पिंकी की चूत, मेरा नौसिखिया लण्ड -4

(Pinki Ki Chut, Mera Nausikhiya Lund-4)

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अब तक आपने पढ़ा…
पिन्की बार-बार ‘आदित्य आई लव यू..’ बोले जा रही थी, वो अपने पैरों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाए जा रही थी.. और अपने पैरों को मेरे पीठ पर रगड़ रही थी।

मैंने उसकी चूत को अपनी उंगलियों से खोल रखा था और उसकी चूत के छेद में अपनी जीभ डाल कर जीभ से ही पिन्की की चुदाई कर रहा था।
वो मेरे हाथ को पकड़ कर अपने चूचों पर रखवा कर उन्हें दवबाने का इशारा कर रही थी और मैं उसके चूचों को बारी-बारी से मसल रहा था।
पिन्की ऊपर मुँह किए बस जन्नत को महसूस कर रही थी। अब मैं उसकी चूत में उंगली कर रहा था और चूत के दाने को अपनी जीभ से सहला रहा था।

अब आगे..

थोड़ी देर बाद पिन्की मुझे पकड़ कर ऊपर खींचने लगी और बोलने लगी- प्लीज़ आदित्य.. अब कुछ करो.. मुझसे अब सहन नहीं हो रहा..
वो मुझे किस करने लगी और अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
मैं- क्या करूँ जानू?
पिन्की- कुछ भी करो.. पर करो।
मैं- अभी करता हूँ।

मैंने अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और किस करते हुए धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया.. पिन्की तो बस उसे अपनी चूत में लेने के लिए तड़पने लगी और हाथ से लंड को अपनी चूत के छेद पर लगा कर अपनी कमर को ऊपर उठाने लगी और मेरे नीचे वाले होंठ को चूसने लगी।

अब मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड पिन्की की चूत में डाल दिया.. जैसे ही आधा लंड अन्दर गया तो पिन्की चिल्लाने लगी.. तो मैं लंड बाहर निकालने लगा।
पिन्की बोली- ऊह्ह..साले बाहर मत निकाल.. बस अन्दर डाल कर थोड़ी देर रुका रह.. मैं सहन कर लूँगी..
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मैंने ऐसा ही किया और थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़ा रहा.. तब तक पिन्की दर्द से हिलती रही और लंड को अपनी चूत में सैट करती रही। जब उसका दर्द कम हो गया तो नीचे से कमर उठा कर मुझे चोदने का इशारा करने लगी.. तो मैंने भी बाकी बचा सारा लंड उसकी चूत में डालने लगा।
वो एक बार फिर से तड़फ उठी.. तो मैंने आँखों ही आँखों में इशारे से उसे शान्त रहने को कहा।

फिर मैंने बिना समय गंवाए एक दूसरा झटका लगा दिया और मेरा लंड पहली चुदाई में उसकी चूत में जड़ तक उतर गया।
पिन्की को अभी भी काफ़ी दर्द हो रहा था और वो कह रही थी- अपना लण्ड अब निकाल ले.. मेरी तो चूत फटी जा रही है।

मैंने कहा- बस थोड़ी देर बर्दाश्त करो.. फिर तुम्हें मज़ा ही मज़ा मिलेगा।
यह कह कर मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत का दाना भी मसलने लगा।
जिससे उसको कुछ मज़ा आया और वो बोली- अब फिर से दर्द कुछ कम होने लगा है।
यह सुन कर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब पिन्की ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरू कर दिया था।

जब मैं कुछ देर यू ही आहिस्ता-आहिस्ता धक्के मारता रहा तो पिन्की एकदम से उत्तेजित हो कर बोली- अब मज़ा आ रहा है और अब जोर-जोर से धक्के लगाओ।
यह सुन कर मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ानी शुरू कर दी और कुछ ही समय में मैं पिन्की को तेजी के साथ चोदने लगा।

अब पिन्की चूत चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी और मुँह से बड़बड़ा रही थी- हाय.. बड़ा मजा आ रहा है.. आदी.. जोर से चोदो.. फ़ाड़ दो मेरी चूत को.. पेल दो अपना पूरा लण्ड.. मेरी चूत में.. अहहाय.. … स्ससीईइ स्सस्सीईई.. ऊऊफ़्फ़.. मजजाआ आ रह्हा है.. ह्हह्हूऑन ह्हहाआईइ ममीईर्राआ..
यह कहते हुए पिन्की ने अपनी कमर और गाण्ड को तेजी से हिलानी शुरू कर दी और ‘स्सीईई.. स्ससीईई..’ करते हुए झड़ गई।
मैं अभी तक जोर-शोर के साथ धक्के मार रहा था। कमरे में ‘फच.. फच..’ की आवाज आ रही थी और मैं ‘धमाधम..’ धक्के मारे जा रहा था।

थोड़ी देर बाद पिंकी फिर से ‘स्सस्सीईइ.. स्सस्सीईइ स्ससी..’ करते हुए झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था।
मैं पूरा का पूरा पसीने-पसीने हो गया था.. लेकिन धक्के लगाता ही रहा। काफ़ी देर तक तक फ़ुलस्पीड से धक्के लगाने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूँ और मेरे मुँह से भी अनाप-शनाप निकलने लगा कि हाय.. मेररि र्राअन्नी.. म्ममीर्रराआअ.
तो पिन्की एकदम बोली- अपना लण्ड बाहर निकाल लो.. इसे चूत के अन्दर नहीं झाड़ना है.. वरना गड़बड़ हो सकती है।

मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया और पिन्की से कहा- हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे-पीछे करो।
उसने ऐसा ही करना शुरू कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर-जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियां दबाता रहा।
मेरा दूसरा हाथ उसके चूतड़ों और गाण्ड पर फिरने लगा।

कभी-कभी जोश के कारण मैं अपनी उंगली उसकी गाण्ड में भी अन्दर करने लगा। पिन्की तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ‘ऊफ़्फ़..ऊऊफ़्फ़.. आ..ह्हाआआऐईईइ.. ह्हाआआऐईई..’ करता हुआ झड़ गया।
मैंने झड़ते-झड़ते जोश में अपना मुँह उसकी चूचियों में जोर से दबा दिया और उसकी गाण्ड में अपनी पूरी उंगली अन्दर कर दी.. तो वो चिल्ला पड़ी और बोली- क्या मेरी चूचियों को ही काट खाओगे।
यह कह कर मेरा सिर अपनी चूचियों में जोर से दबा लिया।
हम कुछ देर यूँ ही पड़े रहे और फिर उठे तो देखा कि शाम के 6 बज गए हैं, हम दोनों उठ कर बाथरूम में गए.. जहाँ पर पहले तो पिन्की ने मेरा लण्ड पकड़ कर मुझ को पेशाब कराया और फिर मैंने पिन्की को अपने सामने उकड़ू बैठा कर अपनी उंगलियों से उसकी चूत को चौड़ाया और पेशाब करने को कहा। जब वो पेशाब करने लगी तो पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी उंगली करनी शुरू कर दी और वो हँसती रही और पेशाब करती रही।

फिर हम लोगो ने अपने-अपने कपड़े पहने और बाहर आकर सोफ़े पर बैठ गए।
पिन्की मेरे लिए चाय बनाकर लाई और हम दोनों ने चाय पी। फ़िर थोड़ी देर हमने बात की ओर मैं अपने घर आ गया।

दोस्तो, यह थी मेरी कहानी। ये कहानी एकदम सच्ची है.. बस इसे रोचक बनाने के लिए कुछ मसाला डाला गया है।
आप मुझे अपने सुझाव मुझे मेरी ई-मेल पर भेज सकते हैं और मुझे फ़ेसबुक पर भी अपने सुझाव भेज सकते हैं। मुझे आप सभी के सुझावों का इन्तजार रहेगा ताकि अगली कहानी में मुझसे कम से कम गलतियां हों।
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