लड़कियों की आजादी लेकिन किस कीमत पर?

(Ladkiyon Ki Aajadi Lekin Kis Keemat Par)

नील 2017-04-04 Comments

इस कहानी का आधार सेक्स नहीं है, यह कहानी आजकल के युवा वर्ग विशेषकर युवतियों की जागरूकता के लिए है।
जो लड़कियाँ बिना सोचे समझे और बिना देखे प्यार कर लेती हैं, वे बाद में पछताती हैं क्योंकि या तो वे धोखे का शिकार होती हैं और उनका यौन शोषण होता है या फिर वे वेश्यावृति के धंधे में धकेल दी जाती हैं।

यह कहानी मेरे जीवन में घटित नहीं हुई, इस कहानी में मैं केवल अपना नाम इस्तेमाल कर रहा हूँ पर हाँ आप को बता दूँ कि यह कहानी कहानी नहीं है, हकीक़त में हुई घटना है, इस कहानी में मैं नायक का किरदार निभा रहा हूँ।

मेरा नाम नील है, मैं खुद की तारीफ नहीं कर रहा पर मेरी समझदारी की वजह से मैं जाना जाता हूँ, लोग और सगे वालों को पता है किसी भी बात का सरल उपाय नील के पास होता है तो लोग पूछते रहते हैं।

मेरी उम्र छोटी है पर लोग मुझसे बुजुर्ग की तरह व्यवहार करते हैं इसी लिए मैं अब ध्यान रखता हूँ कि ऐसी वैसी हरकत न कर दूँ कि लोगों की नजरों में गिर जाऊँ।

एक दिन मैं बाइक से जा रहा था। हमारे शहर में गार्डन है, वहाँ प्रेमी युगल बैठे रहते हैं। मेरा वहीं से गुजरना हुआ, अचानक मेरा ध्यान मेरे अंकल की स्कूटी पर गया जो वहाँ खड़ी थी, स्कूटी देखते ही मैं रुका कि यह स्कूटी मेरे अंकल की ही है।
हाँ अंकल की है, मैं पहचान गया क्योंकि हमारे यहाँ गाड़ी पर सरनेम या अपने बच्चे का नाम लिखा होता है।

मैंने अंकल को फोन किया- कहाँ हो?
अंकल- मैं तो ऑफिस में हूँ, क्यों कुछ काम था?
मैं- नहीं आपकी स्कूटी…
अभी तो इतना ही बोला कि…
अंकल- वह तो हेमांगी कॉलेज लेकर गई है!
हेमांगी मेरे अंकल की बेटी यानि मेरी चचेरी बहन…
मैं- ठीक है तो कोई बात नहीं!
और फोन काट दिया।

फिर मैंने अपने मुँह पर रूमाल बांधा और गार्डन में हेमांगी को ढूंढने लगा। तभी गार्डन के कोने में वह किसी लड़के के साथ बैठी थी मतलब चिपक कर…
मैं उसके थोड़ा ही आगे रुका और उन लोगों को देखने लगा। लगभग 2 घंटे तक वे वैसे ही चिपक कर बैठे रहे, इन 2 घंटों में वह लड़का कभी कोई हरकत किया करता जैसे हेमांगी की टीशर्ट में हाथ डालना और किस वगैरा करना… पर हेमांगी को इससे कोई ऐतराज नहीं था।

मैं बस उन लोगों की हरकतें 2 घंटे देखता रहा। मुझे उन लोगों के निकलने का इन्तजार था।

फिर उस लड़के को फोन आया और वे लोग वहाँ से उठे, मैं भी पीछे था।
उन दोनों ने एक दूसरे को नार्मल हग किया। तब मैंने देखा कि उस लड़के पास अच्छी बाइक थी सुपर बाइक जैसी बाइक… कंपनी का नाम नहीं लूँगा पर जानी मानी कम्पनी की मंहगी बाइक थी।

फिर हेमांगी वहाँ से स्कूटी पे निकल गई और वो लड़का भी… मैंने इस लड़के का पीछा किया, मैं देखना चाहता था कि यह करता क्या है।
मैं उसके पीछे था, वह एक घर की ओर गया, देखा, घर अच्छा था, मैंने सोचा कि चलो अच्छे घर का है। पर बाद में पता चला कि वह उसके दोस्त या किसी जान पहचान वाले का घर है।

मैंने देखा कि जो बाइक वह घुमा रहा था, वह इसकी नहीं थी, इसके दोस्त की थी, वह अपने दोस्त को बाइक लौटा कर अपनी बाइक पे घर से निकला जो सस्ती और पुरानी थी।

मैं उसका पीछा करता रहा, वह एक छोटे छोटे घरों वाले मोहल्ले में, वहाँ के लोग चोरी, मारधाड़ और वगैरा गंदे कामों के लिए जाने जाते हैं, उसमें घुसा।

एक घर के दरवाजे पर उसने बाइक लगाई, मैंने देखा कि पुराना और दो कमरों वाला छोटा गन्दा सा घर था जिसमें कहीं पे टीन खपरैल तो कहीं पर पुराना सामान पड़ा हुआ था।
तभी एक औरत बाहर आई तो मुझे लगा कि शायद उसकी भाभी होगी या फिर घर पे रुकने आई बहन होगी।

पर मुझे झटका तब लगा जब उस औरत के पीछे एक छोटी सी बच्ची आई, उसने इस आदमी को पापा पुकारा।

फिर क्या था, मैंने 2-3 दिन वहाँ के चक्कर लगा कर वहाँ के लोगों से उस लड़के के बारे में जानकारी इकट्ठी की, पता चला कि इसकी बेटी हुई थी, और अब उसकी बीवी गर्भवती नहीं हो सकती, इसलिए यह और इसके घर वाले दूसरी शादी करने की सोच रहे हैं।

तब मैं पूरी बात समझ गया कि इसीलिए इस निकम्मे ने हेमांगी को फंसाया है।

मै अंकल के घर गया और हेमांगी समेत सबको बैठाया और बताया कि हेमांगी को मैंने एक लड़के के साथ ऐसे वैसे देखा है।
पर मैंने अभी तक खुलासा नहीं किया था कि उस लड़के का स्टेटस है क्या!

हेमांगी ने बताया- मैं उसे चाहती हूँ और शादी भी उसी से करूँगी।
तब अंकल खड़े होकर हेमांगी को थप्पड़ पे थप्पड़ लगाने लगे। मैंने और आंटी ने रोका- बस कीजिये!
अंकल- क्या बस करूँ? इसने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी!

मैं- चलो अंकल, आजकल की जेनेरेशन को अपना साथी खुद ढूंढने का अधिकार है पर मुझे हेमांगी से कुछ पूछना है।
मैं- हेमांगी तुम जानती हो वह कौन सी जाति बिरादरी का है?

हेमांगी- अपनी ही बराबरी का… मतलब अपनी जाति नहीं पर दोनों जाति एक समान वैसे!
तो उसने हेमांगी से अपनी पहचान छुपाई।

मैं- तुमे पता है वह क्या करता है उसके घर वाले क्या करते हैं?
हेमांगी- वह तो पढ़ रहा है, वैसा बोल रहा था और उसके पापा का लोखंड का बिज़नस है।
तो उसने हेमांगी से अपने काम के बारे में भी छुपाया।

अभी मैं आगे पूछता, उससे पहले हेमांगी उसकी तारीफ करने लगी कि आपने हमें देख लिया तो यह भी देखा होगा कि वह कितने पैसे वाला है, उसके पास कितनी महंगी बाइक और कार भी है, यह सब आपने देखा होगा? यह सब आप देख ही नहीं रहे?
तब जाकर मैंने बोला- हेमांगी जो मैंने देखा, वह तुमने नहीं देखा!
हेमांगी- मतलब?

मैं- समझाता हूँ… तुमसे उसने एक बात भी सच नहीं कही है। जाति तो छोड़ो, वह ऐसे एरिया में रहता है जहा लोग गंदे और मारधाड़ वाले हैं। तुमसे उसने बोला की उसके पापा का लोखंड का बिजनेस है, लोखंड का नहीं, भंगार का बोलो! तुमने बोला कि उसके पास मंहगी बाइक है, वह उसकी नहीं, वह किसी गैरेज में काम करता है, उसके मालिक की है। बाकी बातें छोड़ो, बड़ी बात कि वो लड़का शादीशुदा है।

हेमांगी की आँखें फटी की फटी रह गई।

मैं- और उसकी एक बेटी भी है, उसकी बीवी अब और बच्चा पैदा नहीं कर सकती इसीलिए वो दूसरी शादी करने चला है और तुम्हें फंसाया है, अब बताओ किसने क्या देखा?
मै- अब उस लड़के को आखरी बार मिल लो और नार्मल जैसे तुम्हें कुछ पता न हो और उसे बोल दो कि मेरी शादी मेरे घर वालों ने तय कर दी है, तुम मुझे भूल जाओ!

हेमांगी- नहीं, मैं अब उसके सामने भी नहीं जाऊँगी।
मैं- डरो मत, मैं तुम्हारे पीछे ही होऊँगा!

फिर तय योजना के मुताबिक हेमांगी उस लड़के को मिली और उसने सब बोल दिया।
प्रिंस उस लड़के का नाम था।
प्रिंस- ना ना ऐसा नहीं हो सकता, अगर तुमने कहीं और शादी की तो मैं तुम्हारी ज़िन्दगी बर्बाद कर दूंगा या तो मैं तेरे चेहरे पे एसिड फेंक दूंगा कि कोई तुझे नहीं अपनाएगा या फिर मैं तेरी वीडियो क्लिप इन्टरनेट पे डाल दूंगा, तो तू किसी को मुँह दिखाने लायक ही नहीं रहेगी।

हेमांगी डर गई।
प्रिंस- तुम सोच लो फिर आराम से बताना!

हम घर आये और इस मामले के बारे में सोचने लगे।
आंटी बोली- मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए!
हेमांगी भी डरी हुई थी।

अंकल बोले- पुलिस कम्प्लेन करते हैं।
तब मैं बोला- इसमें हेमांगी और आपका नाम बदनाम होगा उसका क्या? मेरे पास तरीका है, अगर वह काम कर गया तो ठीक वरना हम पुलिस में शिकायत कर देंगे।

फिर मैंने हेमांगी को बुलाया और अकेले में बात की कि उसके पास क्लिप है?
हेमांगी- हाँ पूरी की पूरी उसके मोबाइल में है।
तब मैंने- ठीक है, यह थोड़ा लम्बा प्लान है, उसको वैसे ही मिलो जैसे तुम मिलती थी, उसे अपना फैसला बताओ कि तुम उससे ही शादी करना चाहती हो। फिर मैं बताऊँगा, तब प्लान को अंजाम देंगे।

हेमांगी उससे मिली और उसे वैसे ही कहा जैसा मैंने हेमांगी को बताया था।

काफ़ी दिन बाद मैंने हेमांगी को कहा कि उस लड़के से कहो कि तुम उससे शादी करना चाहती हो लेकिन तुम उसे एक साधू के पास लेकर जाओगी, उससे अपने भविष्य के बारे में पूछेंगे। उस लड़के को यह भी बताना कि वे बाबा हमारे पूजनीय है, उनके मुताबिक़ ही सब होगा।

हेमांगी ने सब प्लान के मुताबिक किया।

मेरे दोस्त का एक पहचान वाला है जो मैजिशियन है, उसको सब बताया और वे दोनों बाबा बने, मैं उनका चेला बना्।
मैजिशियन का नाम जॉर्ज था।

तो प्लान के मुताबिक वह प्रिंस को लेकर आई, सब बाबा (जॉर्ज) के पैर पड़े और जॉर्ज ने उनके हाथ देख कर बोलना चालू किया- बेटी, जिससे भी तुम्हारी शादी होगी, तुम्हारे पति की शादी के बाद मौत हो जाएगी। लेकिन इसका एक उपाय है, अगली पूर्णिमा के दिन तुम दोनों आना, मैं एक और विधि करवाऊँगा, ध्यान रहे कि विधि अच्छी तरह संपन्न होनी चाहिए, उसके बाद तुम दोनों सुरक्षित हो जाओगे।

यह सब बताते बताते हुए जॉर्ज ने 2-3 जादुई करामात भी दिखाई इसलिए वह लड़का मान बैठा कि बाबा सच्चे हैं।
बाबा ने उन दोनों को जाने को बोला।
वे चलने लगे तब बाबा बना जॉर्ज बोला- ओ लड़के ठहर, इधर आ!
वह आया- जी बाबा जी?
जॉर्ज- दो दो शादी रचाएगा? ठीक है जाओ, मुझे क्या लेना देना, जो मर्जी करो!
प्रिंस को यकीन हो गया कि बाबा चमत्कारी है।

पूर्णिमा के दिन शाम को वे लोग आये और विधि चालू हुई, तब अग्नि में आहुति वगैरा दी जाने लगी, जॉर्ज कुछ उलटे सुलटे मंत्र भी बोलने लगा। हम पूरे करेक्टर में घुसे हुए थे दाढ़ी वगेरा और कपड़े भी… सब माहौल बड़ा चमत्कारी था।

फिर जॉर्ज ने बोला- ओ लड़के, अब पहली आहुति दी जाएगी, तुम्हारे पास सुख सुविधा की कोई भी चीज़ हो, उसकी आहुति दो!
प्रिंस- मेरे पास तो अभी कुछ नहीं?
जॉर्ज- मूर्ख तुम्हारे पास मोबाइल है, बाइक है, इनमें से कोई भी इस अग्नि में आहुति दे दो!

वह बाइक तो मांगी हुई थी और महंगी भी तो वह तो नहीं दे सकता था तो उसने मोबाइल निकाला, वह भी अटकते अटकते!
हेमांगी बोली- डाल दो जान, तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है, ऐसे मोबाइल तो तुम फिर ले सकते हो!
जॉर्ज चिल्ला कर- सोच क्या रहा है? जो भी डालना है जल्दी डाल!

तो उसने मोबाइल अग्नि में डाल दिया जिसमे वह क्लिप थी।
आगे काफी विधि के बाद जॉर्ज ने बोला- अब अंतिम आहुति दी जाएगी!
प्रिंस- क्या आहुति देनी होगी?
जॉर्ज- तुम्हारा हाथ!
प्रिंस- क्या?

जॉर्ज- हाँ तुम्हारे दोनों हाथ में से कोई एक हाथ आहुति में देना होगा.. तुम सोच लो कौन सा हाथ ज्यादा उपयोगी है, वह रहने दो और दूसरा आहुति में डाल दो।
प्रिंस- नहीं में यह नहीं कर सकता!
हेमांगी- क्या?
प्रिंस- जी, मैं यह नहीं कर सकता!
जॉर्ज- मैंने पहले ही बताया था कि विधि पूरी संपन्न होनी चाहिए।
प्रिंस- मैं अपना हाथ नहीं दे सकता!

जॉर्ज- तुम इस लड़की से शादी करना चाहते हो ना?
प्रिंस- हाँ!
जॉर्ज- शादी के बाद तुम्हारी मौत हो, उससे अच्छा है कि तुम अपना एक हाथ दे दो!
प्रिंस- मुझे नहीं करनी विधि और ना ही इससे शादी!

हेमांगी- तुम मुझसे प्यार करते हो न?
बड़े ड्रामे से रोने जैसी शक्ल बना कर!

प्रिंस- हट कुत्ती, मैं तुमसे शादी करुँगा तब मरूँगा ना!
हेमांगी- जो तुमने बोला था कि प्यार करता हूँ?
प्रिंस- वह सब भूल जा!
और वह उठ कर चलता बना।

हेमांगी पीछे ड्रामा कर रही थी- तुम ऐसा नहीं कर सकते… तुम ऐसा नहीं कर सकते!

वो भाग गया, फिर हम सबने अपना गेटअप उतरा और खूब हंसे। फिर मैंने उसके गैरेज के मालिक का संपर्क किया और उसे सब बताया, तब उसे नौकरी से निकाल दिया।

अब मैं देखता हूँ, वह भंगार का धंधा कर रहा है।

और इधर हेमांगी की शादी हो गई, सब सही हो गया।

पर इसमें सब सीखने को मिलता है कि उस लड़के को पुत्र की चाहत थी इसलिए वो दूसरी शादी करने में पड़ा था।
हेमांगी उसके झूठे दिखावे से मोहित हो गई।
लड़कियों की इज्जत बहुत कीमती होती है, जो भी करें, सोच समझ कर करें।

दोस्तो, मैं अपनी कहानी आप लोगों के सुझाव के हिसाब से लिखता हूँ तो कृपया अपने सुझाव मुझे भेजें।
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