चुद गई बच्चे की चाह में

(Chud Gai Bacche Ki Chah Me)

दोस्तो, कहानी पढ़ने से पहले मेरा आप सब से परिचय करवा दूँ। मेरा नाम है रोहन गुप्ता है दिल्ली का रहने वाला हूँ।
मेरे मोहल्ले के लड़कियाँ मुझे चोदू के नाम से जानती हैं क्योंकि मैं एकदम मस्त मौला हूँ और अपनी मर्जी से करता हूँ सब कुछ।
उम्र है मेरी 24 साल।

इतना तो है कि मैं बहुत बरा चोदू हूँ, भगवान ने मेरा शरीर भी फुरसत से तो नहीं बनाया है, पर मेरे लंड में जान कूट-कूट कर भरी है, धन्यवाद भगवन !
वैसे तो मैं कई सालों से अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ पर अब वक्त आ गया है कि मैं भी अपनी कहानी आपसे शेयर करूँ।
यह मेरी पहली कहिनी है पर इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने उस दिन के बाद या पहले चुदाई नहीं की है।

मेरी शादी को तब दो महीने ही हुए थे, मेरे चाचा की लड़की स्वाति की शादी थी तब, शादी के सारे काम का जिम्मा मेरे ऊपर ही था।
क्या बताऊँ ! इतना काम तो मैंने आज तक नहीं किया था और इतनी जिम्मेदारी कभी नहीं उठाई थी।

शादी अगले दिन थी, और मुझे थकान के मारे नींद आ रही थी पर घर में महमान होने के कारण जगह नहीं थी।
तभी पड़ोस में रहने वाली भाभी ने कहा- रोहन तुम मेरे घर पर थोड़ी देर आराम कर लो, तुम्हारे भैया भी नहीं हैं।

फिर मुझे भी नींद आ रही थी, मैं मना नहीं कर पाया और चाबी लेकर भाभी के घर आ गया और फ्रेश होकर सोफे पर ही लेट गया तौलिये में ही।
पता नहीं कब नींद आ गई।

मैं आपको बता दूँ कि भाभी का नाम रेखा है, उनकी शादी को 3 साल हो चुके थे मगर कोई संतान नहीं थी, वो अपने सास ससुर से अलग रहती थी।
उनकी उम्र लगभग 23 साल होगी, एकदम गोरी, पतली कमर ! हाय !

मैं अपनी शादी से पहले भी उन्हें देखता रहता था।
जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि भाभी सामने खड़ी थी।
मैं जल्दी से उठा और तौलिया सही करने लगा।

भाभी मुझे ही देखे जा रही थी।
मैं आपको बता दूँ कि नींद में मेरा लंड सलामी देने लगता है, भाभी शायद उसी को देखे जा रही थी।

तभी भाभी ने कहा- हो गई नींद पूरी? अंदर बेड पर लेट जाते !
मैंने कहा- कोई बात नहीं !

मगर भाभी नीचे की और घूरती रही, मैं समझ चुका था और अन्तर्वासना पर कहानिया पढ़ पढ़ कर मेरा डर दूर हो चुका था, मैंने छुटते ही कहा- क्या देख रही हो भाभी जी?
उन्होंने कहा- कुछ नहीं…
शायद वो मेरा इशारा समझ चुकी थी और वो अंदर चली गई।

थोड़ी देर बाद भाभी चाय ले आई, चाय पीते हुए हम दोनों चुपचाप एक दूसरे को घूर रहे थे, ऐसा लग रहा था कि पहली बार मिल रहे हों।
मैंने फ़िर कहा- क्या बात है भाभी? क्या हुआ कोई परेशानी है तो बता दो।
बोली- कुछ नहीं !

मैंने कहा- भाई साहब कहाँ गये हैं?
तो उन्होंने कहा- वो ऑफिस के काम से शिमला गये हैं, दो दिन हो गये हैं, कल आ जायेंगे।
फिर वो रोने लगी।

मैंने कहा- कोई तो बात है भाभी, जो आप मुझे नहीं बता रही हो ! क्या बात है बताओ?
बहुत पूछने पर भाभी ने कहा- मम्मी और पापा की याद आ रही है।
तो मैंने कहा- चली जाओ, तो क्या हुआ सब जाते हैं, इसमें रोने वाली क्या बात है।

बोली- वो लोग बहुत परेशान हैं।
मेरे पूछने पर कहा- हमारा कोई बच्चा नहीं है तो हमें कोई नहीं पूछता !
मैंने कहा- कोई बात नहीं, ऐसा तो होता रहता है, डॉक्टर से चेक करवा लो।

तो उन्होंने कहा- मैंने चेक करवा लिया है, सब ठीक है पर पता नहीं क्यू नहीं होता ! और आपके भाईसाहब चेक नहीं करवाते। तो मैंने कहा- मैं कुछ मदद कर सकता हूँ भाई साहब को कह कर कि वो अपना चेकअप करवा लें?
वो बोल उठी- नहीं नहीं !

और मेरे पास आकर रोने लगी। मैं सोफे पर बैठा था और वो मेरे पैरों के पास आ बैठी।
मैंने उनका उठाया और चुप कराने लगा। इसी बीच में उनकी चूची मेरे सीने से बार बार लग रही थी, वो मेरे सीने से लगी रही।

फिर मैं अपने हाथों को नहीं रोक सका और उनकी पीठ पर फेरने लगा, उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और अपने होंठों को उनके होंठों पर रख दिया और हम दस मिनट तक एक दूसरे को चूसते रहे।

फिर एकदम से मुझे लगा कि कोई चीज मेरे तौलिये के अंदर है, मैं समझ गया कि भाभी एकदम गर्म हो चुकी थी।
फिर मैंने उनके बलाऊज को खोल कर उनके चुच्चे अधनंगे कर दिए और बहुत जल्द ब्रा भी अलग हो गई।

फिर उसने मेरी तरफ इशारा किया और मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी। फिर ऐसे ही हम कुछ देर तक एक दूसरे को चूसते रहे।
फिर कुछ ही देर में मैंने भाभी को पूर्ण निर्वस्त्र कर दिया और हम 69 की अवस्था में आ गये।

हाय… क्या रस टपक रहा था उनकी चूत से !
मैं उनका सारा रस चाट गया, उन्होंने भी देर न करते हुए मेरे लण्ड को तुरंत अपने मुँह में लिया।

मैं आपको बता दूँ कि ऐसा कभी मैंने अपने बीवी के साथ नहीं किया था। चूत का रस पीने का मेरा यह पहला अनुभव था।
मगर कमाल था, पता नहीं ऐसा लग रहा था कि अमृत पी लिया हो ! मजा आ गया।
हमें इस अवस्था में लगभग दस मिनट हो चुके थे और वो दो बार झर चुकी थी, मैं भी झरने वाला था और फिर एक बार दोनों एक साथ झर गये।

हम दस मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे फिर कुछ देर में हम दोबारा शुरु हो गये।
अब भाभी ने मुझसे कहा- रोहन, प्लीज़, मुझे गर्भवती कर दो आज !

मैंने उसे बिस्तर पर लेटने को कहा, वो सीधी लेट गई, मैं उनकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और उनकी चिकनी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी तो वो तड़फ उठी, बोली- रोहन, जल्दी करो, सहन नहीं होता, अब कर दो !

अब मैंने भी अपना लंड उनकी चूत रखा और एक प्यारा सा झटका दिया, लंड आधे से ज्यादा घुस गया और भाभी चिल्लाने लगी- रोहन, आराम से करो !
फिर मैंने दूसरा झटका दिया, लंड अब बिल्कुल सेट हो चुका था, अब मैं धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर भाभी को चोदने लगा।

कमरे में बस उनकी ही आवाज गूंज रही थी- आह… आह… करो… फाड़ दो… करो जोर से…

मैंने भी जोर लगा दिया और हम दोनों ने लगभग 15 मिनट तक चुदाई का कार्यक्रम चलाया और फिर दोनों झर गये। मैंने उनकी चूत के अंदर ही अपना बीज बो दिया क्योंकि वो चाहती भी यही थी।

आज मेरी शादी को तीन साल हो चुके हैं और उनके घर में इस घटना के बाद एक छोटी सी नन्ही परी आई।
रोहन गुप्ता

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