बुआ की नादान सेक्सी बेटी लड़की की चुदाई- 6

(Apni Behan Ko Choda)

हर्षद मोटे 2023-06-22 Comments

अपनी बेहन को चोदा मैंने … लेकिन मैंने उसी की जिद पर उसके साथ सेक्स किया. हम बाथरूम में नंगे साथ नहाये. उसने मेरे लंड से खूब मजा लिया.

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार. आप सभी का फिर से इस सेक्स कहानी में स्वागत है.

आप सभी मेरी इस दिलचस्प कहानी को आगे पढ़ने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, ऐसा आपकी ईमेल से मालूम हुआ.
फुफेरी बहन को सेक्स में मजा आने लगा
अब तक आपने पढ़ा था कि सोनी के साथ डॉगी पोजीशन में चुदाई करने के बाद हम दोनों ही बाथरूम जाकर एक दूसरे को नहलाकर नंगे ही बाहर आ गए थे और हॉल में सजे सोफे पर बैठकर बातें करने लगे.

अब आगे अपनी बेहन को चोदा मैंने:

सोनी बोली- मैं शर्बत बनाकर लाती हूँ भैया, बहुत प्यास भी लगी है.
मैंने कहा- हां सोनी, मुझे भी प्यास लगी है. मस्त ठंडा शर्बत बना कर ले आओ.

वह अपनी गांड मटकाती चली गयी.
मैं आराम से अपना सर सोफे पर पीछे टिका कर बैठा था.

मेरा लंड लंड दोनों जांघों के बीच सो रहा था.
मैंने अपने दोनों हाथ दोनों तरफ फैलाकर सोफे पर रखे थे.

दोपहर के साढ़े तीन बज चुके थे.

इतने में सोनी दो ग्लास शर्बत के लेकर आयी.
एक मेरे हाथ में देकर मेरे वह साथ ही सटकर बैठ गयी.

शर्बत पीते पीते हम दोनों बातें कर रहे थे.
सोनी- भैया, आज मैं बहुत खुश हूँ. तुमने मुझे कितनी खुशियां दी हैं. मेरी सहेली ने बताया था कि उसे इस खेल में बहुत मजा आता है. वह कहती थी कि तुम भी एक बार अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ मजे ले लो. तो मैंने उससे कहा था कि मुझे ये सब नहीं करना और ना ही मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड है. अब तुम ही मेरे ब्वॉयफ्रेंड हो भैया … और आज हमें वह मौका मिला है, जो हमने कभी एक दूसरे के साथ ये सब करने का जो सोचा नहीं था. आज मुझे पहली बार कितना मजा आ रहा है. हम दोनों इतने बड़े घर में नंगे घूम रहे हैं और मजे ले रहे हैं.
मैंने कहा- हां सोनी, लेकिन ये सब ठीक नहीं है. अगर हमें ऐसे किसी ने देख लिया या किसी को पता चले तो?

वह सुन कर कुछ नहीं बोली.

हम दोनों ने शर्बत पीकर खत्म कर दिया तो सोनी मेरे हाथ से ग्लास लेकर बोली- ऐसा कुछ नहीं होगा भैया … कौन बताएगा … मैं या तुम?
इस बार मैं चुप रहा.

वह ग्लास लेकर किचन में रखकर आयी और सीधे मेरे घुटनों के दोनों ओर पैर रख कर बैठ गयी.
फिर वह अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखकर मेरे होंठ चूमने लगी.

मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और मसलने लगा.
सोनी आहें भरने लगी.

मैंने पूछा- क्या हुआ सोनी?
सोनी- कुछ नहीं, मजा आ रहा है. ऐसे ही सहलाते रहो भैया.

मैंने कहा- ऐसे ही सहलाते रहा तो तेरे दूध बड़े हो जाएंगे सोनी, तुम्हें चलेगा!
सोनी खुश होकर बोली- हां चलेगा भैया. मेरी सहेली के तो मुझसे डबल हैं. आप मेरे भी बड़े कर दो. जब तक तुम यहां पर हो, बार बार इन्हें मसलते रहो भैया और मेरी सहेली की तरह बड़े कर दो.

मैं उसकी चूचियां मसलने लगा.

सोनी मेरे लंड की तरफ देखकर अपना एक हाथ उसपर रखते हुए बोली- भैया तुम्हारा लंड अभी सोया है, फिर कितना मोटा है और ऐसे में भी कम से कम छह इंच लंबा दिखता है. तुम्हारा इतना बडा कैसे है भैया?

ऐसे सवाल करते हुए वह मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैंने कहा- हर आदमी का अलग अलग साइज का होता है सोनी. किसी का चार इंच का तो किसी का पाँच, छह या इससे भी बड़ा होता है. लेकिन एक बात है … लंड छोटा या मोटा हो, पहली बार चूत में जाने के बाद लड़कियों को दर्द तो होता ही है.

‘अच्छा अब मैं समझ गयी. मेरे पापा का भी तुम्हारा सोया हुआ था ना … उतना ही है.’
मैंने पूछा- तुम्हें कैसे पता सोनी?

सोनी अब मेरे लंड को अपने दोनों हाथों में लेकर मसलने लगी और बोली- जब मैं उनके साथ सोती थी, तब मैंने बहुत बार चोरी छुपे देखा है. अब वह मुझे चार साल से अलग कमरे में सोने को कहने लगे हैं. मुझे एक अलग कमरा भी दे दिया है सोने को, तब से मैं अकेली सोती हूँ. लेकिन उस समय मुझे पता नहीं था कि वह क्या करते हैं. उन्हें जब लगता था कि मैं सो गयी हूँ, तो पापा उठकर अपनी अंडरवियर से लंड बाहर निकालकर मम्मी की साड़ी ऊपर करके बैठ जाते थे और उन पर चढ़ जाते थे.

‘फिर?’
‘फिर मुझे तो अभी मालूम हुआ कि वह चुदाई करते थे.’

तो मैंने कहा- इसलिए तो शादी करते हैं सोनी. शादी के बाद यही सब मजे लेने होते हैं. फिर चोरी छिपे करने की जरूरत नहीं पड़ती … समझी!

इधर सोनी ने मेरा लंड मसलकर जगा दिया.
मेरा लंड भी उसके हाथों में झूमने लगा था.

मैंने अपने दोनों घुटनों दोनों तरफ फैलाये तो सोनी की गांड की दरार बढ़ गयी.

मैं पीछे से अपने दोनों हाथों से उसकी गांड सहलाने लगा.
साथ में अपनी उंगलियां उसकी गांड के छेद और चूत पर फिराने लगा.

सोनी छटपटाने लगी और मेरे लंड को दबाती हुई बोली- बहुत मजा आ रहा है भैया … तुम कितने अच्छे हो. कितनी खुशियां दे रहे हो.
मैंने उसकी चूत में अब दो उंगलियां डाल दीं … तो उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो गयी थी.

उंगलियां अन्दर जाते ही वह बोली- ऐसे मत सताओ ना भैया. मेरे पूरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगती है.
मैंने कहा- अच्छा! और तुम मुझे सताती हो बार बार … तो मुझे कुछ नहीं होता?

सोनी- भैया, मुझे तुम्हारे लंड का स्पर्श होते ही चूत में खुजली होने लगती है. मन करता है कि इसे हमेशा अन्दर ही रखूँ.

इतना कहते हुए वह आगे को सरक आई और अपनी खुली चूत के मुँह पर मेरे तने हुए लंड का सुपारा रगड़ने लगी और आहें भरने लगी.

वह मेरा लंड चूत में लेने को तड़पने लगी थी.
उसकी तड़प, उसकी गीली चूत की गर्माहट से मेरा लंड चूत में घुसने को बेकरार हो गया था.

सोनी को मैंने घुटनों के बल आने को कहा तो वह मेरी दोनों बाजू में अपने घुटनों को रखकर अपनी चूत से मेरे लंड के सुपारे को रगड़ने लगी.

मैंने अपने हाथों से उसकी चूत को फैलाया तो उसी वक्त सोनी ने ऊपर से लंड पर दबाव डाल दिया.
मेरा आधा लंड चूत में घुस चुका था.

सोनी ने मादक सिसकारियां भरते हुए अपना सर मेरे कंधे पर रखकर मुझे कस लिया.
इस वजह से उसकी दोनों उभरी हुई चूचियों के बीच मेरा मुँह आ गया था.

पहले तो मैंने अपने सर से उसकी दोनों चूचियों को रगड़ा, फिर मुँह बाहर को निकाल कर बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को चूसने लगा.

सोनी मादक सिसकारियां लेती हुई अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी और पूरा लंड अपनी चूत में अन्दर ले रही थी.
अब मैं भी अपने दोनों हाथों से उसकी गांड पकड़ कर उसे ऊपर नीचे कर रहा था.
साथ में नीचे से अपनी गांड उठाकर जोर जोर से धक्के मार रहा था.

सोनी की चूत पूरी तरह से गर्म होकर चूत से चुतरस बह कर मेरी अंडगोटियां गीली करने लगा था.
उसकी चूत से मादक आवाजें भी निकल रही थीं.

हम दोनों भी कामवासना में मदहोश होकर अपनी दुनिया में सैर कर रहे थे.

बीस मिनट तक इस चुदाई से और इस नए आसन के अनुभव से वह उत्तेजित हो गई थी.
सोनी चुदास भाव से बोली- भैया, अब मेरा निकलने वाला है. तुम्हारा लंड तो अन्दर जाने के बाद और भी मोटा हो गया है, अब और नहीं सहा जाता मुझसे!

मैंने कहा- हां सोनी मेरा भी निकलने वाला है.

यह कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जांघों के नीचे डालकर कसकर पकड़ा और कहा- सोनी, अच्छी तरह से पकड़ लेना मुझे. अब मैं तुम्हें लेकर उठने वाला हूँ.

सोनी ने मुझे जोर से पकड़ लिया और मैं उसे लेकर खड़ा हो गया.
उसने अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया तो पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया था.
मेरी अंडगोटियां उसकी गांड के फूले हुए छेद पर रगड़ मार रही थीं.

मैं उसे हॉल में इसी पोजीशन में लेकर घूमने लगा.
उसे बेहद मजा आ रहा था.

सोनी ने खुशी से मेरे होंठों को चूम लिया और बोली- भैया, मुझे ऐसे लटक कर लंड लेने में बहुत ही मजा आ रहा है. कितनी खुशियां मिल रही मुझे … मैं बता नहीं सकती भैया. तुम्हारे चलते समय मैं तो अपने आप तुम्हारे लंड पर झूल जाती हूँ. तुम्हारा ये मूसल चूत में जड़ तक जाकर गुदगुदी कर रहा है.

मैंने कहा- हां सोनी, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है. तुम्हारी चूत ने मेरे लंड को पूरा गटक लिया है.

ये कहते हुए मैं अपने हाथों से उसकी गांड उठा उठाकर लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
सोनी के मुँह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थीं.

वह मादक भाव से बोली- भैया, अब मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने जोर से झटके मारते हुए कहा- मेरा भी निकलने वाला है सोनी … आह.
मैं उसको उठा उठा कर तेजी से ऊपर नीचे करने लगा.
हम दोनों चरमसीमा पर पहुंच कर साथ में झड़ गए.

हम दोनों ने एक दूसरे को जोर से अपनी बांहों में कस लिया था. हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं.
मेरा लंड वीर्य की गर्म पिचकारियां सोनी की चूत में भर रहा था.

सोनी मेरे लंड को अपनी चूत के रस से नहला रही थी.
हम दोनों का कामरस चूत से बाहर आकर मेरी अंडगोटियां को नहलाता हुआ दोनों जांघों से बहकर घुटनों तक पहुंच गया था.

मैं ऐसे ही चलते चलते बाथरूम में पहुंचा और सोनी को नीचे उतार कर खड़ा कर दिया.
मेरा लंड चूत से बाहर निकल आया.

लंड बाहर निकलते ही बचा हुआ कामरस चूत से बाहर आकर सोनी की जांघों पर बहने लगा था.

ये सब नजारा देखकर सोनी बहुत खुश हो गयी थी.
वह बोली- भैया, तुमने मुझे ढेर सारी खुशियां दी हैं. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.

फिर हम दोनों अच्छी तरह से एक दूसरे को नहलाकर बाहर आए.
ठंडा पानी पीकर हम बेडरूम में जाकर लेट गए.
हम दोनों काफी थक चुके थे.

शाम के पाँच बज चुके थे. हम दोनों नंगे ही लेटे थे.

इतने में सोनी अपने पेट के बल सोती हुई बोली- भैया, मेरे ऊपर सो जाओ ना, मुझे तुम्हारा नंगा गठीला बदन मेरे नंगे बदन पर महसूस करना है.
मैं झट से उसके ऊपर लेट गया था.

मेरा मुरझाया लंड उसकी गदराई और उभरी गांड की दरार में फँस चुका था. मेरा सीना उसकी पीठ पर सट गया था. मेरी जांघें उसकी जांघों पर, मेरे पैर उसके पैर पर और हाथ उसके हाथों से सट गए थे.

ऐसे ही हम आधा घंटा लेटे रहे थे.
हम दोनों छह बजे उठकर फ्रेश होकर अपने कपड़े पहनकर तैयार हो गए क्योंकि बुआ और फूफा जी किसी भी समय आ सकते थे.

सोनी हम दोनों के लिए चाय बनाने किचन में गयी.
मैं बाहर आंगन में कुर्सी डालकर बैठ गया.

थोड़ी ही देर में सोनी चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर खुद एक कुर्सी लेकर मेरे पास बैठ गयी.
हम दोनों ही बातें करते करते चाय का मजा ले रहे थे.

कुछ ही देर में अंधेरा छाने लगा था. थोड़ी ही देर में बुआ और फूफा जी आ गए.

थोड़ी देर वह दोनों भी हमारे साथ बैठकर बातें करने लगे.
फिर फूफा जी फ्रेश होने चले गए.

बुआ और सोनी खाना बनाने में जुट गईं.

जब खाना तैयार हो गया तो सोनी ने हमें बुलाया और सबके लिए खाना परोस दिया.
हम सबने मिलकर खाना खा लिया.

सोनी और बुआ सब बर्तन आदि बटोर कर किचन में ले गईं.
फूफा जी और मैं आंगन में इधर उधर की बातें कर रहे थे.

थोड़ी देर बाद वह दोनों भी काम निपटाकर आ गईं.

मैंने बुआ और फूफा जी से कहा- मैं और सोनी जरा गांव की ताजा हवा में घूम आते हैं.
तो बुआ बोलीं- हां जाओ, लेकिन ज्यादा दूर मत जाना. हम दोनों सो रहे हैं. सफर से थक गए हैं और सुबह तेरे फूफा को ऑफिस भी जाना है. तुम दोनों जाओ तो जाते समय गेट लॉक कर देना हर्षद और वापसी में खुद ही खोल कर आ जाना.

रात के सवा नौ बज रहे थे, तब हम दोनों बाहर आए.
हर तरफ सन्नाटा था.
छोटा सा गांव था. शायद दो सौ के करीब घर होंगे.
गांव में सभी लोग जल्द ही सो जाते हैं.

बुआ का घर गांव के आखिर में था. घर के पीछे खेत और पेड़ थे.

सोनी बोली- हम घर के पीछे ही घूमने चलेंगे.
मैंने ओके कह दिया.

बाहर सब तरफ अंधेरा छाया हुआ था, लेकिन चाँद की रोशनी से कुछ कुछ दिख रहा था.
घर से दूर आते ही सोनी मेरे कंधे पर हाथ डालकर चलने लगी.

वह चलती हुई बोली- भैया हम नदी पर जाएंगे तो बहुत मजा आएगा.
मैंने भी उसके कंधे पर हाथ डालकर चलते हुए कहा- जैसा तुम चाहो सोनी. थोड़ी दूर आते ही खेत खत्म हो गए थे.

वहां पर रास्ते के बाजू में हमें एक पुराना टूटा हुआ घर दिखाई दिया जिसके ऊपर कोई छत नहीं थी और दरवाजा भी नहीं था.
हम उसके सामने से ही गुजर रहे थे तो सोनी ने मुझे इशारे से कहा कि चुप रहना.

वह दबे पाँव चलती चलती उस घर के पिछवाड़े में गयी.
मैं भी उसके पीछे चला गया.

सोनी एक छोटी सी खिड़की से अन्दर झाँककर देखने लगी.
तो मेरी भी जिज्ञासा जाग रही थी कि वहां क्या है!

मैं जाकर सोनी के पीछे खड़े रहकर देखने लगा.
अन्दर एक आदमी औरत को नीचे लिटा कर चोद रहा था.

वह औरत आंखें बंद करके आहें भर रही थी.
उसकी दोनों टांगें हवा में उठी हुई थी और वह औरत अपनी गांड उठा उठा कर मस्ती से चुदवा रही थी.

वे हमें नहीं देख सकते थे.

सोनी की नजर हट नहीं रही थी.
वो सब देखकर हम दोनों गर्म होने लगे थे.

सोनी मेरे लंड पर अपनी गांड रगड़ने लगी थी.
मेरा लंड पूरा तनाव में आने से पहले ही मैंने सोनी को पीछे से उठा लिया और वहां से दूर ले जाकर उसे नीचे छोड़ दिया.

सोनी बोली- क्या हुआ भैया? मुझे और देखना था. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

हम चलते चलते नदी किनारे जाकर एक बड़े से पत्थर पर जाकर बैठ गए.
मैंने सोनी से कहा- ऐसा देखकर तुम्हें क्या मिलेगा? वह दोनों चोरी छुपे ये सब करते हैं. हम अपने घर में आराम से कर सकते हैं.

मेरी बात पर सोनी बोली- भैया, मैं इस औरत को जानती हूँ, लेकिन वह आदमी उसका पति नहीं था. उस औरत के दो बच्चे भी हैं, फिर भी वह ये सब क्यों कर रही थी?

मैंने कहा- शायद उसका पति उसे अच्छी तरह से खुश नहीं कर सकता होगा, तो ऐसी औरत को अपनी प्यास बुझाने के लिए पराए मर्द का सहारा लेना पड़ता है सोनी. तुम ये सब अभी नहीं समझोगी. जब तुम्हारी शादी होगी, तब तुम्हें सब पता चलेगा. अब चलो यहां से, घर चलते है.

हम दोनों ऐसे ही बातें करते हुए घर पहुंच गए.
बुआ और फूफा जी सो गए थे.

हम दोनों ऊपर अपने रूम में गए और अन्दर जाते ही सोनी ने अपने कपड़े निकाल दिए.
वह एकदम से नंगी हो गयी.

मैं अपने बदन पर अंडरवियर पहने हुए ही सोने लगा तो सोनी ने मेरी अंडरवियर निकाल दी और बोली- चलो अब उस आदमी की तरह मुझे भी पेलो भैया!

यह कहती हुई उसने मुझे पीछे से चिपका लिया और दोनों हाथों से मेरा लंड हिलाकर लोहे जैसे कड़क बना दिया.
उसने बेड पर अपनी दोनों टांगें हवा में फैलाकर मुझे बेड पर खींच लिया.

मैं उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया.
सोनी मेरा लंड पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी.

उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
जैसे ही सोनी ने मेरे लंड का गीला सुपारा आपनी गीली चूत के मुँह पर रखा, मैंने एक जोर से धक्का मारते हुए पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.

वह जोर से सिसकारियां लेती हुई कसमसाने लगी थी.
उसने मेरे दोनों गालों को नोचते हुए कहा- बहुत बेरहम हो भैया … तुमने इतनी जोर से धक्का मारकर पूरा डाल दिया. ऐसे कोई करता है क्या?
मैंने कहा- तुम ही बोली थी ना कि उस आदमी की तरह करो.

मैं उसकी दोनों चूचियां मसलते हुए बोला तो वह मेरी गांड और पीठ को सहलाती हुई बोली- उस आदमी का तुम्हारे जैसा मोटा और लंबा नहीं था भैया!
मैंने लंड अन्दर बाहर करते हुए कहा- अच्छा तो तुमने उसका साइज भी देख लिया!

तो सोनी झूठा गुस्सा दिखाती हुई मेरी गांड को थपथपाती हुई बोली- हटो भैया … कुछ भी बोलते हो तुम!

मैंने लंड से चूत में धक्के मारते हुए कहा- सोनी, उस औरत को तुम जानती हो ना? तुम उसके साथ मेरी पहचान करा दो ना.

मेरी बात पर सोनी बोली- क्यों?
मैं चुप रहा.

सोनी गांड उठाकर मेरा लंड चूत में लेती हुई बोली- अभी मुझसे दिल नहीं भरा है क्या?
तो मैंने कहा- ऐसा नहीं है सोनी, अगर मैं उसकी प्यास बुझा देता, तो वह भी हमेशा खुश रहेगी ना! मैं उसकी कुछ मदद कर दूँ … तो वह खुश होगी ना. जरा तुम उससे बात करो ना सोनी!

सोनी- मैं ऐसा काम नहीं करूंगी. पहले मेरे साथ करो, कल का कल देखा जाएगा. मेरे होते हुए उस गंदी औरत की चाहत रखते हो भैया? उसकी उम्र तो देखो!

ऐसी बातें करते करते मैं सोनी को जोर जोर से चोद रहा था.

बीस मिनट की धुआंधार चुदाई और चुदाई की बातें करते हुए हम दोनों जन्नत में सैर करने लगे थे और उसी वक्त हम दोनों एक साथ में झड़ने लगे थे.

हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस लिया था. हम दोनों भी थककर ऐसे ही सो गए.

ऐसा ही हमारा दिनक्रम जारी था. हर रोज अपनी बेहन को चोदा मैंने!
मैं आठ दिन बुआ के घर में रहा लेकिन सोनी ने एक दिन या एक रात बिना चुदाई के मुझे नहीं छोड़ा.

मुझसे चुदवाकर वह बहुत खुश थी.
उसमें काफी बदलाव भी आ चुका था.
सोनी ने मुझे आखिरी दिन तक नहीं छोड़ा था.

जिस दिन मैं निकलने वाला था, उस दिन सुबह जागने के बाद से ही उसने मुझे चुदाई करने को मजबूर किया था.

उसका रहन सहन, सजना, बोलना, हेअर स्टाईल … सबमें बदलाव सा आ गया था.

मेरे आने से सोनी में हुए बदलाव से बुआ और फूफा भी बहुत खुश थे. लेकिन मेरा मन मुझे खाए जा रहा था कि मैंने सोनी के साथ ये सब गलत किया.

अभी मैं महीने दो महीने में जाकर सोनी की चुदाई करता हूँ. हर दिन वह मेरे साथ बातें करती रहती है.

तो दोस्तो, सेक्स कहानी जिसमें अपनी बेहन को चोदा मैंने … यहीं समाप्त होती है. आप सभी को मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.
लाईक करना मत भूलना.
नमस्कार.
[email protected]

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