पूस की रात-3

( Poos Ki Raat-3)

पायल झा 2012-11-29 Comments

This story is part of a series:

भाभी- ठीक है अंकलजी, पर मेरी चूत के अन्दर आपका लिंग नहीं जाना चाहिए।
अंकल- नहीं बेटी बिल्कुल अन्दर नहीं जायेगा, मैं पूरी सावधानी बरतूँगा।

ऐसा बोल कर अंकल ने भाभी के चूत के दोनों गुलाब की पँखुरी जैसे ओठों को फैला कर अपने लिंग का सुपारा को रगड़ने लगे। अंकल भाभी के चूत के पूरी फाँक पर ऊपर से नीचे तक अपने सुपारे को रगड़ रहे थे।

भाभी भी मस्ती में आकर आह-ऊहह करने लगी।
भाभी को मस्ती में आया देखकर के अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, केवल रगड़ने से कुछ पता नहीं चल रहा है, तुम्हारी चूत में केवल अपना सुपारा घुसा के चेक करूँ क्या? मैं तुम्हें चोदूँगा नहीं।

ऐसा सुनकर भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, पर आप अपना लिंग सुपारे से ज्यादा आगे मत घुसाना।

फिर अंकल ने भाभी की टांगों को फैला दिया और उससे कहा- बहू, अपनी चूत को जरा अपनी दोनों हाथों से चीरों क्योंकि तुम्हारा छेद अत्यंत तंग लग रहा है।

ऐसा सुनकर भाभी ने अपनी दोनों हाथों से अपनी चूत को चीर के उसे फैला दिया, फिर अंकल ने भाभी की चूत में उंगली घुसा के उसकी थोड़ी सी मलाई निकली और अपने भयंकर सुपारा पर लगाया।

फिर अंकल ने भाभी की चूत पर अपना सुपारा रख के उसे धकेला तो सुपारी भाभी की कसी हुई चूत में नहीं घुसा तो अंकल ने भाभी के चूतड़ को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़े जोर से धक्का दिया तो अंकल का विशाल सुपारा भाभी की चूत की दोनों कोमल होठों को बेरहमी से रौंदता हुआ अन्दर घपाक से घुस गया और दर्द के मारे भाभी के मुँह से उईईईइ माँ की आवाज़ निकल पड़ी।
अंकल ने कहा- बेटी, डरो नहीं, अब और दर्द नहीं होगा।
ऐसा बोलकर अंकल भाभी के नाजुक चूत में धीरे-धीरे अपना सुपारा अन्दर-बाहर करने लगे।

भाभी की छोटी सी तंग चूत में घुसा हुआ अंकल का विशाल सुपारा का नजारा देखने में बहुत अजीब सा लग रहा था, लग रहा था जैसे कि भाभी की चूत फट जाएगी। अंकल का सुपारा अन्दर-बाहर हो रहा था और भाभी कराहें ले रही थी।

फिर थोड़ी देर के बाद भाभी की कराहट सिसकारी में बदल गई, लग रहा था कि भाभी को अब मजा आने लगा था। थोड़ी देर के बाद भाभी ने मस्ती में अपने चूतड़ को थोड़ा ऊपर उठा दिया तो अंकल का थोड़ा सा लिंग और अन्दर घुस गया।

भाभी की चूतड़ को ऊपर उठाते देख कर अंकल समझ गए कि निशा पूरी मस्ती में आ गई है अब यह मेरा पूरा लंड खा जाएगी।

फिर अंकल ने सोचा कि इस तरह उसकी चूत में पूरा लिंग घुसाने से कहीं वो मुझ पर चोदने का कोई इल्ज़ाम न लगा दे अतः अंकल ने कहा- बेटी, ऐसे मुझे तुम्हारी चूत का निरीक्षण करने में दिक्कत हो रही है इसलिए मैं बिस्तर पर लेट जाता और तुम मेरे लिंग पर बैठ कर अपनी योनि में केवल मेरा सुपारा घुसा के उसे अन्दर-बाहर करना तो मुझे तुम्हारी चूत के बारे में अच्छा से पता चल जायेगा।

निशा भाभी की अन्तर्वासना जागृत हो चुकी थी, भाभी बिस्तर से खड़ी हुई और अपनी चूचियों को ब्रा से आजाद कर दिया। अंकल भाभी के बड़े-बड़े, सुडौल चूचों को देख कर एकदम दंग रह गये। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

भाभी जब बाथरूम जाने के लिए मुड़ी तो उसके अत्यन्त बड़े नितम्बों को देख कर अंकल के दिल धड़कन अचानक बढ़ गई।

भाभी जब बाथरूम से आई तो अंकल ने कहा- बेटी, चूचियों को दबाने से चूत का मुँह थोड़ा फ़ैल जाता है, जिससे चूत में आसानी से लिंग के सुपारे का प्रवेश हो जायेगा।

यह सुनकर भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, आप मेरी चूचियों को दबा लीजिये पर इसे आप ज्यादा जोर से मत दबाइयेगा क्योंकि ये बहुत ही टाइट हैं, जोर से दबाने से दर्द होने लगता है।
अंकल- ठीक है बेटी, आराम से दबाऊंगा।

फिर अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, तुम अपने चूतड़ों की दोनों फाँकों को फैला कर मेरे गोद में मेरे लिंग पर बैठ जाओ, फिर मैं तुम्हारी चूचियों को दबाऊँगा।

ऐसा सुनकर भाभी अपने विशाल चूतड़ों को चीर कर उसे अंकल के मोटे लिंग पर रखकर गोद में बैठ गई। अब अंकल आगे अपने हाथ बढ़ा कर भाभी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया, उनके निप्पलों को चुटकी से मसलना शुरू कर दिया।भाभी ने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली और मीठी-मीठी कराहें लेने लगी।

फिर अंकल भाभी को अपने गोद में आमने-सामने बिठा कर उनकी निप्पल को चुसना शुरू कर दिया। भाभी तो मानो आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी।

निशा भाभी की चूचियों को कुछ देर तक दबाने के बाद अंकलजी ने निशा से कहा- बेटी, अब मैं लेट जाता हूँ और तुम मेरे लिंग पर बैठ जाओ और फिर मैं तुम्हारी चूत का निरीक्षण करता हूँ, बेटी मेरे लिंग पर सावधानी से बैठना, केवल सुपारा ही अपने चूत में घुसाना।

इसके बाद अंकल लेट कर अपने खड़े लिंग को सीधा करके अपनी हाथों से पकड़ लिया, निशा भाभी ने अपनी चूत की संकरे से छेद को अंकल के भयंकर सुपारा पर रख कर धीरे से बैठ गई, अंकल का मोटा सुपारा भाभी की चूत को फैलाता हुआ उसमें घुस गया तो अंकल ने कहा- बहू, अब तुम अपने कूल्हों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करो तो मैं पता करता हूँ कि तुम्हारी चूत कितनी टाइट है।

भाभी धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी, तभी अंकल ने पूछा- बेटी, दर्द नहीं न हो रहा है?
भाभी- नहीं अंकलजी !

अंकल- बेटी गांड को ऊपर-नीचे करने में करने में कैसा लग रहा है है?
भाभी ने शरमाते हुए कहा- अंकलजी, अच्छा लग रहा है।

अंकल- बहुत अच्छे, पर बेटी जरा ध्यान से अपने चूतड़ को ऊपर-नीचे करना करना, कहीं सुपारे से ज्यादा लंड तुम्हारे चूत में न घुस जाये।

भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया, वो मस्ती की लहरों पर सवार थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने देखा की निशा अपने चूतड़ को नीचे दबाते हुए लिंग को अपने चूत और घुसा रही है। अंकल की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।

अंकल का आधा लिंग निशा के चूत में घुस गया था, फिर निशा ने थोड़ा ताकत लगते हुए अंकल के पूरे लिंग को अपनी अत्यंत तंग चूत में पूरा समा लिया। अंकल को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि निशा ने अपनी छोटी से चूत में उनका पूरा 10 इंच लम्बा लिंग समाहित कर लिया है।

अपने टाइट चूत में पूरा लिंग सामने के बाद निशा ने थोड़ी देर सुस्ताया फिर अपनी कसी हुई चूत से रमाकांत अंकल को घपाघप चोदने लगी। निशा भाभी अपने बड़े चूतड़ों को खूब ऊपर-नीचे कर रही थी, चूतड़ ऊपर-नीचे करने में भाभी की बड़ी-बड़ी चूचियाँ बहुत भद्दे तरीके से हिल रही थी। भाभी की अत्यंत कसी चूत होने के कारण घप-घप की बहुत भद्दी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।

चुदाई के कारण भाभी की चूत की खुशबू चारों तरफ फ़ैल गई थी। अंकल और भाभी दोनों के मुँह से आह-ऊह की आवाज़ निकल रही थी।

तभी अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, तुम यह क्या कर रही हो? मेरे लिंग को अपनी चूत में पूरा समा के मुझे चोद रही हो?

तो भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- इतने भी भोले मत बनो, अंकलजी, आप बहुत ही चालाक आदमी हो, मुझे ललचाने के लिए आपने अपना गधा जैसा मोटा लिंग दिखा दिया और अब बहुत भोले बन रहे हो, इतना मोटा और लम्बा लंड देखकर तो कोई भी लड़की एकदम पागल हो जाएगी। मैं तो बहुत लकी हूँ जो मुझे इतना बड़ा लिंग का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आई लव यू अंकल जी !

ऐसा सुनकर अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा- बेटी, अब बताओ, तुम्हें मुझसे से ज्यादा मजा आ रहा है कि अपने पति से आता है?

निशा- अंकलजी, मेरे पति का साइज़ तो आपसे आधा है, आपको चुदवाने में तो मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द मिल रहा है। अब तो मैं आपसे खूब चुदवाऊंगी।

अंकल- निशा बेटी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझ जैसे बदसूरत, बुड्ढे आदमी के 10 इंच लम्बे काले लंड पर एक 22 साल की गोरी, ख़ूबसूरत लड़की बैठकर उसे अपने गुलाबी चूत में पूरा समा कर अपनी गांड ऊपर-नीचे करके मुझे घपाघप चोदेगी। मैं तो एक अत्यंत ही भाग्यशाली व्यक्ति हूँ।

निशा- अंकलजी, मैं भी बहुत खुशनसीब हूँ, इतना विशाल लंड का सौभाग्य तो बिरले को ही प्राप्त होता है। आपका लंड तो देखते ही मेरी चूत से पानी निकलने लगा था।

फिर अंकल ने भाभी को लिटा दिया और उनकी टांगों को फैला कर चूत को चौड़ा कर दिया, फिर चूत के छेद पर थूक लगाकर अपना सुपारा चूत के छेद पर रख के जोर से धक्का मारा, भाभी दर्द से चिल्ला उठी।

अंकल का आधा लिंग भाभी की चूत में समा चुका था फिर थोड़ी देर रुकने के बाद अंकल ने एक जोर का धक्का मारा तो अंकल का 10 इंच लम्बा पूरा लिंग भाभी की चूत में घच से घुस गया, इसके बाद अंकल ने धीरे-धीरे अपने लिंग को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।

फिर थोड़े देर के बाद अंकल ने भाभी की पतली कमर को पकड़ कर बेरहमी से जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिया।

निशा ‘मम्मी- उई मम्मी’ बोलकर कर आनंद भरी कराह ले रही थी। बीच-बीच में अंकल का मोटा लिंग भाभी के तंग चूत में फँस जाता था तो अंकल जोर का धक्का मारकर उसे छुड़ाते जिससे भाभी कराह उठती।

अंकल भाभी की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबोचे हुई उनकी चूत को घपाघप चोद रहे थे। करीब 15 मिनट बाद अंकल का फॉल हो गया। भाभी बिस्तर पर से उठकर बाथरूम में अपनी चूत धोने चली गई।

भाभी जब बाथरूम से आई तो उनके गदराए हुए अत्यंत विशाल नितम्ब को देखकर अंकल के मुंह में पानी आ गया, अंकल ने कहा- निशा, तुम्हारे चूतड़ तो बहुत बड़े हैं, क्या इसे तुम्हारे पति ने तुम्हारे साथ गुदा-मैथुन करके इसे बड़ा कर दिया है?

ऐसा बोलते हुए अंकल भाभी के बड़े-बड़े नितम्ब सहलाने लगे।
भाभी- नहीं अंकलजी, मैंने आज तक गुदा-मैथुन नहीं करवाया है, ये कुदरती बड़े हैं।

अंकल- बेटी, तुम्हारे नितम्ब बहुत ही सुन्दर हैं, मुझे इसे प्यार करने का बहुत मन कर रहा है, तुम जरा बिस्तर पर घोड़ी बन जाओ तो मैं तुम्हारी गदराए हुए नितम्बों को प्यार करूँगा।

ऐसा सुनकर भाभी बिस्तर पर अपने दोनों घुटनों और हथेलियों के बल घोड़ी बन गई। अंकल ने पहले भाभी के बड़े-बड़े चूतड़ों को खूब सहलाया, उन पर ढेर सारा चुम्बन भी लिया, फिर भाभी के चूतड़ों की दोनों फाँक को फैलाया तो उसके गुलाबी छेद देख कर एकदम दंग रह गए और उसने कहा- बेटी, तुम्हारा गुलाबी गुदा द्वार तो दिखने में अत्यंत ही सुन्दर है, कोई भी इसे देख के एकदम पागल हो जायेगा।

अपने गुदा द्वार की प्रशंसा सुनकर भाभी ने अंकल को धन्यवाद बोला। अंकल ने चूतड़ों के बीच के छेद को सूंघा तो उसकी खुशबू पाकर उनका लिंग एकदम फनफना कर खड़ा हो गया।

फिर अंकल ने छेद पर एक चुम्बन लिया फिर उसे चीर कर छेद को चाटने लगे। अंकल के चाटना शुरू करते ही भाभी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

भाभी की छेद की कुछ देर चाटने के बाद अंकल ने भाभी के गुदा द्वार में अपनी एक उँगली घुसा के उसे आगे-पीछे करने लगे तो भाभी के मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।

अपनी उंगली को अंदर-बाहर करते हुए पूछा- बेटी, कैसा महसूस हो रहा है?
निशा- मजा आ रहा है अंकलजी !
अंकल- बेटी, इसमें मेरा मोटा लिंग घुसवाओगी तो स्वर्ग जैसा आनन्द मिलेगा।

यह सुनकर भाभी ने डरते हुए बोली- ना बाबा ना, चूत के मुकाबले गुदा-द्वार तो अत्यंत छोटा और काफी संकुचित होता है और आपका सुपारा तो भयंकर मोटा है, मुझे अपनी गांड नहीं फड़वानी है।

फिर अंकल ने उसे फुसलाते हुए कहा- डरो नहीं बेटी, तुम्हारा नितम्ब तो अत्यंत ही बड़ा है, वो मेरा पूरा 10 इंच आसानी से खा जायेगा और फिर मैं तुम्हारे छेद में ढेर सारा वैसलिन लगा दूंगा और बहुत धीरे-धीरे घुसाऊंगा और तुम्हें जरा भी दर्द होगा तो मैं अपना लिंग तुरंत बाहर निकाल लूँगा।

तब भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, पर धीरे-धीरे आराम से घुसाइएगा।
अंकल- ठीक है बेटी, अब तुम घोड़ी बन जाओ।

भाभी के घोड़ी बनने के बाद अंकल ने उनके चूतड़ों की दोनों फाँकों को फैला कर उसके छेद में ढेर सी वेसलिन लगाई और उसके बाद भाभी के गाण्ड के छेद पर अपना मोटा सुपारा को रगड़ने लगे फिर अंकल ने छेद में थोड़ा सा सुपारा घुसाने के बाद भाभी की पतली कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा तो अंकल का मोटा सुपर भाभी के सिकुड़न-सलवटों वाले गुलाबी छेद को फैलाता हुआ गप्प से अन्दर घुस गया।

भाभी दर्द से चिल्ला उठी तो अंकल ने झट से अपना लिंग बाहर निकाल लिया।
लिंग को बाहर निकालने के थोड़ी देर के बाद अंकल ने भाभी को पुचकारते हुए कहा- बेटी, अब दर्द कैसा है?
भाभी- अब दर्द बहुत कम हो गया है, अंकलजी।

फिर थोड़ी देर के बाद अंकल ने कहा- ऐसा करो बेटी, मैं लेट जाता हूँ और तुम अपनी गांड का छेद मेरे लिंग पर रख के धीरे-धीरे बैठो, इससे तुम्हें बहुत ही कम दर्द होगा।

भाभी ने डरते हुए कहा- ठीक है मैं कोशिश करती हूँ पर मुझे दर्द हुआ तो मैं लिंग पर से उठ जाऊँगी।

अंकल- ठीक है बेटी, अब मैं लेटता हूँ और तुम अपनी गांड को चीर कर अपनी गुलाबी छेद को मेरे सुपारा पर रख कर धीरे-धीरे बैठो।

अंकल बिस्तर पर लेट गए और मुट्ठी से अपना लिंग पकड़ लिया। फिर भाभी ने अंकल के फ़नफ़नाये हुए भयंकर, काले सुपारे पर अपने विशाल नितम्बों को चीर कर अपने गांड के गुलाबी छेद को रखकर धीरे से बैठी तो अंकल का सुपारा भाभी के कसे, सिकुड़न-युक्त छेद को फैलाते हुए घप्प से छेद के अंदर घुस के गांड के छल्ले में फँस गया।

भाभी अचानक दर्द से चिहुंक उठी तो अंकल ने भाभी को कहा- डरो मत बेटी, शुरू में दर्द होगा पर जब मेरा पूरा लंड तुम्हारी गांड में समा जायेगा तो बिल्कुल दर्द नहीं होगा और तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा।

भाभी ने करहाते हुए कहा- अंकलजी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी, मुझे बहुत डर लग रहा है।

तब अंकल ने भाभी को फुसलाते हुए कहा- डर मत पगली, चूत में भी तो शुरू में घुसवाने में थोडा दर्द हुआ था पर बाद में तुम्हे कितना मज़ा आया था।

भाभी- वो बात तो है अंकलजी, ठीक है मैं धीरे-धीरे बैठती हूँ ताकि ज्यादा दर्द न हो। फिर भाभी थोड़ा जोर लगाकर बैठी तो अंकल का 2 इंच लंड गांड में और घुस गया।

भाभी को अत्यंत दर्द होने लगा और वह करहाते हुए अंकल के लंड पर से उठने लगी, ऐसा करते देख कर अंकल ने भाभी की पतली, नाजुक कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे नीचे अपनी ओर जबरदस्ती खींचने लगे। अंकल ताकत लगा कर जैसे-जैसे भाभी को नीचे खींच रहे थे वैसे-वैसे अंकल का वेसलीन लगा हुआ लंड भाभी की गांड के तंग छेद में घुसता जा रहा था।

भाभी दर्द से चिल्ला रही थी पर अंकल ने उसकी परवाह किये बिना उसके गांड में अपना 10 इंच लम्बा लंड पूरा घुसा दिया। भाभी की आँखों से आँसू निकल रहे रहे थे पर अंकलजी उसकी परवाह किये बगैर अपने चूतड़ उचका-उचकाकर भाभी की गांड में अपने दैत्याकार लंड को अंदर-बाहर करने लगे।

थोड़ी देर के बाद भाभी की कराहट मादक सिसकारियों में बदल गई। पाँच मिनट तक धक्के लगाने के बाद अंकल थक कर रुक गये तो भाभी अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी।

ऐसा करते देख कर अंकल ने प्रसन्नता से कहा- शाबाश मेरी मुन्नी, अब मज़ा आ रहा है ना निशा बेटी?
निशा ने लजाते हुए कहा- हाँ अंकलजी, आप बहुत अच्छे हैं।
अंकल- बेटी अब मेरे लंड पर रोज बैठोगी ना?

निशा- बिल्कुल अंकल जी, अब तो मैं रोज अपने दोनों छेदों को आपके लण्ड पर रख कर बैठूंगी।
ऐसा बोलने के बाद भाभी अपने चूतड़ तेजी से ऊपर-नीचे करने लगी और अंकल ने भाभी के गांड में अपनी गर्म-गर्म वीर्य की बौछार कर दी। इस तरह अंकल ने छह महीने तक अपने भीमकाय लंड से मुझे और मेरी भाभी की चूत और गांड को चोद-चोद कर अत्यधिक बड़ा बना दिया है।

आज मैं उन्नीस साल की ही उम्र में एक अत्यंत बड़े चूत और विशाल नितम्ब की मालकिन हूँ। अंकल ने मेरी चूत और गांड के छेद को अत्यंत ही बड़ा कर दिया है, पाठको, आप मेरी झालरदार चार इंच लम्बी चूत और चालीस इंच बड़े नितम्ब देखकर एकदम दंग रह जाएँगे।

रमाकांत अंकल का स्थानांतरण पूर्णिया हो जाने के कारण वो मेरे यहाँ से चले गये है।
[email protected]

What did you think of this story

Click the links to read more stories from the category पड़ोसी or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

पूस की रात-3

Comments

Scroll To Top