मेरी चढ़ती जवानी के रोचक प्रसंग- 3

(Open Chudai Railway Station Par)

ओपन चुदाई रेलवे स्टेशन पर मैंने करवाई अपने छोटे भाई से और एक रेलवे वर्कर से! दोनों ने मुझे सर्दी की धुंध भरी रात में प्लेटफार्म पर चोदा. पहली बार मैंने अपनी चूत में लंड लिया था.

कहानी के दूसरे भाग
अंकल और छोटे भाई को गांड दिखाई
में आपने पढ़ा कि मैं और मेरा भाई रात को स्टेशन पर उतरे तो वहां हमें एक ठरकी रेलवे कर्मचारी मिला. वह मुझमें रूचि लेने लगा तो मैंने उसे भी थोड़ा मजा देने के लिए अपनी नंगी गांड उसे दिखाई.

यह कहानी सुनें.

अब आगे ओपन चुदाई रेलवे स्टेशन पर:

सोनू ने मुझसे कहा- दीदी, अंकल का लंड मेरे से बड़ा है ना?
मैंने हंसते हुए कहा- तू अभी छोटा भी है और अंकल तुझसे उम्र में बड़े हैं तो उसका लंड तो तेरे से बड़ा ही होगा।

अब मेरी आंखों के सामने दो-दो खड़े लंड थे जिनमें एक मेरे भाई का था और दूसरा एक अंजान आदमी का।
मेरे ऊपर चुदाई का ऐसा नशा सवार था कि मैं अब कुछ भी करने को तैयार थी।
उधर दोनों लंड भी मुझे चोदने को बेताब हो रहे थे.

अचानक सोनू ने अंकल का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और बोला- बाप रे अंकल, आपका लंड कितना गर्म है।

अब तक अंकल का लंड पूरा तरह खड़ा हो चुका था।
उनका लंड करीब सात इंच का रहा होगा।

मैं भी लंड को अपने हाथ में लेना चाह रही थी.

तभी सोनू ने मुझसे कहा- दीदी, तुम छू कर देखो, कितना गर्म है।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- चलो ठीक है, मान गयी. वैसे तुम्हारा लंड भी तो गर्म होगा।

इस पर अंकल और मैं दोनों हंसने लगे।

अंकल ने मुझसे कहा- चलो बेटा, तुम्हीं हम दोनों का लंड छूकर बताओ कि किसका ज्यादा गर्म है।
तब सोनू बोला- हाँ दीदी, तुम छूकर देखो।

यह कहकर वे दोनों उसी तरह अपने लण्ड को हाथ से पकड़े मेरे पास आकर खड़े हो गये।

मैं तो यही चाह ही रही थी.
मैंने धीरे से हाथ बढ़ाया कर सबसे पहले सोनू के लंड को अपने हाथ से पकड़ा।

मेरे पकड़ते ही सोनू का लंड हल्के-हल्के झटके लेने लगा।

तभी अंकल ने कहा- बेटा, एक बार मेरा भी पकड़ो।

मैंने दूसरे हाथ से उनका लंड पकड़ लिया।
अब मेरे दोनों हाथों में लंड था.

मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि अभी कुछ देर पहले कहाँ मैं बस एक बार लंड देखने के लिए तरस रही थी, वहीं अब दो-दो लंड को अपने हाथों में पकड़ रखा है।

अंकल ने कहा- बेटी, इसे थोड़ा हिलाओ, मजा आएगा।
मैं धीरे-धीरे हाथों से दोनों लंड को हिलाने लगी और हल्का-हल्का मुठ मारने लगी।

मेरे हाथ से पकड़ते ही दोनों के दोनों लंड एकदम खड़े और लोहे की रॉड जैसी टाइट हो गये।

दोनों लंड का गुलाबी सुपारा देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था।
मेरा मन कर रहा था कि मैं झुक कर लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दूँ।

मगर मैं किसी तरह खुद को काबू में कर दोनों लंड धीरे-धीरे हिला रही थी।

तभी सोनू ने कहा- दीदी बारी-बारी से करो, तो मजा आएगा।
अंकल- हां बेटा, सोनू सही कह रहा है. बारी-बारी से हम दोनों का हिलाओ तो ज्यादा मजा आएगा।

मैं मुस्कुराती हुई- ठीक है। तो पहले किसका करूं?
सोनू- दीदी, पहले मेरा प्लीज.

जिस पर मैं मुस्कुराती हुई सोनू के लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसके लंड की स्किन को आगे पीछे कर मुठ मारने लगी।

तब तक अंकल खुद ही अपने हाथ से अपना लंड पकड़ कर धीरे धीरे हिला रहे थे।

अचानक उन्होंने अपना एक हाथ मेरे जैकेट के ऊपर से ही चूचियों पर रख दिया और हल्का-हल्का दबाने लगे।

उधर मैं अपने हाथ की स्पीड बढ़ाती जा रही थी।
सोनू ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और हल्का-हल्का अपने कमर को हिला कर साथ दे रहा था।

इधर अंकल ने मेरी जैकेट की चेन खोल दी और अब मेरी कुर्ती के बटन भी खोलने लगे।
मैंने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिये कुर्ती के बटन खोलते ही मेरी दोनों बड़ी-बड़ी गोल चूचियां आजाद हो गई।

अब अंकल एक हाथ से अपना लंड हिला रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को दबा रहे थे।

उधर सोनू ने भी अपने एक हाथ से मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया।

तभी अंकल हल्के से झुके और अपने मुँह में मेरी चूची से लगा दिया और निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे।
मैं तो जैसे आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।

तभी सोनू ने कहा- दीदी थोड़ा तेज-तेज करो।
ये कहते वक्त सोनू की आवाज हल्की-हल्की लड़खड़ा रही थी और उसने अपनी आंख बंद कर रखी थी।

मैं समझ गई कि सोनू झड़ने वाला है.
तो मैंने भी अपने हाथों की स्पीड दुगुनी कर दी और जोर-जोर से उसका लंड हिलाने लगी।

अचानक सोनू का शरीर झटके लेने लगा।
उसने काँपती आवाज़ से कहा- दीदी इइइ इइइ इइआआ आआआ … बस्स… आआ आआह … थोडाआआ … तेज … आआआ आआआ!

अचानक उसकी कमर तेजी से झटके लेने लगी.
उसके लंड से गाढ़ा-गाढ़ा वीर्य निकलने लगा जो मेरी हथेलियों पर फैल हो गया।
सोनू की आंखें अभी भी बंद थीं और वह हांफ रहा था।

मेरे भाई सोनू के झड़ते ही अंकल ने मेरी चूचियों से अपना मुंह हटाया और बोले- बेटा, अब मेरा भी हिलाओ।

मेरी हथेलियों में सोनू का वीर्य लगा हुआ था.
मैंने उन्हें साफ किये बिना ही उसके हाथ से अंकल के लंड को पकड़ लिया और उनके लंड पर वो वीर्य लगा कर उनके लंड को एकदम गीला कर दिया और धीरे उनकी मुठ मारने लगी।

अंकल एक हाथ से मेरी चूचियों को दबा भी रहे थे।

इधर सोनू भी अब थोड़ा नॉर्मल हो गया और उसने रुमाल से अपने लंड को थोड़ा साफ किया और फिर मुझे अंकल का लंड पकड़ कर मुठ मारते देखने लगा।

फिर उसने भी मेरी चूची को पहले दबाया और फिर झुक कर चूची को चूसने लगा।

थोड़ी देर तक चूची चूसने के बाद सोनू ने चूची को चूसना छोड़ दिया और घुटनों के बल मेरे ठीक सामने बैठ गया।

बैठने के बाद वह मेरी लेगिंग को नीचे खिसकाने लगा।
मैंने भी हल्का सा सीधी होकर एक हाथ से लेगिंग को एक तरफ से खिसका कर उसकी मदद की।

जिस पर सोनू ने लेगिंग को खिसका कर घुटनों से भी नीचे तक कर दिया.
लेगिंग टाइट होने की वजह से पैंटी भी उसी के साथ खिसक कर उतर गई थी।

अब मेरी चूची और चूत दोनों नंगे हो चुके थे।

सोनू ने थोड़ी देर मेरी चूत को गौर से देखा, फिर धीरे से अपना मुंह मेरी चूत के पास लाकर पहले तो चूत की खुशबू को सूंघा।
फिर उसने अपने दोनों हाथों को मेरी चूत पर रखा और अपने मुँह को मेरी चूत से लगा दिया और जीभ से चूत को चाटने लगा।

जैसे ही सोनू ने अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरी मेरे मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

मैंने भी अपनी जांघों को हल्का सा फैला कर सोनू को चूत चाटने की पूरी जगह दी और उसके सिर पर अपने एक हाथ धीरे से अपनी चूत पर और दबा दिया।

सोनू ने चूत चाटते चाटते अचानक अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी.
मेरे मुँह से एक बार फिर हल्की सी सिसकारी निकल गई।

अब मैं भी हल्का-हल्का अपने काम को हिलाने लगी।
इधर अंकल भी शायद झड़ने वाले थे, वे भी आंख बंद कर धीरे-धीरे बड़बड़ाने लगे- आआ आहाआ औउउउर जोर से … बेटाआआ … हाआं … बाअस्स्स … हाआ … और तेईईईई ईईईईई …

मैं भी तेजी से उनका लंड हिलाने लगी.
अंकल के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली- हांआं … बस … बेटाआआ … बस्स्स स्स्स्स्स!
और वे तेजी से झटके लेते हुए झड़ने लगे.
उनके लंड का रस निकल कर मेरे हाथ पर फैल गया।

इधर सोनू मेरी चूत को जीभ को तेजी से चाट रहा था और बीच-बीच में चूत के अंदर जीभ डाल देता था।

वही अंकल थोड़ा नॉर्मल होने के बाद झुक कर मेरी चूचियों को चूसने लगे।
मेरी हालत ख़राब हो रही थी.

मैंने अपने एक हाथ से सोनू के सिर के बालों को भींच लिया और अपने कमर को तेजी से हिलाने लगी और दूसरे हाथ से अंकल के सर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबा दिया था।

मैं भी झड़ने ही वाली थी, मेरे मुँह से तेज सिसकारी निकल रही थी- आआआ आहाआ सोनू … आआ आहाआ औउउर तेज चाट … आआ ऊऊऊ माआआ … आआहा आ!

मैंने इतने जोर से सोनू का सर अपनी चूत पर दबाया जैसे मैं उसके पूरे सर को ही अपनी चूत में डाल लूंगी.

और बस मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं तेजी से हांफ रही थी और अपने सांसों को काबू में करने की कोशिश कर रही थी.

सोनू ने मेरी चूत का सारा रस पी लिया था।

उधर अंकल मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूस रहे थे।
मैंने अभी भी अपनी आंखें बंद कर रखी थी।

जब मैंने आंख खोल कर देखा तो सोनू अपने मुंह पर लगे मेरी चूत के रस को रूमाल से साफ कर खड़ा हो रहा था।
मेरी नज़र उसका लंड पर गयी।
मैंने देखा कि उसके लंड में फिर से तनाव आने लगा था।

मैं आंखें बंद कर उसी तरह खड़ी रही और अंकल जो मेरी चूचियों को चूस रहे थे उनके सर पर धीरे-धीरे हाथ फेरने लगी।

तभी सोनू ने भी मेरी दूसरी चूची को चूसना शुरू कर दिया।
मैं दूसरा हाथ सोनू के सिर पर फेरने लगी।

मैं अभी भी नीचे से पूरी नंगी खड़ी थी और मेरा भाई और अंकल दोनों एक साथ मेरी दोनों चूचियों को चूस रहे थे।

जाड़े की रात में भयंकर ठंड और कोहरे के बीच खुले आसमान के नीचे जवानी का यह खेल चल रहा था।
दूर कहीं कभी-कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज से रात का सन्नाटा टूट रहा था।

हम तीनों ही करीब-करीब नंगे थे मगर ठंड का एहसास तक किसी को नहीं हो रहा था।

करीब 5 मिनट तक सोनू और अंकल मेरी चूचियों को चूसते रहेंगे।
उसके बाद अंकल ने अपना मुंह मेरी चूचियों से हटा दिया।

मैंने आंख खोल कर देखा तो वे हाथ से अपने लंड को हिला रहे थे, उनके लंड में भी तनाव आ चुका था।

मेरी निगाह उनके लंड पर ही थी मेरे मुँह में फिर पानी आ गया।
अंकल ने मुझे देखा और एक हाथ से अपने लंड की त्वचा को पूरा पीछे खींचा, दूसरे हाथ को लंड के सुपारे पर फेरते हुए मुझसे कहा- बेटा, एक बार इसे चूसो।

सोनू ने भी चूचियों से मुंह हटाया और सीधा खड़ा हो गया वो भी अपने एक हाथ से अपना लंड धीरे हिला रहा था।
उसका लंड भी आधा खड़ा हो चुका था।

मतलब साफ़ था हम तीनों एक बार फिर जवानी के खेल के लिए तैयार हो गए थे।

अंकल ने फिर अपने लंड को हिलाया और मेरे सर पर हाथ रख कर नीचे झुकाने की कोशिश करते हुए बोले- चूसो बेटा!

लंड देख कर तो मेरे मुँह में शुरू से ही पानी आ रहा था।

वहीं सोनू भी अपने लंड की त्वचा को पीछे खींच कर अपने सुपारे पर हाथ फेर रहा था।
मैं समझ गई कि वह भी चाह रहा है कि मैं उसका लंड चूसूं।

मैंने झुक कर अपना मुंह खोला और अंकल के लंड को अपने होठों के बीच रखा लिया।
अंकल बोले- हां बेटा … शाबाश!

यह कहकर अपने कमर को हल्का-हल्का हिलाकर मेरे मुंह को ही चोदने लगे और एक हाथ से मेरी चूचियों को भी दबाते जा रहे थे।

पहले तो मुझे लंड का स्वाद बड़ा अजीब लगा मगर थोड़ी ही देर में मुझे लंड चूसने में मजा आने लगा।
अंकल के लंड से थोड़ा सा वीर्य निकल आया था जिसका नमकीन स्वाद मुझे अच्छा लग रहा था और मेरे मुँह को आगे पीछे कर के लॉलीपॉप की तरह अंकल के लंड को चूसने लगी।

उधर सोनू भी अपना लंड हाथ में पकड़ कर एकदम सामने ही खड़ा था।
मैंने एक हाथ सोनू का लंड पकड़ लिया और उसे हल्का-हल्का हिलाने लगी।

सोनू ने अपना लंड एकदम मेरे मुँह के पास ला दिया।
मैं थोड़ी देर तक अंकल का लंड चूसती रही.
फिर मैंने अंकल का लंड छोड़ कर सोनू के लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

सोनू ने भी अपने कमर को हिलाना शुरू कर दिया और अपने लंड को मेरे मुँह में आगे पीछे करने लगा।

इसी तरह मैं सोनू और अंकल के लंड को बारी-बारी से चूसने लगी।

थोड़ी देर में ही सोनू का लंड दोबारा खड़ा हो गया।

जब मैं अंकल का लंड चूस रही थी तो सोनू मेरे पीछे चला गया।
पीछे जाकर सोनू ने अपने हाथों से मेरी गांड को सहलाने लगा और फिर धीरे से मेरी गांड के दरार को फैला कर अपने लंड को मेरी गांड और चूत से रगड़ने लगा।

इधर मैं अंकल का लंड मुंह में लेकर बड़े मजे से चूस रही थी।
उधर सोनू अपने लंड के गर्म-गर्म सुपारे को मेरी चूत और गांड से रगड़ रहा था।
रगड़ने से मेरी चूत एकदम गीली हो गई थी।

लंड को चूत और गांड से रगड़ते-रगड़ते अचानक सोनू ने अपने लंड को मेरी चूत पर रखा और अपने हाथों से मेरी कमर को पकड़ कर जोर से धक्का मारा।
एक ही धक्के में उसका गर्म गर्म लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुस गया।

मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी।
हालांकि मैंने इसके पहले काई बार अपनी चूत में बैगन और मूली डाली थी मगर लंड का मजा अलग ही आ रहा था।

सोनू ने अब धीरे-धीरे अपने कमर से धक्के मारना शुरू कर दिया।

इधर मैंने अंकल का लंड चूस-चूस कर लाल कर दिया।

अब आगे मेरे मुँह में अंकल का लंड था और पीछे मेरी चूत में मेरे भाई का लंड घुसा हुआ था।

सोनू धक्के पर धक्का मारे जा रहा था।
मैं भी गांड उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी।

करीब 10 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा।

10 मिनट बाद सोनू ने अचानक धक्के की स्पीड बढ़ा दी और तेज-तेज धक्के मारता हुआ मेरी चूत में झड़ गया।
मगर मैं अभी भी नहीं झड़ी थी।

सोनू थोड़ी देर तक अपना लंड मेरी चूत में डाले ही हांफ रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और वही बेंच पर बैठ गया।
उसकी आंखें बंद थी और वह अपनी सांसों को काबू में करने की कोशिश कर रहा था. उसका लंड एकदम सिकुड़ कर लटका हुआ था।

इधर मैं अंकल का लंड अभी भी चूस रही थी.

लेकिन मेरी चूत की आग अभी ठंडी नहीं हुई थी।

तभी अंकल ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और वे भी मेरे पीछे चले गये।

मैं समझ गई कि अब इस ओपन चुदाई से मेरी चूत की आग बुझेगी।
मैंने भी बेंच का सहारा लिया और अपने कूल्हों को हल्का सा फैला कर और गांड को उठा कर खड़ी हो गई तकी अंकल के लंड को मेरी चूत तक पहुंचने में कोई दिक्कत ना हो।

मेरी चूत सोनू के वीर्य से एकदम गीली हो चुकी थी।

अंकल ने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत पर रखकर मेरे कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और एक जोरदार धक्का मारा और उनका लंड मेरी चूत में पूरा का पूरा घुस गया।

मेरे मुँह से हल्की से सिसकारी निकल गयी।

अंकल का लंड सोनू के लंड से मोटा और बड़ा दोनों था इसलिए मुझे दर्द होने लगा था।

अंकल लंड डालने के बाद थोड़ी देर तक रुके रहे।
फिर वे मुझसे बोले- बस बेटा, अब दर्द नहीं करेगा।

मैं भी शांत खड़ी रह कर अपने दर्द को काबू में करने की कोशिश कर रही थी।

थोड़ी देर बाद मुझे हल्का सा आराम मिला।
तभी अंकल ने भी अपने कमर से हल्के-हल्के धक्के मार कर मुझे चोदना शुरू किया।

मुझे अभी भी दर्द हो रहा था मगर वो दर्द बड़ा मीठा-मीठा था।

और अब मैं भी गांड हिला-हिला कर चुदाई में अंकल का साथ देने लगी।

करीब 5 मिनट की चुदाई में ही मेरी हालत खराब होने लगी और मेरी तेजी से अपनी कमर हिलाती हुई झड़ गई.
उधर अंकल भी तेजी से धक्के मारते हुए मेरी चूत में झड़ गए।
हम दोनों लगभाग साथ ही झड़े।

थोड़ी देर तक अंकल मेरी चूत में लंड डाल कर खड़े रहे और मैं भी उसी तरह खड़ी रही.
हम दोनों अपनी सांसों को काबू में कर रहे थे।

फिर अंकल ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मैं भी सीधी खड़ी हो गई।

खड़ी होने पर मेरी चूत से अंकल और सोनू का वीर्य निकल का मेरी जांघ पर बहने लगा।

मैंने अपने रूमाल से साफ किया और फिर अपनी चूत को भी साफ कर लेगिंग को ऊपर खींच कर पहन लिया और अपनी कुर्ती के बटन को बंद कर जैकेट को पहन लिया।

उधर सोनू और अंकल भी अपने कपड़े ठीक कर चुके थे।

उसके बाद हम तीनों ऑफिस में आ गए।

करीब 5 मिनट बाद ही बाइक की आवाज आने लगी.
हम समझ गए कि मामा आ गए हैं।

जिसके बाद मैं और सोनू अपना बैग लेकर ऑफिस से बाहर आ गए।

निकलते वक्त हमने पलट कर देखा तो अंकल कुर्सी पर अपना सर रख कर आंख बंद किये हुए थे।

मामा के आते ही मैं और सोनू बाइक पर बैठ कर घर की तरफ चल दिये।

रास्ते में मेरे और सोनू के बीच कुछ बात नहीं हुई।

जब हम घर पहुंचे तो सब हमारा इंतजार कर रहे थे।

मम्मी ने हमसे पूछा- इतनी देर तक स्टेशन पर रुकना पड़ा, कोई परेशानी तो नहीं हुई?

सवाल सुनकर मैं और सोनू ने एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा दिये।

तो कैसी लगी आपको मेरी ये ओपन चुदाई कहानी जरूर बताइयेगा।

अगली कहानी में मैं आपको बताऊंगी कि कैसे शादी के बाद मामा के घर से लौटते वक्त मैंने और सोनू ने फिर स्टेशन पर चुदाई की. पर कैसे?

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