आंटी का मीठा मीठा दर्द -1

(Aunty Ka Meetha Dard-1)

राज मेहता 2007-04-02 Comments

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हाय दोस्तो, मुझे हिंदी लिखनी नहीं आती पर कोशिश कर रहा हूँ, मेरी गलतियों को नज़रान्दाज़ कर दें।

मेरा नाम राज है, मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ। मैं जब भी अपने घर जाता था तो हमेशा पड़ोस की आँटी को चोदने के बारे में सोचता रहता था।

इस बार जब मैं अपने घर गया तो मेरे ऊपर कृपा हो ही गई, मुझे चोदने का मौका मिल ही गया। मैं जिम जाने लगा था जिसका असर मुझे घर पर मालूम चला। आँटी के पति दुबले पतले थे और दिन भर को़र्ट में रहते थे।

उस दिन आँटी का हीटर ख़राब हो गया था। हमारे शहर में कई लोग हीटर पर खाना बनाते हैं। आँटी का भी खाना नहीं बना था, मैं गाय को रोटी देने बाहर आया तो आँटी बोली- राज, मेरा हीटर खराब हो गया है, उसे सुधार दो !

मैंने मजाक में कहा- आप तो खुद ही इतनी गर्म हो कि तपेली को हाथ से पकड़ लो तो पानी भाप बन जाये !
वो हंस दी, मैंने आज तो रास्ता साफ समझा और उनका हीटर सही करने उनके घर आ गया। उनकी लड़की जो दसवीं में है, स्कूल जा रही थी।

मैं हीटर को सही करने लगा, उनसे टेस्टर माँगा तो वो उसे लेकर खुद ही हीटर की स्प्रिंग को चैक करने लगी। तब उनके बड़े बड़े स्तन उनके ब्लाउज़ से बाहर दीखने लगे थे। मन तो कर रहा था कि उनके स्तनों को पकड़ कर मसल डालूँ पर मर्यादा मुझे रोक रही थी।

तब मैंने उनसे टेस्टर लेना चाहा तो उनका हाथ मेरे हाथ से छू गया। मुझे लगा कि आँटी इतनी हॉट हैं, अंकल की तो रोज जन्नत की सैर है।

मैंने जब स्प्रिंग से टेस्टर छुआ तो मेरे आँटी के ख्यालों के चक्कर में मुझे करंट का एक झटका लगा, मैं लगभग बेहोश हो गया था। आँटी घबरा गई और उन्होंने पानी लाकर मेरे ऊपर डाला और मुझे अपनी गोद में ले लिया और मुझे उठाने लगी।

मेरा सीना एकदम उभरा था जो शर्ट का बटन खुला होने से आँटी को दिख रहा था। आँटी ने अपना एक हाथ मेरी शर्ट में डाल दिया और धीरे-धीरे मेरे सीने पर फ़िराने लगी।

मुझे होश आने लगा था, आँटी बड़े प्यार से अपना गर्म हाथ मेरे 40 इंच के सीने पर घुमा रही थी।

मेरा लंड घोड़े के लंड की तरह धीरे धीरे बढ़ने लगा था जो मेरे रीबोक की चड्डी से बाहर निकलने को तरस रहा था और आँटी मेरे सीने को रगड़े जा रही थी।

अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मैंने अपनी आंख खोल दी। वो एकदम से मुझसे अलग हो गई।
मैंने बोला- आँटी करो ना ! मुझे मजा आ रहा है।
उसने पूछा- पहले कभी सेक्स नहीं किया?
मैंने मना कर दिया- नहीं !
मेरा दिमाग गर्म हो रहा था कि अगर आज सेक्स नहीं कर पाया तो मैं मर जाऊँगा।

वो शायद मेरी अवस्था समझ चुकी थी, वो मेरे पास आई और हाथ को चूमने लगी। मुझे कुछ होने लगा था। उसने धीरे से मेरे माथे को चूम लिया। मेरा लंड जोर जोर से सांस ले रहा था। आँटी की भी सांसें गर्म होने लगी थी। फिर वो मेरी दोनों आँखों को चूमने लगी। मेरी तो हवा ख़राब होने लगी थी। वो इतनी गोरी थी कि अगर हाथ रख दो तो लाल हो जाये।
उसने मेरे दोनों हाथ अपने वक्ष पर रख दिए और बोली- इनको दबाओ !
वो मुझे अनाड़ी समझ रही थी। मैंने अपने हाथ उसके नर्म-नर्म बोबों पर घुमाने शुरु कर दिए। वो मचलने लगी और मेरे मसल्स को सहलाने लगी।

मैंने धीरे से उसकी साड़ी के अंदर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूत के दाने को छू लिया।
वो सिसकने लगी और बोली- तेरे अंकल को तो कोर्ट से ही समय नहीं है, मैं सात महीने से अपनी प्यास मोमबत्ती या अपने हाथ से मिटा रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दे, तेरा मुझ पर उपकार होगा।
मैं उसकी चूत को रगड़े जा रहा था, उसने भी मेरे लंड को पकड़ लिया और रगड़ने लगी। मैंने उसके पेट पर हाथ रखा तो वो स्प्रिंग की लहरों की तरह हिलने लगा। अब हमारी धड़कने बढ़ चुकी थी। मैंने अपना लंड उसके कहने पर उसके दोनों बोबों के बीच रख दिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।
उसके बाद वो मुझसे बोली- लंड को धीरे-धीरे आगे पीछे करो !
मेरी उत्तेजना की सीमा पार हो रही थी, साथ ही मजा भी बढ़ता जा रहा था। मेरी सांसें तेज होने लगी थी। मेरा लंड ठीक उसके मुँह के पास आ जा रहा था। वो अपनी जीभ से उसे चाटने की कोशिश कर रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरा लंड जैसे दो रुई के गोलों के बीच में हो जिनको हल्का गर्म कर दिया हो।

तभी वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- और जोर लगाओ अह अहअहहहह अहह हहहहह…
उसने मेरे कूल्हे कस कर पकड़ लिए और एकदम ढीली हो गई…
कहानी जारी रहेगी..
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