मदमस्त अमीरजादी की चूत की चुदाई

(Madmast Ameerjadi Ki Chut Ki Chudai)

अंक 420 2016-01-04 Comments

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार.. मेरा नाम सुमित (बदला हुआ) है। मैं राजस्थान के उदयपुर का रहने वाला हूँ। मुझे अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक है.. अन्तर्वासना पर सभी की कहानी पढ़ कर मेरा भी मन हुआ कि मैं भी सब को अपने जीवन की घटना बताऊँ।

यह घटना बिल्कुल सच्ची है.. मेरा रंग गोरा है.. जिम जाने की वजह से अच्छी बॉडी भी बन गई। मेरे लंड का साइज़ 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है.. जो हर लड़की.. भाभी और आंटी को संतुष्ट कर सकता है।

बात आज से 2 महीने पहले की है.. हमने नया मकान किराए पर लिया था.. वो इलाक़ा बहुत ही सम्भ्रांत इलाक़ा माना जाता है। हमारा घर फर्स्ट फ्लोर पर था। घर के पास ही एक और बड़ा बंगला था, जिसमें एक बहुत अमीर आदमी उसकी पत्नी और एक बेटी रहते थे।
आदमी का बिजनेस दिल्ली में था.. इसलिए वो अक्सर काम की वजह से बाहर जाता रहता था।

एक दिन मैं बाल्कनी में खड़ा होकर अपना मोबाइल चला रहा था.. तभी पास वाले बंगले की बाल्कनी में एक लड़की आई।
मैं तो उसे देखता ही रह गया, दोस्तो क्या बताऊँ.. एकदम पटाखा माल थी।
उसकी उम्र 19-20 साल के लगभग थी.. उसका रंग गोरा था.. आँखें ब्राउन.. उसका फिगर 38-34-36 के आस-पास था।
उसने मिनी स्कर्ट और टी-शर्ट पहन रखा था। उसे देखते ही मेरा दिमाग़ घूम गया और लंड पैंट में से सलामी देने लगा।

ऐसे ही उसे देखते हुए 15 दिन हो गए.. पर उससे कोई बात करने की कोई हिम्मत नहीं कर पाया।

एक दिन मैं सुबह 10 बजे घर से निकला.. तो पीछे से किसी ने आवाज़ दी।
मैंने मुड़ कर देखा तो वही लड़की थी, मैं उसके पास गया.. तो उसने हाथ मिलाया और मेरा नाम पूछा।
मैंने अपना नाम बताया.. तो उसने भी अपना नाम दिव्या जैन बताया।
उसने कहा- आज मेरी गाड़ी खराब हो गई है.. तो क्या आप मुझे मॉल तक छोड़ देंगे?

मैंने भी ‘हाँ’ कर दी.. वो मेरी बाइक पर दोनों तरफ पैर डाल कर बैठ गई।
रास्ते में हम दोनों थोड़ी बहुत बात करते जा रहे थे.. तभी एक गड्डे में बाइक उछली और उसके मम्मे मेरे पीछे चुभने लगे। मेरी हालत खराब हो गई, जैसे-तैसे मैंने उसे मॉल तक छोड़ा, उसने ‘थैंक यू’ बोला और मेरा मोबाइल नंबर ले लिया।

रात को 11 बजे जब मैं टीवी देख रहा था.. तो कोई मैसेज आया। मैंने देखा वो उसी का मैसेज था और थोड़ी देर व्हाट्सएप पर चैटिंग के बाद उसने सुबह बात करने के लिए कहा।

सुबह वो बाल्कनी में नहा कर आई थी.. क्या मस्त लग रही थी। उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि अभी पकड़ कर चोद दूँ लेकिन कहते हैं न कि सब्र का फल मीठा होता है।
अब यूँ ही रोज हमारी बात होने लगीं, अब चैटिंग भी सेक्स तक पहुँच चुकी थी।

मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोल दिया.. उसने कोई रिप्लाई नहीं दिया और चैट बंद करके चली गई।
मैंने सोचा कि बुरा मान गई होगी।

दूसरे दिन सुबह वो रास्ते में अकेली अपनी कार से जा रही थी और मैं अपनी धुन में था। तभी मैंने देखा कि सामने अचानक किसी कार ने मेरी बाइक को ओवरटेक करके कार रोक दी।
इतने में दिव्या उसमें से निकली और मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा, मैंने अपनी बाइक साइड में लगाई और उसके साथ कार में बैठ गया।

मैंने उससे कहा- तुमने कल मेरी बात का जबाव नहीं दिया?
तो उसने झट से कार के ब्रेक लगाए और मेरे होंठों पर किस करके बोली- आई लव यू टू..
मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.. अब हम दोनों रोज़ इसी तरह मिलते।
ऐसा करते हुए 20 दिन निकल गए।

एक बार रात को उसका मैसेज आया कि उसके मम्मी और पापा शादी में बाहर जा रहे हैं, तुम सुबह 11 बजे मेरे घर आ जाना।
अब मेरे लिए रात बिताना बहुत मुश्किल हो गई थी।
खैर.. रात तो जैसे-तैसे निकली.. सुबह जल्दी तैयार होकर मार्केट गया और कन्डोम लेकर आ गया।

मैंने उसके घर की बेल बजाई.. तो उसने दरवाज़ा खोला मैं तो उसे देखता ही रह गया, स्लीवलेस टी-शर्ट और शॉर्ट स्कर्ट में क्या माल लग रही थी।
उसने मुझे अन्दर बुलाया और सोफे पर बैठने को कहा।
तभी मैंने देखा कि उसके हाथों में मेहंदी लगी है.. तो मैंने पूछा- यह किस लिए?

तो उसने बताया कि उसके मामा की लड़की की शादी है.. तो उसे भी जाना है.. लेकिन दो दिन बाद जाऊँगी।
तभी नौकर कोल्ड-ड्रिंक्स लेकर आया।
दिव्या ने नौकर से कहा- अब तुम घर जाओ और कल आना।

अब घर में सिर्फ़ मैं ओर दिव्या ही थे, हम दोनों बात करते हुए कोल्ड-ड्रिंक्स पीने लगे।
तभी दिव्या ने कहा- सुमित तुम यहीं बैठो.. मैं अभी आती हूँ।

वो चली गई.. कुछ ही देर बाद दिव्या ने अन्दर से आवाज़ लगाई।
मैं उसके पास गया। मैंने कहा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- मुझे पेशाब आ रही है.. और मेरे हाथों में मेहंदी है.. तो क्या तुम मेरी हेल्प कर दोगे?
मैंने कहा- इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?
तो वो बोली- तुम मेरी पैन्टी नीचे कर दो प्लीज़..

मैंने जैसे ही उसकी स्कर्ट में हाथ डाला.. तो देखा कि उसने पिंक कलर की पैन्टी पहन रखी थी।
मेरे हाथ कांपने लगे।
धीरे से मैंने उसकी पैन्टी नीचे की ओर सरका दी..
वो कमोड पर बैठ कर पेशाब करने लगी।

उसकी पेशाब की धार बहुत तेज़ थी और उसमें से सीटी की आवाज़ आ रही थी। यह देख कर मेरी जीन्स तम्बू बन गई.. उसकी क्लीन शेव चूत देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

उसने सूसू करना ख़त्म किया.. और बोली- अब तुम हाथ में पानी लेकर इसे साफ़ कर दो।

मैंने काँपते हाथों से उसकी चूत साफ़ की।
तभी मुझे भी पेशाब लगी.. मैंने कहा- मुझे भी पेशाब करना है.. तुम बाहर जाओ।
तो उसने कहा- मैं लड़की होकर तुम्हारे सामने पेशाब कर सकती हूँ.. तो क्या तुम नहीं कर सकते?

तो मैंने जैसे ही जीन्स की ज़िप खोली मेरा 7 इंच का लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया और मैं लण्ड हिलाते हुए पेशाब करने लगा।
दिव्या की आँखों में लौड़ा देखते ही एक अलग सी चमक आने लगी।
उसने कहा- तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है?
वो उसे हाथ से छूने लगी।

मैंने भी पेशाब करना पूरा किया और हम बाहर आ गए।
तभी मैंने दिव्या से कहा- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?
तो उसने बोला- हाँ ज़रूर..

अब हम दोनों उसके बेडरूम में चले गए।
क्या आलीशान बेडरूम था उसका.. इतना बड़ा और खूब सजाया हुआ।

मैंने अन्दर जाते ही उसे कसके बाँहों में जकड़ लिया और किस करने लगा।
करीब 15 मिनट तक जबरदस्त चूमाचाटी करने के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए और नंगे हो गए।

दिव्या का दूध जैसा गोरा नंगा बदन देख कर मैं तो पागल हो गया। क्या मम्मे थे उसके.. एकदम कसे हुए। पहले मैंने उसके पूरे बदन को चूमा और उसकी चूत के दाने को मुँह में लेकर काटने लगा.. वो सिहर उठी और उछलने लगी, वो मेरे लंड के सुपारे को आगे-पीछे करके मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था। मैंने दोनों हाथों से उसके मम्मे थाम लिए और जोरों से दबाने लगा था। वो ‘अम्म एम्म्म.. एम्म्म..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
वो बोली- प्लीज़.. अब मत तड़पाओ.. मेरी चूत में अपना लंड डाल दो।

मैंने कन्डोम का पैकेट निकाला और लंड पर कंडोम चढ़ाने के बाद लंड को उसकी चूत पर लगाया तो वो एकदम से चिल्ला उठी।
तभी मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.. ताकि बाहर आवाज़ नहीं आए।

उसकी चूत बहुत ही टाइट थी.. तो मैंने एक और तेज़ झटका मारा और आधा लंड चूत में अन्दर चला गया। उसकी चूत में से खून निकलने लगा.. उसकी आँखों में आँसू आने लगे।

अब मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में उसे मज़ा आने लगा.. और वो आसन बदल कर मेरे लंड पर बैठ कर उछल-उछल कर चूत चुदवाने लगी।

इस बीच वो 3 बार झड़ चुकी थी.. लेकिन मेरा अभी भी नहीं हुआ था और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
दनादन चुदाई के बाद मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और कन्डोम हटा कर सारा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया, वो पूरा का पूरा वीर्य गटक गई।

हम दोनों निढाल हो कर लेट गए..

चूत और लन्ड की पेशाब से धुलाई

थोड़ी देर बाद वो उठ कर जाने लगी.. तो मैंने बोला- क्या हुआ?
तो वो बोली- मुझे पेशाब आ रही है।
मैंने कहा- रूको.. मैं भी आता हूँ।

हम दोनों साथ में बाथरूम गए और मैंने अपना लंड उसकी चूत में फिर से डाल दिया और कहा- अब करो पेशाब।
उसने कहा- ऐसे में कैसे करूँगी?
तो मैंने कहा- थोड़ा ज़ोर लगाओ..

तो उसने थोड़ा ज़ोर लगाया और मेरी पेशाब उसकी चूत में चली गई और उसका मूत मेरे लंड को नहलाने लगा। मैंने उसे आँख मारी.. तो उसने शर्मा के अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया।

फिर शावर चालू करके हम दोनों साथ में ही नहाने लगे और मैंने उसे उसकी गाण्ड मारने के लिए भी कहा.. तो उसने कहा- नहीं.. बहुत दर्द होगा।
तो मैंने उसे समझाया.. उसने ‘हाँ’ कर दिया।

अब मैंने उसकी गाण्ड कैसे मारी.. ये मैं आपको अगली स्टोरी में लिखूँगा।
दोस्तो, आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसे लगी। आप मुझे ज़रूर लिखना..
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top