सीधी सादी लड़की ने भरे जिन्दगी में नए रंग- 2

(First Kiss With Desi Girl)

सनी वर्मा 2024-04-19 Comments

फर्स्ट किस विद देसी गर्ल की कहानी में एक इंजिनीयर लड़के को उसके यहाँ काम करने वाली एक युवा लड़की पसंद आ गयी. लड़की भी अपने साहब को पसंद करने लगी.

कहानी के पहले भाग
किस्मत की मारी लड़की की कहानी
में आपने पढ़ा कि एक इंजिनियर लड़का अपनी नई जॉब पर असम गया तो वहां कम्पनी कि और से मिले घर की देखभाल एक आदमी और एक लड़की करती थी.

अब आगे फर्स्ट किस विद देसी गर्ल की कहानी:

हर्ष को नींद नहीं आ रही थी.
वह 10 बजे करीब ऐसे ही सिगरेट पीता हुआ, बाहर खुले में टहल रहा था.

जब वह रामू के क्वार्टर के पास से निकला तो उसे दीपा की आवाज़ सुनाई दी.
वह रामू को झिड़क रही थी रोज पीने के लिए.

पत्तों की खड़खड़ाहट से आवाज हुई तो दीपा ने खिड़की खोल कर बाहर झाँका.
हर्ष को टहलते देख कर पूछा- साहब कोई काम हो तो मैं आती हूँ.
कहती हुई वह एक चादर डाल कर बाहर आ ही गयी.

हर्ष उसे देखता रह गया.
उसने शायद कोई फ्रॉक सी पहनी होगी क्योंकि चादर के नीचे उसकी गोरी चिकनी टांगें और बांहें चमक रही थी.

हर्ष ने अपनी नजर हटाई और पूछा- रामू सो गया?
दीपा गुस्से में बोली- शायद आपने उसे कुछ रूपये दे दिए होंगे. तो आज तो ज्यादा पी है. खाना भी नहीं खाया.
हर्ष बोला- कल इसे टाइट करूँगा. अब तुम सो जाओ. मुझे नींद नहीं आ रही तो टहल रहा था.

दीपा बोली- कॉफ़ी बना देती हूँ. फिटी रखी है. बस कपड़े बदलकर आती हूँ.

हर्ष का मन बेईमान हो रहा था.
उसने धीरे से कहा- कपड़े बदलने की क्या जरूरत. मुझे कोई दिक्कत नहीं है, तुम ऐसे ही बना दो.
दीपा क्वार्टर का किवाड़ भिड़ा कर आ गयी और कॉफ़ी बनाने लगी.

हर्ष ने सिगरेट बुझा दी तो वह बोली- अंकल सिगरेट बहुत पीते थे. उनके साथ आंटी भी पीने लगी थीं. तो मुझे तो आदत सी पड़ गयी है सिगरेट के धुंए की.

तब हर्ष ने हंस कर पूछा- तुमने भी पी है कभी?
दीपा मुस्कुराती हुई शरमा कर बोली- हाँ साहब आंटी के साथ पी है. अंकल से छिपाकर. आंटी अंकल बहुत रोमांटिक और शौक़ीन थे. आंटी खूब बनठन के मेंटेन रहती. तो उन्होंने मुझको भी उन्होंने अच्छे से रहना, पहनना, ओढ़ना और तहजीब सिखा दी.

हर्ष ने उससे कह दिया कि वह अपने लिए भी कॉफ़ी बना ले.

दीपा की चादर उलझ रही थी तो हर्ष ने उससे कहा- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम चाहो तो चादर हटा कर आराम से बना लो कॉफ़ी. मैं रूम में हूँ.

हर्ष रूम में चला गया तो दीपा ने चादर हटा दी.

तब हर्ष ने किसी बहाने से उधर झंका तो दीपा किसी कमसिन स्कूल की लड़की जैसी लग रही थी.
उसने प्रिंटेड फ्रॉक ही पहनी थी.

दूधिया रंग था उसका!

हर्ष का मन डोल गया पर उसने अपने मन को समझाया कि यह गलत है.
दीपा उसे कॉफ़ी देने आई तो चादर लपेटी हुई थी.

हर्ष ने उससे पूछा- तुम्हारी कॉफ़ी कहाँ है?
दीपा सकुचाती हुई बोली- साहब, आपके सामने कॉफ़ी पीती अच्छी लगूंगी क्या?

तब हर्ष ने कहा- तुम यहाँ उसी अधिकार से रहो जैसे अंकल आंटी के पास रहती थी. जाओ ले आओ.

दीपा किचन से अपनी कॉफ़ी उठा लायी और नीचे बैठ आकर पीने लगी.
हर्ष के कहने पर उसने चादर भी हटा दी.

तब हर्ष ने उससे कहा- अब तुम वैसे ही अच्छे से रहो जैसे अंकल के पास रहती थी.

दीपा खुश थी.

इसी तरह 10-15 दिन निकल गए.

अब हर्ष ने काम पर पकड़ बना ली थी. उसे मालूम पड़ चुका था कि पिछले इंजीनियर ने काफी गड़बड़ की है यहाँ पर … और चोरी में रामू का भी हाथ था.

उसने रामू को धमकाया तो उसने पैर पकड़ लिए कि अबकी माफ़ी दे दी जाए, आगे वह कोई ऐसा काम नहीं करेगा.

हर्ष ने उसे कागजात दिखाए जिसमें सबूत था कि रामू ने चोरी की है.
वह तो उसे पुलिस में देना चाहता था पर रामू ने रो धोकर अपनी जान बचाई.

कुछ हर्ष दीपा के अपनेपन से खुश था तो उसने रामू को बक्श दिया पर कह दिया कि आगे कभी गड़बड़ की तो इन्हीं सबूतों के आधार पर वह उसे जेल भिजवा देगा.
रामू के लिए तो हर्ष अब भगवान् हो गया था.

कुछ दिन ऐसे ही निकलते गए.

एक दिन हर्ष की आँख खुली तो देखा दीपा सफाई कर चुकी है और उसे उठा देख कर उसने विश किया और चाय पूछ कर बना लायी.

हर्ष बाहर लॉन में बैठ गया.

रामू वहीं सफाई कर रहा था.
दीपा उसे चाय पकड़ाती हुई बोली- साहब अब होटल का खाना मत मंगाइए. मैं बहुत बढ़िया खाना बनाकर भेज दिया करुँगी.

हर्ष ने हँसते हुए रामू से कहा- तुम्हें इतनी अच्छी बीवी कहाँ से मिली?
रामू ने आदतानुसार दांत निपोर दिए.

हर्ष ने उससे कहा- अब तुम शराब छोड़ दो वर्ना नौकरी ख़त्म! मैं दीपा को रख लूँगा तुम्हारी जगह. फिर तुम घर का चौका बर्तन करना.
दीपा हंस पड़ी.

हर्ष ने रामू से कहा- तुम रोज़ सुबह मुझसे पहले जाकर ऑफिस साफ़ कर लिया करो. जब मुकेश आ जाए, तब वापिस आ सकते हो.
रामू बोला- मैं तो बस अभी चला जाउंगा, फिर दोपहर को आऊंगा, अपना खाना खाकर और आपका लेकर आ जाऊंगा. फिर वापिस आ जाऊंगा.

रामू थोड़ी देर में चला गया.

दीपा ने उससे नाश्ते में क्या बनाना है, पूछा.
हर्ष ने उससे कहा- तुम नहा धो लो. मैं दस बजे ऑफिस जाऊंगा. तभी नाश्ता लूँगा. खाना 3 बजे करीब खाया करूंगा.

दीपा जाने लगी तो हर्ष ने कहा- बाथरूम यूज़ कर लेना, मुझे कोई आपत्ति नहीं है.

बाथरूम का एक दरवाजा कमरे से था, एक बाहर बरामदे से.

हर्ष कमरे में जाकर दोबारा लेट गया.

थोड़ी देर में बाथरूम में आहट हुई.
दीपा नहाने आ गयी थी.

हर्ष के कमरे की लाईट बंद थी.
उसे बाथरूम की किवाड़ से एक झिरी से रोशनी आती दिखाई दी.
हर्ष का मन डोल रहा था.

वह दबे पाँव उठा और झिरी से झांका.
अंदर दीपा नग्न खड़ी नहा रही थी.
उसका दूधिया जिस्म चमक रहा था. उसका बदन कसा हुआ था और निप्पल तने हुए.

हर्ष का खड़ा हो गया.
उसका मन किया किन दीपा से किवाड़ खुलवा ले और दबोच ले उसे!

पर उसके संस्कारों ने उसे ऐसा नहीं करने दिया.
वह चाहता था कि पहल दीपा ही करे.

अचानक उसने देखा कि दीपा अपनी चूत रगड़ रही थी.
उसने अपनी उंगली चूत में कर रखी थी अंदर और चेहरे के भाव बता रहे थे उसके अंदर उठते उबाल को!

हर्ष और नजदीक हुआ किवाड़ के … तो टकरा गया.
अंदर से दीपा की आवाज आई- साहब, बस निकल रही हूँ.

हर्ष किवाड़ से दूर हटा और दबे पाँव वापिस बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गया.
दीपा कपड़े पहन कर अपने गीले बालों में तौलिया लपेटे उसके कमरे में आई और देखा कि वह तो सो रहा है.

उसकी आहट सुन कर जगे हुए हर्ष ने ऐसा दिखाया कि उसकी आँख अभी खुली है.

उसने दीपा को देखा और कहा- मैं कसरत करने जा रहा हूँ, उसके बाद मेरे लिए जूस निकाल देना.

दीपा ने बिना बाँहों का सूट ड़ाला हुआ था.
अब हर्ष की निगाहें उसके लिए बदल गयी थीं.

दीपा ने मुस्कुरा कर कहा- आप कसरत करते हैं इसीलिए इतनी मजबूत काठी है.
हर्ष ने मुस्कुरा कर कहा- तुम्हें कैसे पता कि मेरी काठी मजबूत है?

दीपा हंस पड़ी.
अब उसकी हंसी और चेहरे की चमक उसके मन से आ रही थी.
वह बहुत स्वछंद महसूस कर रही थी अपने को!

हर्ष ने टी शर्ट उतारी और बाहर कसरत में जुट गया.
उसका पूरा शरीर पसीने पसीने हो गया.

उसने निगाह घुमाई तो देखा दीपा उसे मुस्कुराते हुए घूर रही थी.
उसे देखते देख वह झिझक गई और सकपका कर पूछ बैठी- जूस कल से दे दूंगी, आज फल इस लायक नहीं हैं. आज चाय दे दूं क्या?

हर्ष का बदन पसीने से चमक रहा था.
उसने केवल शॉर्ट्स पहनी थीं.

हर्ष ने यह मसूस किया कि दीपा भी उसके शॉर्ट्स के अंदर उठे उभार को देख रही थी.
वह बोला- पसीना सुखा लूं, फिर नहाऊंगा. चलो तब तक तुम चाय ही पिला दो.

दीपा चाय बना लायी.
हर्ष ने जानबूझकर टी शर्ट नहीं पहनी थी, बस तौलिया डाला था.

दीपा ने बड़े अपनेपन से कहा- आप टीशर्ट पहन लीजिये, वर्ना ये गुलाबी ठण्ड है, नुकसान कर देगी.

तब दीपा ने उसे चाय का कप पकड़ाया तो उसकी उंगली छू गयी हर्ष से.
हर्ष को करंट सा लगा.

दीपा ने सॉरी बोला और मुस्कुरा दी.

तब दीपा ने उसकी सिगरेट की डिब्बी भी मेज पर रख दी और बोली- अंकल आंटी भी चाय के साथ सिगरेट जरूर पीते थे.
तो हर्ष ने मुस्कुरा कर उससे कहा- ठीक है, तुम जला कर दे दो.

हर्ष ने कह तो दिया, पर उसे लगा कि कहीं दीपा बुरा न मान जाए या मना न कर दे.
पर उसे बहुत अच्छा लगा जब दीपा ने सिगरेट की डिब्बी से सिगरेट निकाली और बहुत अच्छे ढंग से जला कर उसे दे दी.

चाय पीकर हर्ष नहाने चला गया.
उसने अपने मोबाइल का विडियो कैमरा चालू किया और उसको बाथरूम के दरवाजे की ओर करके छिपा कर रख दिया और चला गया नहाने.

उसे आदत थी तेल मालिश की.
उसने नहाने से पहले अपने शरीर पर अच्छे से सरसों के तेल की मालिश की, तने हुए लंड को खूब चमकाया.

नहाते समय उसे ऐसा लगा कि दरवाजे के पास कोई है.
उसने अपने लंड को खूब जोर से मसलना शुरू किया.

दरवाजे के पास ऐसी आहट हुई कि कोई टकराया.
हर्ष ने पूछा- कौन है?
तो दीपा की घबराहट की सी आवाज आई- साहब हम सफाई कर रहे हैं.

हर्ष ने सोचा कि सफाई तो इसने सुबह ही कर ली.

खैर नहाकर हर्ष टॉवेल लपेटकर ही बाहर आया.
उसे ऐसे देख दीपा कमरे से बाहर चली गयी और जाते जाते पर्दा खींच गयी.

हर्ष ने सबसे पहले मोबाइल चेक किया.
उसकी बांछें खिल गयीं यह देख कर कि दीपा पूरे समय झिरी में आँख गड़ाए उसे नहाते देखती रही थी और शायद उस समय जब वह मुठ मार रहा था.
दीपा ने अपनी उंगली अपनी सलवार के अंदर कर रखी थीं और वह अपनी चूत को पुचकार रही थी.

हर्ष का लंड तन गया था.

आग दोनों और लगी थी … बस देर पहल की थी.

हर्ष ने बालों में तेल लगाते हुए दीपा को आवाज दी.
वह अभी भी सिर्फ तौलिये में था.

दीपा आई, उसे इसे देख कर ठिठकी.

हर्ष ने बड़े सहज स्वभाव से कहा कि उसके अंडर गारमेंट्स कहाँ रख दिए.

दीपा हँसती हुई बोली- साहब, अलमारी की दराज में ही तो रखे हैं.

हर्ष बोला- निकाल दो! और रोज मेरे पहनने वाले कपड़े यहीं बेड पर रख दिया करना.

दीपा की निगाहें भी उसके बलिष्ठ जिस्म पर टिक रही थीं.
हर्ष ने बॉडी स्प्रे किया था तो पूरा रूम महक रहा था.

दीपा ने उसके कपड़े बेड पर रखे.
वह रख कर जाने लगी तो हर्ष से टकरा गयी.

दोनों के मुंह से सॉरी निकला,
पर हर्ष ने उसे बाँहों से थाम लिया.

दीपा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया बस नजरें झुका लीं.

हर्ष ने उसके चेहरे को ऊपर किया.
दीपा बड़ी बड़ी आँखों से उसकी और ताकने लगी.

हर्ष ने उसे होंठों पर चूम लिया.
दीपा भी उससे सूखी बेल की तरह लिपट गयी.
उसने अपने को समर्पित सा कर दिया हर्ष के आगोश में!

दोनों के होंठ फिर मिल गए.
दीपा को इस समय देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वह चौकीदार की बीवी है. वह तो किसी अनछुई कली की तरह नवयौवना सा सुख दे रही थी हर्ष को!

उसने अपना चेहरा हर्ष की मजबूत छाती में छिपा लिया था.
उसे बहुत दिनों बाद एक मजबूत संबल मिला था.
दैहिक सुख तो उसे आजतक मिला ही नहीं था; वह अक्षतयौवना थी.

हर्ष ने भी जिन्दगी में एक बार किसी मसाज पार्लर में किसी लड़की के नंगे जिस्म को छुआ था और उसके भड़कावे में आकर एक फटाफट सेक्स सेशन किया था.
बाकी तो पोर्न फिल्म खूब देखी थीं उसने!

हर्ष ने दीपा के सूट को पीछे से ऊपर उठाया.
उसके हाथ दीपा की नंगी पीठ पर फिरते हुए उसकी ब्रा के हुक से जा टकराए.

दीपा कुछ असहज हुई.
उसने हर्ष से कसमसाते हुए कहा- साहब ये ठीक नहीं … आप कहाँ और हम कहाँ!
हर्ष ने भी बड़ी बेबाकी से कहा कि वह भी एक मर्द है और औरत की चाहत पहचानता है. उसे छोटे बड़े से फर्क नहीं पड़ता. अगर दीपा को अच्छा लग रहा हो तो वह उसके और नज़दीक आना चाहता है.

अब सारे बाँध टूट गए.
दीपा कस के लिपट गयी हर्ष से.

उसने फुसफुसाते हुए कहा- आप मुझे पहली नज़र से ही अच्छे आदमी लग रहे हैं. मुझे सोचने दें.
हर्ष को भी ये सुनकर अच्छा लगा. यह फील आई कि दीपा भी मात्र जिस्म की आग बुझाने के लिए उसके नजदीक नहीं आ रही.

प्रिय पाठको, इस फर्स्ट किस विद देसी गर्ल की कहानी पर अपने विचार मुझे बताएं.
[email protected]

फर्स्ट किस विद देसी गर्ल की कहानी का अगला भाग: सीधी सादी लड़की ने भरे जिन्दगी में नए रंग- 3

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top