर सराहने लगी.

उसने एक दो बार लंड को चूमा भी, फिर तो उसको खुद को भी मालूम नहीं पड़ा कि कब वह एक अनुभवी रांड की तरह लंड चूसने लगी.

जयेश के लंड ने भी जवाब देते हुए अपना कद बढ़ा दिया और वह लाल भी हो गया.
नीलू को दोनों ओर से मजा आने लगा था.

चूत से रिसाव हो रहा था, वह जयेश को सुख दे रहा था … और जयेश के मुँह का रिसाव नीलू के आनन्द को बढ़ा रहा था.

थोड़ी ही देर में दोनों चरम सीमा के पास पहुंच चुके थे.
पहले नीलू ने पार किया और जोर से आवाज निकालना चाहा, पर मुँह में बड़ा लौडा किसी मूसल की तरह ठुका हुआ था.

नीलू ने पांव से जयेश को गले से लॉक लगाया. जयेश ने आनन्द विभोर होते हुए अपने गर्म माल की पहली पिचकारी मारी.
नीलू लंड को चूसती ही रही.

एक एक पिचकारी मारते जयेश का आनन्द परमानंद की ओर बढ़ता रहा.
जयेश के गले को लॉक लगा था, पर मुँह को अभी भी Xxx MILF के योनिरस की अपेक्षा थी.

नीलू के रस का रिसाव भी बढ़ा और जयेश को परम सुख भी मिला.
नीलू ने आज बहुत सारा रस छोड़ा था, जितना उसने पूरे जीवन में भी नहीं निकाला था.

दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे.

पांच मिनट के बाद जयेश पलट कर सिरहाने की ओर हो गया.
दोनों ने एक दूसरे को आलिंगन में लिया और चुम्बनों की बौछार लगा दी.

प्यार करते करते करते जयेश ने कहा- नीलू मैं हैरान हूं कि गरीब बस्ती में रहते हुए भी तुम अपने अंगों पर एक बाल भी नहीं रहने देती हो? वैक्सिंग करती हो, रेजर या क्रीम … क्या करती हो कि मखमल जैसी मुलायम त्वचा रहती है तुम्हारी?

‘मेरे प्यार, मेरे यार … आप हैरान मत होना. मैं समझाती हूँ.’

नीलू जयेश को और कस कर चिपक गई, जयेश के चेहरे को दुलारती हुई बोली- मैं कमसिन थी, तब नाना के पड़ोस में एक आंटी का स्पा था. मैं उनकी बहुत मदद करती थी. मुझे सब कुछ आता था. जब उन्होंने नई लेसर मशीन ली, तो हम दोनों ने एक दूसरे के प्राईवेट अंगों के बाल साफ़ किए थे, तब से मेरे प्राईवेट्स पर बाल नहीं आ रहे हैं.

‘तो क्या तुम खुद का ब्यूटी पार्लर शुरु कर सकती हो?’
‘क्यों नहीं? बिल्कुल कर सकती हूं. मुझे इस समस्या से निकलने के बाद कुछ तो करना ही पड़ेगा ना?’

जयेश नीलू की बातें सुनते सुनते नीलू के सुंदर अंगों को सहलाता जा रहा था और चूमता भी जा रहा था.
नीलू जयेश के प्यार से अन्दर से पिघल रही थी. जयेश भी नीलू के प्यार से तरबतर हो गया था.

नीलू ने पूछा- क्या तुमको पसंद आएगा?
जयेश बोला- कैसी बात कर रही हो? तुम खुद कमाओ और खुद पर निर्भर बनो, तो मुझे बहुत खुशी होगी. भारत की औरतें खुद पर निर्भर नहीं होती हैं इसलिए उन्हें पुरुष जाति की गुलाम बन कर रहना पड़ता है. मैं नहीं चाहता कि तुम पूरी जिंदगी मेरे घर पर कामवाली बन कर रहो. तुमको उस काम में शर्म आती है तो मैं तुमको ऑफिस चलाना सिखा दूंगा और कहीं नौकरी पर भी लगा दूंगा.

जयेश ने उसका चेहरा संवारा और चुंबन करते हुए कहा- तुम जीवन में बहुत आगे बढ़ो, यही मेरी तमन्ना है. यह सब करने के लिए कितना भी खर्च हो, मैं करूंगा.
नीलू ने प्यार करते हुए कहा कि आप कितने अच्छे हो. मुझे बहुत प्यारे लग रहे हो.

जयेश ने दोनों के शरीर पर एक पतला कम्बल ओढ़ लिया और एक दूसरे के होंठ चूसते हुए लेट गए. अभी स्खलन के बाद थकान ने उन दोनों को रोक दिया था, पर संभोग के बिना प्यार अधूरा रहता है, यह आप सभी जानते हैं.

एक घंटा बाद उन दोनों ने वापस अपने प्यार को पाने की होड़ लगाई और उन दोनों के बीच वासना का ऐसा तूफान आया कि लगातार चालीस मिनट तक जयेश नीलू को रौंदता रहा और नीलू भी खुद को पिसवाती रही. आज उसे खुद के जिस्म को कुचलवाने में पहली बार सुख मिल रहा था.

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आपके मेल मुझे उत्साहित करेंगे.
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