पड़ोसी के लड़के ने मां बेटियाँ चोद दीं- 2

(Xxx Aunty Fuck kahani)

गौरव जया 2025-05-26 Comments

Xxx आंटी फक कहानी में मेरा बॉयफ्रेंड मेरी माँ के सामने मुझे छेड़ने लगता तो मुझे अजीब लगता. पर बाद में उसने बताया कि कैसे वह मेरी माँ को पहले ही चोद चुका है.

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मैं सपना पुनः अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.

अब तक की सेक्स कहानी
मेरे पड़ोसी लड़के ने मुझे गर्म करके चोदा
में मैंने बताया कि कैसे मैं अपने ब्वॉय फ्रेंड विपुल से चुदी और हमने अपने जीवन में एक नई शुरुआत की.

अब आगे Xxx आंटी फक कहानी:

हम दोनों ही एक दूसरे से खुल चुके थे और दोनों को खुश करने की कोशिश करते थे.
वह मेरी पसंद को समझना चाहता था, कई बार मेरी पसंद का सामान लाता रहता था.

मेरे साथ हमेशा खुश रहता और मुझे भी रखता था, मैं भी उसे रिझाने में पीछे नहीं रहती.

पर हमारी इन हरकतों को कोई और भी देख रहा था और उसे ये अच्छा नहीं लग रहा था, ये बात मुझे बाद में पता चला.

वह अब कभी भी कहीं भी मुझे बांहों में ले लेता या मेरे चूचे दबा देता था … कभी गाल पकड़ लेता.

कई बार तो ऐसा हुआ कि मां वहीं रहतीं और वह मेरी गांड सहलाने लगता या उस पर चपत मार देता.
मैं अकेले में कहती थी कि थोड़ा तो सब्र रखो, मां के सामने ही तुम्हारे हाथ हरकत में आ जाते हैं.

तो वह कहता था- तेरी मां से तुझे मांग लिया है. वह कुछ भी नहीं कहेगी.

अब अक्सर ही वह मुझे चोदने लगा था, मुझे भी मजा आता था लेकिन डरती भी थी.

एक दिन जब वह पढ़ा रहा था तो मां उसके लिए चाय लेकर आईं.
उसने तुरंत अपना हाथ मेरी सलवार से बाहर निकाला और ठीक से बैठ गया.

फिर मां से इधर उधर की बात करते हुए चाय खत्म की और जब मां बाहर जाने लगीं तो बोला कि कमरे का दरवाजा बंद कर दीजिएगा.
मां ने दरवाजा बंद कर दिया और वे चली गईं.

अब वह मेरे शरीर से खेलने लगा और मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया.
मैंने हाथ हटाना चाहा लेकिन उसने पकड़े रखा.

मुझे डर था कि कहीं मां फिर से आ न जाएं इसलिए मैंने कहा कि यहां नहीं, बाद में पकड़ लूंगी.

तभी वह उठा और उसने दरवाजे की कुंडी लगा दी और पर्दा भी सरका दिया.

मैं- ये क्या करने जा रहे हैं?
विपुल- अब तुम्हारी मां नहीं आएगी.

यह कहते हुए उसने अपनी पैंट उतार दी.

मैं- पागल हो गए हो क्या, पैंट ठीक करो अपना!

उसने मुझे खड़ा किया और कसकर अपनी बांहों में दबा लिया.
मैं भी सिमटने लगी.
आखिर उसके लंड की दीवानी जो हो गई थी.

विपुल- आज तो तुझे यहीं पर ठोकने का इरादा है मेरी जान!
मैं- पागल तो नहीं हो गए अगर मां आ गईं तो दोनों की खैर नहीं.
यह कहती हुई मैं उससे अलग हुई.

विपुल- तेरी मां कुछ नहीं बोलेगी अगर उसके सामने चोद दूं तो भी वह नहीं बोलेगी!
इतना कहकर उसने मुझे बांहों में लेकर चूमना शुरू किया और मैं भी मदहोश होने लगी.

एक एक करके उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और चूमने से लेकर चोदने तक सब कर दिया.

मैं काफी चीखी थी और वह भी गालियां दे रहा था.
मुझे डर भी था इसलिए अपनी आवाज को दबाने की कोशिश करती, पर वह उतना ही जोर से बोलता या चांटे मारता.

दोनों के झड़ने के बाद वह खड़ा हुआ.

विपुल- देखा मेरी जान, तेरी मां ने एक बार भी नहीं झांका इधर … क्योंकि उसे पता है कि मैं तेरी जवानी के मजे लेकर तेरी चूत का भोसड़ा बना रहा हूं.
यह कह कर वह हंसने लगा.

आश्चर्य तो मुझे भी हुआ कि इतनी आवाज सुनकर भी मां नहीं आईं.

फिर तो ये अक्सर होने लगा.

मैं जब कॉलेज से आती तो वह वहीं बैठा रहता था.
कभी अपने घर ले जाता तो कभी हमारे घर पर ही चोदने लगता.

उसे अपने काम से कभी कभी शहर से बाहर जाना पड़ता था और वह दस बारह दिनों बाद आता.

मेरी मां कमला तब पैंतीस वर्ष की थीं, पर उन्होंने खुद को काफी संभाल कर रखा था. उस वक्त उनका फिगर 34D-30-36 का था.
वे देखने में उम्र से तीस की भी नहीं लगती थीं, हां बाद में विपुल ने सारा फिगर ही बदल डाला.

एक दिन कॉलेज से जल्दी छुट्टी हो गई और मैं घर आ गई.
जब मैंने दरवाजे को खुला देखा तो लगा कि शायद मां बंद करना भूल गई हैं.

मैं जैसे ही अन्दर पहुंची तो ड्राइंग रूम में से आवाज़ आई.
मैं उसी ओर बढ़ी तो कमरे का दरवाजा बन्द पाया, सिर्फ खिड़की खुली थी वह भी आधी.

मैंने वहीं से देखने की कोशिश की.
तभी विपुल की आवाज आई- चल बहन की लौड़ी कुतिया बन जा!

आवाज सुनकर यकीन हो गया कि ये विपुल ही है, क्योंकि वह सेक्स के समय गलियां देता है.
इसका मतलब वह आ गया है, पर उसके साथ कौन है?

तभी मां की आवाज आई- जरा आराम से करना आ… ह आरा…म से बो…ला न!
विपुल- ठहर जा मादरचोद … अन्दर तो जाने दे पहले!

मैंने खिड़की से देखा तो दंग रह गई.

सच में मां कुतिया बनी थीं और विपुल उनकी गांड चोद रहा था.

मां की बस आवाज निकल रही थी- आ…ह आ.. ह ओ … ह ओ… ह धीरे मर गई आह आ..राम … से!
विपुल- हां बस ऐसे ही रह साली रण्डी अब तो तेरी गांड फाड़ने का ही मन है, बस ऐसे ही मेरी कुतिया बनी रह.

मां- आ…ह आगे से किया क…रो ना ! य…हां दर्द होता है … बहुत आह!
विपुल- चुप साली रण्डी चूत में जो मजा तेरी बेटी देती है, वह तेरी गांड में ही आता है, छिनाल साली तेरी चूत में मजा सुहागरात को आया था.

मां- अभी भी आ…एगा लेकिन तुम … आह पेलते ही नहीं हो आह!
विपुल- कम्मो रानी (वह मेरी मां को इसी नाम से बुलाता था) चुपचाप एक रांड की तरह गांड फड़वा ले अपनी … आह ले मादरचोद तेरी लौंडिया की चूत में लौड़ा पेलूँ.

कुछ देर बाद मां भी उसके लंड को धक्का देने लगी और मस्ती से सिसकने लगीं.
‘ओह … आह … हां … ऐसे ही चोदो मुझे बस … तुम्हारे लंड की प्यासी … हूं और … तेज … आह फाड़ … दो … आज … और तेज … चोदो … मुझे!’

ये सब देखते हुए कब मेरा हाथ मेरी सलवार में चला गया, मुझे पता ही नहीं चला.

विपुल जोर जोर से झटके मार रहा था और आह आह कर रहा था और कहते हुआ शायद उसका काम हो गया था क्योंकि वह मां की पीठ पर ही लेट गया था.

दोनों की सांसें तेज तेज चल रही थीं.
फिर उसने मां को सीधा किया और लेटा रहा.

मां ने पहले उसके लंड को साफ किया.
फिर उसकी बांहों में चली गईं.

विपुल- कम्मो मेरी जान, मजा आया कि नहीं मेरे साथ?
मां- हां बहुत तुम्हारे साथ ही तो मजा आता है वरना ये मुंशी तो सिर्फ नाम का पति है.

फिर मैं वहां से हटकर अपने कमरे में आ गई.
मेरा एक हाथ अभी भी चूत पर ही था.
मैं यही सोच रही थी कि वह मेरा ब्वॉयफ्रेंड है और मेरी मां की चूत में और गांड में पेलता है.

मां भी उसके साथ बिना कपड़ों के नंगी होकर सेक्स का मजा लेती हैं, पर ये सुहागरात वाली बात कबकी है और कैसे?

मैं इन्हीं सब सवालों में सोच रही थी कि तभी मेरे कमरे का दरवाजा बंद हुआ और विपुल बिस्तर पर आ गया.
वह मेरे शरीर से खेलने लगा.

मैंने उसे हटा दिया और दूसरी तरफ मुड़ कर सो गई.

उसने एक बार फिर से मेरी गांड को सहलाते हुए अपनी तरफ खींचा.
पर मैं आज उसके पास जाना नहीं चाह रही थी या क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा था.

लेकिन तभी उसने मुझे उठाकर अपनी बांहों में ले लिया और अपने होंठों से मेरे होंठ सहलाते हुए पूछा- क्यों आज मन नहीं है क्या, या कोई और बात है?
मुझे कोई जवाब सूझ नहीं रहा था कि क्या कहूं?

उसने कहा- कोई बात नहीं … वैसे भी आज तुम्हारी मां को बहुत रगड़ दिया है … मजे ले, ले कर.
मैं दंग रह गई कि ये खुलकर खुद ही बता रहा है!

उसने कहा कि मैंने और कम्मो ने तुम्हें शीशे में देख लिया था.
मैं- ये कम्मो का खेल कबसे चल रहा है?

उसने बताया कि जब पहली बार वह हमारे घर आया था, तभी से मां उससे बात करने के लिए बहाने ढूंढती थी.

फिर बाजार में मुझसे चिपक जाती बिना किसी वजह के.
मैं भी खूब मजे लेता था बातों में, अक्सर कुछ सेक्सी कपड़े की तस्वीर दिखा कर कहता कि आप पर अच्छा लगेगा.

विपुल अपनी और मेरी मां कमला की बातें सुनाने लगा था और मैं चुपचाप सुनती रही थी.

विपुल अपनी ही धुन में बताए जा रहा था.

एक दिन हम दोनों कार से बाजार जा रहे थे और बातों बातों में मैंने उसके बूब्स पर हाथ मार दिया.

पहले तो मैं घबरा गया कि ये कुछ ज्यादा हो गया, तभी कम्मो ने मेरा हाथ वापस अपनी बूब्स पर रखवा कर कहा- पहली बार तो सही जगह पर रखा है, कोई बात नहीं ऐसे ही रखो न!
फिर मैं तुम्हारी मम्मी के दूध सहलाने और दबाने लगा. तभी उन्होंने मेरा लंड निकाल कर फेंटना चालू कर दिया.

मैं कार को शहर से बाहर लेकर गया और वहां मैंने उनके मम्मों को खूब दबाया और चूसा.
उन्होंने भी लंड चूसने का काम किया, फिर मैंने उन्हें चोदने की कोशिश की तो कम्मो ने मना कर दिया.
उसने कहा कि समय और स्थान दोनों सही होंगे तब कर लेना.

फिर हमारी सुहागरात वाली रात भी आई जहां मैंने पहली बार तेरी मां की चूत और गांड दोनों को पेला.
मैं- मतलब हर रोज तुम अपनी कम्मो के लिए ही यहां आते थे न कि मेरे लिए?

विपुल- हां मेरी जान, तुम्हारे आने से पहले मैं एक बार उसकी गांड मारता हूं. लेकिन सिर्फ उसके लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए ही. इससे पहले कि तुम कुछ समझो उसने अपनी चूत खोल दी मेरे लिए.
मैं- मतलब वह सुहागरात? कब और कैसे बताओ मुझे.

विपुल- वह पार्टी वाली रात जब मैं तुम्हें अपनी बांहों में लेना चाह रहा था. उस वक्त कम्मो ने मुझे चलने के लिए कहा और अपने घर में ले गई. वहां जाते ही उसने दरवाजा बंद किया और कहा कि आज से वह सिर्फ मेरी है.
कम्मो बोली कि देखो आज बिल्कुल दुल्हन की तरह आई हूं, अब तुम ही मेरे सब कुछ हो.

विपुल- ये प्रेम सिर्फ एक रात के लिए है क्या?
कम्मो- नहीं जानू आज से सिर्फ तुम्हीं मेरे मालिक हो … शरीर से भी और मन से भी. मैं तुम्हारे लंड की प्यासी हूं बस!

विपुल- लेकिन मैं अगर कुछ और मांगू तो?
कम्मो- मैं सब कुछ दूंगी बस एक बार मेरी आग को ठंडा कर दो.

मैंने उसकी साड़ी उतार दी और बूब्स दबाने लगा और वह सिसकारियां लेने लगी.
मुझे उतने ही जोर से पकड़ रखा था और एक दूसरे को चूमते हुए सारे कपड़े कब नंगे हो गए, पता ही नहीं चला.
वह मेरा लंड फेंट रही थी.

कभी मैं उसके जीभ अपने होंठों में दबा लेता तो कभी वह मेरी जीभ को, फिर मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में घुसा दीं और चोदने लगा लेकिन उसकी चूत टाइट लग रही थी.
मैंने इशारे से पूछा तो उसने कहा कि उसे चुदे हुए एक साल से ऊपर हो गया.

तभी कम्मो को बिस्तर पर लिटाकर मैं उसके बूब्स चूसने लगा और वह बस ओ…ह आ…ह और… हां आ…ह कर रही थी.
तभी उसकी नाभि को किस करते हुए मैं उसकी चूत सहलाने लगा और वह गर्म हो गई थी. वह बस यही बोल रही थी कि अब डाल भी दो.

तभी मैंने कहा कि मैं गालियां दूंगा तो बुरा मत मानना.
कम्मो- तुमसे चुदने के लिए तो सबकुछ कर लूंगी.

तभी मैं उसकी चूत में जीभ फिराने लगा और वह बिस्तर पर हाथ पटकने लगी अपनी दोनों मुट्ठियों में उसने चादर पकड़ रखा था.
तभी अचानक मैंने कहा कि रहने दो ये नहीं हो सकता और अलग हट गया.

कम्मो झल्लाती हुई बोली- क्या हुआ क्यों नहीं हो सकता?
विपुल- मुझे जो चाहिए वह तुम दोगी नहीं, फिर क्या फायदा तुम्हें खुश करके?

कम्मो- मैं सब कुछ दूंगी ऐसा क्यों बोलते हो?
विपुल- मुझे तुम्हारी दोनों लौंडियां चाहिए अपने नीचे … दोगी बताओ!

कम्मो- हां ले लेना लेकिन पहले मुझे संतुष्ट करोगे तब!

तभी अचानक से मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया- ले चूस साली रण्डी, आह अच्छे से और तेज आह ऐसे ही बहनचोद … तेरी चूत में भी डालूंगा अब … ले मादरचोद और चूस!

मैं उसके मुँह में ही लंड पेल कर उसे चोदने लगा.

फिर उसे लिटा कर उसके पैरों को फैला दिया और एक झटका उसकी चूत में मारा.

मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया.
वह काफी तेज चीखी- आ…ह आ…राम से … यहीं … हूं.

तभी मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर एक बार फिर जोर से धक्का मारा और अबकी बार पूरा अन्दर तक घुस गया.
कम्मो- आ…ह निका…लो तुम…. ब…. हुत दर्द… .. हो रहा है … आ..ह आ…ह ऐ…से थो… ..ड़ी ना… करते हैं!

विपुल- चुप साली रण्डी ऐसे ही चोदने में मज़ा आता है, बस ऐसे ही लेती रह … फिर तू खुद ही कहेगी कि और करो.
कम्मो- आह बहुत बड़ा है तेरा … आह फ़ाड़ … कर रख दिया … थोड़ा आराम से.

विपुल- साली छिनार, आज से मेरी रखैल है तू … वैसे ही चुदेगी, जैसे मेरी मर्जी होगी … ले साली और ले तेरी दोनों लौंडियां भी ऐसे ही चुदेंगी आह!
कुछ देर बाद वह थोड़ी नॉर्मल हो गई और नीचे से झटके देने लगी.

यह देख कर मैं भी उसे मस्ती से चोदने लगा.
सच में मैं उसकी चुत का मज़ा ले रहा था.

उसने अपने पैरों में मुझे फंसा लिया और साथ देने लगी.
कम्मो- हां ऐसे ही … और जोर से आ…ज फाड़ … दो मे…री चूत और ते…ज चो…दो मुझे… आ…ह ऐसे.. ही.

करीब बीस मिनट से ऊपर हो गया था और अब मैं झड़ने वाला था.
इस बीच वह दो बार झड़ चुकी थी.

मैंने कहा- अब आने वाला है मेरा, कहां निकालूँ?
तो कम्मो बोली- अन्दर ही निकालो!

उसने मुझे कसकर पकड़ लिया.
हम दोनों एक साथ खाली हुए.

फिर उसने अपने कपड़े से मेरा लंड साफ किया.
हम दोनों ही हांफ रहे थे.

फिर वह बाथरूम गई.
जाते वक्त मेरी नज़र उसके मटकती गांड पर गई.

मैं भी बाथरूम गया और वापस आकर उससे क्रीम मांगी, जो उसने दी और पूछा- ये किसलिए?
मैंने कहा- बताऊंगा अभी.

मैं उसको फिर से किस करने लगा.
वह भी साथ देने लगी.

तभी मैंने उसकी गांड में अपनी दो उंगलियां घुसा दीं और अन्दर बाहर करने लगा.
वह ‘आह … ओह …’ करने लगी.

तभी मैंने क्रीम लगाना शुरू कर दिया.
वह भी समझ गई- सब आज ही चाहिए तुम्हें?

मैं उसके बाल खींचते हुए बोला- चुप साली रण्डी … तेरा काम सिर्फ देना है समझी! चल तू लंड चूस.
मैं उससे लौड़े को चूसने के लिए कहा और वह झट से लंड चूसने लगी.

जैसे ही मेरा लंड कड़क हुआ, मैंने उसे बिस्तर पर झुका दिया और अपने लंड पर भी क्रीम लगाने लगा.

फिर उसकी गांड में घुसाने लगा.
दो बार तो लंड फिसल गया, फिर मैंने उसकी गांड को खोलते हुए कहा कि पकड़ इसे … साली रांड.

उसने अपने चूतड़ों को पकड़ा और छेद नुमायां होने लगा.
अबकी बार मैंने लंड सैट किया और एक ही झटके में पेल दिया.
लंड घुसता चला गया.

वह जोर से चीखने लगी पर मैंने बिना परवाह किए उसे पकड़े रखा.

फिर धीरे धीरे मैं आगे पीछे करने लगा.
जब थोड़ा आराम हुआ तो जोर से धक्का लगाया.
अबकी बार पूरा लंड अन्दर था और उसकी चीख भी तेज निकली थी.

तभी उसकी गांड पर दो चांटे मारे और वैसे ही उसे चोदने लगा.
अबकी बार जल्दी तो होना नहीं था.

वह ‘बस करो … और नहीं.’ बोल रही थी और हर बार मैं उसकी गांड पर चांटे मार रहा था.

फिर मैंने उसके बूब्स पकड़ लिए और जोर से दबाने व मसलने लगा.

अब वह भी मजे ले रही थी.
वह कहने लगी- हां ऐसे … ही चोदो अपनी रण्डी को आह और तेज … आह फाड़ … दो आज … मेरी गांड.

करीब आधा घंटा तक मैंने उसे ऐसे ही चोदा.
मेरे चांटों से उसकी गांड लाल हो गई थी.

अब मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.
तब तक कम्मो भी तीन बार झड़ चुकी थी.

मैं कुछ देर तक उसके साथ लेटा रहा. अचानक से बाहर की लाइट जली तो हम दोनों समझ गए कि अब पार्टी खत्म होने को है.
मैंने जल्दी से कपड़े पहने और वहां से निकल आया. ऐसे ही मनाई थी सुहागरात … समझी!

इसके बाद विपुल ने क्या किया हमारे साथ, वह मैं इस सेक्स कहानी के अगले भाग में बताऊंगी.
Xxx आंटी फक कहानी पर अपनी राय जरूर दें.
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Xxx आंटी फक कहानी का अगला भाग: पड़ोसी के लड़के ने मां बेटियाँ चोद दीं- 3

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