पापा की चुदक्कड़ सेक्रेटरी की चालाकी-1

(Papa Ki Chudkkad Secretary Ki Chalaki Part-1)

पूनम चोपड़ा 2018-06-16 Comments

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दोस्तो, मैं आपकी दोस्त रानी भाभी उर्फ़ पूनम चोपड़ा आपके सामने फिर से पेश हूँ.
मेरी पहली कहानी
मैं कॉल गर्ल कैसे बन गई
लिखी गई थी, जिसे आप सभी ने बहुत पसंद किया था. आप सभी की मेल पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा और उसी के चलते आज मैं अपनी एक और कहानी लिख रही हूँ. मेरी पहली कहानी में मेरी मेल आईडी दूसरी थी और आज मैं अपनी निजी मेल आईडी से इस कहानी को आपकी नजर कर रही हूँ.

दोस्तो, आज मैं आप लोगों को अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसे मैंने अभी तक किसी से भी नहीं बताया है. आज मेरी उम्र 35 साल की है और मैं चुदाई में बहुत माहिर हो चुकी हूँ. मेरी कहानी उस वक्त शुरू हुई थी, जब मैं किशोरावस्था में थी.

जब मैं 5 साल की थी, मेरी माँ का देहांत तभी हो गया था. मेरे पापा किसी जानी मानी कंपनी में जनरल मैनेजर थे और बहुत से लोग उन के नीचे काम करते थे. घर में पैसे की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने मेरे लिए एक आया रखी हुई थी, जो सारा दिन हमारे घर पर ही रहती थी. पापा के पास इतनी फ़ुर्सत नहीं थी कि कभी वो मेरी तरफ भी देखते. बस आया ही मेरा सब कुछ थी.

पापा अपने ऑफिस की किसी लड़की के साथ अपना चक्कर चला बैठे. वो लड़की एक विधवा थी और उसका एक लड़का भी था, जो जवान था. उसका ये बेटा जब पैदा भी नहीं हुआ था तभी उसके पति की मौत हो गई थी. क्योंकि उसका पति मेरा पापा के पास काम करता था, इसलिए उन्होंने उसकी विधवा को अपने ऑफिस में काम पर रख लिया. क्योंकि वो काम बहुत अच्छी तरह से करती थी. इसलिए उसको उन्होंने अपनी सेक्रेटरी बना लिया.

जब मेरी माँ का देहांत हुआ तो उसने मेरे पापा से कहा कि जिंदगी बहुत लंबी है, इसे रो कर ना गुजारो बल्कि सुख और चैन से बिताओ.

क्योंकि वो पापा की सेक्रेटरी थी, इसलिए वो बहुत समय उनके साथ ही रहती थी. उसने मेरे पापा को फुसलाने का पूरा काम करना शुरू कर दिया. जब भी मौका मिलता, वो पापा को अपने मम्मों की नुमाइश करवाती और अपनी टांगों को पूरी तरह से वैक्स कर भी दिखाती. यहाँ तक वो कई बार अपनी स्कर्ट तो बहुत ऊंचा करके अपनी चड्डी तक भी दिखा देती थी. ऐसा वो उस वक्त करने का प्रयास करती थी, जब वो उनसे डिक्टेशन ले रही होती थी.

पापा को भी एक चूत की ज़रूरत थी क्योंकि उनकी पत्नी (मेरी माँ) भी संसार छोड़ कर जा चुकी थीं. मगर पापा अपनी पोज़िशन को देख कर चुप रह जाते थे.

जब पापा उसके जाल में ना फँसे तो एक दिन उसने पापा को अपने घर पर यह कह कर बुलाया कि उसके बेटे का जन्मदिन है, आपको ज़रूर आना होगा.. क्योंकि वो बेचारा बिना बाप का लड़का है.

खैर.. पापा निश्चित समय पर उसके घर पर गए. मगर वहाँ ना तो कोई और था और ना ही कोई जन्मदिन जैसा कुछ भी था.
उसने पापा से कहा कि मेरे देवर की डेथ हो गई है, इसलिए उसको वहाँ भेजना पड़ा. मगर आप अब बिना खाना खाए नहीं जा सकते.

अब घर में दो जवान मर्द और औरत अपनी प्यासी चूत और लंड लिए अकेले हों तो फिर आप सोच सकते हैं कि क्या क्या हो सकता है. उसने एक डीवीडी प्लेयर लगा रखा था और उस पर कोई ब्लू फिल्म लगी हुई थी, मगर टीवी और डीवीडी ऑफ थे.

वो बोली- मैं ज़रा बाथरूम से होकर आती हूँ, आप तब तक टीवी पर डीवीडी चला कर मूवी देखिए.

इसके आगे की कहानी मैं अपने पापा की ज़ुबानी ही लिख रही हूँ.

उस दिन मुझे घर पर बुला कर मेरी सेक्रेटरी ने सबको पहले ही से कहीं भेज दिया था और जब मैं उसके घर पर पहुँचा तो वहाँ सिर्फ वो ही थी. मुझे ब्लू फिल्म देखने के लिए बोलती हुई वो बाथरूम में चली गई. मैं भी अपनी पत्नी के देहांत के बाद लंड का पानी किसी भी चूत में नहीं निकाल पाता था. बिंदु (मेरी सेक्रेटरी) भी बिना चुदे रह रही थी. दोनों को एक लंड और चुत की जरूरत थी. मुझे नहीं पता था कि उसने डीवीडी पर कोई ब्लू फिल्म लगाई हुई है.

जैसे ही मैंने टीवी को ऑन किया, तो फिल्म देखते ही मेरा लंड टनटनाने लग गया. मुझे चूत तो मिल नहीं रही थी मगर फिल्म देख कर मेरा लंड आपे से बाहर हो गया और पूरे कपड़े फाड़ कर बाहर निकल आया. कुछ देर बाद बिंदु आई मगर मैं अपने हाथ में लंड को पकड़े हुए फिल्म देखने में मस्त था, इसलिए मुझे नहीं पता कि वो कब वापिस आ गई. उसे देखते ही मैं अपने लंड को छुपाने की कोशिश करने मगर वो साला हाथ से भी निकल निकल जा रहा था.

मेरी यह हालत देख कर वो बोली- सर यह आपसे काबू नहीं हो पाएगा. इसको काबू में करने के लिए मेरी ज़रूरत है.
वो अपनी चूत तो पूरी सफाचट करके आई थी, शायद यही करने के लिए वो गुसलखाने में गई होगी. इस वक्त उसने पूरी पारदर्शी नाइटी डाली थी.. जो आगे से बहुत ही ढीली और खुली हुई थी. उसको इस तरह से देख कर मेरा लंड और जोर से उछलने लगा.

बिंदु ने यह सब बोल कर आगे बढ़ कर अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया और बोली- सर क्यों परेशान होते हो.. मैं हूँ ना आपकी दासी. इसे मुझे सौंप कर आप निश्चिन्त हो जाइए.
फिर उसने बिना कुछ कहे मेरा लंड, जो सात इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा था, गप्प से मुँह में ले लिया.

अब मैं अपने को छुड़ाना भी नहीं चाहता था.. इसलिए लंड चुसवाने का पूरा मज़ा लेने लगा. वो जोर जोर से लंड को चूस रही थी और मेरी गोटियों को भी सहला रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि आज कुछ सालों बाद ही यह मज़ा मुझे नसीब हुआ था. मैंने उसके चुचे दबाने शुरू कर दिए और उसकी घुन्डियां मुँह में लेकर चूसने और काटने लगा.

वो भी चुदासी थी इसलिए मुझे उकसाए जा रही थी- सर शर्म छोड़िए.. खुल कर मुझे आज चोदो.. बहुत दिनों से मेरी चूत किसी लंड के लिए भूखी है. सर सिर्फ चुचियों को दबाने से मेरा काम नहीं बनेगा. आप अपना यह लंड मेरी चूत में घुसा दीजिए, फिर इस पर कूद कूद कर खुद भी मज़े लो और मुझे भी दो. मेरी चूत अब पूरी किसी कुंवारी लड़की की तरह सी हो चुकी है क्योंकि इसको सालों से कोई लंड नहीं मिला.

उसकी बातें सुन कर मेरा लंड अब पूरा लोहे का हो चुका था. खास कर जब से लंड उसके मुँह में गया था. मैंने अब पूरी शर्म छोड़ कर उसको बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. उसने सही कहा था कि उसकी चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह से सिकुड़ गई थी क्योंकि वो सालों से नहीं चुदी थी. जब कि उसकी चूत एक लड़का भी निकाल चुकी थी.

अब मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था, सिवा उसके मम्मों और चूत के.. जिसे मैं पूरी तरह से पेलने को आतुर हो रहा था. चूंकि मेरा लंड चुदाई से पहले ही बहुत गरम हो चुका था और फिर उसने उसे चूस चूस कर बहुत तंग किया था, इस लिए वो चूत में जाकर कुछ ही समय बाद अपना पानी छोड़ गया.

बिंदु बोली- सर, मेरी चूत को अभी पूरा मज़ा लेना है इसलिए मुझे आपके लंड को दुबारा तैयार करना पड़ेगा.

उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसके सुपारे पर जीभ फेरने लगी. लंड दुबारा से उछलने लग गया था और दो मिनट में ही फिर से ख़ूँख़ार होकर अपना जलवा दिखाने को तैयार था.

अब बिंदु मेरे लंड पर बैठ गई और खुद ही अपने चूतड़ों को उछालते हुए मेरे लंड पर धक्के पर धक्का लगाने लगी. वो ऊपर से धक्का मारती थी, मैं नीचे से गांड उछाल देता था ताकि लंड चूत से बाहर ना निकले. उसके धक्कों की वजह से उसके मम्मे उछल उछल कर डांस कर रहे थे. मैंने उसके मम्मों को जोर से दबा कर मसला और अपनी तरफ खींचता रहा.

वो बोलती रही- आह.. सर बहुत मजा आ रहा है.. और जोर से खीँचो.. आह इन साले मम्मों ने मुझे बहुत परेशान किया हुआ था. आज इनकी पूरी अकड़ निकाल दीजिए, इनको तरह से ढीला कर दो ताकि यह अपनी औकात में रहा करें.

लगभग बीस मिनट बाद मेरे लंड ने और उसकी चूत ने अपना अपना अपना रस छोड़ दिया. हम दोनों ने कोई भी सावधानी नहीं ली थी. मेरे लंड का पूरा पानी उसकी चूत में चला गया.

अब मेरा लंड मेरी कुछ नहीं सुन रहा था. उसको बस बिंदु की चूत ही नज़र आ रही थी. वो उस चुत का दीवाना बन चुका था. कुछ देर बाद वो फिर चूत को देख कर अपने रंग में आ गया.

अब मैंने बिंदु को कुतिया बना कर उस की चूत में अपना लंड डाल कर चोदा, वो बहुत खुश थी इस चुदाई से. खैर बिना किसी सावधानी से मैंने उसकी चूत मारी थी और बाद में सोचा भी कि कहीं कोई मुसीबत ना आ जाए. खैर अब जो होना था, सो हो चुका.

रात को तीन बार बिंदु की चूत पर माल निकल कर मैं अपने घर वापस आ गया. उस रात को मुझे बहुत मज़े से नींद आई क्योंकि चूत के दर्शन ही नसीब में नहीं थे कई सालों से. आज चूत के दर्शन की बात छोड़ो, तीन तीन बार चूत की चुदाई भी की और वो भी उसकी रज़ामंदी से.

अगले दिन जब ऑफिस में गया तो देखा कि आज बिंदु कुछ ज़्यादा ही खुश थी और उसने बहुत ही सेक्सी ड्रेस डाली हुई थी. उसने स्कर्ट और टॉप डाला हुआ था और टॉप के नीचे कुछ नहीं था. वो ज़रा सा भी झुकती थी तो मम्मे पूरे नज़र आते थे. जब सामने बैठ कर टांगों को ज़रा सा भी ऊपर करती थी तो चूत पूरी नज़र आती थी क्योंकि स्कर्ट के नीचे भी कुछ नहीं था. वो आज ऑफिस में भी मुझसे चुदवाना चाहती थी मगर मैंने उस को कोई लिफ्ट नहीं दी.

वो शाम तो ऑफिस के बाद मुझसे बोली- सर आपसे कुछ कहना है मगर यहाँ पर नहीं… या तो आप मेरे घर पर चलिए या फिर किसी होटल में चलते हैं.

मैं होटल में जाना नहीं चाहता था क्योंकि वहाँ मैं जल्दी ही पहचाना जा सकता था, इसलिए उसके घर पर ही चलने का प्रोग्राम बना. उसने अपने बेटे को शायद कहीं भेज दिया था, इसलिए वहाँ हमारे सिवा और कोई नहीं था. घर पहुँचते ही मेरा लंड फिर से उछाल मारने लगा, जो वो अच्छी तरह से देख रही थी.

उसने कहा- सर क्यों इसको तंग कर रहे हैं. इसको इसकी फ्रेंड से मिलने दो. मैं इसकी फ्रेंड को तैयार करके अभी लाती हूँ.
दो मिनट बाद वो पूरी नंगी होकर मेरे पास आ गई और बोली- पूरे कपड़े उतार कर निकाल दीजिए इसको बाहर और मिलने दो इसको, इसकी फ्रेंड से.

बस फिर चुदाई का खेल दोबारा शुरू हो गया. चुदास सर चढ़ कर झूम रही थी, तो फिर से तीन बार वासना का तूफ़ान चला.

जब तीसरी बार वो चुद रही थी तो बोली- सर इन दोनों की दोस्ती पक्की करवा दीजिए.. ताकि इनको आपस में मिलने के लिए कोई परेशानी ना रहे.
मैं समझ चुका था कि वो क्या कहना चाह रही है. मैं बोला कि देखो इसमें बहुत बड़ी प्राब्लम है.. तुम्हारा एक बेटा है और मेरी एक बेटी, इसलिए यह सब बहुत नामुमकिन है.

इस पर वो बोली कि सर आपको चूत चाहिए.. मुझे लंड चाहिए.. मेरे बेटे को बाप चाहिए और आपकी बेटी को माँ चाहिए. इन सबको जो जो चाहिए मिल जाएगा, फिर किस बात की दुविधा है. मैंने कहा- मैं सोच कर बताऊंगा.

करीब बीस दिन बाद उसने रात को मुझे फोन किया और बोली कि सर बहुत बड़ी प्राब्लम हो गई है. मैं अपनी लेडी डॉक्टर के पास रुटीन चैकअप के लिए गई थी, उसने बोला है कि मैं माँ बनने वाली हूँ.

ये सुन कर मुझे 440 बोल्ट का बिजली का झटका लग गया.

अब एक ही रास्ता था या तो मैं उससे शादी कर लूँ या फिर उसका बच्चा जो मेरा है, उसके पेट से गिरवा दूं.

बहुत सोच कर भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

अगले दिन मैं सुबह सुबह ऑफिस जाने से पहले उसके घर पर गया. वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई और फिर से चुदाई करवाने के लिए तैयार होने लगी.

मैंने उससे कहा- नहीं अभी मुझे इस मुसीबत से निकलने का कोई रास्ता बताओ.
उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, वो बोली कि सर क्या हुआ.. आपका ही बच्चा है ना.. यह तो आपको भी पता है फिर किस बात का डर? आप मुझसे शादी कर लो.. सारे झमेले ही खत्म हो जाएंगे.

अपनी इज्जत का डर महसूस करके मैंने उसकी बात को मान लिया.

मेरी सेक्स स्टोरी पर आपके मेल का स्वागत है.
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कहानी जारी है.

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