मेरी जिन्दगी की पहली चुदाई- 1

(Beautiful Girlfriend Romance Kahani)

अजय चौधरी 2023-05-22 Comments

ब्यूटीफुल गर्लफ्रेंड रोमांस कहानी में मेरे दोस्त की शादी में दोस्त की किसी रिश्तेदार लड़की से मेरी दोस्ती हो गयी. मैंने उसे प्रोपोज भी कर दिया पर वह कमसिन होने की वजह से डर रही थी.

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार!
मेरा नाम अजय है, मैं लखनऊ शहर का रहने वाला हूं.
मेरी लंबाई 5 फुट 6 इंच है रंग साफ़ और शरीर फिट है.

मेरा लिंग अच्छा लंबा और मोटा है जो किसी भी लड़की या औरत को खुश कर सकता है.

मैं अन्तर्वासना का बहुत ही पुराना पाठक रहा हूं. मैं स्कूल के दिनों से ही यहाँ कहानियां पढ़ता आ रहा हूं, मजे लेता रहा हूं.

फिर मेरे दिल में ख्याल आया कि क्यों ना मैं भी अपनी जिन्दगी के कुछ किस्से आप दोस्तों को बताऊं.

तो आप सबके बीच पेश है मेरी जिन्दगी की पहली चुदाई की सत्य घटना.
यह ब्यूटीफुल गर्लफ्रेंड रोमांस कहानी एकदम सच्ची है जो मेरे जीवन का पहला चरण था जब मैंने सेक्स का आनंद लिया।

लखनऊ से 100 किलोमीटर की दूर मेरा गाँव है जहां मैं छुट्टियों में घूमने जाया करता था.

बात 7 साल पहले की है जब मैं हमेशा की तरह लखनऊ से अपने गाँव गया था रहने!

मैं अपने परिवार के साथ और वहां जाकर दोस्तों से मिला.
सभी दोस्तों से काफी दिनों के बाद मुलाकात हो रही थी तो मैं बहुत ही खुश था.

मैं उन्हीं के साथ हमेशा दिन में भी, रात में भी घूमता रहता.
जो लोग गाँव गए हैं, उन्हें पता ही होगा कि गाँव में घूमने का असली मजा रात को ही आता है.
लेकिन गाँव में एक ही दिक्कत हमेशा रहती है कि वहां लाइट कभी भी चली जाती है और कभी भी आ जाती है जिसका कोई भरोसा नहीं है.

इसी परेशानी की वजह से गाँव के लोग अपने घरों में सौर ऊर्जा लगवाते हैं जिससे आंधी तूफान आने पर पेड़ गिरने पर जब लाइट के तार टूट जाती है तो उसे ठीक कराने में काफी दिन लगते हैं तो उस समय सौर ऊर्जा काफी मददगार साबित होता है।

क्योंकि गाँव में गर्मी बहुत होती है इसलिए गाँव के बच्चे नहरों में ज्यादातर नहाने जाते हैं.
मैं भी एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ दोपहर के समय नहर में नहाने गया.

वहाँ सभी दोस्त बात कर रहे थे, अपनी अपनी कहानियां बता रहे थे.

तभी एक दोस्त ने मुझसे पूछा जिसका नाम रवि था- यार अजय भाई, तुम इतने दिनों से शहर में रहते हो, वहां कोई गर्लफ्रेंड बनाई या नहीं? 
मैं- अरे नहीं भाई रवि, पढ़ाई से समय ही नहीं मिल पाता है. और तुम्हें तो पता है कि शहर में लड़की पटाने के लिए काफी समय देना पड़ता है तब कहीं जाकर लड़की मिलती है।

रवि- हाँ भाई बात तो सही है. तो तुम एक काम करो, यहीं गाँव में ही कोई पसंद कर लो और उसे पटा लो. तो जब भी तुम गाँव आओगे तो तुम्हारी चुदाई हो जाया करेगी। 
मैं- भाई बात तो तुम सही कह रहे हो. लेकिन मैंने अभी तक ऐसा कुछ किया नहीं है इसलिए मुझे डर लगता है. तुम ही कोई सेट करवा दो यार! 
रवि- ठीक है फिर… कुछ दिनों में असलम की शादी है. वहीं कोई पसंद करना, हम सब दोस्त तुम्हारी मदद करेंगे उसको पटाने में!

मैं- क्या असलम की शादी हो रही है?
मैंने सभी दोस्तों और असलम से जो हमारे साथ ही नहा रहा था उससे पूछा? 

आप सभी को असलम के बारे में बताता हूं.
असलम भी मेरा दोस्त है. वह अपने माता पिता की इकलौती संतान है. इस वजह से उसकी शादी जल्दी हो रही है.

तभी सबने बताया कि इसकी शादी इसके मामू की लड़की से हो रही है और कुछ दिनों में बारात जाएगी।

खैर मैं भी असलम की शादी के दिन का इंतजार करने लगा.
उसके घर से हमारे घर से अच्छे रिश्ते थे जिससे हमारे घरों में खाना पीना भी था। 

शादी का दिन आया.
मेरा इंतजार खात्म हुआ.
मैं भी बहुत उत्सुक था कि मेरे दोस्तों ने मेरे लिए गर्लफ्रेंड बनाने में मदद करने वाले थे.

मैं शादी में शामिल हुआ.
उनके घर पर बहुत से मेहमान आए थे और मेरे सभी दोस्त मिलकर उसके यहां काम में हाथ बटा रहे थे.

असलम ने मुझे रेलवे स्टेशन से आ रहे मेहमानों को घर तक लाने की जिम्मेदारी सौम्प दी.
तो मैं और मेरे दो दोस्त स्टेशन के लिए अपनी अपनी बाइक लेकर निकल गए.

रास्ते में मैं एक पान की दुकान पर रुक गया और सभी दोस्तों को पान मसाला खाने के लिए पूछा.
सभी ने पान लगवाया और खाया.

मैं सिगरेट भी पीता था जो मेरे दोस्त नहीं पीते थे.

तो मैं बोला- तुम लोग चलो. मैं अपनी सिगरेट खत्म करके आता हूं.

वे लोग स्टेशन पहुँच गए और उन्होंने जो मेहमान आए थे उनसे मिल लिए.

मेहमान असलम के पिता के दोस्त का परिवार था जो 4 लोग ही थे।

असलम के पिता जी के दोस्त और उनकी पत्नी और दो बच्चे जिनमें उनकी एक लड़की थी और एक लड़का।

मेरे एक दोस्त ने अपनी बाइक पर उनका सामान रखा और उनके बेटे को बिठाया और निकल लिया.

अब बचे थे 3 लोग अंकल आंटी और उनकी बेटी!

मैं थोड़ा देर से पहुँचा और पहुँचने के साथ उनको सलाम किया.
उन्होंने भी जवाब में सलाम किया और मेरा नाम पूछा.

तो मैंने अपना बताया जिसके जवाब में उन्होंने बड़े ही उत्साह से बोला- मैं तुम्हारे पिता जी को जानता हूं. तुम विकास चौधरी के बेटे हो ना जो लखनऊ में रहते हैं.
मैंने जवाब में हाँ बोला और हंसने लगा.

तभी मेरा दोस्त बोला- भाई जल्दी करो, घर पर और भी काम है.
तो अंकल बोले- तुम मेरी बेटी को लेकर घर जाओ. मुझे और तुम्हारी आंटी को पहले बाजार जाना है, कुछ खरीदना है.

मैं वहां बहुत कम रहता था इसलिए उन्होंने मेरे दोस्त को साथ ले जाने को बोला.
तो मैंने उनकी लड़की जिसका नाम साराह था उसको बैठाया और घर की तरफ चल दिया।

मैं आपको साराह के बारे में बता दूँ.
साराह बहुत ही खूबसूरत और तहजीब से भरी हुई लड़की है जो अभी हाई स्कूल में थी और बहुत ही सुंदर दिख रही थी.
उसने काले रंग का सूट पहना हुआ था जिसके ऊपर उसने हिजाब लगाया हुआ था और सिर्फ उसकी आँखें ही दिख रही थी.

लेकिन दोस्तो, कसम से बताऊं तो वह बहुत ही सुन्दर थी.
साराह इतनी गोरी थी कि दूध भी उसके सामने फीका पड़ रहा था.
मैंने उसके हाथों को देखा था.

और उसका फिगर 30 28 32 था जो मैंने बाद में जाना।

मैं साराह को लेकर घर आ रहा था.
तो रास्ते में मैंने उससे बात करने की सोची.

मैंने उससे पूछा- सारा, आप यहां पहली बार आई है? 
सारा- जी, मैं पहली बार आई हूं. मुझे काफी शौक था कि गाँव की शादी देखून. इसलिए मैंने अब्बा से जिद करके यहां आने को बोला।

मैं- वैसे आपका घर कहाँ है?
सारा- जी मेरा घर कानपुर में है जो लखनऊ के पास है. लेकिन मैं अपने मामा जी के साथ रहती हूं जो दिल्ली में रहते हैं. मैं यहां स्कूल की छुट्टियों में घूमने आई हूं।

मेरे दिल में तो मानो खुशी की लहर जग गयी कि इसकी तो अपने जैसे ही जिंदगी है.
फिर मैं बोला- साराह जी, मैं भी लखनऊ में रहता हूं और यहां मैं अपनी छुट्टियों में घूमने आया हूं.

इस पर उसने मुझे ज़ोर की एक चुटकी काटी और बोली- सेम पिन्च!

उसके अचानक चुटकी काटने से मेरा बाइक पर थोड़ा बैलेंस बिगड़ गया लेकिन मैंने सम्भाल लिया और थोड़ा गुस्से में बोला- ये क्या कर रही हो?
तो उसने सॉरी बोलते हुए बोला- अगर हम अपने दोस्तों के साथ एक साथ एक जैसा काम करते हैं तो ऐसे उसको विश करते हैं.

मैं हंस पड़ा.

मेरे हंसने पर उसने पूछा- अजय जी, आप क्यों हंस रहे है मेरा मज़ाक उड़ा रहे हैं? 
मैं हँसते हुए बोला- आप बोल रही हो कि आप अपने दोस्तों के साथ ऐसा करती हो. लेकिन मैं तो आपके लिए अनजान हूं।
इस पर उसने सॉरी बोलते हुए बोला- जी जी मैं भूल गयी थी.

फिर मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उससे पूछा- सारा, क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगी? 
सारा- आप मुझसे सिर्फ दोस्ती करना चाहते है या अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहते हैं?

उसके इस जवाब से मैं अचंभित नहीं था क्योंकि वह दिल्ली में रहती थी तो उसके लिए यह बहुत ही सामान्य बात थी.
लेकिन मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे और मैंने अपने आप को संभालते हुए कहा- आप जो बनना चाहें, वो बन सकती हैं. मुझे ऐतराज नहीं है. लेकिन अगर आप मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी तो मुझे ज्यादा खुसही होगी क्योंकि मैंने अभी तक किसी लड़की से दोस्ती नहीं की है.

मैं समझदारी दिखाते हुए बोला क्योंकि मेरी एक भी गलती उससे दूर कर सकती थी.
और अभी तक मुझे साराह इतनी पसंद आ गयी थी कि मैं चाहता था कि यही मेरी गर्लफ्रेंड बने.

फिर उसने बोला- ठीक है, मैं सोच कर बताऊँगी।

उसके बाद मैं घर आ गया और उसको असलम के घर पर उतार दिया और बाकी कामों के लिए असलम से पूछा.

तो उसने बताया- भाई मुझे तुम्हारी मदद चाहिए जो तुम ही कर सकते हो. प्लीज भाई, मना मत करना. तुम्हारी बहुत मेहरबानी होगी.
मैं उसको डांट लगाते हुए बोला- अबे साले, तू मेरा दोस्त है और तेरी शादी है. तू सिर्फ हुकुम कर कि क्या चाहिए तुझे?
तो वह बोला- अंदर चल, बताता हूं.

जैसे ही मैं अंदर गया तो देखा कि साराह ने अपना हिजाब निकाल दिया था.

और मैं उसको देखता ही रह गया.
मैंने अपने जीवन में उससे सुन्दर लड़की नहीं देखी थी.
मैं उसको देखता रहा और सपनों में खो गया कि क्या सच में ये एक लड़की है.

तभी असलम मुझे टपली मारते हुए बोला- अबे जो सुनने आया है, सुनेगा या साराह को घूरता रहेगा?
साराह अपना नाम सुनते ही मुझे देखने के लिए मुड़ी ही थी, तब तक मैं असलम के साथ चलते चलते बोला- अबे, यह लड़की है या बवाल है।

उसने पूछा- मतलब? तुम कहना क्या चाहते हो?
मैंने कहा- अबे, कितनी खूबसूरत है यार ये!
इस पर वह बोला- यह बात तो है यार! अगर मुझे पहले पता होता तो मैं इससे ही शादी करता!
असलम मुझको चिढ़ाते हुए बोला.

मैंने उसको टपली मारते हुए कहा- बकवास बंद कर …वह मेरी गर्लफ्रेंड है. उसके बारे में मत सोचना. जो तू बोलने आया था वो बोल!
इस पर असलम बोला- अबे तू अभी अभी उससे मिला और वह तेरी गर्लफ्रेंड भी बन गयी?
मैंने कहा- हाँ!

उसने पूछा- कैसे?
मैंने कहा- बाद में बताऊँगा. पहले तुम्हारी समस्या का समाधान निकाला जाए!

तो वह बोला- भाई, यहां कोई वीआईपी गाड़ी नहीं है और अब्बा ने सामान्य कार ही बुक करवायी है मेरे लिए!
मैंने कहा- मुझे क्या करना है ये बता?
तो उसने कहा- भाई, मेरे लिए कोई वीआईपी गाड़ी का जुगाड़ कर दे. तेरे पापा के पास तो बहुत सी होंगी।

मैं अपने पापा के बारे में बता दूँ.
मेरे पापा का नाम विकास चौधरी है और उनका टेक्सी और वीआईपी गाड़ियों का बिजनेस है. जैसे जिसको जरूरत होती है, वैसे उसको सर्विस देते हैं।

मैंने अपने दोस्त को बोला- बस इतनी छोटी सी बात के लिए तू इतनी मिन्नतें कर रहा था?
तो असलम बोला- हाँ भाई जुगाड़ हो जाएगा?
मैंने कहा- बिल्कुल!

वह बोला- सुबह बारात है. पक्का बोल रहे हो? दिल तो नहीं तोड़ोगे?
मैंने कहा- भाई रुक, तेरे सामने अभी फोन करके बोलता हूं.

तो मैंने उससे पूछा कौन सी गाड़ी चाहिए.
उसने बोला- कोई भी चलेगी, बस अच्छी हो और वीआईपी भी!

तब मेरे ध्यान में आया कि मेरे दोस्त के पास फॉर्च्यूनर आई थी अभी जल्दी ही!

मैं बोला- फॉर्च्यूनर चलेगी भाई?
तो उसने कहा- दौड़ेगी!

उस समय फॉर्च्यूनर गाड़ी की बहुत मांग थी. अभी तो सामन्य गाड़ी हो गयी है.

तभी असलम को किसी ने आवाज लगायी तो उसने मुझसे कहा- भाई तुम गाड़ी का जुगाड़ करो, मैं अभी आता हूं।

मैंने अपने दोस्त को लखनऊ फोन लगाया और उससे गाड़ी यहां भेजने को बोला.
उसने तुरंत हा बोला और बोला- रात तक गाड़ी आ जाएगी.

मैंने भी उसको बोला- गाड़ी कुछ दिन यहीं रहेगी.
इस पर उसने बोला- भाई, आपकी गाड़ी है. जब मर्जी हो, तब भेजना. बस ड्राइवर को भेज देना!
मैंने भी हँसते हुए हाँ बोल दिया।

मैंने फोन काटा ही था किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा.
जब मैं घूमा तो देखा साराह खड़ी थी.

उसने कहा- तुमने असलम से झूठ क्यों बोला कि मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं?
मैंने भी आँख मारते हुए कहा- आज नहीं तो कल बन ही जाओगी.
“इतनी जल्दी क्या है?” उसने हँसते हुए कहा.

फिर वह बोली- मैं लड़की नहीं बवाल हूं.
मैंने कहा- तुमको किसने बोला?
उसने कहा- अभी अभी तो थोड़ी देर पहले तुमने ही बोला था. तब से मैं तुम दोनों की बातें सुन रही थी.

तब मैंने उसकी तारीफ करते हुए कहा- यार, तुम सच में बहुत सुन्दर हो.
इस पर वह हंसी और हंसकर चली गयी।

सुबह सभी लोग बारात की तैयारी में लगे हुए थे और मैं साराह को ढूढने में लगा था.

तभी दूल्हे के साथ वह भी बाहर आई.
गोरे बदन पर गुलाबी रंग का लहंगा पहना हुआ था … बिल्कुल गुलाब का फूल लग रही थी.

वह असलम के साथ बैठ गयी.
जो गाड़ी मैंने बुलायी थी उसमें ही असलम बैठा था.

बैठने के बाद असलम मुझे बुला कर बोला- यार अजय भाई, तुम भी मेरे साथ चलो. मेरा मतलब है कि गाड़ी तुम ही चलाओ.

तभी उसकी बात को काटते हुए साराह ने कहा- हाँ बिल्कुल. गाड़ी अपने बुलायी है और आप असलम के इतने खास दोस्त है तो आप ही चलायें तो बेहतर रहेगा.

मेरे मन को यह बात पसंद आई कि कहीं ना कहीं साराह भी मुझे पसंद कर रही है.

तभी मैंने ड्राइवर को बोला- भाई, आप सवारी करके लखनऊ वापस चले जाओ और अभिषेक भाई को बोलना गाड़ी एक महीने बाद मैं ही लेकर आऊंगा.

मेरी बात सुनकर ड्राइवर चला गया।

असलम बोला- अबे साले, गाड़ी एक महीने तक यही रहेगी तो खर्चा ज्यादा हो जाएगा.
मैंने कहा- दोस्तों के लिए कुछ भी कर सकता हूं.

तभी असलम बोला- मुझे तो सिर्फ आज के लिए ही चाहिए!
तभी मैंने असलम की बात काटते हुए कहा- अब जब तक साराह यहां रहेगी, गाड़ी भी यहीं रहेगी.

इस पर सभी चुप हो गए.
सायद मैंने जोश जोश में कुछ ज्यादा बोल दिया।

खैर हम लोग बारात गए.
असलम भाई का निकाह हुआ, सबने खाना खाया और जो शादी के रिवाज होते हैं, वे भी हुए.

फिर हम दुल्हन लेकर घर आए.
उधर से आते समय साराह मेरे बगल बैठी थी क्योंकि असलम अपनी दुल्हन के साथ बीच में बैठा था.

और उसका मैंने फायदा उठाया, गियर बदलने के बहाने मैं बार बार साराह के हाथों को भी छू रहा था जिसका साराह कोई विरोध नहीं कर रही थी.
मतलब उसकी तरफ से हारी झंडी थी.
मैं अब और भी खुश था।

शाम होते ही काफी मेहमान अपने अपने घर चले गए थे.
सिर्फ कुछ ही लोग बचे थे.

तभी मुझे पता चला कि मेरे माता पिता भी लखनऊ निकल गए. शायद उन्हें कोई काम आ गया था.

मैं घर पर अकेला था तो असलम बोला- अजय, तुम मेरे घर पर ही सो जाओ. वैसे भी अब कोई नहीं है यहां … बस कुछ लोग ही हैं.

मेरे लिए तो बहुत ही अच्छा मौका था.

मैंने छत पर सोने का इंतजाम किया और रात को करीब 1 बजे मेरी नींद खुली.
तो मैंने देखा कि साराह घर के आंगन में टहल रही है.
शायद उसे नींद नहीं आ रही थी

मैंने उससे पानी मांगा.
तो वह एक पानी का जग लेकर छत पर आई.

मैंने पानी पिया और उससे जागने की वजह पूछी.
तो उसने बताया कि उसको नींद नहीं आ रही है.

तभी मैंने पूछा- साराह तुमने कुछ बताया नहीं?
तो उसने पूछा- क्या?

मैंने कहा- मेरी गर्लफ्रेंड बनोगे?
तो उसने हंसते हुए कहा- मैंने कभी पढ़ाई के अलावा किसी और चीज़ पर ध्यान नहीं दिया है. यह पहली बार है मेरा … इसलिए मैं थोड़ा डर रही हूं!
मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और उसको बैठने को बोला.
वह मेरे साथ बैठ गयी।

मैंने उसको समझाया- मेरा भी यह पहली बार है कि मैं किसी लड़की से दोस्ती के लिये बोल रहा हूं.

और फिर हम बातें करने लगे.
तभी उसने बहुत ना नुकर के बाद हाँ बोल ही दिया.
फिर मैंने उसको धीरे से एक माथे पर किस किया.

वह मुझसे अलग हो गयी और उठ कर खड़ी हो गयी.
जिस पर मैंने उसको बताया- तुम डरना नहीं, तुम जब तक हाँ नहीं करोगी, मैं कुछ नहीं करूंगा.

इस बात पर उसको उसको थोड़ा अच्छा लगा.

फिर थोड़ी देर बाद वह नीचे चली गयी.

मैंने अपनी आँखें बंद की और उसको सोच कर मूठ मारी और फिर सो गया।

प्रिय दोस्तो, अभी तक की ब्यूटीफुल गर्लफ्रेंड रोमांस कहानी आपको कैसी लगी?
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ब्यूटीफुल गर्लफ्रेंड रोमांस कहानी का अगला भाग: मेरी जिन्दगी की पहली चुदाई- 2

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