सुनीता की चाहत-2

सुनीता मेरे मुंह पर ही झड़ गई, मैंने चाट चाट कर उसकी चूत साफ़ कर दी, उसकी चूत चूसते हुए लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया था पर उस वक़्त चुदाई नहीं हो सकती थी।

उसके बाद मैं खड़ा हुआ और सुनीता के लबों को चूम लिया, फिर मैंने अपने हाथों से उसको पेंटी और सलवार पहना कर उसका नाड़ा बांधा, और बोला- जान, अब तुम खाना बना लो, मैं अब तुमको परेशान नहीं करूँगा।

फिर मैंने उसको परेशान नहीं किया, उसने खाना बनाया और फिर हम दोनों ने मिलकर खाया।

अभी हम खाना खा कर निपटे ही थे, किसी ने मुझे बाहर से आवाज लगाई, बाहर जाकर देखा तो प्रेम था, उसने कहा- चल बाहर चलते हैं, जब देखो घर में ही घुसा रहता है, घर पर पर कोई नहीं है तेरे, फिर पता नहीं क्या करता रहता है।

तो मैंने प्रेम से कहा- बस एक मिनट में आता हूँ !

मैं घर के अन्दर गया और सुनीता से बोला- मुझे कुछ काम है, मैं बाहर जा रहा हूँ।

सुनीता बोली- ठीक है, मैं भी अपने घर जा रही हूँ, और तुम रात को 8 बजे से पहले आ जाना, कही मैं इंतजार करती रहूँ !

मैंने कहा- ठीक है, मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।

सुनीता ने मुझे मेरे होंठ पर एक चुम्बन किया और वो अपने घर चली गई, मैंने घर को बंद किया और अपने दोस्त के साथ बाहर निकल गया।

फिर उनके साथ घूमा, फिर और घर आ गया, समय देखा तो शाम के 4 बज गए थे, कुछ देर आराम करके में फिर बाजार गया और वहाँ से आधा किलो का केक लिया, घर पर लाकर फ़्रिज में रख दिया।

अब मैं इंतजार करने लगा 8 बजने का, क्योंकि 8 बजे सुनीता को जो आना था।

इंतजार करते हुए सात बज चुके थे, तो मैंने सोचा सुनीता आएगी और फिर खाना बनाएगी तो टाइम बर्बाद ही होगा, इसलिए मैं गया और रेस्टोरेंट से खाना पैक करा कर ले आया। तब तक 7:50 हो चुके थे, ठीक 8:10 सुनीता घर में आ गई उसने अब गुलाबी सूट पहन रखा था क्या मस्त लग रही थी, गाल गुलाबी, होंठ गुलाबी ऊपर से नीचे तक पूरी गुलाबी थी।

सुनीता आते ही बोली- मैं पहले खाना बना देती हूँ, तुमको भूख भी लग रही होगी।

मैंने सुनीता से कहा- नहीं रहने दो, मैं रेस्टोरेंट से खाना ले आया, तुम बस मेरे पास बैठो।

“अच्छा जी, जनाब खाना बाहर से ले आये हैं, तो ठीक है, मैं अपने घर जा रही हूँ।”

जैसे ही वो मुड़ी मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके उरोज पकड़ लिए।

“अरे अरे, रुको तो सही ! पहले दरवाजा तो बंद कर लो ! तुम भी न?” इतना कह कर वो मुझसे अलग हो गई।

मैंने कहा- ठीक है, पर यह बताओ, अब अपने घर तो जाना नहीं है न? तुम बोल कर आई हो न अब?

सुनीता ने कहा- हाँ बाबा। बोलकर आई हूँ, अब दरवाजा बंद कर लो !

इतनी बात सुनकर मैंने दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद करके मैं उसके पास पहुँचा तो वो खुद ही मेरे सीने से लग गई और मेरे गालों को चूमने लगी, मैंने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और फिर अपने होंठ उसके होंठ मिला कर उसके होंठों का रस पीने लगा।

सुनीता ने अपने हाथ मेरी कमर में डाल दिए और मुझसे ऐसे चिपक गई, जैसे कभी अलग ही नहीं होना हो। कुछ देर उसके लबों का रस पीने के बाद मैं सुनीता से बोला- आज तो बहुत ही सेक्सी लग रही हो !

सुनीता बोली- यह सब मैंने तुम्हारे लिए ही तो क्या है। आज की रात तुमको शिकायत का कोई भी मौका नहीं दूँगी।

मैंने कहा- वो सब तो ठीक है पर उससे पहले खाना तो खा लें? वो तो अब तक ठंडा भी हो गया होगा।

उसने कहा- तुम बैठो, मैं अभी गर्म कर के लाई ! खाना कहाँ रखा है?

तो मैं बोला- रसोई में ही है।

इतना सुन कर वो रसोई में खाना गर्म करने चली गई, कुछ देर बाद ही वो खाना गर्म करके ले आई फिर हम दोनों ने खाना खाया उसके बाद सुनीता ने सारे बर्तन धोकर रख दिए, अब वो भी सब कामों से निबट गई थी।

मैंने फ़्रिज से केक निकाल कर मेज पर रख दिया। सुनीता ने देखा तो वो बोली- यह क्या है?

मैंने सुनीता का हाथ पकड़ कर मेज के करीब लाया और बोला- आज तुम्हारा बर्थ डे है इसलिए मैं यह छोटा सा केक ले आया।

सुनीता की आँख में आँसू आ गए, मैं बोला- अब ख़ुशी के मौके पर ये आँसू क्यों?

सुनीता मेरे सीने से लग कर बोली- मेरे घर में किसी को भी याद नहीं, आज मेरा जन्म दिन भी है, और मुझे किसी ने विश भी नहीं किया, बस एक तुम ही हो जिसने मुझे विश भी किया और मेरे लिए केक भी ले आये।

मैंने सुनीता से कहा- मुझे भी तो नहीं पता था, अगर तुम मुझे कल न बताती तो मुझे भी पता नहीं चलता, चलो अब मुस्कुरा दो और जल्दी से केक काटो या पूरी रात ऐसे ही निकलने का इरादा है।

मेरी बात सुनकर सुनीता के चेहरे पर मुस्कान आ गई, मैंने केक पर एक मोमबत्ती लगा कर उसको जला दिया।

सुनीता बोली- बस एक ही मोमबत्ती? पर मैं तो आज पूरे बीस साल की हो गई हूँ, और तुम बस एक ही मोमबत्ती लेकर आये हो?

मैंने सुनीता से कहा- मुझे नहीं पता था कि तुम कितने बरस की हो गई हो, इसलिए मैं एक मोमबत्ती ही लेकर आया और फिर आज की रात हमारी पहली रात है, इसलिए एक ही मोमबत्ती ठीक है।

मेरी बात सुनकर सुनीता मुस्कुराने लगी, उसने फूंक मार कर मोमबत्ती को बुझाया और फिर उसने केक पर छुरी चला दी, मैंने सुनीता को हैप्पी बर्थ डे टू यू बोला, सुनीता बहुत खुश हुई और मुझसे बोली- जान, अब तुम मेरा मुँह तो मीठा करवाओ !

मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं !

सुनीता के हाथ से चाक़ू लेकर केक का एक बड़ा सा पीस काट कर उसको खिलने लगा, तो उसने मना कर दिया, मैं आज केक ऐसे नहीं खाऊँगी।

मैंने पूछा- फिर कैसे खाओगी मेरी जान?

सुनीता ने कहा– तुम रहने दो मैं अपने आप ही खा लूँगी।

और वह मेरी पैंट खोलने लगी, पैंट नीचे करके अंडरवियर भी नीचे खिसका दिया, अब मेरा लंड उसके सामने था, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या कर रही है, मैं चुपचाप खड़ा रहा।

जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने कोमल हाथों में लिया, मेरा लंड जो अभी कुछ देर पहले मुरझाया हुआ था, अब वो अपने असली आकार में आने लगा, और वो मेरे लंड को जब तक सहलाती रही जब तक वो अपने पूर्ण आकर में नहीं आ गया।

फिर सुनीता ने केक के ऊपर की बहुत सी क्रीम को मेरे लंड पे अपने हाथ से अच्छी तरह लगाई, फिर लंड को अपने मुँह में लेकर उस पर लगी क्रीम को चाट कर खाने लगी। मेरा लंड उसके चाटने से और भी पावर फुल हो गया था, मेरे लिए यह सब बिल्कुल नया और सुखद अनुभव था।

जब तक उसने लंड पर लगी सारी क्रीम चाटकर साफ नहीं कर दी, तब तक वो लंड चाटती और चूसती रही, फिर उसके बाद उसने केक का कटा हुआ पीस उठाया और मेरे मुँह में डाल दिया, फिर उसने मेरे मुँह से अपना मुँह मिला कर मेरे मुँह के अन्दर का केक अपनी जीभ से निकल कर खाने लगी और कुछ देर बाद वो सारा केक खा गई और जो बचा था उसको मैं खा गया।

हम दोनों बेड पर पहुँच गए। बेड पर पहुँचते-पहुँचते हमें रात के 11:30 बज चुके थे, हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लेटे हुए थे, लेटे हुए मैं सुनीता के ऊपर आ गया और उसको चूमने लगा और वो मेरे गले में हाथ डाल कर मेरा साथ देने लगी। वो ऊपर उठते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी और मैं उसके होंठों को चूस रहा था, वो थोड़ा ऊपर उठी और उसने एक तरह को करवट ले ली, मैंने पीछे से उसकी कमर में हाथ डालकर उसके चूचों को पकड़ लिया और एक हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, फिर उसको थोड़ा सा सीधा करके अपने लब उसके लबों पर रख कर चूसने लगा, मैंने अपना एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया था।

सुनीता का एक हाथ मेरे बालों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ रखा था, जो उसकी सलवार के अन्दर उसकी चूत को सहला रहा था, जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा तो मुझे एहसास हुआ, सुनीता ने अपनी चूत को बहुत ही अच्छे से साफ़ किया है, बाल रहित चूत पर हाथ फेर कर मुझे मज़ा आ रहा था, जैसे ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में अन्दर घुसाई, वो ‘म्म्म्मूऊऊउ आआह्ह्ह्ह’ करती हुई ऊपर को उछल गई।

सुनीता ने अपने होंठ को मेरे होंठ से अलग हटाते हुए बोली- साजन, एक बात पूछूँ?

मैं बोला- हाँ पूछो ना क्या बात है?

सुनीता बोली- क्या तुमने आज से पहले किसी लड़की को चोदा है?

मैंने कहा- नहीं आज तुमको ही पहली बार चोदूँगा !

मैंने उसको झूठ बोला क्योंकि मैं एक बार सीमा को तो चोद ही चुका हूँ। यह बात आप सभी को भी पता है, जिनको नहीं पता तो वो मेरी पहली कहानी ‘चांदनी रात में’ जरूर पढ़ें कि किस तरह मैंने सीमा की चुदाई की।

कहानी जारी रहेगी।

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