मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी -13
मैं पति से जानबूझ कर थोड़ा गुस्सा होकर बोली- मैं यहाँ चुदने आई थी.. पर यहाँ तो परिन्दा भी नहीं है, जो मेरी चुदाई कर सके.. शायद मेरी किस्मत में आज चुदाई लिखी ही नहीं है।
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मैं पति से जानबूझ कर थोड़ा गुस्सा होकर बोली- मैं यहाँ चुदने आई थी.. पर यहाँ तो परिन्दा भी नहीं है, जो मेरी चुदाई कर सके.. शायद मेरी किस्मत में आज चुदाई लिखी ही नहीं है।
मैं झूठा प्रतिरोध जो कर रही थी, बंद कर दिया लेकिन मैं शर्म के कारण जेठ का साथ नहीं दे पा रही थी, बस जिस्म को ढीला छोड़ दिया- मैं आपके छोटे भाई की बीवी हूँ।
मेरे प्यारे मित्रो.. क्या आप पैन्टी खोजने में मेरी मदद करोगे.. कि मेरी पैन्टी गई कहाँ.. पति ले गए कि कहीं छिपाकर गए हैं.. या फिर मेरे सोने के बाद जेठ जी आए और वो ले गए..
मेरे पति ने शराब के नशे में कार से एक लड़के को टक्कर मार दी। वो पुलिस वाले का लड़का था। हम छुड़ाने पहुँचे तो वो किसी तरह से छोड़ने को राजी नहीं था। लेकिन छुड़ाना तो था ही…
मैंने भाभी के सारे कपड़े उतार दिए। अब वो मेरे सामने बिलकुल नंगी थीं। मैंने कहा- जब आप चलती हो.. तो गाण्ड बहुत ही मस्त लगती है. प्लीज़ आप नंगी चल कर दिखाओ न..
मेरे भैया की शादी हुई। मैंने पहली बार भाभी की नाभि देखी और अब गाण्ड का आकार भी उभर कर दिख रहा था। मैंने सोच लिया कि भाभी को मैं जाल में फंसा कर ही रहूँगा..
मेरा हाथ मेरी पैन्टी के अन्दर चला गया और मेरी उंगली मेरी चूत में आगे-पीछे होने लगी। मैं एक हाथ से अपने चूचों को दबाने लगी। उधर मम्मी पापा का लण्ड चूस रही थीं
मैं तब अनचुदी कुंवारी चूत थी जब मैंने पापा को मम्मी की चूत चोदते हुए पहली बार देखा था. उनके कमरे से आती आवाजों ने मेरी उत्सुकता बढ़ाई तो मैंने अन्दर झांका.
शायद मेरे नसीब में मेरे परिवार के छेदों का ही सुख लिखा था। रिश्तों में चुदाई की कहानी आप को एक एक घटना बिल्कुल सत्य के आधार पर लिख रहा हूँ...
मैं बहुत गहरी नींद में सो रहा था.. तभी मुझे लगा कि कोई मेरे होंठों में अपने होंठ रखकर मेरे सीने से अपने सीने को रगड़ते हुए चूसने लगा। मैंने सोचा माया होगी…
इस कहानी को अगर आप दिल से अनुभव करें.. तो आपको भी इसमें आपके प्यार के झलक मिलेगी। उसका नाम श्री था.. और हम दोनों की एक क्लास में मुलाकात हुई थी। मैंने उससे एक पार्क में चलने को कहा.. फिर उसको मैंने अपने से चिपक कर बैठने को बोला।
माया मेरे लौड़े को सहलाते हुए उसे चूसने लगी और हम 69 अवस्था में हो गये… फ़िर चूत चोद कर माया को पूरा मज़े देने के बाद मैंने उसकी चूत में उंगली डाल कर गाण्ड भी मारी…
माया मेरी पीठ सहलाते हुए मेरे माथे को चूमे जा रही थी और जहाँ कुछ देर पहले 'अह्ह्ह ह्हह... फ्छ्झ.. पुच.. पुक..' की आवाजें आ रही थीं..
माया की चूत से बूँद-बूँद करके रस टपक रहा था। वो मेरे पीठ पर हाथ फेरते हुए मुझसे बोल रही थी- तुम्हारा ये गर्म एहसास मुझे बहुत पागल कर देता है.. मेरा खुद पर कोई कंट्रोल नहीं रहता और जब तुम मुझे इतना करीब से प्यार देते हो.. तो मेरा दिल करता है कि मैं तुम्हारे ही जिस्म में समा जाऊँ।
तो उन्होंने बिना बोले ही अपनी नाइटी उतार दी और मेरे गालों को चूमते हुए मेरे सीने तक आईं और फिर दोबारा ऊपर जाते हुए मेरी गरदन पर अपनी
जुबान को फेरते हुए धीरे से बोलीं- अब सोचना नहीं बल्कि करना है.. आज ऐसा चोदो कि मेरा ख़ुद पर काबू न रहे..
तभी एकाएक झटके से मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर आ कर उनके होंठों को चूसने लगा।
फिर मैं अपने आपको सम्हालते हुए अपनी जेब में हाथ डालकर लौड़े को सही करने लगा.. क्योंकि उस समय मैंने सिर्फ लोअर ही पहन रखा था। मैं जल्दबाज़ी में चड्डी पहनना ही भूल गया था.. तभी मैंने अपने लण्ड को एडजस्ट करते हुए ज्यों ही रूचि की ओर देखा.. तो उसके भी चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान छा चुकी थी.. शायद उसने भी मेरे उभार को महसूस कर लिया था।
उन दिनों मैं लखनऊ में बी टेक कर रहा था. दिवाली की छुट्टियों में मैं घर जा रहा था। मेरी इन्टरसिटी एक्सप्रेस छूट गई और मुझे पेसेन्जर से झान्सी जाना पड़ा। लेकिन कहते हैं ना खुदा जो करता है अच्छे के लिये करता है, मैं जिस सीट पर बैठा था कुछ देर बाद उसी सीट पर एक आन्टी और उनकी एक लड़की उसी सीट पर बैठे। कहानी पढ़ कर जान लीजिये कि क्या हुआ ट्रेन में उस रात...
मैंने बारहवीं की पढ़ाई के लिए स्कूल जाना शुरू किया था। स्कूल से आते समय एक घर की खिड़की में एक लड़की अक्सर बैठी दिखाई देती, कुछ ही दिनों में ऐसा लगने लगा कि वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा देती है। मुझे बहुत मज़ा आने लगा, यह हर रोज़ का काम हो गया, हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराते, हाथ से इशारा करते और मैं अपने घर आ जाता। एक दिन उसने खिड़की से नीचे एक कागज़ फेंका और अन्दर चली गई। कहानी पढ़ कर देखिये कि आगे क्या हुआ !
दोस्त की मम्मी माया के बाद उसकी बहन रूचि चूत चुदवाने को बेकरार थी… मैंने माया और रूचि से अलग अलग प्लान बनाया सबके साथ रहते हुए मज़ा करने का… उनके घर पहुँचने के बाद हम खा पीकर अन्ताक्षरी खेलने लगे... और फ़िर क्या हुआ… कहानी के इस भाग में पढ़िए..
दोस्त की मम्मी माया के बाद उसकी बहन रूचि चूत चुदवाने को बेकरार थी… मैंने माया और रूचि से अलग अलग प्लान बनाया सबके साथ रहते हुए मज़ा करने का… उनके घर पहुँचने के बाद क्या हुआ... कहानी के इस भाग में पढ़िए..
दोस्त की मम्मी को चोदने के बाद उसकी बहन चूत चुदवाने को बेकरार थी… मैंने माया और रूचि से अलग अलग प्लान बनाया सबके साथ रहते हुए मज़ा करने का… उनके घर पहुँचने के बाद क्या हुआ... कहानी के इस भाग में पढ़िए...