कमाल की हसीना हूँ मैं-21

शहनाज़ खान 2013-05-13 Comments

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मैं हाई-हील सैंडलों में धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई उनके पास पहुँची। मैं अपनी झुकी हुई नजरों से देख रही थी कि मेरे आजाद मम्मे मेरे जिस्म के हर हल्के से हिलने पर काँप उठते और उनकी ये उछल-कूद सामने बैठे लोगों की भूखी आँखों को राहत दे रही थी।

जावेद ने पहले उन दोनों से मेरा परिचय कराया, “मॉय वाईफ शहनाज़ !” उन्होंने मेरी ओर इशारा करके उन दोनों को कहा, फिर मेरी ओर देख कर कहा, “ये हैं मिस्टर रस्तोगी और ये हैं…”

“चिन्नास्वामी.. चिन्नास्वामी येरगंटूर मैडम। यू कैन काल मी चिन्ना इन शॉर्ट।” चिन्नास्वामी ने जावेद की बात पूरी की।

मैंने सामने देखा दोनों लंबे चौड़े शरीर के मालिक थे। चिन्नास्वामी साढ़े छः फ़ीट का मोटा आदमी था। रंग एकदम कार्बन की तरह काला और खिचड़ी दाढ़ी में एकदम साऊथ इंडियन फ़िल्म का कोई टिपिकल खलनायक लग रहा था। उसकी उम्र पैंतालीस से पचास साल के करीब थी और वजन लगभग सौ किलो के आसपास होगा।

जब वो मुझे देख कर हाथ जोड़ कर हंसा तो ऐसा लगा मानो काले बादलों के बीच में चाँद निकल आया हो।

और रस्तोगी? वो भी बहुत बुरा था देखने में। वो भी 40 साल के आसपास का 5’8″ हाईट वाला आदमी था, जिसकी फूली हुई तोंद बाहर निकली हुई थी, सिर बिल्कुल साफ़ था, उस पर एक भी बाल नहीं था। उन दोनों को देख कर मुझे बहुत बुरा लगा।

मैं उन दोनों के सामने लगभग नंगी खड़ी थी। कोई और वक्त होता तो ऐसे गंदे आदमियों को तो मैं अपने पास ही नहीं फ़टकने देती लेकिन वो दोनों तो इस वक्त मेरे फूल से जिस्म को नोचने को बेकरार हो रहे थे, दोनों की आँखें मुझे देख कर चमक उठीं।

दोनों की आँखों से लग रहा था कि मैंने वो साड़ी भी क्यों पहन रखी थी, दोनों ने मुझे सिर से पैर तक भूखी नजरों से घूरा। मैं गिलास टेबल पर रखने के लिये झुकी तो मेरे मम्मों के वजन से मेरी साड़ी का आंचल नीचे झुक गया और रसीले फलों की तरह लटकते मेरे मम्मों को देख कर उनके सीनों पर साँप लौटने लगे।

मैं गिलास और आईस क्यूब टेबल पर रख कर वापस रसोई में जाना चाहती थी कि चिन्नास्वामी ने मेरी बाजू को पकड़ कर मुझे वहाँ से जाने से रोका।

“तुम क्यों जाता है… तुम बैठो हमारे पास !” उसने थ्री सीटर सोफ़े पर बैठते हुए मुझे बीच में खींच लिया। दूसरी तरफ़ रस्तोगी बैठा हुआ था। मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थी।

“जावेद भाई यह किचन का काम तुम करो। अब हमारी प्यारी भाभीजान यहाँ से नहीं जायेगी।” रस्तोगी ने कहा।

जावेद उठ कर ट्रे रसोई में रख कर आ गया। उसके हाथ में सोडे की बोतलें थीं। जब वो वापस आया तो मुझे दोनों के बीच कसमसाते हुए पाया।

दोनों मेरे जिस्म से सटे हुए थे और कभी एक तो कभी दूसरा मेरे होंठों को या मेरी साड़ी के बाहर झाँकती नंगी बांहों को और मेरी गर्दन को चूम रहे थे। रस्तोगी के मुँह से अजीब तरह की बदबू आ रही थी। मैं किसी तरह साँसों को बंद करके उनकी हरकतों को चुपचाप झेल रही थी।

जावेद केबिनेट से बीयर की कईं बोतलें और एक स्कॉच व्हिस्की की बोतल ले कर आया। उसे उसने स्वामी की तरफ़ बढ़ाया।

“नक्को.. भाभी जान खोलेंगी !” उसने एक बीयर की बोतल मेरे आगे करते हुए कहा।

“लो हम तीनों के लिये बीयर डालो गिलास में और अपने लिये व्हिस्की। रस्तोगी अन्ना का गला प्यास से सूख रहा होगा !” चिन्ना ने कहा।

“जावेद ! योर वाईफ इज़ अ रियल ज्वैल…” रस्तोगी ने कहा- यू लकी बास्टर्ड, क्या सैक्सी जिस्म है इसका। यू आर रियली अ लकी बगर।

जावेद तब तक सामने के सोफ़े पर बैठ चुका था। दोनों के हाथ आपस में मेरे एक-एक मम्मे को बाँट चुके थे। दोनों साड़ी के आंचल को छातियों से हटा कर मेरे दोनों मम्मों को चूम रहे थे। ऐसी हालत में तीनों के लिये बीयर उड़ेलना एक मुश्किल का काम था। दोनों तो ऐसे जोंक की तरह मेरे जिस्म से चिपके हुए थे कि कोशिश के बाद भी उन्हें अलग नहीं कर सकी।

मैंने उसी हालत में तीनों गिलास में बीयर डाली और अपने लिये एक गिलास में व्हिस्की डाली और जब मैं अपनी व्हिस्की में सोडा डालने लगी तो रस्तोगी ने मेरे व्हिस्की के गिलास को बीयर से भर दिया। फिर मैंने बीयर के गिलास उनकी तरफ़ बढ़ाये। पहला गिलास मैंने रस्तोगी की तरफ़ बढ़ाया।

“इस तरह नहीं। जो साकी होता है… पहले वो गिलास से एक सिप लेता है फिर वो दूसरों को देता है !”

मैंने गिलास के रिम को अपने होंठों से छुआ और फिर एक सिप लेकर उसे रस्तोगी की तरफ़ बढ़ा दिया। फिर दूसरा गिलास उसी तरह चिन्नास्वामी को दिया और तीसरा जावेद को। तीनों ने मेरी खूबसूरती पर चियर्स किया। सबने अपने-अपने गिलास होंठों से लगा लिये। मैं भी व्हिस्की और बियर की कॉकटेल पीने लगी। मेरी धड़कनें तेजी सी चल रही थीं और बेचैनी में मैंने चार-पाँच घूँट में ही अपना गिलास खाली कर दिया।

“मस्त हो भाभीजान तुम…” कहकर रस्तोगी मेरे लिये दूसरा पैग बनाने लगा। उसने मेरा गिलास व्हिस्की से आधा भर दिया और बाकी आधा बीयर से भर कर गिलास मुझे पकड़ा दिया। इतने में जावेद ने सिगरेट का पैकेट चिन्ना स्वामी की तरफ बढ़ाया।

“नहीं ऐसे नहीं… ड्रिंक्स की तरह भाभी ही सिगरेट सुलगा कर देंगी !” रस्तोगी ने कहा।

“ल…लेकिन मैं स्मोक नहीं करती !”

“अरे ये सिगरेट ही तो है। ड्रिंक्स के साथ स्मोक करने से और मज़ा आता है।”

“प्लीज़ रस्तोगी, इससे जबरदस्ती मत करो, ये स्मोक नहीं करती है।” जावेद ने रस्तोगी को मनाया।

“कोई बात नहीं सिगरेट के फ़िल्टर को चूम कर हल्का सा कश लेकर सुलगा तो सकती है। इसे बस सुलगा दो तो इसका मज़ा बढ़ जायेगा… हम पूरी सिगरेट तो स्मोक करने को नहीं कह रहे !”

मैंने झिझकते हुए सिगरेट होंठों से लगाई और रस्तोगी ने बढ़ कर लाईटर सिगरेट के आगे जला दिया। मैंने हल्का सा ही कश लिया तो धुंआ मेरे फेफड़ों में भर गया और मेरी आँखों में पानी आ गया और मैं खाँसने लगी। स्वामी ने फटाफट मेरा गिलास मेरे होंठों से लगा दिया और मैंने उस स्ट्रॉन्ग ड्रिंक का बड़ा सा घूँट पिया तो मेरी खाँसी बंद हुई।

मैंने वो सिगरेट स्वामी को पकड़ा दी और फिर रस्तोगी और जावेद के लिये भी उसी तरह सिगरेट जलाईं पर उसमें मुझे पहले की तरह तकलीफ नहीं हुई। सब सिगरेट पीते हुए अपनी बीयर पीने लगे और मैं भी अपना कड़क कॉकटेल पीने लगी।

स्वामी कुछ ज्यादा ही मूड में हो रहा था। उसने मेरे नंगे मम्मे को अपने हाथ से छू कर मेरे निप्पल को अपने गिलास में भरे बीयर में डुबोया और फिर उसे अपने होंठों से लगा लिया। उसे ऐसा करते देख रस्तोगी भी मूड में आ गया। दोनों एक-एक मम्मे पर अपना हक जमाये उन्हें बुरी तरह मसल रहे थे और निचोड़ रहे थे।

रस्तोगी ने अपने गिलास से एक उँगली से बीयर की झाग को उठा कर मेरे निप्पल पर लगा दिया फिर उसे अपनी जीभ से चाट कर साफ़ किया।

“म्म्म्म्म.. मज़ा आ गया !” रस्तोगी ने कहा, “जावेद तुम्हारी बीवी तो बहुत नशीली चीज़ है।”

मेरे निप्पल उत्तेजना में किसी बुलेट की तरह कड़े हो गये थे। मैंने सामने देखा। सामने जावेद अपनी जगह बैठे हुए एकटक मेरे साथ हो रही हरकतों को देख रहे थे। उनका अपनी जगह बैठे-बैठे कसमसाना ये दिखा रहा था कि वो भी किस तरह उत्तेजित होते जा रहे हैं।

मुझे उनका इस तरह उत्तेजित होना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। ठीक है जान-पहचान में स्वैपिंग एक अलग बात होती है लेकिन अपनी बीवी को किसी अंजान आदमी के हाथों मसले जाने का मज़ा लेना अलग होता है।

मुझे वहाँ मौजूद हर मर्द पर गुस्सा आ रहा था लेकिन मेरा जिस्म, मेरे दिमाग में चल रही उथल-पुथल से बिल्कुल बेखबर अपनी भूख से पागल हो रहा था।

कहानी जारी रहेगी।

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