चूत चुदवाने को बेताब पड़ोसन -6

(Chut Chudane Ko Betab Padosan Bhabhi-6)

This story is part of a series:

दोस्तो, अभी तक आपने पढ़ा.. कि मैंने कैसे पड़ोस की दो भाभियों व मकान मालकिन को कैसे चोदा।
जिन्होंने मेरी पहले की कहानियाँ नहीं पढ़ी हैं वे साथ में दिए गए लिंक से उन कहानियों को जरूर पढ़ें। मेरी सभी कहानियाँ बिल्कुल सत्य घटनाओं पर आधारित हैं.. जो मेरे जीवन में घटी हैं।

आपको मालूम है कि जब मैं जमरूदपुर में किराए के मकान में रहता था.. दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। यह कहानी भी वहीं से शुरू होती है।
दोस्तो.. अब मैं चूत चोदने में उस्ताद हो गया था.. पर फिलहाल अनुपमा के बाद चूत का इन्तजाम नहीं हो पा रहा था।
मैं अब नई चूत की तलाश में था। नसीब से वो तलाश भी जल्दी ही पूरी कर हो गई।

उसका नाम मीरा था.. उम्र 25 साल.. और रहने वाली नेपाल की थी, यहाँ दिल्ली में कोठी में बच्चों को सम्भालने का काम करती थी। वह अपनी बड़ी बहन के साथ ठीक मेरे सामने के कमरे में रहती थी। वह और उसकी बहन सिर्फ हफ्ते की छुट्टी या सरकारी छुट्टियों में ही यहाँ मौज मस्ती या पार्टी के लिए आती थी, बाकी पूरा महीना वह कोठी में ही रहती थी।

मीरा ने नेपाल के ही एक ड्राईवर को यहाँ दिल्ली में पटाया था। जब वो यहाँ कमरे में आती.. तभी वो भी एक घण्टे के लिए आता और उसकी प्यास बुझा कर चला जाता।
मीरा देखने में बहुत सुन्दर थी.. उसका फिगर किसी हीरोइन से कम नहीं था। वो हमेशा सज-धज कर ही रहती और जीन्स-शर्ट या टॉप-स्कर्ट ही पहनती.. जिससे वह 20 साल की ही लगती थी।
उसकी चूचियाँ कुछ बड़ी थीं.. जो हमेशा कपड़ों से बाहर को झलकती रहती थीं। मैं और मेरे मित्र जो मेरे साथ ही रहता था.. तो वह जब भी यहाँ आती.. हम दोनों से बातें करती थी इसलिए उससे हम दोनों की ही अच्छी पहचान हो गई थी।
मैं उसे पटा कर चोदना चाहता था.. पर मौका ही नहीं मिल रहा था।

एक बार मेरी किस्मत भी खुल ही गई। वह अपनी छुट्टी के दिन दोपहर में अपने कमरे में आई.. पर अपनी चाभी लाना भूल गई। दूसरी चाभी उसकी दीदी के पास थी.. जो रात को आती थी।
उसने चाभी भूलने के बारे में अपनी दीदी को बताया.. पर उसकी दीदी ने कहा कि वो तो रात तक ही आ सकती है। अब वह परेशान सी बाहर घूम रही थी।

मेरा दोस्त दिन की ड्यूटी गया था और मैं ड्यूटी कर के आ गया था।
मैंने बात शुरू की- मीरा जी क्या बात हो गई.. क्यों परेशान घूम रही हो। सब ठीक है ना?

मीरा- देखो ना राज.. आज मेरी छुट्टी है और मैं चाभी भूल आई हूँ। दीदी रात तक ही पहुँचेगी। अब मैं क्या करूँ और कहाँ जाऊँ?
मैं बोला- कोई बात नहीं.. आप परेशान ना हों.. मेरे कमरे में बैठ जाओ। वैसे भी मेरा दोस्त रात को आएगा। आपको यहाँ कोई परेशानी नहीं होगी। जब आपकी दीदी आएं तब चले जाना।

उसने राहत की सांस ली और वह मेरे कमरे में आ गई। उसने टॉप और छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी। इन कपड़ों में वो कयामत लग रही थी.. मन कर रहा था कि अभी पटक कर चोद दूँ.. पर ऐसे कामों में जल्दीबाजी कभी ठीक नहीं होती।
मैंने उसे पानी पिलाया और चाय के लिए पूछा.. उसने मना कर दिया।

उसका मूड खराब हो गया था। उसने अपने दोस्त को भी आने को मना कर दिया। वह बड़ी परेशान नजर आ रही थी क्योंकि आज कमरा ना होने के कारण उसकी चुदाई रुक गई थी। वह दीदी से पहले दिन में जल्दी इसी लिए आती थी ताकि दीदी के आने से पहले वह दोस्त से अपनी प्यास बुझा सके।

मीरा- राज, तुम्हें मेरी वजह से परेशानी हो रही है।
मैंने कहा- अरे नहीं.. यह आपका अपना कमरा है.. आप आराम कर लो।
मीरा- हाँ.. मुझे नींद सी आ रही है क्योंकि बस में मैं खड़े-खड़े आई हूँ और बहुत थक भी गई हूँ। क्या मैं थोड़ी देर आराम कर लूँ.. अगर आपको बुरा ना लगे तो..!
मैं- हाँ.. हाँ.. क्यों नहीं.. आप आराम करो मैं यहीं बाहर जीने में बैठा हूँ।

वह मेरे बिस्तर में सो गई। जल्दी ही उसे थकान के कारण नींद आ गई। मैं भी 20 मिनट बाहर बैठकर उसके बारे में सोचता रहा। मैं पानी की बोतल लेने अन्दर गया तो वह नींद में और भी सुन्दर लग रही थी। उसकी चूचियां सांस लेते वक्त धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हो रही थीं.. और स्कर्ट नींद में थोड़ा ऊपर हो गई थी।

मेरा ईमान डोल गया।

मैंने बाहर आके देखा कोई आस-पास नहीं था। मैंने झट से दरवाजा बंद कर दिया और उसके और करीब आ गया। मैंने उसकी स्कर्ट थोड़ा और ऊपर उठाई.. तो उसकी गुलाबी पैन्टी साफ दिखाई दे रही थी। मेरा हथियार खड़ा होने लगा।

मैंने हिम्मत कर एक हाथ से उसकी जाँघों को सहलाया.. वो गहरी नींद में थी उसे पता ही नहीं चला।
मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने धीरे से एक हाथ उसकी चूचियों पर रखा और धीरे से दबा दिया। उसकी चूचियां बड़ी नरम थीं.. जैसे मैंने रूई पर हाथ रख दिया हो।
मेरा मन इतने से नहीं माना.. मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियां दबाने लगा.. वो थोड़ा सा मचली और सीधी लेट गई।

अब मैं रुकने के मूड में नहीं था। मैंने सोचा ये चुदने तो आई ही थी.. आज मुझसे चुदवा लेगी तो क्या हो जाएगा। मैंने उसके गालों पर किस किया। वो अब भी नींद में थी.. मैंने आराम से उसके कपड़े खोलने शुरू किए और टाँगों के बीच सहलाना शुरू किया।

वो शायद इसे सपना समझ रही थी.. इसलिए उसने अभी तक कोई हरकत नहीं की थी।

मैंने उसकी चूचियों पर दबाव बढ़ाना शुरू किया और चूत सहलाने लगा। अब वो भी गरम हो रही थी। मैंने पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर नंगी चूत पर हाथ फिराया.. तो वह एकदम गरम थी और गीली भी।

मुझ से अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने एक हाथ उसकी ब्रा के अन्दर डाला चूचियां मसलने लगा और एक उंगली उसकी चूत में घुसेड़ दी। जैसे ही उंगली अन्दर गई.. वो झट से उठ गई। जिसे वो सपना समझ कर मजे ले रही थी.. वो उसके साथ हकीकत में हो रहा था। वो घबरा कर खड़ी हो गई।

मीरा- राज तुम यह क्या कर रहे थे.. मेरे साथ?

मैं- मीरा.. रोको मत.. जब से तुम्हें देखा है.. मैं पागल सा हो गया हूँ। तुम मुझे अच्छी लगती हो। मैं तुम्हें कम से कम एक बार प्यार करना चाहता हूँ.. मतलब चोदना चाहता हूँ। देखो तुम्हें देख कर क्या हाल हो गया है मेरा..

मैंने अपना लण्ड उसके सामने खोल दिया। एक बार उसने उसे गौर से देखा। चूत गीली तो हो ही गई थी.. चुदने तो आई ही थी.. पर फिर भी उसने मना कर दिया।
मीरा- नहीं, यह गलत है। मैं उस ड्राइवर से प्यार करती हूँ और शादी भी उसी से करना चाहती हूँ। ये सब भी उसी के साथ करूँगी और किसी के साथ नहीं।

मैं- मैंने कब मना किया.. शौक से करो पर आज तो वह नहीं आएगा। मुझे ही आज अपना दोस्त मान लो और आज तुम मुझसे चुदवा लो, मेरा लण्ड लेकर तुम उसे भूल जाओगी।
यह कह कर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया।

मीरा- नहीं यह गलत है.. मैं ऐसा नहीं कर सकती, मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती, वो भी मुझे चाहता है।

मुझे लगने लगा.. ये भी खड़े लण्ड पर धोखा दे सकती है। मन तो चुदाने का है.. पर नखरे कर रही है। इसलिए मैंने ही आगे बढ़ने की सोची।
वो मेरे कमरे में थी इसलिए शोर नहीं मचा सकती थी.. वो ही बदनाम होती। मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। चूचियां मसलने लगा व चूत सहलाने लगा।
थोड़ी ही देर में उसकी ‘ना’.. ‘हाँ’ में बदल गई और वह भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने भी देरी करना सही नहीं समझा और उसके व अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैंने उसे चारपाई पर लिटा दिया उसकी चूत तो पहले से ही गीली थी। मैंने उसकी टाँगें कंधे पर रखीं और हाथ उसकी चूचियों पर लगाए। फिर लण्ड का दबाव चूत पर देने लगा।

उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। शायद उसने आज ही साफ किए थे। उसकी चूत बहुत छोटी सी थी।

धीरे-धीरे उसने पूरा लण्ड चूत के अन्दर ले लिया। उसे चुदने की आदत थी इसलिए उसे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। कुछ ही पलों बाद वो चुदाई के पूरे मजे उछल-उछल कर ले रही थी और मैं भी उसे पेले जा रहा था।

धकापेल.. जम कर चुदाई करने के बाद मैंने सारा रस उसकी चूत में भरा और शान्त होकर उसके बगल में लेट गया।
मैं- बोलो मीरा कैसा लगा.. मैंने तुम्हारे दोस्त की कमी पूरी की कि नहीं?

मीरा- राज चुदवाने में मजा दोस्त के साथ करने से भी ज्यादा आया.. पर राज हमारे बीच जो कुछ भी हुआ.. अन्जाने में हुआ.. प्लीज अब कभी मेरे साथ ऐसा मत करना। मैं उससे शादी करना चाहती हूँ। कहीं किसी को पता चल गया तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी।

मैं- मीरा.. तुम चिन्ता मत करो। मैं किसी को नहीं बताऊँगा और कभी तुमसे दुबारा जिद भी नहीं करूँगा। जो मजा रजामंदी से मिलता है.. वो कहीं नहीं मिलता। मैं माफी चाहता हूँ.. मैंने तुमसे जिद की.. क्योंकि तुम्हें चोदे बिना मुझे चैन नहीं मिलने वाला था। मुझसे चुदवाने के लिए शुक्रिया। तुम इसके लिए निश्चिन्त रहो।

उसके बाद उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किए.. मैं उसे अब भी देखे ही जा रहा था क्या जिस्म था उसका.. पर इस बात की तसल्ली थी.. कि वो मेरे लण्ड के नीचे आ ही गई थी।
मैंने भी अपने कपड़े पहने और हम दोनों बाहर आकर जीने में बैठ गए।

चुदाई में तो समय का खयाल ही नहीं रहा। थोड़ी देर में उसकी दीदी आ गई और वह अपने कमरे में चली गई। फिर कुछ दिन बाद उसने अपने दोस्त से शादी कर ली व उसके बाद हम कभी नहीं मिले.. पर उसका नंगा जिस्म और उसकी वह यादगार चुदाई हमेशा याद रहेगी।

आपको कहानी कैसी लगी। अपनी राय मेल कर जरूर बताइएगा।
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