मेरी बड़ी बहन की अन्तर्वासना- 7

(Hot School Girl Porn Kahani)

हॉट स्कूल गर्ल पोर्न कहानी में पढ़ें कि मेरी दीदी को सेक्स का बुखार चढ़ा था. जोश में आकर उसने अपने यार के मोटे लंड से चूत चुदवा ली. चूत फट गयी और खून ना रुका.

कहानी के पिछले भाग
मम्मी ने मेरी बहन के यार को बुलाया
में आपने पढ़ा कि मम्मी को जब मेरी दीदी के चोदू यार के बड़े लंड के बारे में पता लगा तो उसने उसे घर बुला लिया.

अब आगे हॉट स्कूल गर्ल पोर्न कहानी:

मैं बाहर के कमरे से देख रहा था मम्मी आगे आगे, फिर उमेश बाल्टी लिए और अंकल उन दोनों के पीछे मम्मी के रूम में चले गए।

मम्मी की आवाज़ आई- गुड़ यहां रख दो … बहुत अच्छा है तेरा तो! अरे आ ना … तुम तो लड़की जैसे शर्माते हो। प्रभा के साथ तो नहीं शरमाते, मारते भी हो उसको!
अंकल की आवाज़ आई- चल, जैसा बोल रही हैं ये … वैसा ही करो. नहीं तो अभी डाल दूंगा जेल में। मैं बाहर जाता हूं।

तब अंकल मेरे पास आ गये और मेरा हाथ पकड़ कर घर से बाहर आ गए।
वे मुझसे बोले- बाबू, चलो तुम्हारे स्कूल के पास कल्लू हलवाई से मिठाई लेकर आते हैं।

अंकल ने मोटरसाइकिल निकाली और हम चल दिए।
हलवाई के यहां पहले अंकल ने बीस रसगुल्ले पैक करवा लिया फिर हलवाई से कहा- देखो, ये दरोगा साहब का लड़का है। ये जब भी आए आकर जो भी मांगे इसको दे देना और पैसे मेरे से लेना।

फिर अंकल मुझसे बोले- मुझे एक जगह जाना है, तुम खाकर घर चले जाना। और कुछ लेना हो तो ले लेना!
बोलकर मुझे बीस रूपए दिए और मोटरसाईकिल स्टार्ट कर चले गए।

मैंने दो रसगुल्ले और दो समोसे मंगाए और खाने लगा।
मैं सोच रहा था कि अंकल घर ही गये हैं, और अपने ख्यालों में मैं मम्मी को उमेश से चुदाते देख रहा था।

फिर सोचा कि एक ही साथ मम्मी की चूत और गांड अंकल और उमेश चोद देंगे, अंकल जानबूझ कर मुझे इतनी दूर छोड़ कर चले गए हैं कि मैं जब तक लौटूं उनकी चुदाई हो जाए।

माँ बहन की लाइव चुदाई नहीं देख पाने का अफसोस हो रहा था लेकिन रसगुल्ले-समोसे का आनंद भी आ रहा था।
मैंने जल्दी जल्दी रसगुल्ले खाएं, समोसे खाएं और लगभग दौड़ते हुए घर पहुंचा कि कुछ देखने मिल जाए।

लेकिन घर पहुंचा तो मम्मी को बाहर वाले कमरे में अकेली बैठे पाया।
मैं मम्मी के पास ही बैठ गया।

मम्मी ने मुझे अपने हाथों के बीच घेरकर अपनी गोद में बिठा लिया, बोली- अभी अंदर मत जाओ, अंकल उमेश से बातें कर रहे हैं। देखो मुझे भी भगा दिया। अंकल को आने दो।
थोड़ी देर बाद अंकल आए और बोले- मैंने समझा दिया है उसको! कल से शाम को अपने घर से दो किलो दूध ले आएगा और मन होगा तो यहीं पर पढ़ कर रात को घर चला जाएगा। ठीक है ना?

“ठीक ही तो है, दोनों साथ ही पढ़ते हैं तो साथ ही बैठकर पढ़ लेंगे। आज से ही पढ़ेगा। प्रभा और उमेश की किताबें एक सी ही हैं। प्रभा अब सो कर उठने ही वाली होगी। उठेगी तो दोनों को साथ में पढ़ने बोल दूंगी।” मम्मी ने कहा।

तभी उमेश मम्मी के कमरे से बाहर निकल कर हम लोगों के पास आ गया और मम्मी को बड़े प्यार से देखा, बोला- आंटी, बाल्टी दे दीजिए। उसी बाल्टी में दूध दुहता हूं, उसी में दूध ले भी आऊंगा और किताबें भी ले आऊंगा पढ़ने के लिए!
मम्मी बोली- अभी तो साढ़े चार ही बजे हैं। इतनी जल्दी गाय दूहते हो?
“नहीं, छः बजे के आस पास! साढ़े छः तक आऊंगा और नौ बजे चला जाऊंगा।

“देती हूं बाल्टी खाली करके। बाल्टी धोनी भी पड़ेगी। तब तक प्रभा को देखो तो … उठाओ। बाबू, उठा दे दीदी को … बोल शाम हो गई।”
मुझे अपने हाथों से आजाद करके मम्मी उठकर चली गई।

अंकल भी बाहर चल दिए बोलकर कि सब्जी लाने जा रहे हैं।
तब मैं और उमेश दीदी के पास चल दिए।

दीदी तो बेखबर रजाई में सो रही थी, उसका चेहरा रजाई के बाहर था।
उमेश ने दीदी के होंठो पर उंगली चलाई।

दीदी ने आंखें खोली और उमेश को देखते ही हड़बड़ा कर बैठ गई, बाहर देखते हुए बोली- कैसे आ गया तू? मम्मी कहां है बाबू?
मैंने कहा- उमेश रावा लेकर आया था बाल्टी में, वही धो रही हैं। उमेश अभी फिर दूध लेकर आएगा। रात को तेरे साथ यहीं पढ़ कर जाएगा।

उमेश ने बताया- तेरी मम्मी को भी रुला दिया मेरे लौड़े ने … लेकिन सिपाही ने मेरी गांड मार ली। अब तुम लोग मेरी रंडी हो, रोज चोदूंगा।
बोलते हुए उमेश रजाई में घुस गया, दीदी को लिटाकर चढ़ गया दीदी पर और बोला- साली नंगी है रे तू तो! बाबू, दरवाजा भिड़ा दे और बाहर बैठ। जरा चोद लूं एक बार!

मैं दरवाजा भिड़ा कर बाहर वाले कमरे में आकर बैठ गया।

बैठते ही दीदी के कराहने की आवाज़ सुनाई देने लगी- ऊंह … ऊंह … मम्मी … बाप रे … छोड़ दे ना … छोड़ दे … जा मम्मी के साथ कर ले … आह आह … कुत्ता है तू!
लगातार दीदी आह ऊंह कर रही थी।

तभी मम्मी तेजी से आई, बाल्टी बरामदे में रखी जोर से और दीदी के कमरे में घुस गई।
दीदी के रोने की आवाज आने लगी थी, मैं भी दौड़ कर दरवाजे पर खड़ा हो गया।

मैंने देखा कि उमेश ने दीदी को दबा के पकड़ा हुआ था और खून से भीगा लंड दीदी की चूत में आधा घुसा हुआ था.
मम्मी उमेश की कमर पकड़ कर पीछे खींच रही थी और दीदी रोते हुए उमेश को अपने ऊपर से धकेल रही थी।

मैंने भी जाकर उमेश का हाथ दीदी की बगल से निकाल कर खींचा।
तब मम्मी बोली- बाबू, जा भाग यहां से … बाहर का दरवाज़ा बंद कर दे, वहीं बैठ!

मैं वहां से निकल गया और बाहर का दरवाजा बंद कर दिया
बैठते हुए सुना, मम्मी बोल रही थी- ऐसे किया जाता है? देख तो कैसी फट गई! चल आ, मेरी में डाल लेकिन ऐसे करेगा तो देखना फिर मैं क्या करूंगी।

थोड़ी देर में मम्मी के भी कराहने की आवाज आने लगी।
मम्मी भी लगातार ऐसे ऊंह ऊंह कर रही थी जैसे दर्द से बहुत परेशान थी।

दीदी की सिसकारियां भी सुनाई पड़ रही थी साथ में!

थोड़ी देर बाद शांति छा गई।

उमेश निकला और बाल्टी लेकर मेरे गाल पर चिकोटी काटकर दरवाजा खोल के बाहर चला गया।

मैंने फिर दरवाजा बंद कर दिया और अपने कमरे में लौटा तो देखा कि दीदी टांगें फैला कर लेटी थी, मम्मी बैठ कर दीदी की चूत पौंछ रही थी।
मम्मी पौंछती थी लेकिन फिर चूत के अंदर से खून निकल आता था।
बिस्तर की चादर खून से लाल हो गई थी; पौंछने वाला कपड़ा भी खून से गीला हो चुका था।

दीदी रो रही थी आंख बंद करके … मम्मी भी रो रही थी।
मुझे देख कर मम्मी बोली- किसी को कुछ मत कहना बेटा, ये सब नहीं बताया जाता किसी को! लगता है डाक्टर को बुलाना पड़ेगा। जा ज़रा अंकल को बुला, थाने में होंगे।

मैं अंकल को बुला लाया।
अंकल के पीछे पीछे मैं भी फिर से वहीं चला गया।

दीदी वैसे ही नंगी लेटी थी टांगें फैला कर लेकिन अब खून नहीं बह रहा था। दीदी की आंखें बंद थीं और उनसे आंसू बह रहे थे।

अंकल सब देखते हुए बोले- क्या हुआ मलकिन? इतना खून?
मम्मी रोते रोते बोली- उमेश ने प्रभा को चोदकर खून खून कर दिया। देख ही रहे हो। मैं तो डर ही गई थी कि डाक्टर को लाना पड़ेगा, खैर खून बंद हो गया है। सिंकाई करनी होगी दो तीन दिन! जाइए आप, अब डर नहीं है, थाने पर ही रहिएगा। सब्जी छोड़ दीजिए, सब कोई दूध रोटी खा लेंगे।

फिर मम्मी मुझे बोली- बाबू, दरवाजा बंद कर देना अंकल जाएंगे तो … और दीदी के पास बैठो, मैं चूल्हा जलाती हूं।

मैंने मम्मी के कहे अनुसार ही किया और दीदी के आंसुओं को पौंछने लगा।
दीदी ने आंखें खोली और दर्द भरी मुस्कान के साथ मुझे देखा- मैंने बहुत ग़लत लड़के से दोस्ती कर ली। जानवर है बहनचोद!
फिर उसने आंखें बंद करके रजाई अपनी छाती तक ओढ़ ली।

थोड़ी देर बाद मम्मी भगोने में गर्म पानी लेकर आई, नीचे रखी, फिर जाकर डिटोल लेकर आई।

रजाई हटा कर दीदी को मम्मी ने बिस्तर के किनारे बैठा दिया और पैरों को पूरा फैला कर चूत की सिंकाई करने लगी कपड़े को गर्म पानी में भिगो भिगो कर।
मैं दीदी के पीछे बैठ कर उसके कंधों पर अपने हाथों से सहला रहा था।

सिंकाई करने के बाद मम्मी ने दीदी के पूरे कपड़े बदले, बिस्तर की चादर बदली, फिर दीदी को दर्द और नींद की दवा खिलाकर लिटा दी।
फिर मम्मी मुझे बोली- यहीं दीदी के साथ रहो, मैं रोटी बना लेती हूं।

दीदी की सिंकाई करके मम्मी रोटी बनाने चली गई।

मैं दीदी के पास बैठा था रजाई में पैर घुसा कर और दीदी लेटी थी।
अभी भी उसके चेहरे पर दर्द की झलक दिखाई दे रही थी।

रजाई के अंदर दीदी ने मेरा हाथ पकड़ रखा था।
मैंने पूछा- दीदी, उमेश तो बोलता था कि सिर्फ पहली बार ही खून निकलता है तो आज तो कल से भी ज्यादा निकला. क्यों? और अंकल से तो तुम मजे से चुदाई। उनका पूरा लंड घुस जाता था। फिर उमेश ने कैसे खून निकाल दिया?
दीदी बोली- कल तो वो अपने आधे लंड से ही चोदा था, लंड को मुट्ठी से पकड़ कर चोद रहा था तो आधा ही अंदर गया था फिर भी खून निकला। फिर उसने डर के मारे और घुसाया नहीं लेकिन उसके मोटे लंड ने इतनी जगह बना दी कि अंकल के पतले लंड से मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। आज तो उसने पूरा लंड घुसा दिया ये कह कर कि अंकल ने उसकी गांड मारी है और इसके बदले वो हम मां-बेटी को रूलाएगा। मम्मी भी रो दी थी उमेश के लंड से दोनों बार लेकिन मजा भी ली थी थोड़ी थोड़ी देर!

“दर्द तो मुझे भी होता है उसके लंड से! पूरा डालेगा तो मेरी गांड भी फट जायेगी ना?” मैंने पूछा.
तो दीदी ने ज्ञान बघारा- नहीं रे, सील सिर्फ लड़कियों की टूटती है लेकिन उमेश का इतना बड़ा और मोटा है कि थोड़ा सा खून निकल सकता है। मेरी गांड भी आज तक सिर्फ सुपारा घुसा कर मारी है, पहली बार उतने से ही किया था तो मैं बेहोश जैसी हो गई थी, हफ्ते भर दर्द रहा था। अब वो मेरी गांड में भी पूरा डालेगा। क्या करूंगी मैं?
“मत करो उसके साथ … सीधा-सीधा तो उपाय है।”

“अब तो मम्मी ही उससे मेरी गांड फड़वा देगी, देख लेना तुम! अभी आकर मम्मी की गांड मारेगा, बोल कर गया है। मम्मी को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि पापा के मोटे लंड से मम्मी गांड मरवाती है।” दीदी ने कहा।

तभी मम्मी की आवाज़ आई- प्रभा, तेरी रोटी ले आऊं? खाकर सो जाना।
दीदी बोली- अभी मन नहीं है मम्मी, बाद में खा लूंगी। मत लाओ।

लेकिन मम्मी कटोरे में गर्म दूध में रोटी डाल कर ले आई, बोली- खा कर सो जा। गर्म दूध से आराम मिलेगा। और फिर तुम उठेगी क्या! नींद की दवा खाई है। चल खा ले।

दीदी उठ कर बैठ गई और मम्मी उसे अपने हाथ से खिलाने लगी। दीदी को दो तीन कौर देकर एक कौर मुझे दे देती थी।

फिर जब रोटी हमें खिला दी तो बोली- बाबू, आज जो भी हुआ है और होगा … किसी को भी मत बताना। तेरी मम्मी और दीदी बदनाम हो जाएगी। और पापा तो मार ही डालेंगे सबको! नहीं बताएगा न?
मैंने ना में सिर हिलाया।

मम्मी बोल ही रही थी- तू और थोड़ा सा खा ले और दीदी के पास सो जा! दीदी के ऊपर हाथ पैर मत रखना।

तब मम्मी उठकर गयी और उसी कटोरे में फिर दूध-रोटी ले आई।
मैं नीचे बैठकर खाने लगा।

मम्मी फिर जाकर आंवले का तेल ले आई और दीदी के बालों में लगाने लगी।

जबतक मैं खाता रहा, मम्मी दीदी के सिर की मालिश करती रही।

मैं कटोरा रखकर आ गया और दीदी के साथ लेट गया।
मम्मी दीदी के पैर दबा रही थी सलवार के ऊपर से ऐसे ही!
मम्मी बोली- प्रभा, सलवार खोल कर सो। एक बार और सिंकाई करनी पड़ेगी, नहीं उठेगी तो सिंकाई कैसे करूंगी। अभी नींद की एक और गोली खा ले नहीं तो दर्द से नींद नहीं आएगी। बाबू तो सब देख लिया है, अब इससे कितना छुपाया जाएगा। यह तो रहेगा घर में ही ना!

मैं तपाक से बोला- तब तो मैं कभी भी कहीं भी जा सकता हूं ना मम्मी?
मम्मी हंसती हुई बोली- हां जाना … लेकिन पापा रहेंगे तब नहीं! तू भी जल्दी सयाना हो जाएगा अब!

दीदी भी हंसने लगी और बोली- मम्मी, उमेश ने बाबू की भी गांड मारी है मेरे कारण परसों और कल … ज्यादा नहीं घुसाया था।
“अच्छा! दोनों भाई-बहन मिले हुए थे! मुझे बेवकूफ बना रखा था। तुम लोग आपस में कुछ करते हो क्या? भाई को भी पंडित बना दी प्रभा?”

दीदी ने मम्मी से आंखें चुराते हुए कहा- नहीं मम्मी, बाबू अभी किस लायक है? मुझसे सटकर सोता है बस!
मम्मी बोली- गांड तो मरवा दी ना इसकी। बाप रे … हद है तू … चल सलवार खोल कर सो। बाबू, छूना नहीं दीदी को अभी जरा भी; मैं दवा लेकर आती हूं।

दीदी को मम्मी ने नींद की दवा खिलाई और दीदी की खुल चुकी सलवार खूंटी पर टांग दी।
फिर दीदी को बाथरूम कराने ले गयी पकड़ कर!
दीदी तो चल ही नहीं पा रही थी।

लौट कर मम्मी बोली- बेचैन थी, मिल गया ना जवानी का मज़ा? अब भुगतो।
दीदी को लिटाकर, हम भाई-बहन के बीच में तकिया रख कर मम्मी बोली- अब सो जाओ तुम लोग!
और मम्मी हमारे पास ही बैठ गई।

फिर मम्मी अधलेटी होकर दीदी के सिर पर थपकी देने लगी; मुझसे बोली- गांड मत मराओ बाबू … नहीं तो अंकल की तरह हो जाओगे और मोटा लंड खोजते ही रहोगे।

मम्मी की ये बात बिल्कुल सही साबित हुई। आज तक गांड मरवा रहा हूं।

थोड़ी देर बाद दीदी गहरी नींद में सो गयी।

दीदी के सोते ही बाहरी दरवाजे की कुंडी खड़की तो मम्मी बोली- कमरे से निकलना नहीं!
और चली गई।

हॉट स्कूल गर्ल पोर्न कहानी तो अभी बाक़ी है, आप पढ़ते रहिए।

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