सम्भोग पूर्व क्रीड़ा मुखमैथुन-2

Sambhog Poorv Krida Mukhmaithun-2

रूपा- मेरे सभी रूम-पार्टनर्स के बॉय-फ्रेंड्स का यही मानना है काली चूत कौन चाटना चाहेगा, अभी तक तुम्ही एक ऐसे मिले हो जिसे इस चीज से दिक्कत नहीं है तो मेरा तुम्हारे तरफ झुकाव गलत नहीं है।

उसके मुँह से चूत सुन कर एक सेकंड के लिए तो मैं सन्न हो गया, खैर संभल कर बोला- ऐसे कोई भारतीय लड़की नहीं है जिसकी योनि गुलाबी होगी। भारत की हवा ही ऐसी है कि लड़का हो या लड़की उसका गुप्त अंग उसके शरीर के रंग से दबे हुए ही होंगे।

रूपा- आज तक इतना किसी को नहीं समझाया होगा, अपनी सबसे अच्छी दोस्त को ही सब समझाने को बचा रखा था क्या?
वो अब गुस्से में थी, उठी और चल पड़ी, मैंने रोका भी पर रुकी नहीं।

मुझे वाकयी नहीं समझ आ रहा था कि क्या किया जाये, कॉल भी किया पर काट दे रही थी बार-बार।
फ़िलहाल के लिए सोचा कि कल ऑफिस आके बात करूँगा रात-भर में शायद थोड़ा नार्मल हो जाये।

सम्भोग पूर्व क्रीड़ा मुखमैथुन-1

वो अगले दिन ऑफ़िस में भी बात नहीं कर रही थी, मैंने उसे बुलाया कि कल के बारे में बात करनी है, तब वो आई और हम बास्केटबॉल कोर्ट में गये ताकि कोई हमारी बात सुन ना ले।

मैं- क्या है यार ये, दिमाग़ खराब कर दिया है तुमने मेरा कल से और अब बात भी नहीं कर रही हो?

रूपा- मैं तो बड़े मज़े में हूँ ना?
मैं- क्यों अब क्या हुआ तुम्हें?

रूपा- इतने अंजान ना बनो, सब जानते हो, फिर भी मेरे से ही सुनना चाह रहे हो !!

मैं- नहीं यार ऐसा नहीं है, खैर पहेलियाँ ना बुझाओ, साफ साफ बात बताओ।

रूपा- मेरे लिए दिक्कत है कि अगर तुम नहीं करते हो जो मैंने माँगा है तुमसे, तो मैं तुमसे नज़रें नहीं मिला सकती, मैंने यही सोच कर तुम्हारे सामने बात रखी थी कि तुम समझ जाओगे और मेरी ज़रूरत को पूरा करोगे, पर इतना ड्रामा हो जाएगा नहीं सोचा था।

मैं तो इसे समझाने आया था पर पासा तो उल्टा ही पड़ रहा है, बात तो उसकी सही थी कि आगे हमे एक दूसरे को मिलने में दिक्कत आएगी, वो भी उसके लिए ज़्यादा बड़ी बात थी क्योंकि उसने बोला और मैंने मना किया।

दिमाग़ में बहुत तेज़ी से प्रोसेस करके मैंने उसे उत्तर दिया- यही सोच कर मैंने तुम्हें तुम्हारी माँगी हुई चीज़ देने का निर्णय लिया है। मैंने सोचा कि करते हैं, जो होगा देखा जाएगा, कम से कम दोनों को मज़ा तो आना ही था और इस दुविधा से भी निकल जाएँगे।

रूपा- सच ! अब तुम मेरे साथ मज़ाक तो नहीं कर रहे?
उसकी आँखों में चमक आ गई थी और वासना भी।

मैं- नहीं ! अब मज़ाक का नहीं गंभीर बातों का समय है, अब तुम बताओ कि प्लान क्या है?

रूपा- प्लान यह है कि केवल ओरल करना है, कितनी भी, कहीं भी चुम्मा चाटी पर नो फक्किंग।

मैं- अरे बेवकूफ़ लड़की ! यह तो हमे भी मालूम है, मैंने पूछा कि कब और कहाँ करना है?

रूपा- यह तो तुम्हें देखना है, तुम लड़के हो तुम ही करो सब इंतजाम।

सब कुछ अपने हिसाब से चाहती है और कुछ करनी भी नहीं चाहती, खैर अब हाँ की है तो आगे भी करना ही पड़ेगा।

मैं- ठीक है शाम तक बताता हूँ, तुम्हारी कोई खास रिक्वाइर्मेंट?

रूपा- हाँ ! जितना जल्दी हो सके उतना…

बोल कर आँख मार दी उसने।

अभी थोड़ी देर पहले मुँह लटका था, अब देखो कैसे उछल रही है।

मैं- ओके…
फिर हम अपने काम पर लग गये जाकर।

मैंने दिमाग़ दौड़ाया और पाया कि अगर वीकेंड का सोचा जाए तो कोई आसार नहीं दिखे, तो अगर करना है तो सप्ताह के बीच में करना होगा ताकि मेरे और उसके रूम-पार्ट्नर्स ऑफ़िस में रहेंगे।

दूसरा, जगह के दो ही विकल्प थे उसका और मेरा फ्लैट।
उसका फ्लॅट एक PG था जिसमें आठ लोग रहते थे, तो वो उचित नहीं था हमारे मज़े के लिए, क्योंकि क्या पता कर कौन वापिस आ जाए।
तो बचा मेरा फ्लैट, वैसे कोई दिक्कत नहीं थी पर ओनर का नाटक था कि कोई लड़की नहीं आनी चाहिए चाहे दोस्त ही क्यों ना हो।

अब मज़े के आगे कौन दिखता है, मैंने सोचा कि भाड़ में गया ओनर अब तो सब यहीं होगा।

शाम को मैंने उसे कॉल करके पूरा प्लान बताया कैसे क्या करें कि सब हो जाए और किसी को शक भी ना हो।
और बोला कि ओरल के लिए सफाई ज़रूरी है, तो वो कर लेना, तब बता देना।

वो बोली- मैं तो अभी के लिए भी तैयार हूँ।

खैर, तय हुआ था आने वाला गुरुवार… हमारे पास अभी भी तीन दिन थे तो हमने खूब बातें की कि क्या क्या करना है।

आख़िर वो दिन आ ही गया।

प्लान के मुताबिक मैं ऑफ़िस नहीं गया, रूपा गई पर बहाना बना के 12 बजे वापस आ गई कि उसके पीरियड्स हैं।

मैंने उसे पिक किया और अपने फ्लैट ले आया।

उस दिन उसने मेरे कहने पर मटमैले रंग की शर्ट पहनी थी जिसकी फिटिंग उसके ऊपर मस्त आती थी और दोस्तो, शर्ट के बटन खोलने का अलग ही मज़ा है बजाए की टी-शर्ट उतरने के।
नीचे उसने काले रंग का कार्गो पहना था। मैंने जैसा कि पहले भी बताया कि फिगर के मामले में वो अव्वल थी, बस ऊपर वाले ने शक्ल और रंग दिया होता तो कयामत ढा रही होती और शायद मैं अभी तक उसे चोद चुका होता।

और मैं अपने लोवर और टी-शर्ट में था।

घर में आके मैंने ध्यान से सब बंद किया और उसको अपने रूम में ले गया।

वो थोड़ी सी डरी सी लग रही थी।
मैंने उसे समझाया और कहा कि मेरे ऊपर भरोसे रखे और मैंने उसके कंधे पे हाथ रखा ही था कि वो मुझसे लिपट गई और मैंने भी उसे कस के हग किया।
वो मुझे छोड़ ही नहीं रही थी तो मैंने सोचा कि इसको उत्तेजित ही करना पड़ेगा, तभी कुछ होगा।

मैंने उसके सिर पर किस किया, हाथों को पीठ से नीचे कमर पे ले गया और कस के दबा दी, ऐसा करने से उसने और तेज़ जकड़ लिया, फिर मैंने दोनों हाथों से उसके चेहरे को अपनी छाती से अलग करके उसके माथे पे किस किया, उसकी आँखें बंद थी तो मैंने दोनो आँखों पे हल्के हल्के से होंठ रखे।

अब उसकी पकड़ थोड़ी ढीली पड़ रही थी जिसका मैंने फ़ायदा उठा कर उसके गालों पे हल्के से किस किया, उसकी नाक पे किस किया, फिर उसकी ठोड़ी पे किस किया।

अब तो पूरी तरह से ढीली हो गई थी, मैंने उसे वहीं पे अपने बेड पे धीरे से लेटाया, उसको अपने बायें तरफ रख के उसका सिर अपने बायें हाथ पर रखा, थोड़ा सा रुकने के बाद मैंने उसके कान पे किस की तो उसकी पहली सिसकारी निकली।

फिर क्या था… मैंने हल्के हल्के पूरे चेहरे पे किस करना चालू कर दिया, पर अभी तक उसके होंठ बचे थे।
मैंने चाहता था कि वो मुझे होंठ के किस करे तो मैंने उसे उपर वाले लिप के ऊपर किस किया और फिर नीचे वाले की नीचे, 2-3 बार यही किया तो उससे अपनी आँखें खोल कर इशारों से सवाल किया।

मैंने भी इशारों से जवाब दिया तो उसने झट से मेरा चेहरे को पकड़ के होंठ से होंठ लगा दिए।

और हुआ 5-7 मिनट लंबा स्मूच smooch

किस के दौरान ही पहले मैं उसके उपर चढ़ गया और फिर पलट के उसे अपने ऊपर ले लिया।
पूरे समय उसके हाथ मेरे चेहरे पे ही रहे और मेरे उसकी पीठ और कमर से होते हुए चूतड़ों तक घूम रहे थे।

किस ख़त्म करने के लिए मैं उसके ऊपर आ गया और दोनों हाथ अपने बीच में लाकर उसके पेट के रखे और ऊपर की तरफ करने लगा।

जैसे ही मेरे हाथ उसके चूचों को नीचे की तरफ से छुए, उसकी सिसकारी निकली और किस छूट गई, जो मुझे चाहिए था।

उसके बाद मैंने उसकी गर्दन पे चुम्बनों की बौछार कर दी, गर्दन से नीचे छाती पर आया और शर्ट के ऊपर से ही चूचों पर जैसे ही किस किया, वो उछल पड़ी।

ये सब उसके लिए पहली बार हो रहा था तो उसे उत्तेजना भी बहुत हो रही थी।
किस करते हुए मैं पेट तक गया और उसके बाद ऊपर आ गया।

अब मैंने किस के साथ बटन खोलने चालू किए और एक करके सारे खोल दिए।
अंदर मेरे लिए सरप्राइज़ था जो बिल्कुल सफेद ब्रा में क़ैद था।

दोस्तो, रूपा काली ज़रूर थी पर इस समय सफेद ब्रा और उसके शरीर के रंग का कॉंट्रास्ट मुझे उत्तेजित कर रहा था, मैंने ब्रा से झांकते हुए हिस्से पर किस देनी चालू की तो वो पागल होने लगी।

मैं उसको उत्तेजना के हर पायदान पर धीरे धीरे ले जाना चाहता था ताकि उसे मज़ा ही मज़ा आए।
ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को चूसते हुए उसकी शर्ट उतरवा दी।
शर्ट उतार कर जैसे ही मैंने देखा कि उसने अपने अंडरआर्म्स के बाल भी अच्छे से साफ किए हुए थे, मैंने तुरंत वहाँ पर चुम्बन करना शुरु कर दिया।
दोस्तो, अंडरआर्म्स में गुदगुदी होती है पर अगर सेक्स का खुमार चढ़ा हो तो वहीं पे उत्तेजना भी उतनी ही होती है, यह मैंने अपने अनुभव से जाना।
रूपा पर भी इसका असर वैसा ही हुआ जैसा मैंने सोचा था, वो चूमते ही पलटने लगी ताकि मैं वहाँ पे किस ना कर सकूँ।
पर मैंने उसे कस कर पकड़ रखा था क्योंकि मुझे मालूम था कि वो ऐसा करेगी।

थोड़ा तड़पाने के बाद मैं वापस उसके चूचों पे आ गया और पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया और अपने दाँत से ही ब्रा को खींच कर निकाल डाला।

मैंने जैसी कल्पना की थी, उसके बूब्स बिल्कुल वैसे ही थे, एकदम सही आकार, सही सख्ती और बड़ा सा निप्पल।
बड़े निप्पल मुझे बहुत पसंद हैं, शादीशुदा औरतों के और भी बड़े होते हैं पर दुर्भाग्यवश मुझे अभी तक कोई शादीशुदा नहीं मिली।

खैर मनचाही चीज़ पा कर मैं तो उन पर टूट पड़ा।
प्यार से, ज़ोर से हर तरीके से चूस रहा था मैं रूपा के मस्त चूचे।
और वो आँखे बंद किए बस मज़े ले रही थी और सिसकारियाँ ले ले कर मेरा नाम ले रही थी।

मैंने रुक कर अपनी टी-शर्ट उतारी तब उसने आँखें खोल के मुझे देखा और मुस्काई।
मैं जैसे ही उसकी तरफ झुकने को हुआ, उसने मुझे रोका और खुद उठ कर बैठ गई।

मैं- क्या हुआ जी, मज़ा नहीं आ रहा क्या?

रूपा- मज़ा तो जितना सोचा था, उससे भी ज़्यादा आ रहा है।

मैं- अभी तो शुरुआत है डार्लिंग…

रूपा- जानती हूँ।

और उसने अपने हाथों से मेरी बनियान उतारी- मेरे सारे उतारते जा रहे हो और अपने एक एक उतार रहे हो?

मुस्करा कर मैंने उसे धकेला और उसके ऊपर झपट के होंठ से होंठ लगा दिए और फिर से स्मूच चालू हो गया।

इस बार मैं उसके चूचे दबा रहा था और वो मेरी पीठ पे हाथ चला रही थी और गड़ा भी रही थी।

इस बार ज़्यादा देर किस ना करते हुए मैंने उसके गर्दन से होते हुए बूब्स पे आया और थोड़ी देर उन्हें चूस कर नीचे गया और नाभि पर आसपास किस करने पर रूपा फिर से उछल पड़ी।

थोड़ा सेटल हो जाने के बाद मैंने उसकी नाभि में जीभ डाल के उसे चूसना शुरू किया तो उसकी सिसकारियाँ एकदम से तेज़ हो गई तो मुझे रुकना पड़ा क्योंकि दोपहर में हमारे यहाँ बहुत शांति रहती है और ज़्यादा तेज़ आवाज़ भी मामला बिगड़ सकती थी।

उसको समझा कर फिर से चालू किया और अबकी सीधे नाभि से, पहले तो दोनो हाथों से उसके चूचे रगड़ रहा था अब धीरे से एक हाथ नीचे ला कर उसकी चूत के पास हल्के से फिराने लगा।

उसकी उत्तेजना फिर से वापस आने लगी, हाथ का दबाव जैसे जैसे चूत पर बढ़ रहा था उसकी टांगें वैसे ही खुलती जा रही थी।

मैं वापस किस करते हुए ऊपर की तरफ गया और स्मूच शुरू किया और एक हाथ से उसकी जींस का बटन खोला और चेन खोल कर अंदर पैन्टी के ऊपर से ही चूत को रगड़ने लगा।

रूपा की छटपटाहट मुझे अपने होंठों पे समझ आ रही थी, पर इस समय रुकना मतलब शुरू से शुरुआत करनी पड़ जाएगी, इसलिए मैंने अपना काम जारी रखा।

हाथ को वापस निकल कर पेट तक लाया उसके बाद फिर अंदर ले गया पर इस बार पैन्टी के अंदर से…
क्या गरमागरम इलाक़ा था भाई…
और ऊपर से एकदम चिकना, जैसे कभी कोई बाल उगा ही ना हो वहाँ पर… रूपा जानेमन पूरी तैयारी करके आई थी।

हाथ से उसकी चूत रगड़ रहा था और होंठों से उसके होंठ, थोड़ी देर बाद उसके चूचों पे आ गया और कस के चूसना शुरु किया, साथ ही साथ छूट की रगड़ाई भी तेज़ कर दी।

रूपा के मुँह से कुछ ही शब्द निकल रहे थे ‘आहह… ह्म्‍म्म… सी…’ और मेरा नाम, जिससे साफ समझ आ रहा था कि मैडम को खूब मज़ा आ रहा है।

मैं तो अपने काम में पूरी तत्परता से लगा हुआ था, उसका एक हाथ बराबर मेरे बाल सहला रहा था और दूसरा मेरे दूसरे हाथ से प्रेम बंधन बनाए बैठा था, उस हाथ को कभी कभी मैं उसी की चूची दबाने में इस्तेमाल कर रहा था।

लड़की से उसी की चुची मसलवाने का मज़े ही अलग होता है यार।

अब मैंने सोचा कि यौन क्रीड़ा को आगे बढ़ाया जाए तो मैं किस करते करते नीचे गया और जींस के ऊपर से ही उसकी चूत के पास चुम्मा दे दिया, इस पर रूपा के उछलना लाज़मी था।

फिर उसकी जीन्स उतरने लगा, पर हमेशा की तरह लड़कियों का नाटक की आख़िरी चीज़ है तो मेरी इज़्ज़त को बचाए है, उसे रहने दो, पर मैंने झट से रूपा को होंठ पे जोरदार किस किया और वो तैयार हो गई।

फिर क्या था, थोड़ी ही देर में वो सिर्फ़ सफेद कच्छी में थी जिस पर चूत के पानी का गीलापन झलक रहा था।
वो अपनी टाँगों को बुरी तरह से चिपकाए हुए थी।

मैंने भी कोशिश नहीं की अलग करने की क्योंकि थोड़ी देर में वो खुद ही अलग होने वाली थी।

मैंने उसकी चूत के पास से उसके पंजे तक चुंबनों की बारिश कर दी और जाँघ पे कभी कभी हल्के से चूस लेता था जैसे चूची पर करते हैं।

दोस्तो, जांघों पर किस करना और उन पर अपना शरीर रगड़ने का जलवा ही अनोखा है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

मैंने उसकी जाँघो पे जी भर के किस करने बाद उसे पलट जाने को कहा।

उसने फिर मुझे सवालिया नज़रों से देखा तो मैंने आश्वस्त किया किया कि करो तो सही, मेरी बात मानते हुए वो उल्टी लेट गई।

मैं उसके चूतड़ों पर बैठ गया और उसके लंबे बाल जो कि कमर तक आते थे, एक साइड करके उसकी गर्दन पे किस किया।

जैसे ही किस किया मैंने, उसकी आँखें फिर से बंद हो गई और मैं किस करने के काम पे लग गया।

लड़की जब उल्टी लेटी हो तो उसके अंडरआर्म्स और चूचों के उभरे हुए भाग पर किस करने से दोनों की उत्तेजना में और वृद्धि होती है।
मेरे करने से भी वही हुआ, उसने अपने हाथ समेटने चाहे पर कर ना पाई।
गर्दन, पीठ, अंडरआर्म्स, चूचों की साइड, और कमर के किस करने बाद आई पैंटी panty की रुकावट।

मैंने पहले तो उसके हिप्स पे कच्छी panty के ऊपर से किस किया, उसके बाद चड्डी को नीचे खिसकाने के लिए मैंने अपने हाथ नहीं लगाए बल्कि अपने दाँतों से उसकी पैंटी को नीचे खींचना चालू किया, पर हो नहीं पा रही थी क्योंकि रूपा मेरी सहायता नहीं कर रही थी।

खैर मैंने नीचे हाथ डाल कर उसे उठाया और मेरा काम हो गया।
पैन्टी चूतड़ों को छोड़ नीचे जाँघ पर आ चुकी थी और पीछे से उसकी चूत के जो पहले दर्शन हुए मेरा तो लण्ड फटने को हो गया, एकदम मखमली लग रही थी, काली ज़रूर थी पर बिल्कुल ऐसी लग रही थी कि आज तक किसी ने उसे छुआ तक नहीं है।

होता भी कैसे… रूपा ने बताया था कि उसे नहीं मालूम अकेले मज़े कैसे करते हैं तो उसने तो कभी अपनी चूत को मज़े करने के लिए नहीं छुआ और उसके बाद मैं दूसरा इंसान था जो उसकी चूत के दर्शन कर रहा था।

मैंने उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर हल्के से दबाया तो रूपा ने उन्हें और ज़कड़ लिया जिससे वो और टाइट हो गये।
मैंने झुक कर दोनों हिप्स पर एक एक किस क्या दी, रूपा की तो हवा ही खराब हो गई।

मैंने उसकी इस उत्तेजना का सहारा लेते हुए ऊपर से नीचे तक किस करना चालू किया और साथ ही उसकी कच्छी पूरी उतार के बाहर कर दी।

अब वो ब्लैक ब्यूटी मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थी वो भी मेरी तरफ चूतड़ करके।

मैंने उसे धीरे से सीधा किया और उसकी चूचियों पे पिल पड़ा, थोड़ा पीने के बाद उसके होंठों पे किस किया, कान के किस करके मैंने उससे पूछा- क्या तुम तैयार हो आख़िरी पड़ाव के लिए?

उसने मुझे बिना देखे हाँ में सिर हिलाया और बोली- विक्की, आज मुझे अपने बना लो, खूब प्यार करो मुझे, मेरे हर अंग पे अपने होंठों की छाप छोड़ दो;

और उसने मेरे कान के किस करके हल्के से काट के आगे बढ़ने का इशारा किया।

इतना सुनना था कि मैं फिर से चालू हो गया, किस पर किस करते हुए नीचे आया और बंद टाँगों के ऊपर से ही उसकी चूत पे किस करने लगा, एक अजीब से महक आ रही थी उस जादुई गुफा से…

मेरी चुम्मी की वजह से उसकी टांगें खुलने लगी और मैं अंदर घुसने लगा।
जैसे ही पूरी जांघें खुल गई, मैंने रुक के चूत के पास जाकर उसकी महक का जायजा लिया।

मुझे मालूम था कि मेरे चूत पे होंठ लगते ही रूपा फिर से उछलने लगेगी इसलिए पहले से ही मैंने उसकी जांघों को कस कर पकड़ लिया और हल्के से क्लिट के पास किस की।

अब तो रूपा का तांडव चालू हो चुका था, मैंने भी देर ना करते हुए चूत के होंठों से अपने होंठ लगा दिए और शुरू हुआ चुसाई और सिसकारियों का दौर…

मुझे यह भी मालूम था कि अगर मैंने झटके से उंगली डाली चूत में तो रूपा को दर्द होगा इसलिए मैंने सबसे छोटी उंगली को धीरे धीरे डाला।
जब उसने अपनी जगह बना ली उसके बाद उसकी स्पीड बढ़ा दी और अपनी जीभ से उसकी भगनासा को चाटता रहा।

जब वो उस क्रिया से थोड़ी सी संभल गई, तो उसे घोड़ी बना के उसकी चूत के छेद को जीभ से चोदना शुरू किया और नीचे से हाथ डाल के उसके क्लिट clitoris को रगड़ता रहा।

थोड़ी देर में फिर उसे सीधा किया और जैसे ही चूत चाटने जा रहा था, रूपा ने मेरे चेहरे को पकड़ के अपनी तरफ खींचा और रगड़ के स्मूच किया।

मैंने इसका फायदा उठाते हुए उसकी चूत मे बीच वाली उंगली डाली, जिसने चिकनाई की वजह से आराम से जगह बना ली।
रूपा अभी भी मेरे होंठों को निचोड़ रही थी इसलिए मैंने उसे उंगली से चोदना शुरू कर दिया।

अब तो उसकी हालत देखने लायक थी, ऐसे जैसे कि बिन पर के कोई पंछी।

रूपा ने जैसे ही मेरे होंठ छोड़े, मैं झट से उसकी चूत को चाटने के लिए कूद पड़ा।

अब मैंने दोनों हाथों से उसके चूचे पकड़ रखे थे और पूरी ताक़त से उन्हें मसल रहा था और नीचे अपनी जीभ से उसकी चूत चोद रहा था।

रूपा की हालत का कोई व्याख्यान नहीं है मेरे पास, वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में आगे पीछे कर रही थी।

थोड़ी देर में वो मेरा सिर छोड़ कर लेट गई और ज़ोर ज़ोर से चूतड़ उठा कर चटवाने लगी।

अब उसकी आवाज़ बता रही थी कि उसका स्खलन नज़दीक है इसलिए मैंने एक हाथ की उंगली से उसे चोदना चालू रखा, जीभ से चूत चाट ही रहा था और एक हाथ उसके पूरे शरीर पे रगड़ रहा था, ज़्यादातर उसकी चूचियों को मसलने के लिए।

दो मिनट हुए होंगे और वो अकड़ गई, खूब तेज़ चिल्लाई और उसकी चूत से पानी निकला जिसने यह साबित कर दिया कि रूपा डार्लिंग अब झड़ चुकी हैं।
जब तक पानी निकलता रहा, मैं चाटता रहा रूपा की रसीली चूत…

बहुत दिन बाद मुझे कोई चूत मिली थी चाटने को तो मुझे भी बहुत मज़ा आया।

रूपा और मैं इस घटना के बाद और करीब आ गये और हमने सब कुछ किया बस लण्ड को चूत में डालने को छोड़कर।
वो कहानी भी जल्द ही आपके सामने लाने की कोशिश करूँगा।

तब तक के लिए नमस्कार।
आपका अपना विक्की

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