भाभी और उसकी भान्जी की चुदाई

राहुल शर्मा
दोस्तो, मेरा नाम राहुल है, राजस्थान का रहने वाला हूँ और अभी दिल्ली में पढ़ाई कर रहा हूँ।
लड़कियों की मानें तो मुझ पर शायद ही कोई लड़की हो जो मरती ना हो। कॉलेज में मैं सबका फ़ेवरेट हूँ, ऊपर से सबको भाने वाले लिंग महाराज की भी अपनी ही छवि है, वे भी 8″ की लम्बाई और 3″ की मोटाई वाली विशालता हासिल किए हुए हैं।
यहाँ मैं अपने मामा जी के घर पर रह रहा हूँ। मामा जी की यहाँ कई फैक्ट्रियाँ हैं, वो खुद अहमदाबाद रहते हैं, तो घर में मैं अकेला ही रहता हूँ।
बात गर्मियों की है, मैं अपना सारा काम खत्म करके छत पर सोता था और पास वाले घर में सुमन नाम की एक 28 वर्षीया शादीशुदा औरत रहती थी जिसे मैं भाभी कह कर पुकारता था।
उनके घर में उनके अलावा उनकी भान्जी और उनके पति रहते थे। उनके पति का खुद का व्यापार था और काफ़ी बड़ा भी था और सम्भालने वाले भी वे अकेले ही थे, जिसकी वजह से वो घर पर कम ही रहते थे।
भाभी दिखने में थोड़ी मोटी थीं लेकिन बहुत ज्यादा भी नहीं। सुन्दरता तो जैसे खुदा ने उसे ही दे दी हो, उनका फ़िगर लगभग 36-32-38 होगा।
कुछ ही दिनों मैं हम आपस में अपनी बातें शेयर करने लगे। पर मैं तो कुंवारी लड़कियों का शौकीन था क्योंकि इससे पहले कभी किसी औरत के बारे में सोचा ही नहीं था। इसलिए मैंने उनकी भान्जी पायल से दोस्ती बढ़ाई, वो भी कुछ कम नहीं थी। उसकी उम्र 18 साल कद 5′ 9″ फ़िगर 32-30-34, बाकी लड़कियों की तरह उसे भी पटाने में ज्यादा टाईम नहीं लगा।
तो शुरु होती है अपनी कहानी।
पहले तो सभी की तरह फोन पर बात होने लगीं। उस दौरान मैं उसे उत्तेजित कर देता था, हम लोग एक-दूसरे को चोदने को तड़पने लगे, पर सही मौका नहीं मिल पा रहा था।
फ़िर एक दिन हमारी मुराद पूरी हुई। यह बात है त्यौहारों के दिनों की, भाभी और भैया दोनों घर से बाहर गए थे और शाम तक वापिस आने वाले थे।
हमने मौके का फ़ायदा उठाया और पायल को घर आने का इशारा किया। वो छत से मेरे घर आ गई। उस वक्त उसने लोअर और कुर्ता पहन रखा था।
आते ही मैंने उसे गले से लगा लिया और वो भी मुझ से कस कर लिपट गई।
उसने मुझसे कहा- काश.. यह वक्त यहीं रुक जाए!
पर मैंने वक्त ना गंवाये उसे होंठों पर चुम्बन करना शुरु कर दिया, उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- मैंने पहले कभी ऐसा किसी के साथ नहीं किया।
मैंने कहा- चिंता मत करो मेरी जान… जो कभी नहीं किया वो आज कर लेना।
फ़िर मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसे बिस्तर पर लिटा दिया। फ़िर उसे चूमते हुए उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा।
उसके मुँह से ‘सी सी…आ…आ…आ…!’ की आवाज ने मुझे और मदहोश कर दिया।
फ़िर मैं उसकी ब्रा को उतार कर उसके चुचूक चूसने लगा।, वो अपना सीत्कार-संगीत गा रही थी।
मैंने उसके निप्पल चूसते हुए उसकी लोवर में पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया। उसने लपक कर मेरा हाथ पकड़ लिया, फ़िर भी मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी ऊँगली से हिलाना शुरु किया।
उसने मेरी ओर होते हुए मुझे कस कर बांहों में भर लिया। मैंने नीचे जाते हुए उसे सीधा कर उसकी नाभी को चूमने लगा और उसकी पूरी कमर अपनी जीभ से चाटने लगा।
वो मचलने लगी और मुँह से लम्बी सांस छोड़ने और लेने लगी ‘आह्ह्ह… स्स्सीईईइ… आह्ह्ह्ह..!’ करने लगी।
मैंने उसके लोवर और पैंटी को एक झटके में उतार दिया, अब वो और मैं पूरे नंगे थे। उसने अपनी आँखों को कस कर बन्द कर लिया। जैसे ही मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ लगाईं, उसने अपने चूतड़ हवा में लहरा दिए।
मैं समझ गया था कि अब वो भी मदहोश हो चुकी है, तो मैंने जोर-जोर से उसकी चूत को चाटना जारी रखा।
वो अपने हाथों से मेरे बालों को नोचने लगी। मैंने उसे अपना लंड मुँह में लेने को कहा।
उसने अपनी नशीली आँखें खोलीं और वापिस बन्द कर लीं और कहा- नहीं.. मुझसे नहीं होगा!
मैंने अपना मन मार कर कहा- कोई बात नहीं!
क्योंकि उसका ये पहली बार था तो मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया।
उसने मुझसे कहा- वो वाला करो ना.. जिसकी बात आप फोन पर करते थे।
मैंने कहा- अगर तुम्हें दर्द हुआ तो?
वो बोली- आपने ही तो कहा था कि सिर्फ़ एक बार दर्द होता है.. बाद में नहीं…
मैंने देरी ना करते हुए कंडोम के पैकेट में से एक निकाला और लौड़े पर लगा लिया। फ़िर मैंने उसकी चूत पर अपना हथियार रख कर उसकी चूत को रगड़ना शुरु किया, वो मचलने लगी।
अचानक मुझे कुछ याद आया और मैं अलमारी से वेस्लीन बॉडीलोशन लाया और उसकी चूत पर लगा दिया। उसकी चूत जो बिल्कुल चिपकी हुई थी, चिकनाई लगाने से रोने लगी।
मैंने धीरे से एक झटका लगाया और वो चीख पड़ी, मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रख कर एक और जोरदार झटका लगाया। इस बार मुझे सफलता मिली और लौड़ा पूरा अन्दर, उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे। मैंने धीरे-धीरे लंड को चलाए रखा। थोड़ी देर बाद वो भी अपने चूतड़ चलाने लगी, तो मैं उठा और झटके तेज कर दिए।
उसकी चूत में से खून निकल रहा था और वो लगातार ‘आ… आ… आ…अ… ह्…म…आह्…’ कर रही थी।
थोड़ी देर में मैं और वो दोनों एक साथ निढाल हो कर एक-दूसरे से चिपक कर गिर पड़े। उसकी आँखों में आँसू और चेहरे पर मुस्कान थी।
कुछ देर बाद हमने कपड़े पहने और दोनों एक साथ छत पर गए। शाम हो चुकी थी, जैसे ही हम दोनों ने ‘बाय’ कहते हुए एक-दूसरे के होंठों को चुम्बन किया, भाभी ने हमें देख लिया, क्योंकि पायल आते वक्त दरवाजा बन्द करना भूल गई थी।
भाभी अकेली थीं, भैया उन्हें छोड़ कर चले गए थे। आगे क्या हुआ, कैसे हमने भाभी को मनाया और उनकी चुदाई की कहानी मैं जरूर लिखूँगा।
पर अभी मुझे आपकी ईमेल का इन्तजार है, मेरी सच्ची और पहली कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बताएँ, इसी के आधार पर मैं आगे लिखने की कोशिश करूँगा।
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