मुँहबोले देवर ने भाभी को रगड़ कर चोदा

(Devar Aur Bhabhi Ki Chudai)

देवर और भाभी की चुदाई का मजा लीजिये इस कहानी में! मेरे पति के गाँव से एक लड़का हमारे घर में रुका कुछ दिन के लिए! उसने मुझे कैसे चोदा गर्म करके!

यह कहानी सुनें.

आप सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.
मेरा नाम रश्मि है और मेरी उम्र 28 साल है. मैं एक हाउसवाइफ हूं. मेरा फिगर 32-30-38 का है.

अन्तर्वासना पर मेरी और भी कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं.
मेरी पिछली कहानी थी: दो मैच्योर मर्दों से एक साथ चुद गयी मैं

अपने बारे में मैं वहां बहुत कुछ बता चुकी हूं, इससे ज्यादा और मैं कुछ नहीं बताने लायक नहीं समझती हूँ.

आज मैं फिर आप लोगों को अपनी जिंदगी के एक नई देवर और भाभी की चुदाई से रूबरू कराने आई हूं.
मेरी जिंदगी एकदम आम सी चल रही थी जो एक हाउसवाइफ की हमेशा होती है.

मेरे हस्बैंड सुबह 10:00 बजे ऑफिस चले जाते हैं और रात को 9:00 बजे तक वापस आते हैं.
इस बीच में बिल्कुल अकेली होती थी.

एक दिन करीब 2:00 बजे मेरे हस्बैंड का ऑफिस से फोन आया.
उन्होंने मुझसे कहा- कुछ दिन के लिए अमित हमारे घर पर रहने के लिए आ रहा है, तो तुम इस बात का ध्यान रखना कि जब तक वो हमारे पास रहे, उसे किसी चीज की कमी महसूस ना हो. मैंने तुम्हें बस यही बताने के लिए फोन किया था.

मैंने कहा- ठीक है.
मैंने फोन रख दिया.

आइए अब मैं आपको अमित के बारे में बताती हूं.

अमित मेरे हस्बैंड के एक गांव का एक लड़का है जो रिश्ते में मेरा देवर लगता है. मेरा सगा देवर तो कोई नहीं है लेकिन वह गांव में मेरे पड़ोस का एक लड़का है.
उसकी और मेरी पहले बातें हो चुकी थीं.
उससे बातों की शुरुआत जब हुई थी, जब मैं पहली बार गांव गई थी. तभी से मैं उससे परिचित हुई थी.
उसके बाद एक दो बार फोन पर बात हुई थी.

अमित के आने की खबर सुनकर मैं सब कुछ छोड़कर घर का काम करने लगी.
मैंने घर की सारी साफ-सफाई की और अपना सब काम खत्म किया.

करीब शाम को 6:00 बजे घर की डोर बेल बजी.
मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने अमित ही था.

जब हमारी नजर से नजर मिली तो मैं मुस्कुरा दी और मैंने उसको अन्दर आने के लिए कहा.

चूंकि रिश्ते में उम्र में भी वह मुझसे छोटा था तो उसने मुझसे नमस्ते किया और अन्दर आ गया.

आज मुझे अमित कुछ बदला-बदला सा नजर आया.
जब मैंने उसको बहुत समय पहले देखा था.
आज देखा तो उसकी देहयष्टि काफी बदल चुकी थी.
वह एक हष्ट-पुष्ट बढ़िया तगड़ा मुंडा लग रहा था.

हम दोनों बैठकर बहुत सारी बातें करने लगे.

मैंने बातों ही बातों में ध्यान दिया कि अमित मेरे जिस्म को निहार रहा था.
शायद उसका मन मुझे अपनी बांहों में लेने का कर रहा था.

मैं उसके दिल के हावभाव अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन मैं सिर्फ मुस्कुराती रही.

फिर मैं उसके लिए चाय बना कर लाई और हमने साथ में बैठकर चाय पी.

अमित ने मुझे बताया कि वह यहां अपनी जॉब के लिए आया है. इसी शहर में वह जॉब ढूंढ रहा है. जैसे ही उसकी जॉब लग जाती है, वो यहां से शिफ्ट कर जाएगा.

मैंने भी उससे कहा- अमित, तुम आराम से यहां रहो. जब तुम्हें कोई अच्छी जॉब मिल जाए तब चले जाना.

अमित ने मुझसे कहा- भाभी मुझे नहाना है. मैं रास्ते में एकदम गंदा हो गया हूं.
मैंने उसको वॉशरूम दिखाया क्योंकि हमारे कमरे के साथ अटैच वॉशरूम नहीं है. पूरे घर का एक अलग ही वॉशरूम है.

अब तक घर में मैं और मेरे हस्बैंड ही थे लेकिन अब एक और व्यक्ति अमित आ गया था.

मैंने उसे उसका रूम उसे दिखा दिया.
मैंने उससे कहा- तुम चेंज करके आ जाओ, मैं टॉवल वगैरह वॉशरूम में रख देती हूं. फिर शॉवर ले लेना.

अमित अपने सारे कपड़े उतार कर टॉवल लपेट कर बाहर आ गया.
उसका जिस्म देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई.
मैं थोड़ा शर्मा भी रही थी.

वह वॉशरूम में चला गया.

फिर ऐसे ही हमारा समय कट गया और रात को मेरे हस्बैंड आ गए.
हम सबने साथ में बैठकर खाना खाया और अपने अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे.

मैं और मेरे हस्बैंड अपने रूम में चले गए और अमित अपने रूम में चला गया.

अगले दिन फिर मेरे हस्बैंड जॉब पर चले गए और अमित अपने इंटरव्यू देने के लिए चला गया.
लेकिन अमित दो-तीन घंटे बाद वापस आ गया.

मैंने उससे पूछा- क्या रहा?
तो उसने मुझसे कहा कि कंपनी वाले अभी बताएंगे.
मैंने उससे कहा- ठीक है.

करीब दो-तीन दिन तक ऐसा ही चलता रहा.

फिर एक दिन अमित ने मुझसे कहा- भाभी, चलिए कहीं घूम कर आते हैं.
मैंने उससे कहा- कहां जाओगे, तुम्हारे भैया आने वाले हैं?

उसने मुझसे कहा- नहीं, वह तो रात के 9:00 बजे तक आ पाएंगे. हम उससे पहले आ जाएंगे.
मैं भी तैयार हो गई और उसके साथ चली गई.

हम एक मॉल में चले गए.
वहां मुझे बहुत अच्छी एक ड्रेस दिखाई दी जिसको खरीदने का मेरा बहुत मन करने लगा लेकिन मेरे पास पैसे नहीं थे.

अमित मेरी आंखों ही आंखों में यह सब कुछ देख चुका था तो उसने मुझसे कहा- भाभी देखिए न … आपको ये ड्रेस अच्छी लग रही है क्या?
मैंने मुस्कुराकर कहा- हां, लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है.

उसने मुझसे कहा- भाभी आप क्यों चिंता करती हो. इतने पैसे तो मेरे पास हैं कि मैं यह ड्रेस तो आपको दिला ही सकता हूं.
हम दोनों ने मिलकर वह ड्रेस खरीद ली.

हमने वहां पर बहुत इंजॉय किया, दोनों ने साथ में मिलकर आइसक्रीम भी खाई.

फिर हमने ऑटो किया और घर आने लगे.

मैं रास्ते में बस यही सोचती रही कि यह इंसान अभी जॉब ढूंढ ही रहा है लेकिन इसने मुझे फिर भी अपनी मनपसंद ड्रेस दिला दी.

पूरे रास्ते उसके बारे में मुझे अलग-अलग ख्याल आते रहे.
मैं बार-बार उसके चेहरे की तरफ देखती … और जब मुझे लगता था कि वह मेरी तरफ देख रहा है तो मैं इधर-उधर देखने लगती.

रात को करीब मेरे हस्बैंड के आने से पहले हम घर पहुंच गए.

मैंने घर पर जाकर खाना बनाया.

खाना बनाते वक्त मैं सिर्फ अमित के बारे में ही सोच रही थी.
आज मेरे मन में उसके लिए इज्जत और बढ़ गई थी.
उसके लिए हमेशा से दिल में प्यार था … क्योंकि वह एक अच्छा लड़का था.

मैंने खाना वगैरह सब बना लिया और अपने हस्बैंड का वेट करने लगी.
लेकिन रात के करीब 9:30 बजे उनका फोन आया.
उन्होंने मुझसे कहा कि आज वे नहीं आएंगे, उन्हें कंपनी के काम से कहीं बाहर जाना पड़ रहा है.

मैंने उनसे कहा- ठीक है.
फोन रख दिया. ऐसा अक्सर होता था तो मैंने कोई ख़ास अलग महसूस नहीं किया.

अब मैंने और अमित ने खाना खाया और हम बातें करने लगे.

मैंने अमित से कहा- आज तुम्हारे भैया घर नहीं आ रहे हैं तो तुम एक काम करो, आज तुम मेरे साथ मेरे रूम में ही सो जाओ.
उसने मुझसे कहा- जैसी आपकी इच्छा भाभी.

हम दोनों रूम में सोने के लिए चले गए.
मैंने एक मस्त पारदर्शी नाइटी पहनी और रूम में नाइट बल्ब जला दिया.

कुछ देर तक मैंने अपने आपको शीशे में निहारा.
मैं एकदम अप्सरा सी लग रही थी.

अमित ने भी मुझे देखा और कहा- भाभी, आप बहुत प्यारी लग रही हो.

मैंने हंसकर कहा- अच्छा तो क्या इरादा है?
उसने भी मुस्कुरा कर कहा- नहीं, कोई इरादा नहीं है.

हम दोनों बेड पर सोने के लिए चले गए और बेड पर लेटे लेटे बातें करने लगे.

बातें करते-करते मैं कब सो गई, मुझे पता ही नहीं चला.

रात के करीब एक बजे मुझे महसूस हुआ कि मेरे पेट पर अमित का हाथ रखा है.

मैंने धीरे से अपनी आंखें खोलीं और देखा कि अमित मेरी तरफ मुँह करके लेटा हुआ था और उसका एक हाथ मेरे पेट पर रखा था.

यह देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने फिर अपनी आंखें बंद कर लीं.
लेकिन शायद कुछ सेकंड बाद ही अमित को यह अहसास हो गया था कि मैं जग गई हूं, तो उसने अपना हाथ मेरे पेट पर से हटा लिया.

मुझे यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा.
मैंने फिर से उसके हाथ को पकड़ा और उसको अपने पेट पर रख लिया. मैंने उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख लिया.

अमित के लिए यह शायद मेरी परमिशन थी कि जो उसने आज दिन में जो मेरे लिए किया था.
उसके बदले में मैं बस शायद उसे यही दे सकती थी.

हम दोनों फिर से सो गए और अगले दिन सुबह ही उठे.

दिन में सब कुछ वैसे ही सामान्य रहा, जैसा रोज रहता था.

शाम के टाइम मैं और अमित फिर से सब्जी वगैरह लेने मार्केट गए.
हमने फिर से बहुत इंजॉय किया.

उसके साथ बाहर घूमना पता नहीं मुझे क्यों अच्छा लगने लगा था.

अगले दिन फिर मेरे हस्बैंड का फोन भी आया और उन्होंने मुझसे कहा- अभी मुझे यहां टाइम लग रहा है. मैं दो-तीन दिन बाद वापस घर आऊंगा.
मैंने उनसे कहा- ठीक है, आप अपना काम खत्म कर लीजिए और जब आप फ्री हो जाओ, तब आ जाना.

अगली रात फिर से मैं और अमित घर पर अकेले थे.

सब कुछ काम खत्म करने के बाद रात को मैं और वह बिस्तर पर लेटे हुए बातें कर रहे थे.
मैंने बातों ही बातों में अमित का हाथ पकड़ा और उसको अपने पेट पर रख लिया.
आज शायद अमित भी थोड़ा आगे बढ़ने वाला था.

उसने अपनी जांघ को उठाकर मेरी जांघों पर रख दिया.
उसे मेरी तरफ से पूरी अनुमति मिल चुकी थी.

हमारे कमरे में सिर्फ बहुत हल्की सी रोशनी थी. पूरे घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था.

फिर उसने अपने हाथ मेरी जांघों पर फिराना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे करके मेरे बदन को अपने बदन के नीचे ले लिया.

मैंने भी अपनी आंखें बंद कर लीं.
शायद यह आखिरी मंजूरी थी जिसे अमित समझ गया कि मैं उसकी होना चाहती हूं.

उसने धीरे-धीरे करके मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मेरे बदन को अपने बदन के आगोश में ले लिया.

अब वह मेरे मम्मों को चूस रहा था.
मेरे सारे बदन पर किस कर रहा था.
मैं बस आंखें बंद करके सब कुछ महसूस कर रही थी.

फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला धीरे-धीरे करके मेरी चूत में डालने लगा.

धीरे-धीरे पूरा लंड चूत में चला गया और वह धीरे-धीरे करके मुझे चोदता रहा.
वह कभी अपना लंड पूरा बाहर निकाल लेता और कभी पूरा अन्दर डाल देता.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.

मेरे जिस्म को बहुत देर तक ऐसे ही चूमता और चोदता रहा, मेरे कान और मेरी गर्दन पर किस करता रहा, जिससे मैं बहुत जल्दी झड़ गई और मेरा सारा पानी निकल गया.

कुछ देर बाद अमित ने भी अपना सारा वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया.
उसे पहली रात इससे ज्यादा और कुछ नहीं हुआ और हम दोनों एक दूसरे से अलग होकर सो गए.

अगले दिन में बहुत शर्म सी महसूस कर रही थी लेकिन हम दोनों ने ऐसा ही व्यवहार किया जैसे हमारे बीच कुछ हुआ ही नहीं है.

अगले दिन दोपहर 12:00 बजे तक मैं अमित के पास नहीं गई क्योंकि मुझे अन्दर से अच्छा नहीं लग रहा था.

अमित मेरे पास आया और मेरा हाथ पकड़ कर बोला- मुझसे क्या गलती हुई है … बताइए. आपने आज एक बार भी मुझसे बात नहीं की.
मैंने उससे कहा- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.

उसने मुझसे कहा- नहीं, आप बताइए आपको क्या चाहिए. मैं आपको हर खुशी देने की कोशिश करूंगा.
मैंने उससे कहा- नहीं अमित, ऐसी कोई बात नहीं है. बस रात जो हुआ उसके बारे में सोच कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.

उसने मुझसे कहा- नहीं, हमारे बीच में जो हुआ है … वह सब ठीक हुआ है. ऐसा कोई भी काम, जिसे करने से खुशी मिलती हो … गलत नहीं है.
फिर उसने मुझे अपनी बांहों में उठाया और चूमने लगा.

मैंने उससे कहा भी- ये क्या कर रहे हो.
मगर वो मुझे रूम में ले आया.

मैंने दिन में अपने बदन पर साड़ी डाली हुई थी. वो साड़ी मेरे बदन से उतारने लगा.

यह कैसा इंसान था, मैं उसे ना भी नहीं कर पाई.
उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़ों को मेरे बदन से अलग कर दिया.

वह मेरे एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और नीचे किस करते हुए मेरी चूत तक चला गया.

वो मेरी चूत को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
मेरी चूत में उसने अन्दर तक जीभ डाल दी.

जब चूत पूरी गीली हो गई तो उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और बहुत तेज तेज धक्के लगा कर मुझे चोदने लगा.

उसने मुझे बहुत देर तक इसी पोजीशन में चोदा.
अब उसने मुझे अपनी घोड़ी बना लिया और मेरे बालों को पकड़कर मुझे घोड़ी बनाकर चोदने लगा.

आज वह मेरे जिस्म का जमकर मजा लेना चाहता था.
आनन्द तो मुझे भी आ रहा था.

फिर वह नीचे लेट गया और उसने मुझे अपने ऊपर बैठा लिया.
मैं उसके ऊपर राइडिंग करने लगी.
नीचे से वह मेरे मम्मों को चूस रहा था.

इसी पोजीशन में मेरा पानी निकल गया और मैं उसके ऊपर धक्के मारते हुए झड़ गई.
झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर थक कर लेट गई.

लेकिन अमित नहीं रुका.
उसने फिर से नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसने भी अपने लंड का सारा पानी मेरी चूत में निकाल दिया.

देवर और भाभी की चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ऐसे ही बेड पर एक दूसरे के पास लेटे रहे.

मैंने उससे कहा- तुम तो मेरे साथ बहुत ही जल्दी खुल गए.
उसने मुझसे कहा- भाभी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं और आपके लिए कुछ भी कर सकता हूं. मेरा ऐसा करना जरूरी था. वरना आप बहुत दिन बाद मेरे साथ नॉर्मल हो पातीं. अब आप मेरे साथ जल्दी नार्मल हो जाओगी, देखना आप.

इस तरह मेरी जिंदगी धीरे धीरे अमित के साथ ऐसे ही बीतने लगी.

हमारी जिंदगी में और भी बहुत सारे वाकिए हुए, जब हमने खूब मजेदार सेक्स किया और अपनी लाइफ को एंजॉय किया.

वह मैं आपको कभी फिर सुनाऊंगी.

दोस्तो यह मेरी और अमित की एक सच्ची सेक्स कहानी थी, आप लोगों कैसी लगी देवर और भाभी की चुदाई, मुझे ईमेल करके जरूर बताएं.
[email protected]

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