सम्भोग से आत्मदर्शन

यह मेरी पिछली कहानी गलतफहमी का ही आगे का भाग है, जिन पाठकों में वो कहानी नहीं पढ़ी, कृपया एक बार पढ़ लेवें, तभी आप लोगों को इस कहानी का पूरा आनंद मिल पायेगा।

सम्भोग से आत्मदर्शन-6

अब तक आपने इस कहानी में आपने पढ़ा कि मैंने तनु के साथ पहली बार सेक्स कर लिया था. अब उसकी मम्मी से बात कर रहा था. मैंने चुटकी लेते हुए कहा- तनु आपकी बेटी है आँटी जी, हर अदा हर कार्य में माहिर है। मैं तो उसे एक पल भी ना छोड़ूं! पर इलाज […]

सम्भोग से आत्मदर्शन-5

मैंने हल्का झटका दिया, इससे लिंग लगभग आधे से ज्यादा योनि में समा गया और अब तनु ने खुद अपनी कमर को आगे धकेल दिया और हाथ आगे बढ़ाकर मेरी कमर अपनी ओर खींच ली. सिस्स्स... की एक कामुक ध्वनि के साथ ही तनु की आँखें बंद हो गई और बंद आँखों के किनारे से गालों पर खुशी के मोती आँसू बन कर ढलक आये।

सम्भोग से आत्मदर्शन-4

मैंने पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और तनु ने अपनी ब्रा उतार दी। ब्रा और पेटीकोट उतरते ही मेरा खुद पर काबू कर पाना मुश्किल होने लगा, मैंने सीधे अब तक कामरस से भीग चुकी उसकी पेंटी के ऊपर, उसकी योनि की जगह पर अपना मुंह इस तरह लगा दिया जैसे मैं कुछ सूँघने का प्रयास कर रहा हूँ। क्योंकि जितना प्यारा कामरस होता है उतनी ही मधुर उसकी महक होती है।

सम्भोग से आत्मदर्शन-3

मैंने तनु को कहा- क्यों ना तुम और मैं छोटी और तुम्हारी माँ के सामने वासना का ये खेल खेलें! इससे छोटी का इलाज भी हो जायेगा और आँटी हमसे खुल जायेगी तो अपनी प्यास भी बुझा लेगी।

सम्भोग से आत्मदर्शन-2

तनु भाभी ने कभी अपनी माँ की खूबसूरती का जिक्र क्यों नहीं किया। यही सोच रहा था कि मुझे हँसी आ गई और मैंने अपने ही सर पे एक चपत लगाते हुए खुद से कहा 'पगले, कोई अपनी माँ के बारे में यह थोड़े ना कहता है कि वो कामुक है और तुम्हारे भोगने लायक है।'

सम्भोग से आत्मदर्शन-1

यह मेरी पिछली कहानी गलतफहमी का ही आगे का भाग है, जिन पाठकों में वो कहानी नहीं पढ़ी, कृपया एक बार पढ़ लेवें, तभी आप लोगों को इस कहानी का पूरा आनंद मिल पायेगा।

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