भाभी की फुद्दी के प्यार में पड़ गया-1

(Bhabhi Ki fuddi ke pyar me pad Gaya-1)

This story is part of a series:

और बुर वालियों तुम्हारे बुर का क्या हाल-चाल हैं?
और लोड़ों को बुर मिली या नहीं!!!
दोस्तो, आप सबके बहुत से मेल मुझे मिले, खासकर के लड़कियों के… वे जानना चाहती हैं कि किस प्रकार नीलम की भाभी मुझसे चुदी। तो दोस्तो, मैं एक बार फिर शरद सक्सेना आपके सामने फिर से एक नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
जैसा कि मैंने पहले कहा था कि नीलम की भाभी मुझसे कैसे चुदी, मैं आप लोगों को अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।

तो स्कूल वेकेशन चल रहे थे और घर में वेकेशन के लिये टूर की बात चल रही थी कि किस जगह टूर का प्रोग्राम बनाया जाए।
नीलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि माउंट आबू का प्रोग्राम बनाना, क्योंकि उसके भैया-भाभी का भी वहीं जा रहे हैं।
उसके भैया अपने आफिस का काम करेंगे और वो और उसकी भाभी बबली वहाँ की वादियों का लुत्फ़ उठायेंगे।
अतः सबके सुझाव से माउंट आबू, राजस्थान का प्रोग्राम बना।

मैंने एक शर्त के साथ नीलम को यह बताया कि मेरा भी प्रोग्राम तैयार हो गया है और उसे कोई चक्कर ऐसा चलाना है कि उसकी भाभी का भी मजा मुझे मिले और उनके चुदाई के तरीके का मजा लूँ।

अब दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि लड़कियाँ पहले तो नखरे करती हैं और फिर…

कुछ ऐसा नीलम ने भी किया और बाद में मान गई और बोली- मैं तुम्हें कैसे, कब, कहाँ अपनी भाभी को चुदवाऊँगी यह मत पूछना।मैंने भी उसकी बात मानने का वादा किया और प्रतीक्षा करना उचित समझा।

तो दोस्तो, मैंने नीलम को राजस्थान, माउंट आबू का प्रोग्राम 10 जून का बता दिया।
तो उसने दूसरे दिन जो मुझे बताया उसे सुनकर मैं खुशी से पागल हो गया क्योंकि उसने भी अपना प्रोग्राम भी जून 10 का बनाया और उसके साथ उसके भाई और भाभी भी आ रहे थे।
तो हावड़ा-जोधपुर ट्रेन से प्लान के हिसाब से रिजर्वेशन करा लिया गया। बीच की एक बोगी छोड़ कर हम लोगों को बर्थ मिली। दूसरे दिन 12 बजे के आस-पास हम लोग माउंट आबू पहुँचे।
प्लान के अनुसार हम लोगों ने एक ही होटल में कमरा लिया, मेरा और नीलम का कमरा बिल्कुल सटा हुआ था।

अपने कमरे में जाते-जाते नीलम ने मुझे चुपचाप एक कागज का पुर्जा दिया, जिसमें लिखा था कि वह जब नहाने जायेगी तो भाभी से थोड़ा तेज बोलेगी और अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ देगी और मैं उसकी आवाज सुनकर धीरे से कमरे में आ जाऊँ… और दोनों लोग साथ नहाकर अपनी थकान मिटायेंगे।

करीब एक घंटे के बाद नीलम की आवाज आई- भाभी मैं नहाने जा रही हूँ, नहाने के बाद खाना खायेंगे।

इतना सुनते ही मैं तेजी से उसके कमरे की ओर भागा और नीलम के आने से पहले ही उसके रूम में पहुँच गया और जाकर पलंग के नीचे लेट गया ताकि उसकी भाभी भी आये तो मुझे देखने ना पाये।
एक मिनट बाद दरवाजा खुला और बन्द हो गया। नीलम पलंग पर बैठ कर मेरा इंतजार करने लगी। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मुझे गाली देने लगी कि हरामी को बोला था दरवाजा खुला है चले आना, पर नहीं अभी तक नहीं आया।

मैं उसकी ये बातें सुनकर मजे ले रहा था।
बड़बड़ाते उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिया।
जब उसने अपनी पैंटी उतारी तो वो कुछ गीली थी, शायद मेरे और अपने काम पिपासा के बारे में सोचने से उसकी पैंटी गीली हुई होगी।
उसकी नंगी चिकनी टांगों को देखकर मेरे होंठों स्वतः उसके पैरों के चुम्बन लेने लगे।
चुम्बन का अहसास होते ही वो नीचे झुकी और उसके झुकते ही उसकी चूची भी लटक गई, मैंने तुरन्त ही उसकी चूची की घुंडी को जोर से मसल दिया।

‘आई दैईईई ईईईह ईईईईयाआआ आआ आआआ…’ कहकर वो पीछे हटी, मैं भी पलंग से निकल कर बाहर आ गया।
मुझे देखते ही वो और जोर से उछली औरे खुशी से मुझसे लिपट गई।
फिर मैंने उसे गोदी में उठाया और बाथरूम में आ गये।

दोस्तो, उसकी वो लटकती हुयी वो चूची ऐसा लगता था कि दो पके हुए आम लटक रहें हैं।

हम दोनों बाथरूम में एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। हम दोनों की जीह्वा एक दूसरे से इस प्रकार उलझ रही थी कि एक-दूसरे में समा जाना चाहती थी।
दो मिनट बाद वो मुझसे अलग हुई और मेरे कपड़े उतारने लगी और शावर चला कर वो और हम दोनों चिपक कर नहाने लगे।
नीलम ने बड़े प्यार से मेरे लौड़े को साबुन लगा-लगा कर साफ किया और उसको चूसने लगी।
मैंने उसको उठाने की कोशिश की परन्तु ऐसा लग रहा था कि वो मूड बना कर आई है कि वो माल चूस कर ही रहेगी।
और इधर मेरी बेचैनी बढ़ रही थी कि मैं भी उसको चूसूँ।

शावर की बौछार और उसका इस तरह से लंड का चूसना, मैं तो इतना मस्त हो रहा था कि बयान नहीं कर सकता।
मेरा माल निकलने वाला था और मैं उसके सर को पकड़ कर उसके मुँह को चोद रहा था।
थोड़ी देर में मेरा माल निकला और उसने पूरा का पूरा पी लिया।
मैं जब नीचे की ओर बैठ कर उसके चूत को चाटने के लिये अपने होंठ उसके चूत पर रखे, वो बोली- शरद, अब देर हो रही है भाभी कभी भी आवाज दे सकती हैं।

‘अरे… यह क्या बात हुई… तुमने तो मजा ले लिया, मेरा क्या होगा? यह गलत है।’
‘जानू तुम मेरी चूत और गांड दोनों की पप्पी लेकर और मुझे नहलाकर अपना काम चला लो, फिर मौका देख कर तुम्हारे साथ जो तुम कहोगे, मैं करूँगी।

‘तो ठीक है… फिर इसी टूर पर भाभी का भी मज़ा दिलवाओगी।’
‘तो अब मेरी बुर और गांड से मन भर गया है ना?’
‘नहीं यार, वो बात नहीं है, तुमने जिस तरह से अपनी भाभी के बारे में बताया, मैं उस समय से ही उसका प्यासा हो गया हूँ। और अभी तक तेरी भाभी को देखा भी नहीं है। तू कुछ चक्कर चला!’
‘ठीक है।’

इतना कहकर हम दोनों नहाये और फिर उसने मुझे प्लान बताया।
नीलम बोली- शाम को हम सब घूमने के लिये जायेंगे और लौटते समय तुम अचानक मार्केट में मिल जाना। वहाँ पर भाभी से तुमको मिलवा दूँगी, तुम उनको देख लेना। फिर आगे बताउँगी कि क्या करना है।
कहानी जारी रहेगी।
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