विधवा के सुलगते बदन की अगन

(Vidhva Ke Sulagte Badan Ki Agan)

सुदेश 2015-08-20 Comments

मैं सुदेश.. मेरी उम्र 25 साल है। मैं भोपाल में एक प्राइवेट मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूँ।

बात 2 साल पहले की है.. जब मेरी कंपनी ने मेरा तबादला जयपुर कर दिया था। मैं जयपुर चला गया.. शुरू में मैंने 15 दिन तक होटल में ही रुक कर अपने लिए एक कमरे की तलाश शुरू की। आख़िर एक कमरा मिला.. जिस घर की मालकिन एक विधवा औरत थी।

उसके 3 बच्चे थे.. एक किशोर लड़की.. उससे छोटा एक लड़का और फिर सबसे छोटी लड़की थी वे सब भी उसकी मकान में रहते थे।
मैंने वहाँ अपना सामान अपने कमरे में शिफ्ट कर लिया।
मकान मालकिन की उम्र 35 साल के लगभग थी.. वो दिखने में स्मार्ट और 25-26 साल की मस्त औरत के जैसे लगती थी। शुरू के 2-4 दिन तक मैं उनसे ज्यादा बात नहीं करता था.. ना वो मुझसे कोई फ़ालतू बात करना चाहती थी।

फिर एक रविवार के दिन मैं कमरे में था.. तो मेरे कमरे के सामने मकान मालकिन सब्जी काट रही थी.. क्योंकि रसोई में लाइट नहीं थी.. तो खिड़की की जाली से परदा उठाकर मैंने देखा कि उसने नाईटी पहनी हुई थी और एकदम मस्त माल लग रही थी.. मैं काफ़ी देर उसे गौर से देखता रहा.. मेरा लंड खड़ा हो गया.. मेरे मन में अजीब ख्याल आने लगे।

अब मैंने उनसे बात करने की सोची और बोला- भाभी जी क्या कर रहे हो?
तो वो एकदम चौंक कर बोली- ओह.. तुम हो क्या.. अन्दर बैठे हो.. तुम्हें अन्दर गर्मी नहीं लग रही क्या?

उसने इतना कहते हुए मेरे कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर झाँका तो मैं एकदम शर्म से झुक गया.. क्योंकि मेरा खड़ा लंड लोवर में से बाहर की ओर उभर कर निकला हुआ था।

वो गौर से उस उभार को देखने लगी और चुपचाप बाहर जाकर अपने काम में लग गई और थोड़ी-थोड़ी देर में खिड़की की तरफ देखने लगी। मैं फिर से उसी खिड़की से उसे देख रहा था।
फिर वो अन्दर जा कर अपने काम में लग गई और मैं बाजार चला गया।

मैं खाना बाहर ही खाता था.. सो मैं रात को 9-30 बजे के आस-पास कमरे में आया.. तो भाभी बोली- आज इतने लेट कैसे हो गए?
मैंने जबाव दिया- मैं तो रोज़ इसी टाइम पर आता हूँ।
भाभी बोली- अच्छा.. खाना कहाँ खाते हो?
मैं बोला- होटल में, पर थोड़े दिनों में ही टिफिन लगवा लूँगा।
भाभी कुछ नहीं बोली.. और मैं कमरे में आ गया।

फिर मैंने अपनी ड्रेस चेंज की और लाइट ऑफ करके सोने लगा.. मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो उस वक्त 10.30 बज चुके थे।
तभी भाभी ने आवाज़ लगाई- आप सो गए क्या?
मैं बोला- क्या करूँ.. कुछ काम नहीं है.. तो सोना ही बाकी है।

उनकी आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी क्योंकि मेरे कमरे के पास ही उनका बाथरूम था और उसका 1 गेट मेरे कमरे में भी खुलता था।
तो मैंने पूछा- आप इसी रूम में सोती हो क्या?
वो बोली- हाँ.. वैसे मैं कमरे किराए पर कभी नहीं देती हूँ। वो तो हमारे पड़ोस वाले चाचा जी के कहने पर ही दिया है।
उसके पड़ोस के चाचा जी मेरी कंपनी में ही जॉब करते हैं.. तो मैंने कहा- भाभी जी थैंक्स.. तो पहले इस कमरे में आप सोती थीं?
वो बोली- नहीं.. बड़ी बेटी सोती थी.. वैसे हमारे अन्दर वाले हिस्से में भी 3 कमरे और हैं।

भाभी टॉपिक चेंज करके बोली- आप पूरा जयपुर देख चुके हो क्या?
मैंने कहा- नहीं.. अभी ऑफिस में सबसे दोस्ती नहीं हुई है.. सो कहीं भी घूमने नहीं गया।
तो वो बोली- कोई अच्छी सी गर्लफ्रेंड बना लो.. आपको पूरा शहर घुमा देगी।

मैंने एकदम कहा– वैसे आप भी तो मस्त हो।
भाभी बोली- नहीं.. हमारी तो उम्र निकल गई।
मैंने पूछा- आपकी उम्र क्या है?
वो बोली- 34..
तो मैंने कहा- आप 34 की लगती नहीं हो.. एक बात पूछूँ.. आपके पति को क्या हो गया था.?
वो बोली- वो फ़ौजी थे और 3 साल पहले एक्सपायर हो गए थे।

इसी तरह बातें चलती रहीं.. फिर मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 1.30 से ऊपर टाइम हो चुका था।
भाभी बोली- सो जाओ अब.. तुम सुबह कितने बजे उठते हो?
मैंने कहा- रोज तो जल्दी 6.00 उठता हूँ पर आज तो 2.00 बज गए तो पता नहीं कब नींद खुलेगी?
भाभी बोली- मैं तुम्हें जगा दूँगी.. कितने बजे जगाना है?
मैंने कहा- 6.00 या 6.30 बजे तक..
बोली- ठीक है..
फिर हम दोनों सो गए।

सुबह मुझे भाभी ने आवाज़ लगाई और मेरा गेट खटखटाया तो मैं उठा और मैंने सोचा कि शायद भाभी अन्दर आएगी.. क्योंकि अन्दर से मेरी साइड से तो गेट का कुण्डा खुला ही था.. पर उसने गेट नहीं खोला.. और मैं अपने लौड़े को हिलाकर रह गया।

दूसरे दिन फिर रात में हमारे बीच काफ़ी देर तक बातें हुई और रात के 11.00 बजे थे.. मैंने तुरंत कहा- आपके बच्चों को हमारी ये बातें सुनाई नहीं देती क्या?
भाभी बोली- वो तो अपने सामने वाले कमरे में सोते हैं और बड़ी बेटी ऊपर के कमरे में सोती है।
तो मैंने कहा- भाभी जी.. तो आपने इधर का गेट क्यों बंद कर रखा है? इसे खोलो।
भाभी बोली- नहीं यार.. परदा तो होना ही चाहिए।

उसने मुझे ‘यार’ कहा.. तो मैंने कहा- अपन दोनों तो अब यार हो गए हैं और वैसे भी आप भी अकेली और मैं भी अकेला.. ना मुझे नींद आती है और ना आपको।
तो वो हँसने लगी और बोली- मुझे तो नींद आती है.. आपको ही नहीं आती।
मैंने कहा- तो मेरे लिए ही सही.. गेट तो खोलो.. प्लीज़.. भाभी..
भाभी बोली- ठीक है.. मैं खोलती हूँ पर आप मेरी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नहीं करोगे..
मैंने कहा- आपकी कसम.. प्लीज़.. गेट तो खोलो।

भाभी ने गेट खोला.. तो मैंने भाभी को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।

फिर वो मेरे साथ बिस्तर पर आ गई.. अब मैं उसे छेड़ने लगा.. कभी उसके मस्त-मस्त मम्मे चूसता.. कभी उसकी चूत पर हाथ लगाता।
फिर मैं एकदम नंगा हो गया.. तो भाभी मेरे लण्ड को देखकर बोली- हाय.. इतना बड़ा?
मैंने कहा- अब तक मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया.. यह आपकी चूत पर ही मेहरबान हुआ है।
भाभी मेरे लौड़े को देखने लगीं।

अब मैंने कहा- भाभी ये नाईटी क्यों पहनी हुई है.. प्लीज़ खोलो इसे..
तो वो बोली- नहीं.. मैं ये काम नहीं करूँगी और सब कुछ कर लूँगी।
मैंने उसके जिस्म पर हाथ फेर कर उसकी चूत को जगा दिया और अपना लण्ड उसके हाथ में थमा कर बोला- लो ये आपके लिए ही है.. जैसे चाहो इस्तेमाल करो..

मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी.. अब भाभी थोड़ी देर तक मेरा हथियार हिलाती रहीं.. फिर अचानक उठ कर लण्ड को मुँह में ले लिया और लगभग 10 मिनट तक वो लौड़ा चूसती रही।
आख़िर मैंने कहा- भाभी अब निकलने वाला है.. प्लीज़ आपकी चूत तो अभी बाकी है।
अब भाभी ने तुरंत अपनी नाईटी उतार दी… तो मैंने उसकी पैन्टी भी खींच कर उतार दी।

अब मैं उसकी चूत में डालने के मूड में था.. पर भाभी ने चूत चूसने को कहा।
मैंने जैसे ही उसकी मस्त चूत के पास मुँह रखा.. उसमें थोड़ा सा पानी जैसा तरल रस सा और पेशाब की बदबू आ रही थी।
मैंने भाभी को कहा- उसने तुरंत मेरे कमरे में से ही बाथरूम में जाकर अपनी चूत धो ली।
अब उसकी चूत बहुत मस्त लग रही थी.. फिर हम 69 स्टाइल में आ गए।

दस मिनट बाद मेरे लंड से तेज पिचकारी निकली.. भाभी का गला भर गया।
वो लौड़ा निकाल कर खांसने लगी.. बोली- मेरा गला भर गया है.. पर तेरा माल टेस्टी है।
फिर मेरा माल निकल जाने के बाद भाभी फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और उन्होंने लौड़े को अपनी चूत में पेलने का इशारा किया।

मैंने कहा- भाभी बिना कन्डोम के चोदने में मुझे डर लगता है.. क्योंकि आजकल एड्स का ख़तरा बहुत ज्यादा है.. यह ठीक नहीं है।
भाभी बोली- मुझे मेरे बच्चों की कसम.. मैंने मेरे पति के सिवाय किसी से चुदाई नहीं की है.. और वैसे भी वो कभी-कभी ही घर आते थे। अब 3 साल से तो बिल्कुल ही अनछुई हूँ.. प्लीज़ डालो न.. मैं आपको बहुत मज़ा दूँगी।

मैंने तुरंत लाइट जला दी और नंगे बदन में भाभी भाभी की मासूमियत देख रहा था।
भाभी बोली- यार लाइट ऑफ कर दो अड़ोसी-पड़ोसी शक करेंगे।
मैंने तुरंत लाइट ऑफ की और भाभी को बोला- लौड़े को ज़रा और टाइट करो।

भाभी ने ठीक वैसा ही किया।

फिर मैंने भाभी से पूछा- आपको किस स्टाइल चुदवाने में मज़ा आता है?
वो बोली- जैसे आप चाहो।

मैंने भाभी को उल्टा किया और चूत में लौड़ा डालने लगा.. उसकी चूत बहुत टाइट और कसी हुई थी। फिर मैंने एकदम से झटका लगाया.. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया।
‘ओह.. मर गई.. ओह.. ऊऊओह..’
वो चिल्लाने लगी।

मैंने ज़ोर-ज़ोर से झटके लगाने चालू कर दिए.. भाभी का चिल्लाना जारी था.. फिर कुछ पलों बाद उसे भी चुदाना अच्छा लगने लगा।
वो बोली- यार मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. प्लीज़ ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करो न..

मैं लगातार 4-5 मिनट तक चुदाई करते-करते थक गया था.. क्योंकि ये मेरा पहला मौका था। मैं अब चूत से बाहर निकलना चाह रहा था।
भाभी बोली- अभी मत निकलना.. अभी मुझे जोर से चोदो मेरी चूत फाड़ डालो यार.. फाड़ डालो इसे..
मैंने भाभी की बात मानकर फिर से धक्का लगाना शुरू कर दिए। थोड़ी देर बाद भाभी की चूत ने आंसू छोड़ दिए। फिर मैंने भी माल छोड़ दिया।

अब भाभी बहुत खुश थी.. वो सीधी होकर मुझसे लिपट गई और बोली- मेरे राजा.. मुझे बहुत मज़ा आया.. आप बहुत अच्छे हो..
वो मुझे फिर से चूमने लगी.. मैंने भी उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और दोनों यूँ ही लिपट कर सो गए।

रात को भाभी नींद में सो रही थी.. मैं बीच-बीच में जाग जाता था।
सुबह 5.30 बजे थोड़ा उजाला हुआ तो मैंने भाभी को गौर से देखा.. नींद में उसका चेहरा बहुत ही मासूम लग रहा था.. जैसे कि बहुत सालों के बाद सूकून की नींद सो रही हो।

मेरे से रहा नहीं गया.. मैंने उसके माथे.. गाल और होंठों पर किस किए, वो जाग गई।
मैं बोला- तुम कितनी मासूम लग रही हो.. तुम यहाँ घर में अकेली रहती हो तो पड़ोस में किसी की नज़र नहीं पड़ी क्या?
वो बोली- मेरे साथ मेरी सास भी रहती है.. अभी वो मेरे देवर के पास गाँव में है.. क्योंकि उसके लड़की हुई है।
मैंने उनसे पूछा- कमरे के लिए अंकल को हाँ तुमने ही किया था न?

तो वो मुस्कुरा उठी और आँख दबा कर बोली- हाँ अब सहन नहीं होता था और तुम मुझे पसंद भी आ गए थे।

उसके मुँह से यह सुनकर मेरा फिर से लंड खड़ा हो गया। मैंने उसकी टांग उँची करके अपना लौड़ा चूत में डालने लगा.. तो वो बोली- मेरे राजा अब मैं आपको माना तो नहीं कर सकती.. पर ये काम ज्यादा नहीं करना चाहिए.. नहीं तो जिस्म में कमज़ोरी आ जाती है।
मैंने पूछा- तो कब–कब करते हैं?
वो बोली- दो दिन में एक बार..

मैंने ज़िद की तो वो राजी हो गई। मैंने फिर उसकी जमकर चूत चुदाई की।
भाभी कातिलाना अंदाज में बोली- लगता है.. लौड़े पर नई जवानी आ गई है..।

तब तक 6.00 बज चुके थे.. वो उठ कर चली गई.. मैंने भी गेट को अन्दर से बंद कर लिया।

उसने अपने बच्चों को जगाया.. उन्हें स्कूल के लिए तैयार किया। मैं भी बहुत खुश था। मैं बाथरूम में नहा रहा था.. तभी गेट बजा.. मैंने तुरंत गेट खोला वो सामने खड़ी थी।

मैं बिल्कुल नंगा था… वो शरमाते हुए बोली- नहा लिए क्या? मैं नाश्ता लाती हूँ!
और दरवाजा खुला छोड़ कर रसोई में अन्दर चली गई।

जब तक मैंने ड्रेस पहनी.. तब तक वो गोभी के परांठे और दही ले आई।
मैंने मना किया.. तो बोली- जब तक मेरी सास नहीं आती, आप खाना यहीं खाया करो।
मैं फिर ऑफिस चला गया.. शाम को उसने अपने बच्चों से मेरा परिचय कराया।

तब से मैं भाभी और उनके बच्चों से बहुत ज्यादा घुल-मिल गया हूँ और रोजाना रात को हम साथ ही सोते थे।
कभी मेरे बिस्तर पर चुदाई होती थी तो तो कभी भाभी के बिस्तर पर चुदाई होती थी।
हमने लगभग सारे आसनों में चुदाई के खूब मज़े लिए।

फिर 8 महीने बाद मेरा ट्रान्स्फर वापिस भोपाल हो गया। मैं अपने घर भोपाल आ गया।
बाद में भाभी से फोन पर बात होती रहती थी.. लेकिन 2-4 महीने के बाद पता नहीं उनका फोन नम्बर बन्द हो गया.. तब से हमारा लिंक टूट गया है।

वैसे भी जयपुर में मेरा कोई काम भी नहीं है। दोस्तो, मैं अभी तक अविवाहित हूँ और मेरे वो 8 महीने.. जिंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक हैं।

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