पायल की चूत हुई घायल-1

हाय दोस्तो,

बहुत दिनों के बाद आपसे मुखातिब हुआ हूँ, इसके लिए दिल से सॉरी !

आपने मेरी तीनों कहानियाँ पढ़ कर मुझे बहुत से मेल किये, इसके लिए धन्यवाद। कुछ दोस्तों ने लिखा कि मुझे अपनी भतीजी से मिलवाओ या फिर आपकी साली से मिलवाओ तो दोस्तो, मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि आप सिर्फ कहानियों का मज़ा लीजिये, अगर आप अपनी किसी रिश्तेदार के साथ चुदाई के सम्बन्ध बनाना चाहते हैं तो खुद कोशिश करें, कोशिश करने से ही चूत का फल मिलता है, हाँ अगर आप उनको पटाने में मेरी मदद चाहते हैं तो मुझे मेल करें, शायद मेरे बताये नुस्खों से उन्हें पटाने या चोदने या चुदवाने में कामयाब हो जायें !

तो अब कहानी पर आते हैं:

जैसा कि मैंने मेरी पिछली कहानियों में लिखा था कि हमारा रेडीमेड का कारखाना है और हम सिर्फ कुंवारी लड़कियों को ही काम पर रखते हैं, उन्ही में से एक लड़की जिसका नाम पायल था, उम्र करीब 18 या 19 साल की होगी, दिखने में बहुत ही खूबसूरत और मासूम सी दिखती थी लेकिन उसके उरोज उसकी उम्र के हिसाब से काफी बड़े बड़े थे, वो बहुत ही गरीब घर से थी, उसकी मम्मी लोगों के घर बर्तन मांजने का काम करती थी।

जैसा कि आप जानते हैं, दक्षिण में लड़कियाँ ऊपर शर्ट टाइप और नीचे सिर्फ लहंगा पहनती है, तो जब भी वो काम पर आती थी, यही ड्रेस पहन कर आती थी, गरीबी की वजह से वो ऊपर सिर्फ शर्ट ही पहनती थी, ब्रा वो कभी भी नहीं पहनती थी।

एक दिन वो गुलाबी शर्ट पहन कर आई जिसका कपड़ा काफी पतला सा था, मैंने देखा कि उसमें से उसके भूरे चुचूक दिखाई दे रहे हैं, उसके चुचूक जो चने के आकार के थे वो तो शर्ट में से साफ उठे हुए दिखाई दे रहे थे। सुबह सुबह उसके वक्ष के उभारों के खुले दर्शन करके तबीयत गार्डन गार्डन हो गई और लंड महाराज फड़फड़ाने लगे, मैं उसे चोदने का प्लान बनाने लगा।

वो बहुत कम बोलती थी, लगभग चुप ही रहती थी, इसलिए उसे पटाना बड़ा मुश्किल लग रहा था। फिर भी मैं सोचता रहा कि उसे कैसे पटाऊँ।

आखिर मुझे एक तरकीब सूझी, मैं काम के बहाने उसके पास गया और जेब से एक 500 का नोट निकाल कर चुपके से उसके पास गिरा दिया और वहाँ से आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद वो मेरे पास आई और धीरे से बोली- सर, आपके पैसे अन्दर गिर गए थे !

और नोट मेरी तरफ बढ़ा दिया। मुझे उसकी बेवकूफी पर बड़ा गुस्सा आया, फिर अचानक मेरे मन में ख्याल आया और मैं उससे बोला- तुम बहुत अच्छी और इमानदार हो, इसलिए ये रुपये तुम मेरी तरफ से रख लो।

वो घबरा कर कहने लगी- नहीं सर नहीं, यह नहीं हो सकता ! मेरी मम्मी मुझे मार डालेगी।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, कल तुम अपनी मम्मी को यहाँ बुलाना, मुझे उनसे बात करनी है।

तो वो और डर गई और बोली- नहीं सर, मम्मी को नहीं बुलाना !

मैं बोला- अरे पागल, डर मत, मैं तेरी शिकायत नहीं करूँगा, मुझे तो सिर्फ उनसे बात करनी है।

दूसरे दिन वो मम्मी के साथ आई। वो और उसकी मम्मी दोनों डरी हुई थी, उसकी मम्मी ने कहा- मालिक, अगर इसने कोई गलती की हो तो माफ़ करना, लेकिन इसे काम से मत निकालिएगा।

मैंने कहा- नहीं बाबा, यह तो बहुत अच्छी लड़की है, कल मेरी जेब से 500 रुपये गिर गए थे तो इसने ईमानदारी से मुझे वापिस लाकर दे दिए थे। मैं तो इसे ये रुपये ईनाम में देना चाहता था लेकिन आपके डर से यह ले नहीं रही थी, अब मैं ये पैसे आपको दे रहा हूँ और कल से में इसे सब लड़कियों का लीडर बनाने वाला हूँ, और अगर इसने अच्छा काम किया तो मैं इसे और भी पैसे दूँगा।

यह सुन कर उसकी मम्मी ने कहा- मालिक, आप बहुत अच्छे हैं।

और पायल से कहा- ये बहुत अच्छे आदमी हैं, तुम मन लगा कर काम करना और जैसा मालिक बोलें, वैसे ही करना !

उसने कहा- ठीक है !

मैंने उसकी मम्मी के सामने ही उसके गालों पर हाथ फिरा कर कहा- अब जाओ और काम करो !

फिर उसकी मम्मी ने कहा- मालिक, अगर यह कोई गलती करे तो आप इसके गाल पर चांटा मार देना !

यह सुनकर वो शरमाते हुए अन्दर चली गई।

अब मैं जब भी अन्दर जाता तो वो मुझे देखकर शरमा जाती और मुस्कुराने लगती, मुझे लगा अब मेरा रास्ता साफ़ है। अब मैं बार बार उसे अपने केबिन में बुलाने लगा और काम के बहाने उसके पास जाकर कभी उसके सिर पर हल्की सी चपत लगाता या उसके गालों को पकड़ कर हिलाता, वो कुछ नहीं बोलती थी और सिर्फ मुस्कुराती थी। अब वो मुझसे कुछ कुछ बातें भी करती थी।

दो दिन बाद मैंने उसे केबिन में बुलाया और कुछ समझाने के बहाने उसके पास गया और जानबूझ कर धीरे से उसके उरोजों को कोहनी से दबाया, उसने चौंक कर मुझे देखा लेकिन कुछ बोली नहीं। मैं भी अनजान बना रहा।

फिर मैंने उसे कहा- देखो पायल, मैं आज तुम्हें कुछ रुपये दूँगा, तुम एक अच्छी सी ड्रेस ले लेना। तुम्हारी मम्मी को में कह दूँगा !

यह कह कर मैंने 500 रुपये उसके हाथ में जबरदस्ती दे दिए और इसी बहाने एक बार फिर अनजान बन कर उसके वक्ष को छेड़ दिया लेकिन कोहनी वहाँ से नहीं हटाई, उसने सिर्फ मेरी तरफ देखा और अन्दर चली गई।

दूसरे दिन वो एक नई ड्रेस पहन कर आई, मैं समझ गया कि उसने कल यह ड्रेस खरीदी है।

मैंने उसे अन्दर बुलाया और कहा- तुम इस ड्रेस में बहुत सुन्दर लग रही हो !

यह कह कर उसके गालों को सहलाया और फिर धीरे से उसके गालों पर एक चुम्मी ले ली।

वो घबराकर बाहर चली गई, फिर जब मैं अन्दर गया तो वो मुझे देख कर नजरें नीची करके शरमाने लगी। यह देख कर मेरे लंड महाराज उछलने लगे, अब उसकी कुंवारी चूत रानी मुझसे ज्यादा दूर नहीं थी।

अगले दिन मैंने उसे केबिन में बुलाया और सीधा उसके गालों पर चुम्बन कर लिया। वो बाहर जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- रुको, अभी कुछ काम है !

और धीरे से उसकी कमर में हाथ डाल कर एक और चुम्बन उसके गालों पर किया। वो घबराकर इधर उधर देखने लगी और कहा- कोई आ जायेगा।

मैंने उसे छोड़ दिया और वो जल्दी से बाहर चली गई।

अगले दिन मैं उसके लिए एक ब्रा और पेंटी ले कर आया, उसे केबिन में बुलाया तो वो शरमाते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गई।

मैं खड़ा होकर उसके पास गया और उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपने सीने से लगा लिया और एक हाथ से धीरे से उसके एक स्तन को पकड़ लिया और दबाने लगा।

वो कसमसाने लगी और बोली- प्लीज सर, मुझे छोड़िये ! कोई आ जायेगा !

तो मैंने कहा- छोड़ दूँगा लेकिन तुम्हें मेरी बात माननी पड़ेगी !

तो उसने जल्दी से कहा- ठीक है लेकिन आप मुझे छोड़ दीजिये ! नहीं तो कोई आ जायेगा।मैंने उसे ब्रा और पेंटी का पैकेट दिया और कहा- कल ये पहन कर आना !

उसने बिना देखे पैकेट अपने लहंगे की जेब में दबाया और चली गई। लंच में उसने चुपके से पेकेट खोल कर देखा और घबरा के सीधे मेरे पास आई और बोली- मैं ये नहीं ले सकती, मम्मी ने देख लिया तो वो मुझे मारेंगी।

मैंने पीछे से जाकर उसके दोनों चूचे पकड़ कर मसलते हुए कहा- अगर तुम ये नहीं लेकर गई तो मैं नाराज हो जाऊँगा। तुम एक काम करो, ये लो 500 रुपमये तुम ये पैसे और पेकेट मम्मी को देना और कहना सर ने मुझे लीडर बना दिया है और कहा है कि अब तुम लीडर बन गई हो इसलिए बार बार केबिन में आना पड़ता है इसलिए ये पहन कर आया करो। और हाँ, कल इतवार की छुट्टी है लेकिन तुम्हें आना है।

शाम को वो डरते हुए पैकेट लेकर चली गई।

अगले दिन छुट्टी होने की वजह से में थोड़ा लेट फ़ैक्टरी आया और देखा तो वो मेरी दी हुई ड्रेस पहने हुए थी और बहुत खुश लग रही थी।

मैं उसे देखते ही समझ गया कि उसने आज ब्रा भी पहनी हुई थी। मैं उसे सीधा केबिन में ले गया और कहा- क्या बात है? बड़ी खुश लग रही हो?

तो उसने बताया- जब मैंने मम्मी को बताया कि आपने मुझे लीडर बना दिया और यह पैकेट दिया है।

तो उसने कहा- ये क्यों दिया है?

मैंने वही कहा जो आपने कहा था, यह सुनकर मम्मी खुश हो गई और बोली- तुम्हारे मालिक बहुत अच्छे है, तुम भी कभी उन्हें शिकायत का मौका नहीं देना और जैसा वो कहे वैसे ही सब काम करना।

यह सुनकर मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके ओठों को चूसने लगा। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !

वो बोली- सर, कोई आ जायेगा।

मैंने दरवाजा अन्दर से लॉक किया और फिर उसे चूमने लगा और उसके बड़े बड़े चूचे दबाने लगा तो वो शरमाकर बोली- सर, धीरे धीरे ! प्लीज ! दर्द होता है।

थोड़ी देर उसको मसलने के बाद मैंने उसे छोड़ा और कहा- मैं देखना चाहता हूँ कि कल जो ब्रा और पेंटी मैंने दी थी, वो फिट है या नहीं।

उसने कहा- नहीं नहीं सर ! यह नहीं हो सकता, मुझे बहुत डर लगता है।

तो मैंने कहा- ठीक है, फिर तुम जाओ।

कहानी जारी रहेगी !

चिलपिल गोपी

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